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बिहार विधानसभा में गाड़ी रोकने पर भड़के मंत्री कहाँ कौन बड़ा है सदन तय करे

पीने वाले को पीने का बहाना चाहिए जी है आजकल बिहार में बीजेपी और जदयू के बीच कुछ ऐसा ही चल रहा है। बुधवार को सदन में बीजेपी विधायक अफसरशाही को लेकर अपनी सरकार को कटघरे में खड़े कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सफाई देने पर मजबूर किया था और आज मंत्री बड़ा की डीएम बड़ा इसको लेकर सड़क से लेकर सदन तक बीजेपी के मंत्री जीवेश मिश्रा ने ऐसा बवाल काटा कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष को इस मामले में डीजीपी और गृह सचिव को सदन में उपस्थित होने का निर्देश जारी किया है ।

मंत्री जी को गुस्सा क्यों आया

मंत्री जीवेश मिश्रा का कहना है कि एसपी और डीएम की गाड़ी के कारण मंत्री की गाड़ी रोकना कहां का कानून है? जिस अधिकारी ने गाड़ी रोकी है उसका सस्पेंशन नहीं होगा मैं सदन के अंदर नहीं जाऊंगा हालांकि पार्टी के वरिष्ट मंत्री के हस्तक्षेप के बाद मंत्री सदन के अंदर तो आये लेकिन इस मसले को लेकर जमकर भड़ास निकाला इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायक के साथ साथ विपक्ष के विधायक भी मंत्री के पीड़ा के साथ खड़े दिखे ।

विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की जो प्रतिक्रिया फेसबुक पर आयी है उससे एक बार फिर मामला गरमा गया है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि माननीय मंत्री श्री जीवेश मिश्रा जी के साथ विधानसभा प्रांगण में जो भी घटना घटी है उस पर मुझे पूरा विश्वास है की विधानसभा अध्यक्ष अवश्य ही संज्ञान लेंगे।

मंत्री जी सदन में क्यों आपा खो दिये

मुख्य सचिव द्वारा यह कहा जाता है कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक को करना है। पर जो अफसर सामान्य शिष्टाचार का भी पालन नहीं करते हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है।

आईएएस और आईपीएस अधिकारी पूरे भारत में जनता एवं जनप्रतिनिधियों के साथ हर तरह के शिष्टाचार का पालन करते हैं पर बिहार में कुछ अफसर पब्लिक सर्वेंट अर्थात जनता के सेवक के बदले राजतंत्र की तरह व्यवहार करते हैं।

कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री जी ने भी आईपीएस प्रशिक्षुओं को यह बताया था कि उनका व्यवहार जनता एवं जनप्रतिनिधियों के प्रति कैसा होना चाहिए। संजय जायसवाल के इस पोस्ट के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गयी है ।

निफ्टी 17,400 के पार, सेंसेक्स 776 अंक चढ़ा; आईटी, धातु, बिजली शेयरों में तेजी।

गुरुवार को एफएंडओ एक्सपायरी सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी बढ़त के साथ बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 234.75 अंक ऊपर 17401.65 पर बंद हुआ, जबकि बीएसई सेंसेक्स 776.5 अंक ऊपर 58461.29 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स चार्ट (02.12.21) एक नजर में

बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 1-1 फीसदी की तेजी आई। आईटी, मेटल, रियल्टी, ऑटो, एफएमसीजी, ऑयल एंड गैस, पावर इंडेक्स 1-2 फीसदी की बढ़त के साथ सभी सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।

एचडीएफसी लगभग 3.92% ऊपर रहा, इसके बाद पावरग्रिड, सन फार्मा और टाटा स्टील का स्थान रहा। आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक लगभग 0.80% नीचे थे।

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 27 शेयर बढ़त के साथ और 3 शेयर कमजोरी के साथ बंद हुए।

सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

निफ्टी बैंक इंडेक्स 0.39% बढ़ा । मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में भी दिलचस्पी देखी गई क्योंकि निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1.21 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.66 फीसदी चढ़ा।

निफ़्टी के प्रमुख इंडेक्स

निफ्टी आईटी इंडेक्स में 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी निफ्टी ऑटो, फाइनेंशियल सर्विसेज, एफएमसीजी, मीडिया, मेटल, फार्मा, हेल्थकेयर और ऑयल एंड गैस इंडेक्स भी करीब 1 फीसदी चढ़े।

निफ्टी इंडेक्स के 50 शेयरों में से 47 हरे निशान में बंद हुए, जबकि 3 लाल निशान में बंद हुए। निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल ।

पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव के निर्वाचन की वैधता को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह विधायक तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस बीरेंद्र कुमार ने इस चुनाव याचिका पर सुनवाई की।

विधायक तेज प्रताप यादव के हसनपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उनके निर्वाचन को विजय कुमार यादव ने चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी है।

आज गवाह गरीब मालाकार की गवाही हुई। गरीब मालाकार का सभी संबंधित पक्षों द्वारा परीक्षण और जिरह किया गया।
तेजप्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने जिरह किया।

तेज प्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने आगे बताया कि याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि एक्ट, 1951 की धारा 100 का हवाला देते हुए तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देने के लिए चुनाव याचिका दायर किया है।

याचिकाकर्ता ने श्री यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देकर हारे हुए जद यू के उम्मीदवार राज कुमार राय को विजयी घोषित करने की माँग इस चुनाव याचिका में की हैं।

यह मामला वर्ष 2020 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव से सम्बंधित है। याचिका दायर करने का आधार श्री यादव द्वारा जानबूझकर अपनी संपत्ति के संबंध में नामांकन पत्र के साथ संपत्ति को लेकर हलफनामा में जानकारी छुपाना बताया गया है।
याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि क़ानून की धारा 123(2) के अनुसार इसे भ्रष्ट आचरण बताया है।

इस विधानसभा में चुनाव 3 नवंबर, 2020 को विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ था। 10 नवंबर, 2020 को चुनाव परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें तेज प्रताप यादव हसनपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र से विजयी हुए थे।

अब इस मामले पर अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

फ्टना में कचड़ा प्रबंधन को लेकर हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने पटना के संपतचक बैरिया में स्थापित किये जाने वाले कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट को हटाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार स्टेट पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सुरेश प्रसाद यादव व अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान पटना नगर निगम अधिवक्ता प्रसून सिन्हा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में किसी प्रकार की अनियमितता या विधि विरुद्ध कार्य नहीं किया गया है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता का कहना था कि इस प्रोजेक्ट के लिए कोई न तो आवेदन दिया गया है और न ही अनुमति ली गई है। कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड के अधिवक्ता से मौखिक रूप से कहा कि आपको कार्रवाई करने से कौन रोक रहा ? कार्रवाई कीजिये।

पूर्व की सुनवाई में ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीप्रकाश श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया था कि उक्त प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण से सहमति भी नहीं लिया गया है। इस वजह से एक ओर वायु प्रदूषण फैल रहा है तो दूसरी ओर कृषि योग्य भूमि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

याचिका में कहा गया है कि आखिर किस कानूनी अधिकार के तहत पंचायत क्षेत्र में पड़ने वाले इस जगह का चयन कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट के लिए किया गया है ? याचिका में यह भी प्रश्न खड़ा किया गया है कि क्या कृषि भूमि पर स्थापित किये जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए बैरिया कर्णपुरा पंचायत राज से किसी भी प्रकार की अनुमति ली गई है ?

नगर विकास व आवास विभाग के कमिश्नर, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व पटना नगर निगम से स्पष्टीकरण पूछने सह शो – कॉज करने का आग्रह भी इस याचिका के जरिये किया गया है।

प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण किये जाने के पूर्व पंचायत राज बैरिया के ग्राम सभा द्वारा एक बैठक भी 29 दिसंबर, 2006 को बुलाई गई थी, जिसमें इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध किया गया था।

इस मामले पर आगे की सुनवाई अब अगले वर्ष जनवरी माह में की जाएगी।

लोकसभा में मखाना का जीआई टैग मिथिला मखाना के नाम करने का मुद्वा उठा

लोकसभा में दरभंगा सांसद गोपाल जी ठाकुर ने शून्यकाल के दौरान “मखाना” का जीआई टैग “मिथिला मखाना” के नाम पर करने का मुद्दा उठाया*

आज लोकसभा में शून्यकाल के दौरान दरभंगा सांसद डॉ गोपाल जी ठाकुर ने मिथिला और मैथिल की पहचान “मखाना” का जीआई टैग “मिथिला मखाना” के नाम से करने के विषय को सदन के पटल जोरदार तरीके से रखा। उन्होंने कहा कि बीते बजट सत्र में अतारांकित प्रश्न के माध्यम से भी मखाना का जी.आई. टैग ‘मिथिला मखाना’ किये जाने हेतु प्रश्न किया था, जिसके उत्तर में विभागीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश जी ने कहा कि बिहार मखाना के प्रस्ताव को आवेदक ने संशोधित कर मिथिला मखाना का प्रस्ताव जी आई टैग के लिए दिया है।

