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Bihar News in Hindi: The BiharNews Post - Bihar No.1 News Portal

विपिन तुम्हारी शहादत रंग लायेंगी

संपादक का पत्र आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल के नाम

27–09—2021

स्वर्गीय विपिन अग्रवाल

आरटीआई कार्यकर्ता(हरसिद्धि ,मोतिहारी)

जिस तरीके से तुम भ्रष्टाचार और भूमाफिया के खिलाफ चला रहे अभियान को लेकर सूचना देते रहते थे ठीक उसी तरीके से सीओ के दफ्तर से निकलने के वक्त तुम पर हमला हुआ और मोतिहारी आने के रास्ते में तुम्हारी मौत हो गयी उसकी पल पल की सूचना मुझे मिल रही थी।
तुम्हारी मौत की सूचना मिलते ही मैंने सबसे पहले बिहार के चर्चित आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय को फोन किया राय जी मोतिहारी में एक आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या हो गयी है उस सूचना के बाद राय जी क्या कर रहे हैं मुझे कोई जानकारी नहीं है ।कुछ बयान जरुर पढ़ने को मिला है वैसे राय जी जब भी मुझसे इस तरह की घटनाओं को लेकर मिलने आये हैं उनमें थोड़ा जातिवादी लगते हैं ।खैर इसके बाद मैंने पुलिस मुख्यालय के सीनियर अधिकारियों को फोन कर तुम्हारे साथ जो घटना घटी छी उसकी सूचना मैंने दी।

तुम्हारा एसपी तो फोन उठाया ही नहीं सुशासन और भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस का दावा नीतीश कुमार जरुर करते हैं उसमें बिहार में अभी सबसे अधिक खड़ा तुम्हारा एसपी ही उतरा है ।हद है लूट मची हुई है तुम्हारे जिले में मुझे तो कोई उम्मीद नहीं है कि इस एसपी के रहते तुमको न्याय मिल पायेगा ।हलाकि मुख्यमंत्री सचिवालय की संक्रियता के बाद तुम्हारा एसपी हरसिद्दि परसो रात को गया था पांच घंटा थाना पर बैठा है लेकिन तुम्हारे परिवार से मिलने शायद नहीं गया है ।

अभी भी खबर आ रही है कि भूमाफिया तुम्हारे परिवार को धमकी दे रहा है और इस वजह से तुम्हारे पापा चुप्पी साध लिये हैं ।होना ही था ये बिहार है भाई सब कुछ जाति तय करता है आज तुम राजपूत भूमिहार,ब्राह्रण, यादव कोयरी कुर्मी होते तो सोशल मीडिया से लेकर तुम्हारे घर पर नेताओं का ताता लगा रहता। देख रहे हो ना सोशल मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया कैसे चुप्पी साधे हुए हैं सुशील मोदी का फोन गया है कि नहीं ,रितू जायसवाल तो गयी थी अब ये भी नेता हो गयी है ।

खैर तुमको कहते थे ना रे मारवाड़ी काहे तुम इस लफरे में पड़ गये हो कोई साथ नहीं देगा सरकार की जमीन है सरकारी अधिकारी उस जमीन पर कब्जा करा रहा है तुम्हारा क्या जा रहा है नहीं सर जान चला जाये होने नहीं देगे देखिए झुठा मुकदमा करवा रहा है फिर भी नहीं ना झुके पेट्रोल पंप सील करवा दिये ना ,जब तक एक एक इंच जमीन खाली नहीं करवा देगे चैन से नहीं बैठेंगे सर तू पागल है जी सर पागल हैं तभी तो लड़ रहे हैं आपका साथ है ना हां जी पूरी साथ है।

हरसिद्दि बाजार और उसके आसपास मुख्य सड़क से सटे बेतिया राज का सैकड़ों एकड़ जमीन है उस सरकारी जमीन के काफी बड़े हिस्से पर अनधिकृत तौर पर मोतिहारी जिले के बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष राजेन्द्र गुप्ता और अजय सिंह सहित दर्जनों बड़े लोग कब्जा कर रखा है उसी को खाली कराने को लेकर विपिन अग्रवाल हाईकोर्ट तक लड़ गया परिणाम यह हुआ कि राजेन्द्र गुप्ता और अजय सिंह को सरकारी जमीन खाली करना पड़ा ।

राजेन्द्र गुप्ता का पेट्रोल पम्प जो सरकार की जमीन का अतिक्रमण करके बनाया गया था विपिन अग्रवाल के कानूनी लड़ाई की वजह से ही प्रशासन को सील करना पड़ा था। यू कहे तो विपिन अग्रवाल के पहल की वजह से सरकार की कोरोड़ो की जमीन अतिक्रमण मुक्त हो सका ।इस दौरान भूमाफिया द्वारा मोटी रकम का भी प्रलोभन दिया इससे बात नहीं बनी तो विपिन अग्रवाल के घर पर हमला हुआ, झूठे मुकदमों मे फंसाया गया इसके बावजूद ये समझौता नहीं किया।
घटना के दिन भी हरसिद्दि के सीओ से सरकारी जमीन के अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन शीघ्र कैसे हो इसको लेकर मिलने गया था और जैसे ही मिलकर बाहर निकला पहले से घात लगाये अपराधियों ने गोली से छलनी कर दिया।

तू तो चला गया लेकिन एक सवाल छोड़ गया है सिस्टम ,समाज ,सरकार और न्याय व्यवस्था को ईमानदारी और ईमानदार लोग पसंद नहीं है ।तुमसे बेहतर ये कौन जानता है कि यहां न्याय पाना कितना कठिन है इसलिए तुमको मारने वालों को सजा मिलेगी या नहीं मिलेगी कहना मुश्किल है ।लेकिन इस पत्र के सहारे एक कोशिश है इस सिस्टम और समाज को आईना दिखाने की। वैसे मुझे पता है जिंदगी फिल्म नहीं है जिसमें हमेशा सुखद अंत होता है सच्चाई यही है तुम्हारे संघर्ष का दुखद अंत हो गया तुम्हारी ये लड़ाई यही ठहर गयी।

कल फिर से उस सरकारी जमीन पर कब्जा होना शुरु हो जायेंगा और तुम्हारे हत्या में शामिल लोग उसी जमीन पर फाइवस्टार होटल बनायेंगा जहां रोज शाम सिस्टम,सरकार ,न्याय व्यवस्था और समाज का महफ़िल जमेगी रंगीन नजारा होगा और इस सब के बीच तुम्हारे संर्घष की गाथा कभी किसी गरीब के जुवान पर बंद कमरे में आ जाये तो बड़ी बात होगी।
तुमको पहले भी हतोत्साहित नहीं करते थे और तुम्हारे जाने के बावजूद भी हतोत्साहित नहीं कर रहे हैं। तुम तो हीरो निकले यार अब देखना यह है कि उसी मोतिहारी की धरती पर गुजरात से गांधी आकर अमर हो गये और उसी मोतिहारी की धरती पर तुम्हारी शहादत क्या रंग लाती है इसका मुझे भी इन्तजार रहेंगा ।

तुम्हारे जाने का मुझे दुख है अब कौन सुबह सुबह फोन करके कहेगा कैसे हैं संतोष सर सुबह सुबह फिर तंग करने के लिए फोन कर दिये ।जहां रहो सिस्टम से लड़ते रहो और मुस्कुराते रहो जाना तो नियति है ।

तुम्हारा संतोष

संतोष सिंह पत्रकार के फेसबुक वाल से लिया गया है

नक्सली उग्रवाद को केंद्र और राज्य को मिलकर लड़ने की जरूरत है ।

वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य के संबंध में आयोजित समीक्षात्मक बैठक मे मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के अभिभाषण का मुख्य बिन्दु ।

बिहार में विगत वर्षो में उग्ररवादी हिसा में गिरावट देखी गई है। नक्सली हिंसा का समाप्त हाेना प्रजातंत्र के सुदृढीकरण तथा समेकित विकास हेतु आवश्यक है। केन्द्र एवं प्रभावित राज्याें की सरकाराें काे इस लक्ष्य के संदर्भ में आगे की रणनीति तैयार करने हेतु इस प्रकार की बैठक नियमित रूप हर वर्ष हाेनी चाहिए।

नक्सली हिंसा देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है और यह विकासोन्मुखी सरकार की नीतियों के सफल क्रियान्वयन में बाधक बनता है। बीते वर्षाें में घटित नक्सली हिंसा की हर घटना ने यही प्रमाणित किया है कि इस संगठन का उद्देश्य गरीबाें का हित करना नहीं है, अपितु अलाेकतांत्रिक और हिंसात्मक तरीकाें का प्रयाेग कर गरीबों काे विकास की मुख्य धारा से वंचित रखना है। इनके कारण गरीब अपने वाजिब हक से तथा क्षेत्र में संचालित विकास याेजनाओं के लाभ, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, संचार के आधुनिक माध्यमों से दूर हाे जाते हैं परंतु इस तथ्य काे भी नकारा नहीं जा सकता कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनाें में शामिल हुए लोग हमारे समाज एवं देश के ही अंश हैं। नक्सली संगठनाें के नेतृत्व एवं संगठनात्मक क्षमता काे निष्प्रभावी करने के लिए इन क्षेत्राें में समावेशी एवं सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाएं कार्यान्वित करनी हाेगी। हमने पुलिस काे अधिक जवाबदेह और जनता के प्रति संवेदनशील बनाया है। यदि लाेगाें की आस्था हमारी व्यवस्था और कार्यप्रणाली में बढ़ेगी ताे समाज में इसके सकारात्मक परिणाम हाेंगे।

2018 में राज्य में सुरक्षा संबंधी व्यय योजना में अच्छादित जिलों की संख्या 22 से घटकर 16 हो गई तथा पुनः वर्ष 2021 में यह संख्या घटकर केवल 10 ( रोहतास कैमूर गया औरंगाबाद नवादा जमुई लखीसराय मुंगेर बांका बेतिया) रह गई है। वर्ष 2018 में अति उग्रवादी प्रभावित जिलों की संख्या 100 थी जो अब घटकर केवल 3 गया जमुई लखीसराय रह गई है ।अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से औरंगाबाद जिले को हटा दिया गया है। औरंगाबाद झारखंड के अति नक्सल प्रभावित पलामू जिले का सीमावर्ती है और पहाड़ एवं जंगलों से आच्छादित है । औरंगाबाद जिला को अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में पुनः शामिल करने की जरूरत है।

सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक आयाम रखने वाली नक्सली उग्रवाद की समस्या के एक छोटे भाग से पुलिस लड़ सकती है । इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने न्याय के साथ विकास की समावेशी रणनीति बनाई । विकास से वंचित और भटके हुए लोगों को सामाजिक आर्थिक मुख्यधारा में वापस लाने के लिए गंभीर विकासात्मक पहल किए गए हैं । वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था में और वर्ष 2007 में नगर निकायों के चुनाव में वंचित लोगों को आरक्षण महिलाओं को 50% आरक्षण देकर उन्हें क्षेत्र के विकास के निर्णय लेने का हक दिया गया। सभी थानों में विधि व्यवस्था और अनुसंधान के पृथक्करण किया गया है । कानून का राज एवं भयमुक्त शासन स्थापित करना बिहार सरकार की नीति रही है। सांप्रदायिक सौहार्द्र का वातावरण राज्य के सभी जिलों में कायम है ।

महिला सशक्तिकरण के तहत हमने पुलिस में 35% आरक्षण दिया है और इसी का नतीजा है कि आज बिहार पुलिस में 23% से अधिक संख्या में महिलाओं की है । उल्लेखनीय है कि महिलाओं की कमांडो टीम को विशेष टास्क फोर्स एवं आतंकवाद निरोधक दस्ता में सम्मिलित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है । एक अभिनव पहल के तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थारू ,संथाल, उरांव और अन्य अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को लेकर बिहार स्वाभिमान बटालियन का गठन बाल्मीकि नगर पश्चिम चंपारण जिला में किया गया है । राज्य सरकार के इस कदम से बगहा एवं बाल्मीकि नगर के जंगल पहाड़ी क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव घटा है।

नक्सली उग्रवाद प्रभावित जिलों में लोगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चलाई जा रही विभिन्न विकासोनमुखी एवं कल्याण संबंधी योजनाओं का नियमित अनुश्रवण मुख्य सचिव बिहार सरकार के स्तर से किया जाता है । जिसके फलस्वरूप केंद्र सरकार द्वारा संचार व्यवस्था के लिए पहचान किए गए बीएसएनल के ढाई सौ मोबाइल टावर का अधिष्ठापन कार्य राज्य में सबसे पहले पूर्ण कर उन्हें ऊर्जान्वित किया जा चुका है ।विभिन्न विकास मुखी एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दूरस्थ था एवं ग्रामीण इलाकों में पहुंचने से सकारात्मक माहौल बना है ।

जहां एक तरफ घटनाओं में कमी आना प्रसन्नता का विषय है। वही घटनाओं का पूर्णता समाप्त नहीं होना यह इंगित करता है कि नक्सली हिंसा की संभावना अभी भी बनी हुई है। जिसे समूल समाप्त करने की दिशा में अत्यंत सचेत रहते हुए रणनीति बनाकर अभियानों के साथ-साथ समावेशी विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों और में और तीव्रता लाए जाने की आवश्यकता है ।

नक्सली हिंसा से निबटने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझाव।

1- विशेष आधारभूत संरचना योजना सीआईएस 2021-22 के बाद बंद होने की सूचना मिली है इसे आगे चलाने की आवश्यकता है ।

2- नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान में यह अत्यंत आवश्यक है कि पुलिस को आधुनिकतम यंत्र एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाए । केंद्र सरकार द्वारा पुलिस अधिकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है ।समय के साथ-साथ इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की जरूरत महसूस की जा रही है । इस योजना में केंद्र और राज्य का अनुपात 60:40 रखा गया है । बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए यह अनुपात 90 : 10 किया जाना चाहिए ।

3- केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नक्सली उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति के अंतर्गत सुरक्षात्मक कार्यवाहियों के साथ-साथ विकाससोनामुखी कार्यक्रमों को भी अनुसरण किया जा रहा है ।प्रभावित जिलों की विशेष स्थिति के कारण निश्चित ही इस दिशा में संकेतिक पहल करने की आवश्यकता है । हमारा सुझाव होगा कि इन क्षेत्रों के लिए चयनित योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने और उन्हें समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त निजी उपलब्ध कराई जाए तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया एवं मापदंडों में संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाए ।

4- नकली उग्रवाद के विरूद्ध चलाए जा रहे अभियानों में आधुनिक तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग आवश्यक हो गया है । आधुनिक हथियार ड्रोन, रोबटिक यंत्र, संचार माध्यमों पर निगरानी आदि तकनीकी सिर्फ सुरक्षा बलों की क्षमता बढ़ाती है, संभावित जान के खतरे को भी कम करती है ,जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल और भी बढ़ता है । इसके साथ-साथ प्रत्येक राज्य में हेलीकॉप्टर की तैनाती अवश्यम्भावी रूप से की जाए जो सुरक्षा बलों की गतिशीलता को तो बढ़ाता ही है आवश्यकता पड़ने पर बचाव में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हम चाहेंगे कि गृह मंत्रालय इस पर पुनर्विचार कर बिहार में अलग से हेलीकॉप्टर की स्थाई तैनाती करें ।

5- वर्तमान में बिहार राज्य में 7 . 5 बटालियन केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को उपलब्ध कराया गया है । जिसमें सभी बलों की प्रतिनियुक्ति बिहार झारखंड के सीमावर्ती जिलों में की गई है। इन बलों के माध्यम से लगातार अभियान चलाया जा रहा है ।वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार सीआरपीएफ की दो बटालियन बल बिहार से छत्तीसगढ़ राज्य में भेजी गई है। जिससे बिहार राज्य में प्रतिनियुक्त बलों की संख्या घट गई है। इन बलों के जाने से क्षेत्र में सुरक्षा अंतराल बना है । जिससे अभियान की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है । अत्यंत नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा कैंप का निर्माण प्रस्तावित है , जिसके लिए अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की आवश्यकता है ।अतः मैं गृह मंत्रालय से अनुरोध करना चाहूंगा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की इन दोनों बटालियनओं को बिहार में वापस किया जाए।

6- नक्सली हिंसा के विरुद्ध अभियान हेतु यह भी आवश्यक है कि राज्यों के सुरक्षाबलों को गहन प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रभावी रूप से दक्ष बनाया जाए । केंद्रीय पुलिस संगठनों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बिहार के लिए अधिक कोटा निर्धारित किया जाए और निशुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए ।

7- इस अवसर पर मैं केंद्र सरकार का ध्यान अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षाबलों पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति की नीति के की तरफ भी आकृष्ट करना चाहूंगा । आंतरिक सुरक्षा के लिए नक्सली हिंसा वादियों के खिलाफ या लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है परंतु इन बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा भार राज्य सरकार के कोष पर पड़ जाता है ।अतः अनुरोध होगा कि इस खर्च का वाहन केंद्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए । यह मैं यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति सदस्य जाग रही है और वर्तमान में कोई भुगतान लंबित नहीं है ।

नक्सली उग्रवाद के विरुद्ध अभियान केंद्र और राज्य सरकार का संयुक्त दायित्व है अतः इसका आर्थिक भार भी केंद्र और राज्यों के बीच बैठकर वहन किया जाना चाहिए ।

जातीय जनगणना को लेकर बिहार की सियासी पारा चढ़ा बीजेपी समझौते के मूड में नहीं ।

जातीय जनगणना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार द्वारा दायर हलफनामा को लेकर बिहार की सियासत में तुफान आ गया है कल नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव इस मामले को लेकर देश के 30 बड़े राजनीतिज्ञों को पत्र लिख कर समर्थन मांगा था ।
वही आज मैदान में खुद नीतीश कूद पड़े हैं नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ गृहमंत्री की बैठक में भाग लेने पहुंचे नीतीश कुमार ने आज बैठक समाप्ति के बाद बैठक को लेकर पूछे गये सवालों को नजरअंदाज करते हुए बेहद तल्ख लहजे में कहा कि बिहार के सभी दलों के लोगों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की है. केंद्र सरकार फिर से ठीक ढ़ंग से इस पर विचार करें।

उन्होंने जातीय जनगणना को देशहित में बताया.मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामा को लेकर कहा कि वे आर्थिक और समाजिक गणना को लेकर है. इसमें जातीय जनगणना को नहीं जोड़िए. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार इस पर ठीक ढ़ंग से विचार करें और ये देशहित का मामला है।

CM ने कहा कि 2011 में जो जातीय जनगणना हुई थी, वो जातीय जनगणना थी ही नहीं। वो आर्थिक आधारित जातीय जनगणना थी, जिसमें कई गलतियां थीं, इसलिए उसे प्रसारित नहीं किया गया था। केंद्र सरकार अगर सबका विकास चाहती है तो जातीय जनगणना कराए। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एक बार फिर मिलकर सभी बातों को साफ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम राज्य स्तर पर अपने सभी दलों के साथ एक बार फिर से मीटिंग कर इस पर विचार करेंगे।

नीतीश कुमार के इस बयान के थोड़ी देर बाद ही बिहार बीजेपी के सीनियर नेता सुशील मोदी ने जातीय जनगणना को लेकर नीतीश कुमार के मांग को खारिज करते हुए कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