मखाना के जीआई टैग का मामला संसद में उठा

विदित हो कि मखान व मखाना का जियोग्राफिकल इंडिकेशंस(जी.आई.) टैग मिथिला मखाना के नाम से किये जाने हेतु सांसद श्री ठाकुर ने पूर्व में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल जी को दिनांक 24 अगस्त 2020 को पत्र लिखा एवं दिनांक 29 अगस्त 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग(वर्चुअल) के माध्यम से भी आग्रह किया था, जिस पर मंत्री ने सकारात्मक संदेश भी दिया था। इसके अलावा मखाना के जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जी.आई.) टैग को लेकर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के विभिन्न अधिकारियों से भी दूरभाष पर बात कर चुके है।
विदित हो कि सांसद गोपाल जी ठाकुर पहले भी इस विषय को लोकसभा में शून्य काल में उठा चुके है।

सांसद ने कहा कि मिथिला की पहचान व प्रमुख फसल मखाना की उपज मुख्य रूप से सिर्फ मिथिला क्षेत्र में ही होती है, पूरे देश के उत्पादन का लगभग 80 से 90 फीसद उपज मिथिला के इस विशाल क्षेत्र में होती है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र में उपजने वाले मखाना का जीआई टैग मिथिला मखाना के नाम से ही होना उचित है।

सांसद गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि मखाना की महत्ता को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार द्वारा 28 फरवरी 2002 को मिथिला के केंद्र दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई थी, ताकि मखाना का विकास उच्च स्तर पर हो सके। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मिथिला क्षेत्र के इस प्रमुख फसल मखाना के वैश्विक मांग को देखते हुए इसके व्यापार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की बात भी कही है तथा देश को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए आर्थिक मजबूती प्रदान करने हेतु वोकल फॉर लोकल का आवाह्न किया ताकि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिले।

श्री ठाकुर ने कहा कि मखाना मिथिला व 8 करोड़ मिथिलावासियों की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, इसीलिए मखाना का जी.आई. टैग मिथिला मखाना के नाम से होने पर आठ करोड़ मिथिलावासी गौरवान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से मिथिला क्षेत्र में उपजने वाले ‘मखाना’ का जी.आई. टैग ‘मिथिला मखाना’ के नाम से ही होना उचित है, ताकि मिथिला क्षेत्र की संस्कृति और पहचान बनीं रहे।

हाईकोर्ट ने दरोगा बहाली पर लगाया रोक़

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में 2446 दारोगा की बहाली पर रोक लगा दी है, यदि उनकी बहाली नहीं हुई हैं।जस्टिस पी बी बजन्थरी ने सुधीर कुमार गुप्ता व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व बिहार राज्य सब ordinate पुलिस सर्विस कमीशन से जवाबतलब किया है।कोर्ट को बताया गया कि 268 ऐसे उम्मीदवार हैं,जो प्रारंभिक,मुख्य व शारीरिक परीक्षा में सफल घोषित हुए,लेकिन बाद में उन्हें सफल उम्मीदवार की सूची से बाहर कर दिया गया।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 1 अगस्त,2021 प्रकाशित मेरिट लिस्ट में इन 268।उम्मीद्वारों का नाम था।उस समय कट ऑफ मार्क्स 75.8 रहा।उसके बाद जो सूची जारी हुई,उसमें कट ऑफ मार्क्स 75 था,लेकिन इन 268 उम्मीदवार के नाम सफल अभ्यर्थियों की सूची में नहीं थे।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जब इन उम्मीद्वारों को 75.8 के कट ऑफ मार्क्स पर सफल उम्मीद्वारों की सूची में शामिल थे,लेकिन जब कट ऑफ मार्क्स 75 हो गया,तो इन्हें सफल अभ्यर्थियों की सूची में नहीं शामिल किया गया।
इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

सरकार के कामकाज पर हाईकोर्ट ने जतायी नराजगी

पटना हाई कोर्ट ने विभागीय कार्रवाई में नियमों का उल्लंघन कर आदेश पारित करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य के चीफ सेक्रेट्री को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने अनिल कुमार शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।।

नवादा में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित रहे याचिकाकर्ता अनिल कुमार शर्मा के ट्रैप केस में पकड़े जाने पर निगरानी विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी।उसी प्राथमिकी को आधार बनाते हुए विभागीय कार्रवाई की गई। लेकिन, चार्ज मेमो के साथ न ही गवाहों की सूची दी गई और न ही कागजातों की सूची आवेदक को दी गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील अशोक कुमार ने बताया कि यह बिहार क्लासिफिकेशन कंट्रोल अपील रूल की धारा 17(3) और 17(4) का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। बगैर नियम का पालन किए ही याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