नीतीश कुमार के बयान के बाद सुशील मोदी का जातीय जनगणना के मांग को पूरी तरह खारिज करने के साथ ही यह तय हो गया कि आने वाले समय में जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी और नीतीश के बीच तल्खी बढ़ेगी क्यों कि मांझी और सहनी पहले ही बगावत के मूड में है वही तेजस्वी जिस तरीके से जातीय जनगणना को लेकर नीतीश पर दबाव बना रहे हैं ऐसे में आने वाले समय में बिहार की सियासत किसी और दिशा की और मूड़ जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। क्यों कि नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर जितने आगे बढ़ गये वहां से वापसी उनके लिए आत्मघाती हो सकता है ।

इस बीच लालू प्रसाद की बेटी डॉ. रोहिणी आचार्या ने एक ट्टीट करके नीतीश पर सीधे हमला बोला है उन्होंने कहा है कि ‘ बीजेपी का जो यार है.. जातीय जनगणना का विरोधी नीतीश कुमार है’। उन्होंने आगे लिखा है- ‘ भ्रम के जाल में उलझा, नीतीश कुमार कुर्सी का भूखा है।’ डॉ. रोहिणी ने लिखा है कि- ‘ओबीसी समाज के हितों का दुश्मन बीजापी का यार नीतीश कुमार है।’ऐसे में बिहार की सियासी फिजा एक बार फिर गर्माने लगा है ।

हर थाली में बिहारी व्यंजन एक और कदम आगे बढ़ा बिहार फाउंडेशन।

हर थाली में बिहारी व्यंजन के लिए काम करेगा बिहार फाउंडेशन…उपमुख्यमंत्री
पटना 26 सितंबर 2021
कल देर शाम बिहार के उपमुख्यमंत्री -सह-वित्त मंत्री-सह-अध्यक्ष, बिहार फाउंडेशन श्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में वर्चुअल मीट के माध्यम से बिहार फाउंडेशन के विदेशों में स्थित चैप्टरों एवं कोविड-19 दूसरी लहर में प्राप्त राहत सामग्रियों के दानकर्त्ताओं के संग एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

बिहार फाउंडेशन के विदेश में अवस्थित 4 चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव इस संवाद कार्यक्रम में जुड़े, जिनमें यू०एस०ए० वेस्ट कोस्ट चैप्टर से श्री राजीव सिन्हा (अध्यक्ष) एवं श्री दीपक शर्मा (सचिव), कनाडा चैप्टर से श्री उमेश कुमार (सचिव), क़तर चैप्टर से श्री शकील अहमद काकवी (अध्यक्ष), श्री गौहर अल्ताफ (उपाध्यक्ष), मोहम्मद महफूज़ हसन (महासचिव) तथा यू०ए०ई० चैप्टर से श्री ओमेर हेजाज़ीन (अध्यक्ष) एवं श्री तारिक़ अनवर (सचिव) शामिल हुए। इसके अतिरिक्त अमेरिका में बसे प्रवासी बिहारी जिन्होंने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बिहार फाउंडेशन के माध्यम से बिहार राज्य को राहत सामग्री उपलब्ध कराई थी, वे भी इस संवाद कार्यक्रम में जुड़े। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) से डॉ अविनाश गुप्ता (अध्यक्ष) एवं श्री आलोक कुमार (सदस्य), डा० सोनल सिंह, एमडी, एमपीएच, एफएसीपी यू०एस०ए०, एवं श्रीमती मनीषा पाठक, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बे एरिया, सिलिकॉन वैली, यू०एस०ए० ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़कर अपने विचारों को रखा।

उपमुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं को कार्यक्रम में शामिल होने तथा बिहार की यथासंभव मदद करने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने सबों को सूचित किया कि बिहार के कटिहार जिले के शुभम कुमार इस वर्ष की यूपीएससी की परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम रैंक लाकर बिहार की बौद्धिक शक्ति का परिचय दिया है।

उन्होंने हर्ष के साथ कहा कि जिस प्रकार आप सभी प्रवासी बिहारी विदेशों में भी बिहार के कला, संस्कृति एवं भाषा को न सिर्फ अपने अंदर संजोये हुए है बल्कि इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी तत्पर है, इस भावना का हम सभी बिहारवासी सम्मान करते है। इसी सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ाने के उद्देश्य से बिहार फाउंडेशन के माध्यम से एवं आपके सहयोग से विदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की परिकल्पना की जाएगी। इस भावी कार्यक्रम में बिहार के कला, संस्कृति एवं भाषा इत्यादि आधारित ऑडियो/वीडियो, अन्य उत्पाद आदि भी साझा की जाएगी।

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रवासी बिहारियों से अपने-अपने क्षेत्र में बिहार के व्यंजन यथा गया का तिलकुट, बाढ़ का लाई, सिलाव का खाजा, मनेर का लड्डू, नवादा का अनरसा इत्यादि के प्रचार-प्रसार किए जाने पर बल दिया तथा यह भी सुझाव दिया की इन व्यंजनों का विदेश में एक बिक्री-केंद्र खोला जाए जिससे इसका न केवल ब्रांडिंग-मार्केटिंग होगा बल्कि इससे रोजगार का सृजन भी होगा । उन्होंने कहा कि उनकी हार्दिक इच्छा है की बिहार के पारम्परिक व्यंजन सुदूर देशों के प्रवासी चखें। इससे न केवल जड़ों से सम्बन्ध मजबूत रहेगा, वरन् इनके निर्माण में लगे कारीगरों को भी प्रोत्साहन तथा रोजगार भी मिलेगा। साथ ही, उन्होंने बिहारी कला जैसे मधुबनी पेंटिंग एवं बिहारी हस्तशिल्प निर्मित सामग्रियों की भी बिक्री बढ़ाये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए विशेष पहल की जाएगी।

उपमुख्यमंत्री ने समस्त प्रवासी बिहारियों से कोविड की दूसरी लहर के दौरान बिहार फाउंडेशन के माध्यम से बिहार राज्य के लिए उपलब्ध कराये गए राहत सामग्री के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में बिहार फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री रविशंकर प्रसाद ने कार्यक्रम में उपस्थित बिहार फाउंडेशन के चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं का स्वागत किया तथा सभी चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं द्वारा बिहार राज्य के हितार्थ किये गए कार्यों से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में फाउंडेशन के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री सुशील कुमार ने उपर वर्चुअल माध्यम से जुड़े सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

भारतीय सिनेमा का पहला गीत !

भारतीय सिनेमा का पहला गीत !

भारत की सबसे पहली बोलती फिल्म थी ‘आलम आरा’। वर्ष 1931 की इस फिल्म के निर्देशक थे अर्देशिर ईरानी। उन्होंने भारतीयों के बीच संगीत की लोकप्रियता को समझा और इस फिल्म में सात गाने डाले। उनमें से पहला गाना था ‘दे दे खुदा के नाम पे प्यारे’। यह एक प्रार्थना गीत था जिसके गायक थे अभिनेता वजीर मोहम्मद खान। वज़ीर खान ने फिल्म में एक फकीर का चरित्र निभाया था। ‘आलम आरा’ सिर्फ एक सवाक फिल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने-गाने वाली फिल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना ज्यादा था। इस फिल्म के संगीतकार थे फिरोजशाह मिस्त्री और बी ईरानी। इसी फिल्म के साथ हमारे यहां फिल्मी संगीत की नींव पड़ी। फिल्म के साथ इसके संगीत को भी व्यापक सफलता हासिल हुई। ‘दे दे खुदा के नाम पर प्यारे’ को भारतीय फिल्म के पहले गीत और वज़ीर खान को पहला गायक होने का गौरव प्राप्त हुआ। उस दौर में फिल्मों में पार्श्व गायन की परंपरा शुरु नहीं हुई थी। गीत को हारमोनियम और तबले के साथ सजीव रिकॉर्ड किया गया था।

दुर्भाग्य से भारत की पहली बोलती फिल्म का कोईभी प्रिंट अब उपलब्ध नहीं है। गीत की उपलब्ध रिकॉर्डिंग बेहद अस्पष्ट है । फिल्म शोधकर्ताओं ने इस ऐतिहासिक गीत को श्रीमती कृष्णा अटाडकर की आवाज़ में रिकॉर्ड कर भारतीय सिनेमा के पहले गीत के जादू को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।

-लेखक ध्रुव गुप्ता (पूर्व आईपीएस अधिकारी )

आप भी सुनिए !

जातीय जनगणना की दुहाई देने वाले सुशील मोदी भी पलट गये ।

पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तकनीकी व व्यवहारिक तौर पर केंद्र सरकार के लिए जातीय जनगणना कराना सम्भव नहीं है। इस बाबत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मगर राज्य अगर चाहे तो वे जातीय जनगणना कराने के लिए स्वतंत्र है।

श्री मोदी ने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना में 4147 जातियां पाई गई थीं, केंद्र व राज्यों के पिछड़े वर्गों की सूची मिला कर मात्र 5629 जातियां है जबकि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक गणना में एकबारगी जातियों की संख्या बढ़ कर 46 लाख के करीब हो गई। लोगों ने इसमें अपना गोत्र,जाति, उपजाति,उपनाम आदि दर्ज करा दिया। इसलिए जातियों का शुद्ध आंकड़ा प्राप्त करना सम्भव नहीं हो पाया।

यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, लोगों को कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए या जो राज्य चाहे तो वहां अपना पक्ष रख सकते हैं।

जातीय जनगणना का मामला केवल एक कॉलम जोड़ने का नहीं है। इस बार इलेक्ट्रॉनिक टैब के जरिए गणना होनी है। गणना की प्रक्रिया अमूमन 4 साल पहले शुरू हो जाती है जिनमें पूछे जाने वाले प्रश्न,उनका 16 भाषाओं में अनुवाद, टाइम टेबल व मैन्युअल आदि का काम पूरा किया जा चुका है। अंतिम समय में इसमें किसी प्रकार का बदलाव सम्भव नहीं है।

राज्यों की अलग-अलग स्थितियां हैं, मसलन 5 राज्यों में OBC है ही नहीं, 4 राज्यों की कोई राजयसूची नहीं है, कुछ राज्यों में अनाथ व गरीब बच्चों को OBC की सूची में शामिल किया गया है। कर्नाटक सरकार ने तो 2015 में जातीय जनगणना कराई थी, मगर आज तक उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जा सके हैं।

1960 में पहला बिहारी यूपीएससी में टाप किया था

UPSC में टाप करने के बाद जिस तरीके से सूबे के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और संतरी तक बधाई दे रहे हैं ऐसे में गालिब का एक शायरी याद आ गया ——– हम को मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है ।

एक दौर था जब पटना विश्वविधालय को ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ कहा जाता था स्थापना के शुरुआती दिनों में वकालत और मेडिकल की पढ़ाई के क्षेत्र में देश और दुनिया में पटना विश्वविधालय ने अलग पहचान स्थापित किया बाद के दिनों में रामशरण शर्मा जैसे इतिहासकार की वजह से पटना विश्वविधालय की पहचान इतिहास लेखन के क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुआ ।60 के दशक में इस विश्वविधालय की पहचान यूपीएससी के फैक्ट्री के रुप में स्थापित हुआ ।

1960 में जगन्नाथन मुरली बिहार से UPSC के पहले टापर बने। उन्होंने पटना में रहकर ही पढ़ाई की थी और उनके पिता भी आइसीएस (ब्रिटिश काल) थे और तब पटना में पदस्थापित थे।बिहार के दूसरे टांपर छह साल बाद 1966 में पूर्णिया के आभास चटर्जी UPSC टापर बने 1970 में पटना विश्वविधालय के तीन छात्र UPSC में पहला स्थान श्याम शरण दूसरा स्थान अनुराधा मजूमदार और तीसरा स्थान लक्ष्णी चक्रवर्ती प्राप्त की थी बाद में श्याम शरण विदेश सचिव बने थे ।

पटना विश्वविधालय से पढ़े आमिर सुबहानी 1987 में टाप किये थे आमिर सुबहानी पटना विश्वविद्यालय के सांख्यिकी विभाग से स्नातकोत्तर में गोल्ड मेडलिस्ट थे।आमिर सुबहानी के बाद अभी तक कोई दूसरा पटना विश्वविधालय से पढ़कर UPSC में टाप नहीं किया है।

1988में UPSC में प्रशांत कुमार टापर रहे इनकी प्रारंभिक पढ़ाई पटना में हुई थी। उच्च शिक्षा सेंट स्टीफेंस कालेज, दिल्ली से हुई।1997 में सुनील कुमार बर्णवाल टापर रहे सुनील बर्णवाल की प्रारंभिक शिक्षा भागलपुर में हुई। आइएसएम धनबाद से बीटेक के बाद उन्होंने गेल में भी सेवा दी।

2001 के टापर आलोक रंजन झा ने हिंदू कालेज से स्नातक करने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमफिल किया। इनके बाद फिर टापर के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा और 20 साल बाद कटिहार के शुभम कुमार यूपीएससी में टाप किया है । शुभम ने बोकारो से 12वीं की। फिर बॉम्बे आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है।

1961 बैच के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आइसी कुमार का कहना है कि 1960 से पहले बिहार से करीब 26 आइसीएस थे। इसके बाद 1960 में प्रथम स्थान पर पटना के जगन्नाथन मुरली, पांचवें स्थान पर रामास्वामी और 12वें स्थान पर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा थे।

1977 बैच के आईपीएस अधिकारी बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद का कहना है कि पटना विश्वविधालय उस समय पढ़ाई के हर क्षेत्र में देश और दुनिया में पहचान स्थापित कर लिया था यूपीएससी को तो मक्का कहा जाता था।हर बैच में 25 से 30 छात्र यूपीएससी करता था ।1980 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे राजवर्धन शर्मा जो 1967 में पटना सांइस कांलेज के छात्र थे उनका कहना था कि फिजिक्स ,अर्थशास्त्र और इतिहास विभाग का टांपर का यूपीएससी तय माना जाता था।

लेकिन आज बिहार के स्कूल कांलेज से पढ़े बच्चों के पास कर्मचारी बनने लाइक भी योग्यता नहीं है पिछले 10 वर्षो का बिहार बोर्ड का टापर का लिस्ट निकाल लीजिए देखिए वो क्या कर रहा है ।
पटना विश्वविधालय में पढ़ने वाले पूर्ववर्ती छात्रों का कहना है कि एक रणनीति के तहत बिहार के नेताओं ने पटना विश्वविधालय को बर्वाद किया है और इस बर्वादी में ताबूत में आखिरी कील इंटरमीडियट की पढ़ाई खत्म करने का निर्णय रहा आज बिहार के बजट की बात करे तो सबसे अधिक राशी 17 प्रतिशत 38035.93 करोड़ रुपये खर्च शिक्षा पर ही हो रहा है परिणाम आपके सामने हैं ।

बिहार में जहां कही से भी उम्मीद की छोटी सी किरणें दिखायी दे रही है उसके निर्माण में बिहार के किसी भी संस्थान को कोई योगदान नहीं है। छात्र,मजदूर ,किसान और व्यापारी जो बिहार का नाम रोशन कर रहा है वो सभी व्यक्तिगत प्रयास से सफलता हासिल किया है ।
चलते चलते–मुद्दतें बीत गयी आज पर
यार-ए-ज़िद्द ना गयी
बंद कर दिए गए दरवाजे
मगर उम्मीद ना गयी !!

आज के युवा पीढ़ी के लिए सिटिजन जर्नलिज्म एक सुनहरा मौका है।

अनिता गौतम
सिटिज़न जर्नलिज़्म, यह सिर्फ शब्द भर नहीं बल्कि व्यक्ति समाज, देश और दुनिया की जरूरत है। इस अंग्रेजी शब्द का मूल अनुवाद संभवतः नागरिक पत्रकारिता हो परंतु अलग अलग आयाम में फिट बैठता यह शब्द आम अवाम की मजबूत आवाज बन चुका है। देश दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और भौगोलिक बदलाव को तकनीक के सहारे अति शीघ्र बहुत बड़े समूह तक पहुचाने का सशक्त माध्यम है यह सिटिज़न जर्नलिज्म।

समय के साथ इस वर्चुअल वर्ल्ड इन्फॉर्मेशन तकनीक में अभी और बदलाव आएंगे परंतु वर्तमान में इस माध्यम की सार्थक भूमिका को हम अपने आस पड़ोस में अनुभव कर सकते हैं।

मीडिया का शुरुआती दौर, जब प्रिंट मीडिया के माध्यम से ख़बरें लोगों तक घटना के अगले दिन या कई दिनों बाद पहुंच पाती थीं। फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आयी और खबरें संकलित और संपादित होकर तस्वीरों और ट्रेंड एंकरों द्वारा कुछ लोगों तक पहुंचने लगीं।

दूरदर्शन से अपना सफर शुरू कर क्रमशः इस खबरों की दुनिया के निरंतर बदलाव का गवाह आज भी एक बहुत बड़ा वर्ग है। टेलीविजन केबल से डेटा केबल तक घूमते हुए आज इस नागरिक पत्रकारिता ने “कर लो दुनिया मुट्ठी में” के तर्ज पर हर किसी को अपने हुनर दिखाने का मंच दे दिया है।

कल तक खबरों के लिए टेलीविजन और अखबार की मोहताज आम आवाम आज खुद खबर बना और परोस रहा है। हर क्षेत्र, राजनीति, अपराध, सिने वर्ल्ड , टेलीविजन की दुनिया या समाज से जुड़ी छोटी बड़ी घटना की जानकारी पलक झपकते लोगों तक पहुँच रही है।

बात चाहे सरकार बनाने की हो, गिराने की हो , चुनावी समीकरण की हो या मत ध्रुवीकरण की, एक क्लिक और खबर पूरी दुनियां में संचारित। जाहिर सी बात है आगे जैसे-जैसे नागरिक पत्रकारिता का दायरा बढ़ेगा इसकी विश्वसनीयता दाव पर लगेगी। सीधे शब्दों में समझे तो बिना किसी तकनीकी पढ़ाई किये स्मार्ट फोन के साथ स्मार्ट बनने की प्रक्रिया में जितनी तेजी से सच फैलेगा उस से कई गुना रफ्तार से झूठ दौड़ेगा। वैसे भी एक पुरानी कहावत है जब तक सत्य बाहर निकलने के लिए अपने जूते तलाशता है, झूठ पूरी दुनिया घूम आता है।

मतलब बिल्कुल सीधा और साफ है कि हर चीज जिसमें अच्छाई होती है उसी में बुराई भी होती है, तो हमें तय करना होगा कि इसके निगेटिव पॉजिटिव प्रभाव को समझने की समझ कैसे विकसित करें?
वर्चुअल मीडिया, सोशल मीडिया के इस वर्ल्ड वाइड वेव ने सिटीजन जर्नलिज्म को एक मंच तो दे दिया है पर इसकी उपयोगिता की जिम्मेवारी हमें तय करनी होगी। इसके बेहतर प्रयोग से समाज और देश सुधार की न सिर्फ दिशा तय करनी होगी बल्कि उसके सकारात्मक प्रभाव पर भी गंभीरता से मंथन करना होगा।

निश्चित रूप से नागरिक पत्रकारिता , किसी भी मीडिया संस्थान से न जुड़कर भी खबरें संचालित करने का अद्भुत मंच है, शर्त यह है कि पत्रकारिता के लिए बने पंच लाइन ‘पत्रकारिता प्रोफेशन नहीं मिशन है।’ को इसमें अपने स्तर से बहाल रखा जाए।
सिक्के के दो पहलू की तरह सिटीजन जर्नलिज्म की भी अपनी ताकत के दो रूप है अच्छाई और बुराई। अगर कभी खबरों की सत्यता तय करने में मुश्किल आये तो हम न सिर्फ निष्पक्ष भाव से समाचार का सृजन करें बल्कि पत्रकारिता के मूल उद्देश्य, जनहित को प्राथमिकता देने का प्रयास करें।