इतना ही नहीं, अपीलीय अधिकारी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के द्वारा भी अनिल कुमार शर्मा की बर्खास्तगी के खिलाफ दायर अपीलवाद में उठाए गए बिंदुओं की समीक्षा किए बगैर ही निरस्त कर दिया।
यह बिहार क्लासिफिकेशन कंट्रोल अपील रूल 24 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।

इसलिए, कोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश और अपील के आदेश को अवैध करार देते हुए याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से सेवा में वापसी का आदेश पारित किया।

साथ ही अवैध आदेश पारित करने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का आदेश राज्य सरकार के मुख्य सचिव को दिया हैै। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया।

विचाराधीन कैदी की जेल से शीघ्र रिहाई को लेकर सदन में उठा सवाल

औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह आज जीरो ऑवर में लोकसभा में देश भर के लोगो के से जुड़े महत्वपूर्ण मामला को उठाया सांसद ने कहा कि देश भर के विभिन्न जेलों में लाखों की संख्या में ऐसे बंदी है जिनके ऊपर जो मुकदमे हैं उन मुकदमों के आधार पर उनको जो अधिकतम सजा मिल सकती है

औरंगाबाद सांसद सुशील सिंह ने सदन में विचाराधीन कैदी का मामला उठाया

चाहे वह दो साल का हो या पाँच साल या सात साल का हो या तो मुकदमों की सुनवाई नहीं हुई या उसके फैसले नहीं आए फिर सुनवाई भी हो गई और उनको छुड़ाने वाला कोई नहीं है उनका जमानतदार बनने के लिए कोई तैयार नहीं है ऐसे लोग उनके विरूद्ध मुकदमा के निर्धारित सजा से अधिक दिनों से जेल में है

मेरा आपके माध्यम से इस सर्वोच्च सदन के माध्यम से भारत सरकार से यह निवेदन आग्रह है कि ऐसे लाखों की जेलों में बंद बंदियों को भारत सरकार विभिन्न अवसरों पर चाहे वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी,एवं डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती या पुण्यतिथि या किसी ऐसे विशेष अवसर पर ऐसे बंदियों को रिहा किया जाए

मेरा सरकार से आग्रह होगा कि देश भर से ऐसे कैदियों की सूची बना कर विशेष अवसरों पर क्रमवार तरीके से ऐसे कैदियों की रिहाई सुनिश्चित की जाए सांसद लगातार देश भर के लोगो के हित से जुड़े महत्वपूर्ण मामले को सदन में उठाते रहते है और सदन के माध्यम से भारत सरकार को अवगत कराते रहते है।

एनएच 107 का काम 2022 में पूरा हो जायेगा मंत्री गडकरी ने राज्यसभा में की घोषणा

भारतीय जनता पार्टी के सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि एन.एच.107 महेशखूंट (खगड़िया) से मारंगा (पूर्णिया) 177.96 कि.मी. जो 1115.23 करोड़ की लागत से बन रहा है वह एक साल विलंब हो गया है और अब दिसंबर 2022 तक पूरा हो सकेगा।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि एन.एच.107 के पैकेज 1 जो महेशखूंट- चौथम- सोनवर्षा-सिमरी बख्तियारपुर- सहरसा-मधेपुरा 90 कि.मी. है जिसपर 949.26 करोड़ व्यय होना था अभी तक मात्र 17.70 प्रतिशत कार्य हुआ है तथा 152.17 करोड़ व्यय हुए हैं।

पैकेज 2 के अंतर्गत मधेपुरा- मुरलीगंज- जानकीनगर- बनमनखी- बनिया पट्टी-मारंगा (पूर्णिया) 87.96 कि.मी. है में मात्र 16.03 प्रतिशत कार्य हुआ है तथा 1165.97 लागत के विरुद्ध 156.47 करोड़ व्यय हुआ है।

श्री गडकरी ने मोदी को बताया कि ठेकेदार की खराब स्थिति, अभूतपूर्व वर्षा, भूमि अधिग्रहण में विलंब, कोबिड आदि के कारण जो कार्य दिसंबर 2021 में पूरा होना था वह अब एक वर्ष बाद दिसंबर 2022 में पूरा हो सकेगा।

शराब माफिया से सांठगांठ के आरोपी थाना अध्यक्ष के पास करोड़ो की सम्पत्ति EOU के छापेमारी में हुआ खुलासा