ज्ञातव्य है कि समय के साथ मुख्य धारा की मीडिया में चंद लोगों की मोनोपोली कायम हो रही थी। दिशा निर्देश सत्तारूढ़ पार्टी या खास व्यक्ति के द्वारा प्राप्त होने लगे थे। ऐसी विषम परिस्थितियों में नागरिक पत्रकारिता ने मीडिया के कुछ मुट्ठी भर लोगों के गुरुर को न सिर्फ तोड़ा है बल्कि उनके पूरे किले को ही ध्वस्त कर दिया है। आज इस नागरिक पत्रकारिता की ताकत को ऐसे भी समझा जा सकता है कि कई सारी खबरें सोशल मीडिया पर पहले आती हैं और बाद में सत्यापित और संपादित होकर मुख्य धारा की मीडिया में आती है।

इसके साथ ही अगर बेहतर तरीके से इसके पूरे दिशा निर्देशों का पालन किया जाए और किसी तरह की विवादास्पद सामग्री न परोसी जाए तो इसमें मुद्रीकरण की प्रक्रिया भी है। अर्थात पूरी शर्त के साथ इस मंच को संचालित करने पर पैसे कमाने का साधन भी यहां उपलब्ध है।

इस तरह से देखा जाए तो सही मायने में यह सिटिज़न जर्नलिज्म हर आम और खास को एक बराबर अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान करता है। खास लोगों की जिंदगी से प्रेरणा देने एवं उनकी कहानियों के लिए कई प्लेटफॉर्म हैं पर आम अवाम के पास जो अनुभव का खजाना है, उसे साझा करने में मददगार साबित हो रहा है यह मंच।
खाना खजाना, महिला जगत से लेकर बाल विकास तक के पन्नों को अपने में समेटे हुए, यह मंच न सिर्फ किताब बल्कि पूरी लाइब्रेरी है।

नाली गली से लेकर व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने का सबसे प्रभावी जरिया है यह। तस्वीरों, वीडियो और ग्राफिक्स जैसे साक्ष्यों के साथ खबरों की अनोखी दुनिया। अपने पसंद की चीजों को यथा समय खोजने से लेकर फुरसत में खबरों से रूबरू होना, सब संभव हुआ है इस साधन से।

इसकी सबसे बड़ी खामियों में नागरिक पत्रकारिता के नाम पर पीत पत्रकारिता की संभावना बन जाती है। किसी के निजी जीवन की बातें, व्यक्तिगत पहलू या असंसदीय शब्दों का प्रयोग या फिर किसी की मर्यादा भंग करने वाली कहानियों को प्रकाशित करना। साथ ही इस माध्यम का दुरुपयोग सामूहिक रूप से पैसे उगाहने में भी लोग कर रहे हैं। क्राउड फंडिंग के नाम पर तकरीबन भीख मांगने की परंपरा को बढ़ावा मिल रहा है।

इसका सबसे डरावना और वीभत्स प्रयोग है पोर्नोग्राफी। स्त्री से लेकर बच्चों तक के शोषण के रास्ते तैयार करता है। वैसे कुछ कड़े कानून से इस पर रोक लग सकती है। पहले से भी देश में इस तरह के आपत्तिजनक सामग्री को रोकने के लिए कई कानून हैं। धार्मिक उन्माद , धर्मान्ध सामग्री और एक पक्षीय विश्लेषण से भी बचने की आवश्यकता है।

ब्लॉग, वेब पेज, गूगल, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप, वी चैट, टिकटाक, सोशल साइट्स और भी न जाने कितने तरीके से अब संचार संभव हो गया है। बहुत हद तक सूचना के अधिकार का विस्तार भी है नागरिक पत्रकारिता, बस जरूरत है भाषा की शुद्धता, तस्वीरों, वीडियो या ग्राफिक्स की प्रामाणिकता और उकसाने वाली खबरों से बचाव के तरीके तलाशने की।
बहरहाल इन सब चुनौतियों के बावजूद सिटिज़न जर्नलिज्म में असीम संभावनाएं है।

सुपर तकनीक के माध्यम से होने वाली इस पत्रकारिता में जरूरत है, थोड़े प्रशिक्षण और कुछ कानूनी दायरे बनाने की। सही मायने में लोकतांत्रिक तरीके से आम आदमी की अभिव्यक्ति का माध्यम बना नागरिक पत्रकारिता का यह मंच अपने आप में अनूठा है।

मुख्य धारा की मीडिया को चुनौती देते इस सिटिज़न जर्नलिज्म यानी नागरिक पत्रकारिता का भविष्य आगे अभी और उज्ज्वल है।

-लेखिका का नाम अनिता गौतम पत्रकार है

20 वर्ष बाद बिहार का कोई लाल यूपीएसपी में टांप किया है।

20 वर्ष बाद बिहार का कोई बेटा यूपीएससी में टांप किया हलाकि शुभम की पढ़ाई लिखाई बिहार में नहीं हुआ है लेकिन परिवार बिहार में ही रहता बिहार के कटिहार के रहने वाले शुभम कुमार कुम्हरी निवासी उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के ब्रांच मैनेजर देवानंद सिंह व पूनम सिंह के पुत्र हैं। उनकी प्रारंभिक से लेकर 10वीं तक की शिक्षा विद्या विहार रेजिडेंशियल स्कूल से हुई। 12वीं की पढ़ाई चिन्मया विद्यालय बोकारो से हुई। उसके बाद उन्होंने IIT बॉम्बे से सिविल इंजीनियरिग किया और फिर उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी। दूसरे प्रयास में 2019 में 209वां रैंक हासिल किया था। इसके बाद उन्होंने इस साल फिर एग्जाम दिया और टॉप किया है।

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मां पूनम सिंह ने कहा- ‘शुभम पुणे में ट्रेनिंग में हैं। मैं बहुत खुश हूं। मुझे बहुत अच्छा लगा। सभी बच्चे शुभम की तरह तैयारी करें। वन से लेकर 10 तक टॉपर रहा। अभी भी टॉपर है। बचपन से पूछती थीं कि तुम क्या बनोगे तो वह कहता था मैं IAS बनूंगा। मैं उसको कहती थी तुम अच्छा तो पढ़ोगे तो मैं तुम्हें पढ़ाती रहूंगी। वह मुझे हौसला देता रहा’।

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टांपर का पूरा परिवार

शुभम के पिता देवानंद सिंह ने बताया कि उनकी बेटी अंकिता कुमार न्यूक्लियर साइंटिस्ट हैं। वह अभी आरआर कैट में पोस्टेड हैं। संयुक्त परिवार है। देवानंद सिंह के छोटे भाई डॉ. मणि कुमार सिंह पूर्णिमा में एक्वाप्रेशर के डॉक्टर हैं।

वहीं, ऑल इंडिया 7वां रैंक जमुई के प्रवीण कुमार को मिला है। चकाई बाजार निवासी प्रवीण कुमार बरनवाल ने ऑल इंडिया में 7 वां रैंक लाकर चकाई का नाम पूरे देश में रोशन किया है। प्रवीण की सफलता से पूरे चकाई बाजार में जश्न का माहौल है। उसके घर पर बधाई देने वालों की भीड़ उमड़ रही है। प्रवीण के पिता सीताराम वर्णवाल ने बताया- “वह बचपन से ही मेधावी था। उसकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा जसीडीह स्थित रामकृष्ण विद्यालय से हुई थी। बाद में उसने पटना से CBSE से मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षा पास की। उसके बाद कानपुर IIT से पढ़ाई कर दिल्ली में 2 साल से UPSC की तैयारी कर रहा था। उसने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है।

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प्रवीण की सफलता से उसकी मां वीणा देवी, बड़े भाई धनंजय वर्णवाल, बहन दीक्षा वर्णवाल एवं चाचा रामेश्वर लाल वर्णावाल खुशी से झूम रहे हैं। सीताराम वर्णावाल ने काफी गरीबी में अपने पुत्र प्रवीण को पढ़ाया- लिखाया और आज प्रवीण ने पूरे चकाई का नाम देश स्तर पर ऊंचा किया है।

समस्तीपुर के दिघड़ा निवासी सत्यम गांधी (Satyam Gandhi) ने यूपीएससी में 10वां रैक हासिल किया है । सत्यम गांधी ने राजनीतिक शास्त्र विषय से ग्रेजुएशन किया है ।

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परिणाम के बारे में खबर सुनते ही उनके पैतृक गांव दिघड़ा में जश्न का माहौल है. बता दें कि यूपीएससी ने आज सिविल सेवा का परिणाम जारी किया है, जिसमें 761 अभ्यर्थियों का सेलेक्शन हुआ है ।

UPSC टॉपर को दी बधाई।

बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता परीक्षा 2020 के आई.ए.एस. टॉपर श्री शुभम् कुमार को उनकी बेमिसाल उपलब्धि के लिए उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

उन्होंने कहा कि श्री शुभम् कुमार बिहार के कटिहार जिलान्तर्गत कदवा प्रखंड के कुम्हरी गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर बिहार का नाम रौशन किया है। उन्होंने कहा कि बिहार प्रतिभाओं की धरती रही है। आज फिर एक बार बिहार और कटिहार गौरवान्वित हुआ है।

उपमुख्यमंत्री ने श्री शुभम् कुमार के उज्जवल भविष्य की कामना देते हुए कहा कि बिहार एवं देश की तरक्की में उनकी उत्कृष्ट सेवा का लाभ मिलेगा।

झंझारपुर कोर्ट के जज अविनाश का पावर हुआ सीज फैसले को लेकर उठ रहे थे सवाल

पटना हाईकोर्ट ने मधुबनी जिला के झंझारपुर सिविल कोर्ट के एडीजे (प्रथम) अविनाश कुमार का पावर सीज करने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट के महानिबंधक की ओर से जारी आदेश में उनके न्यायिक कार्य करने पर रोक लगा दी गई है। हाल के दिनों में एडीजे प्रथम अविनाश कुमार अपने जारी आदेश से काफी चर्चा में रहे हैं।

कभी डीएम-एसपी तो कभी अधिकारियों को ट्रेनिंग में भेजने की बात करते थे। हाल ही में उन्होंने कपड़ा और नाली साफ करने तथा बच्चों को आधा-आधा लीटर दूध पिलाने सहित अन्य आदेश पारित किये थे। हाईकोर्ट प्रशासन ने अब उनके न्यायिक कार्य करने के अधिकार पर अंकुश लगा दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने भभुआ (कैमूर) सिविल कोर्ट के एडीजे शिव प्रसाद शुक्ला को निलंबित कर दिया है| उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। साथ ही अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित रहने तक उन्हें बगैर अनुमति के मुख्यालय से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट प्रशासन ने बिहार ज्यूडिशियल सर्विस (क्लासिफिकेशन कंट्रोल एंड अपील)-2020 के नियम 6 (1) के तहत कार्रवाई की है। निलंबन से संबंधित आदेश पटना हाईकोर्ट के महानिबंधक ने जारी कर दिया है।

भ्रष्टाचारियों से लड़ते लड़ते हार गया विपिन सरेआम अपराधियों ने गोली से कर दी छलनी

मोतिहारी एसपी के दामन पर लगा एक और दाग जी है सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाने वाले RTI कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की आवाज को अपराधियों ने हमेशा के लिए खामोश कर दिया । हरसिद्धि के सीओ सहित कई पदाधिकारी और भूमाफिया पर विपिन अग्रवाल की हत्या में शामिल होने का आरोप लग रहा है।

जो खबर आ रही है उसके अनुसार विपिन अग्रवाल घर से अंचल कार्यालय सीओ से मिलने निकला था जहां सरकारी जमीन पर फिर से कब्जा होने कि शिकायत लेकर गया था सीओ से मिलकर जैसे ही बाहर निकला पहले से घात लगाये अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग करना शुरु कर दिया विपिन को चार गोली थी।

घटना की सूचना पर हरसिद्धि थाना पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और विपिन अग्रवाल को मौके से उठाकर मोतिहारी सदर अस्पताल पहुंचाया। हालांकि, उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था।
घटना के बाबत मृतक के पिता विजय कुमार अग्रवाल ने बताया- ‘बेटे ने हरसिद्धि क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर कई RTI आवेदन दाखिल किया था।

इस कारण 2020 में भी मेरे घर पर अपराधियों ने घर पर धावा बोल गोलीबारी की थी। इसको लेकर स्थानीय थाना और SP को सनहा दिया गया था, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

‘इतना ही नहीं भूमाफिया मेरे बेटे को झुठे मुदकमें फंसा कर तंग करने लगा पूरा प्रशासन भूमाफिया के साथ खड़ा है जबकि सरकारी जमीन की रक्षा के लिए मेरा बेटा प्रशासन से गुहार लगा रहा था लेकिन प्रशासन मेरे बेटे के खिलाफ ही कारवाई करने लगा ।

बिहार के दो जज साहब के फैसले से लोगों में कोर्ट को लेकर नजरिया बदलने लगा है ।

बिहार में इन दोनों न्यायिक सेवा से जुड़े दो पदाधिकारी अपने मानवीय जजमेंट की वजह से सुर्खियों में है ।एक ही बिहार शरीफ कोर्ट के प्रधान न्यायायिक दण्डाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा (Manvendra Mishra)और दूसरे हैं व्यवहार न्यायालय झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार जिन्होंने अपने फैसले से जता दिया कि सबस कुछ कानून के किताब के अनुसार ही नहीं चलता है।

बिहार में बिहारशरीफ किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) के प्रधान जज मानवेन्द्र मिश्र ने सनातन संस्कृति को आधार मान एक फैसला सुनाया है। उन्होंने मिठाई चोरी के आरोपित किशोर को दोष मुक्त करार देते हुए कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी बाललीला हो सकती है तो बालक की मिठाई चोरी को भी अपराध नहीं माना जाना चाहिए। समाज में दोहरा मानदंड नहीं चल सकता। वह भी तब, जब किशोर के पास भोजन न हो।

जज ने मामले में हरनौत के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में एफआइआर दर्ज ही नहीं करनी चाहिए। सिर्फ थाना की सामान्य डायरी में घटना को दर्ज कर मामले को सुलझाना चाहिए था। जज ने चोरी का आरोप लगाने वाली महिला की अधिवक्ता से सवाल किया कि यदि उस महिला की संतान उसके पर्स से निकाल लेती तो क्या वह अपने ब’चे को भी पुलिस को सौंपकर जेल भिजवा देती।

इसी तरह कुछ दिनों पहले एक मामला इनके सामने आया जिसमें एक नाबालिक लड़की को लेकर एक लड़का फरार हो गया जब वो कोर्ट पहुंचा तो वो लड़की मां बन चुकी थी लड़का पर अपहरण का मामला दर्ज था तीन दिनों में ही सुनवाई पूरी करते हुए फैसला दिया कि हर अपराध के लिए सजा दिया जाना न्याय नहीं होगा। यह सही है कि किशोर ने नाबालिग लड़की को भगाकर ले गया। और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया, जिससे एक बच्ची पैदा हुई।

यह अपराध है। लेकिन, अब उसकी बच्ची जन्म ले चुकी है। बच्ची और उसकी मां को उसके परिजन स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में किशोर को दंडित करके तीन नाबालिगों की जान सांसत में नहीं डाली जा सकती है। किशोर ने भी पत्नी व बच्ची को स्वीकार करते हुए अच्छी तरह से देखभाल कर रहा है। और आगे भी करने का वचन कोर्ट के समक्ष देता है तो यहां पर न्याय के साथ तीन लोगों का हित भी देखना सर्वोत्तम है इसलिए लड़के को अपराध से मुक्त करते हुए अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने का आदेश दिया ।

इसी तरह बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां के एक युवक की नौकरी असम राइफल्स में लग गई थी. उसे मार्च में ज्वाइन करता था, लेकिन 12 साल पहले किए एक जुर्म के चलते उसका करियर शुरू होने से पहले ही मंझधार में फंस गया था. युवक पर 2009 में मारपीट करने का केस दर्ज हुआ था. असम राइफल्स में ज्वाइन करने के लिए कैरेक्टर सर्टिफिकेट की जरूरत थी. कोर्ट ने दोषमुक्त हुए बिना उसे नौकरी मिलना संभव न था पांच दिन में सुनवाई करके उक्त युवक को दोषमुक्त करते हुए एसपी को चरित्र प्रमाण पत्र जारी करने करने का निर्देश दिया।

इस तरह के कई फैसले की वजह से बिहार शरीफ में इनके न्यायप्रियता की खुब चर्चा हो रही है ।
दूसरे न्यायिक सेवा के अधिकारी व्यवहार न्यायालय झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार हैं ये भी कई ऐसे फैसले दिये हैं जिसको लेकर खासे चर्चा में हैं तीन दिन पहले गांव की ही महिलाये के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में जेल में बंद लड़के को जमानत देते हुए कहां कि छह माह तक आरोपी गांव की महिलाओं का बिना पैसा लिए हुए छह माह तक कपड़ा धोकर घर पहुंचायेगा, आरोपी गांव का धोबी है ।

इसी तरह मारपीट के एक मामले में जेल में बंद एक आरोपी को जमानत देते हुए निर्देश दिया कि जमानत से छुटने के बाद आरोपी सार्वजनिक स्थलों यथा मंदिर परिसर एवं पार्क में 10 फलदार पौधा लगायेगा और उसकी घेराबंदी करेगा और 30 दिनों के अंदर लगाए गए पौधों का फोटोग्राफ कोर्ट में जमा करे ।

इसी तरह लखनौर आरएस ओपी के मारपीट के एम मामले के दो आरोपित को इस शर्त जमानत दी है कि वह अगले छह माह तक महादलित परिवार के पांच बच्चों को आधा-आधा लीटर दूध मुफ्त में देगा. साथ ही न्यायालय ने दूध देने का प्रमाण पत्र मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य या विधायक से लेकर न्यायालय में जमा करने का निर्देश दिया हैआरोपी के अधिवक्ता परशुराम मिश्रा के अनुसार लखनौर आर एस ओपी क्षेत्र के भगवान कुमार झा द्वारा आरोपी शिवजी मिश्रा एवं अशोक मिश्रा सहित चार पर मारपीट कर चाकू से जख्मी करने का आरोप लगाया था।

अभियुक्तों के बारे में गाय पालने की जानकारी एडीजे को मिली. न्यायालय ने अभियुक्त शिवजी मिश्रा को तीन गाय पालने तथा अशोक मिश्र को दो गाय पालने की जानकारी हुई. यह जानकारी मिलने के बाद एडीजे ने शिवजी मिश्र को तीन महादलित परिवार के बच्चे को आधा आधा लीटर दूध व अशोक मिश्र को दो दलित परिवार के पांच साल से कम उम्र के बच्चे को आधा – आधा लीटर दूध मुफ्त में देने की शर्त पर जमानत दिया।

इस तरह के फैसले को लेकर कानून के जानकार भले ही सवाल खड़े कर रहे हो लेकिन आम लोग जज साहब के इस तरह के फैसले से काफी खुश है ।

पहली बार सेंसेक्स 60,000 के पार, निफ्टी 17,853 पर बंद

सेंसेक्स 163 अंक बढ़कर 60,048 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 30 अंक बढ़कर 17,853 पर बंद हुआ। सेंसेक्स आज 60,333 के उच्च और 59,946.55 के निचले स्तर पर पहुंच गया। निफ्टी 17,819.40-17,947.65 के बीच चला ।

सेंसेक्स चार्ट (24.09.21) एक नजर में

बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 1% गिरा, जबकि स्मॉलकैप 0.3% टूटा। निफ्टी ऑटो इंडेक्स 0.54% बढ़ा । आईटी, ऑटो और रियल्टी को छोड़कर अन्य सभी सेक्टोरल इंडेक्स मेटल, एफएमसीजी, पीएसयू बैंक और पावर इंडेक्स में 1-2 फीसदी की गिरावट के साथ लाल निशान में बंद हुए।

एशियन पेंट्स, एमएंडएम, एचसीएल टेक, एचडीएफसी बैंक, भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक शीर्ष सूचकांक प्राप्त करने वालों में से थे। दूसरी तरफ, टाटा स्टील, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एक्सिस बैंक, आईटीसी, एनटीपीसी, बजाज फाइनेंस, एचयूएल ने सूचकांक में बढ़त हासिल की।

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सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

बैंक निफ्टी इंडेक्स 37,830 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी आईटी इंडेक्स लगभग एक फीसदी बढ़ा। निफ्टी मेटल इंडेक्स शीर्ष पर रहा।

शीर्ष सूचकांक गेनर्स : एशियन पेंट (3.76%), एमएंडएम (3.10%), एचसीएल टेक (2.27%)
शीर्ष सूचकांक लूजर्स: टाटा स्टील (3.90%), एसबीआईएन (2.02%), एक्सिस बैंक (1.85%)

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 13 शेयर्स बढ़त के साथ और 17 शेयर्स कमजोरी के साथ कारोबार करते दिखे। बीएसई पर कारोबार के दौरान 244 शेयर्स 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर और 20 शेयर्स 52 हफ्ते के निचले स्तर पर कारोबार करते दिखे।

निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल

अफरशाही से परेशान सीएम ने गृहविभाग के अपर मुख्य सचिव को लगायी फटकार

इन दिनों अफरशाही को लेकर सीएम का तेवर तल्ख होने लगा है आज मुख्यमंत्री पुलिस निगम द्वारा आयोजित थाना भवन, पुलिस लाइन के उद्घाटन एवं शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान यह पता चला कि अभी भी राज्य में 15 से अधिक ऐसा थाना है जिसके पास अपना भवन नहीं यह सूनते हैं सीएम गुस्से से लाल हो गये और गृह विभाग के अपर मुख्‍य सचिव को यहां तक कह दिये कि इनको चीजों की सही समझ नहीं है।

उन्‍होंने अधिकारियों से कहा कि पहले से सुधार हुआ है, लेकिन यह काफी नहीं है। कोई काम पूरा क्‍यों नहीं हुआ, इसे भी देखना होगा। उन्‍होंने कहा कि आखिर क्‍या बात है कि 15 थानों के लिए राज्‍य में अब तक जमीन ही नहीं मिल पाई है। अगर सरकारी जमीन उपलब्‍ध नहीं है तो जमीन खरीदकर भी इस मसला हल हो। जिस निजी जमीन पर थाना चल रहा है, उसी को खरीदने के विकल्‍प पर विचार करें।

अगर जमीन नहीं मिल रही है तो थाने की जगह बदलने की भी कोशिश हो सकती है।सीएम ने कार्यक्रम में मुख्‍य सचिव से लेकर विकास आयुक्‍त सभी का नाम लेकर कहा कि योजनाओं की मानिटरिंग सही तरीके से करें। कमियां दूर होनी चाहिए। योजनाओं में लेटलतीफी नहीं चलेगी।

अगर कोई बाधा है तो उसका निदान भी तत्‍काल होना चाहिए। उन्‍होंने शराबबंदी को लेकर भी अधिकारियों से कहा कि इसकी सही तरीके से निगरानी की जरूरत है।शराबबंदी को लेकर भी सीएम नराज दिखे और अधिकारियों ने कहां कि ये अब नहीं चलेंगा जिस तरीके से रोजाना शराब पहुंच रहा है यह दिखता है कि बड़े पैमाने पर अभी भी शराब की तस्करी चल रही है ।

छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है पंचायत चुनाव

बिहार पंचायत चुनाव 2021 के पहले चरण का चुनाव दोपहर तक छिटपुट घटना को छोड़ दे तो शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है लेकिन कोरोना को लेकर जारी गाइड लाइन का कही भी अनुपालन होता नहीं दिख रहा है दोपहर 12 बजे तक 20 से 25 प्रतिशत मतदान की खबर है सुबह से ही हर बूथ पर वोटर की लंबी कतार देखने को मिल रही है शातिपूर्ण चुनाव सम्पन्ना कराने को लेकर 2300 पुलिस पदाधिकारी और 10,000 से अधिक जिला बल गृह रक्षक बिहार पुलिस सशस्त्र वाहिनी सैप के जवान को चुनाव कार्य में लगाया गया है ।

पहले चरण में 15,328 प्रत्याशियों ने विभिन्न पदों के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है। इनमें से 858 पदों पर प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन हो गया है। वहीं, 72 पदों पर किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। पहले चरण में ग्राम पंचायत सदस्य के 22,33 पदों को लेकर 8611 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है।

ग्राम कचहरी पंच के 2233 पदों को लेकर 3225 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया। मुखिया के 151 पद के लिए 1294 ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। सरपंच के 151 पदों के विरुद्ध 772 नामांकन किए गए हैं। पंचायत समिति सदस्य के 195 पदों के लिए 1205 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है।

जिला परिषद के 22 पदों के लिए 221 प्रत्याशी हैं। 11 लाख 48044 वोटर इस चरण में वोटिंग करेंगे। यहां 14000 चुनाव कर्मियों को बूथों पर तैनात किया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, 2119 मतदान केन्द्रों में 220 से वेब कास्टिंग की जा रही है।1609 मतदान भवनों में 2119 मतदान केन्द्र बनाए हैं। वोटिंग सुबह 7 बजें से शाम 5 बजे तक होगी।

हाईकोर्ट ने फिजिकल कोर्ट को लेकर गाइड लाइन जारी किया

पटना हाईकोर्ट में 27 सितम्बर,2021 से सप्ताह में चार दिन फिजिकल कोर्ट और एक दिन ऑन लाइन सुनवाई होगी।स्टैण्डर्ड ओपरेटिंग procedure के तहत कोर्ट परिसर व कोर्ट रूम में प्रवेश के नियम तय किये गए हैं।

पटना हाईकोर्ट के गेट न.1 से जजों के आने जाने की व्यवस्था हैं।जबकि गेट न. 3 से अधिवक्ता,क्लर्क और अन्य लोग वाहन से आ कर पार्किंग स्थल में वाहनों को रखेंगे।इस गेट से पैदल भी अनुमति प्राप्त लोग प्रवेश कर सकेंगे।गेट संख्या 4 से पैदल चलने वाले कोर्ट परिसर में आ सकेंगे।

गेट संख्या 3 पर प्रवेश करने वाले लोगों का थर्मल चेकिंग करने के बाद ही कोर्ट परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।फ्लू,बुखार या खांसी लक्षण वाले व्यक्ति को कोर्ट परिसर में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
कोर्ट परिसर और कोर्ट रूम मे उन्हीं अधिवक्ता,क्लर्क और सम्बंधित लोगों को प्रवेश की अनुमति होगी,जिनका केस उस दिन लिस्ट पर रहेगा।

कोर्ट परिसर और रूम मे कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकार के दिशानिर्देश व नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।मास्क पहनने और सोशल डिस्टेन्स के नियमों को सख्त तरीके से पालन करना होगा।
कोर्ट रूम में फिजिकल सुनवाई के लिए वकील,क्लर्क व अन्य सम्बंधित लोगों को ई पास निर्गत किया जाएगा,जो उसी दिन मामले के फिजिकल सुनवाई के लिए वैध होगा।

तीनो अधिवक्ता संघ के दस दस अधिवक्ता नियमों के पालन की निगरानी करने के लिए मौजूद रहेंगे।
जिन अधिवक्ता के केस सुनवाई के लिए कार्य सूची में होंगे,उन्हें,उनके एक सहयोगी व क्लर्क को कोर्ट परिसर व कोर्ट रूम में प्रवेश की अनुमति होगी।

साथ ही मामले की सुनवाई खत्म होने के बाद सम्बंधित अधिवक्ता,क्लर्क व अन्य लोगों कोर्ट परिसर छोड़ देना होगा।
अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी व अन्य सम्बंधित लोगों के प्रवेश के लिए 15 दिनों के विशेष पास दिया जाएगा,जिसे समय समय पर विस्तारित किया जाएगा।

एक्सरे फिल्म बेचने वाली कंपनी को मिला है घर में नल और जल पहुंचाने का ठेका

उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद की मुश्किलें बढ़ती जा रही है मीडिया में सफाई देने के बावजूद पार्टी और सीएम दोनों संतुष्ट नहीं है क्यों कि यह पहला मामला नहीं है इससे पहले जदयू विधायक गोपाल मंडल इनके भागलपुर जाने को लेकर जो सवाल खड़े किये थे उसकी सच्चाई भी पार्टी के सीनियर नेता और मुख्यमंत्री तक पहुंच गयी है ।

https://2gz.db6.myftpupload.com/the-company-worked-by-ignoring-the-rules/


जदयू विधायक ने उप मुख्यमंत्री पर पैसा उगाही करने का आरोप लगया था साथ ही उप मुख्यमंत्री के सरकारी कार्यक्रम में बेटा के शामिल होने पर भी सवाल खड़े किये थे।
इस बीच सीएम हाउस कटिहार डीएम से इस पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है वैसे ठेका को लेकर जो तथ्य सामने आ रहा है वो उप मुख्यमंत्री के दावे के साफ विपरीत है ।

https://2gz.db6.myftpupload.com/bihars-politics-with-the-revelations-of-bihar-news-post/

एक्सरे फिल्म बेचने वाली कंपनी को हर घर जल नल लगाने का मिला है ठेका

पटना के जिस दो कंपनी Jeevanshree Infrastructure Pvt limited और Deepkiran Infrastructure Pvt Limited को हर घर नल जल योजना का काम देने को लेकर वबेला मचा है उसमें एक कंपनी Deepkiran Infrastructure Pvt Limited ऐसा है जो एक्सरे फिल्म बेचने का काम करता है उस कंपनी को किसी भी तरह के निर्माण कार्य करने का अनुभव नहीं है।

Deepkiran Infrastructure Pvt Limited 2009 की कंपनी है और 2009 से 2017 तक कंपनी के पास कुछ खास काम नहीं था ।इस कंपनी का शेयर कैपिटल 60 लाख रुपया है जिसमें से 54 लाख 59हजार 603 रुपया कंपनी निर्माण के कुछ ही दिनों बाद पहली वाली कंपनी को लोन दे दिया है।
इस कंपनी को पीएचडी कटिहार ने 2019 में 3 करोड़ 6 लाख रुपया का काम हर घर जल नल योजना के तहत दिया है सरकार किसी भी ऐंजसी को काम देती है तो उस कंपनी के कम से कम तीन वर्ष का आंडिट रिपोर्ट देखना अनिवार्य है।

Deepkiran Infrastructure Pvt Limited कंपनी के तीन वर्षो का आंडिट रिपोर्ट इस तरह है ।
वित्तीय वर्ष ——- 1 अप्रैल 2017—–31 मार्च 2018
इस वर्ष उसका आय है 32 लाख 10 हजार 843 रुपया यह आय एक्सरे फिल्म बेचकर कंपनी को प्राप्त हुआ है ।

वित्तीय वर्ष————1 अप्रैल 2018 से —–31 मार्च 20019

कंपनी को इस दौरान 17 लाख 81 हजार 628 रुपया 10 पैसा का आय हुआ है ये आय भी एक्सरे फिल्म बेचने से और सेल ऑफ गुड्स से 6 लाख 64 हजार 856 रुपया 10 पैसा (यह पैसा हर घर जल नल योजना के तहत मिला है )

वित्तीय वर्ष ————1 अप्रैल 2019 से——31 मार्च 2020
कंपनी को इस दौरान 78 लाख 6800.97 पैसा आय हुआ है यह पैसा सरकारी ठेका से प्राप्त हुआ है इस वर्ष एक्सरे फिल्म से कोई आय नहीं हुआ है।

इन दोनों कंपनी को ही काम मिले इसके लिए नियमों की अनदेखी की गयी है

सरकार किसी भी निजी कपंनी को कोई काम देती है तो उस कंपनी को जितने का ठेका मिला है उसका 5 प्रतिशत राशी विभाग के पास जमा करना पड़ता है, वो बैक गारंटी या फिर किसान विकास पत्र जैसे निवेश का प्रमाण होना चाहिए।


इस कंपनी के पास ऐसा कुछ भी नहीं है। इतना ही नहीं Deepkiran Infrastructure Pvt Limited कंपनी को हर घर जल नल योजना के तहत जो काम मिला है उसमें से उप मुख्यमंत्री के रिश्तेदार को 24 लाख 69428हजार का काम पेटी कॉन्ट्रैक्ट के रुप में दे दिया गया है जबकि नियम है कि इसके लिए पहले आपको विभाग से अनुमति लेना होगा साथ ही कुल काम का 10 प्रतिशत से ज्यादा आप पेटी कॉन्ट्रैक्ट में काम नहीं दे सकते हैं।


वित्तीय वर्ष 2019–2020 में कंपनी जो सरकार का काम किया है उसकी राशी 33 लाख 80 हजार है और 24 लाख 69428हजार रुपया का काम पेटी कॉन्ट्रैक्ट में दे दिया है जो पूरी तौर पर गैर कानूनी है।
इसी तरह से काम करने के दौरान कंपनी के द्वारा सरकार के नियमावली का खुल कर उल्लंघन किया है ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इस कंपनी पर किसी सरपरस्ती है जिसको लेकर पीएचडी इतना मेहरवान है।

आयुष्मान भारत का लक्ष्य बढ़ाया जायेंगा

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तीन वर्ष पूरे होने पर ज्ञान भवन में आयुष्मान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राज्य स्वास्थ्य सुरक्षा समिति द्वारा कार्यक्रम का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया गया था। कार्यक्रम का थीम रोग मुक्त, ऋण मुक्त बिहार था, ताकि राज्य की जनता इलाज के खातिर कर्जदार न हो।

इस अवसर पर जहां दो लाभार्थियों ने अपने इलाज के अनुभव साझा किये, वहीं इस योजना के तहत बेहतर काम करने वाले सरकारी और गैर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को सम्मानित भी किया गया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने समीक्षा मोबाइल एप का शुभारंभ किया और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ कुशल मार्गदर्शन के लिए माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार जताया।

श्री पांडेय ने आयुष्मान भारत की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि यह योजना लोगों को नया जीवन देने का काम कर रहा है। अस्पताल में हाथ में लिया हुआ गोल्डन कार्ड लाभार्थियों की ताकत होती है। आयुष्मान भारत का तीन वर्षों का सफर काफी चुनौती भरा रहा है। कठिन रास्ते से चलते हुए इस योजना को आगे बढ़ाते रहे हैं।

असफलता के रास्ते ही सफलता की मंजिल पहुंचाता है। कभी चुनौतियों में लड़ने से स्वास्थ्य विभाग पीछे नहीं रहा। आगे आने वाले समय में इसे और गति देते हुए सुलभ और बेहतर बनायेंगे, ताकि लोगों को इस योजना ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। तीन साल में राज्य में इस योजना के तहत तीन लाख लोगों का इलाज किया गया और इस पर लगभग तीन सौ करोड़ खर्च किये गये। 30 फीसदी परिवारों के बीच गोल्डन कार्ड उपलब्ध कराया गया है।

पूरे राज्य में इस योजना के तहत 940 सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल सूचीबद्ध हैं। पूरे देश में 28 हजार अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जहां आयुष्मान भारत के लाभार्थी अपना इलाज करा सकते हैं।
श्री पांडेय ने कहा कि पहले लोगों को अपने परिजनों के इलाज के लिए काफी कठिनाई होती थी।

अपने परिजनों का जीवन बचाने के लिए गरीब तबके के लोग कर्ज लेते थे, जेवर और जमीन बेच देते थे, लेकिन अब लोगों को न तो इलाज के लिए ऋण लेना पड़ रहा है और न ही जमीन बेचने की आवश्यकता पड़ रही है। माननीय प्रधानमंत्री की सोच है कि बीमारी के कारण लोगों को ऋण लेना नहीं पड़े। इसलिए उन्होंने गरीबों की पीड़ा को देखते हुए इस योजना के तहत पांच लाख तक निःशुल्क उपचार की व्यवस्था की।

बिहार न्यूज पोस्ट के खुलासे के बाद सामने आये उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद कहा मेरे परिवार के लोग नहीं हैं शामिल

उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने दी टेंडर विवाद को लेकर दी सफाई ।

बिहार के उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने ‘‘हर घर नल का जल‘‘ स्कीम के अंतर्गत कटिहार जिले में कराये गए कार्यों के संबंध में प्रकाशित खबर के विषय में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरे ऊपर लगाया गया आरोप तथ्यहीन एवं बेबुनियाद है
और राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि सात निश्चय के अन्तर्गत क्रियान्वित ‘‘हर घर नल का जल‘‘ बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है एवं इन योजनाओं के क्रियान्वयन में संबंधित विभागों द्वारा सरकार की मार्गनिर्देशिका के मुताबिक क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया गया
है।

उन्होने कहा कि ‘‘हर घर नल का जल‘‘ स्कीम के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आम आवाम को प्रत्येक घरों में नल संयोजन के द्वारा पेयजल की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। स्कीम की सफलता से घबराहट में विपक्ष अनर्गल प्रलाप कर रहा है।

उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने इस मामले में वस्तुस्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि जिन दो कंपनी दीपकिरण इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड एवं जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र किया गया है, उन प्रतिष्ठानों अथवा कंपनियों में मेरे परिवार या ससुराल के कोई सदस्य शामिल नहीं हैं।

प्रसांगिक कार्य कटिहार जिला अंतर्गत क्रियान्वित लगभग 2800 स्कीमों में से भवाड़ा पंचायत के 04 वार्डों में सिर्फ चार स्कीम का कार्य मेरे परिवार की श्रीमती पूजा कुमारी द्वारा किया गया है, जिसका कॉन्ट्रैक्ट सरकार की मार्गनिर्देशिका के अनुसार पी.डब्ल्यू.डी. कोड, निविदा प्रक्रिया एवं नियमों के मुताबिक वर्ष 2019 में ही किया गया है।

जैसा कि मैंने जानकारी ली है, उसके अनुसार उपरोक्त कॉन्ट्रैक्ट नवंबर 2019 में हुआ, जिसके अंतर्गत मात्र 01 करोड़ 87 लाख 08 हजार 766 रूपए का कॉन्ट्रैक्ट हुआ। इस कॉन्ट्रैक्ट के अंतर्गत दिए गए कार्य भी एक वर्ष पूर्व सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। संबंधित क्षेत्रों में नियमित जलापूर्ति भी किया जा रहा है।

इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के पूर्व प्रसांगिक चारों स्कीमों के कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो चुके थे। ऐसी स्थिति में मैं किस प्रकार डिप्टी सीएम के पदीय प्रभाव का इस्तेमाल कर सकता हूँ ?
प्रकाशित खबर में जिस प्रकार से तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर साजिश के तहत पेश किया गया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं इसका प्रतिकार करता हूँ।