आर्थिक अपराध शाखा (EOU) की टीम ने शराब कारोबारी से मिली भगत के आरोप में वैशाली जिले में लालगंज के थानेदार चंद्रभूषण शुक्ला के ऊपर अपना शिकंजा कस दिया है। इनके 3 ठिकानों पर एक साथ रेड की गई है। EOU की एक टीम लालगंज में है, जो थाने के ऑफिस और वहां के घर को खंगाल रही है।

दूसरी टीम छपरा के घर पर मौजूद है। वहीं, तीसरी टीम सीवान जिले के रघुनाथपुर स्थित पुश्तैनी घर पर छापेमारी कर रही है। लालगंज के थानेदार चंद्रभूषण शुक्ला पर शराब माफियाओं से साठगांठ का आरोप है।

EOU के ADG नैयर हसनैन खान के अनुसार थानेदार चंद्रभूषण शुक्ला लगातार शराब का अवैध धंधा करने वालों की मदद कर रहा था। सरकारी पद पर बैठ कर भ्रष्टाचार में लिप्त था। मदद करने के एवज में उसने मोटी कमाई की है। ब्लैक मनी में जरिए बड़े स्तर पर चल-अचल संपत्ति बनाई है।

इसके कारनामों की जानकारी पुलिस मुख्यालय तक पहुंची। जिसके बाद मामला EOU को सौंपा गया। फिर अंदरूनी तरीके से थानेदार गतिविधियों की जांच कराई गई। इसमें मामला सही पाया गया।

छापेमारी में थानेदार की पत्नी के नाम से बेतिया में एक आवासीय भूखंड एक कृषि भूखंड और पिता के नाम से छपरा में एक आवासीय मकान पाया है जिन्हें खरीदने में 42 लाख से ज्यादा खर्च किया है ।

पत्नी के नाम से बैंक खातों में 11 लाख से ज्यादा जमा किए गए हैं इनके पास से छापेमारी में बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम म्यूच्यूअल फंड तथा वाहन क्रय में 34 लाख रुपये से ज्यादा ब्यय किए गए हैं

आर्थिक अपराध इकाई ने छापेमारी में अन्य मदों में 13 लाख रुपये से ज्यादा का ब्यय का सबूत भी पाया है श्री शुक्ला का वेतन अनुसूत्र से करीब 64 लाख की आय है कुल अर्जित परिसंपत्ति 89 लाख 46 हजार पाई गई है शुक्ला की आय से अधिक स्रोतों से करीब 93% अधिक संपत्ति पाई गई है तलाशी में 9 बैंक खातों से संबंधित कागजात दो लॉकर जमीन का दस्तावेज नगद 92 हजार रुपये और कई निवेश के कागजात मिले हैं ।

बीजेपी और जदयू के बीच खटास खुल कर सामने आये हैं

बिहार में बीजेपी और जदयू के बीच सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है यह विधानसभा सत्र के दौरान खुलकर सामने आ गया आज सदन में जिस तरीके से भ्रष्टाचार और अफरशाही को लेकर बीजेपी विधायक के निशाने पर नीतीश थे उससे यह साफ हो गया कि आने वाले समय में तल्खी और बढ़ेगी।          

नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के दावे पर सवाल खड़े करते हुए दरभंगा से बीजेपी के विधायक संजय सरावगी ने सवाल किया कि ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता के पास से 70 लाख से अधिक रुपये बरामद होता है लेकिन उस पर कार्यवाही करना तो दूर उसे छुट्टी पर जाने कि इजाजत दे दी जाती है ।                            

विधायक के इस सवाल पर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष ने भी कहा कि ये तो सरकार के साख का सवाल है फिर क्या था सदन में जबरदस्त हंगामा शुरू हो गया और राजद और भाजपा एक साथ भ्रष्ट अभियंता के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग करने लगे।                  

अभी तक अभियंता पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई इसको लेकर विभागीय मंत्री सदन को संतुष्ट नहीं कर पाये और अंत में विधानसभा अध्यक्ष ने एक जांच कमिटी गठित करने की घोषणा कर दी। इसी तरह अफरशाही को लेकर बीजेपी विधायक हमलावर दिखे स्थिति यह हो गयी कि मुख्यमंत्री को खुद आकर जवाब देना पड़ा हालांकि इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश मिश्रा पर काफी तल्ख टिप्पणी कर दिये ।                              

लेकिन इस सब से इतर कल बीजेपी विधायक दल की बैठक में खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम ने आप्त सचिव के यहां छापेमारी की वजह बताया उसको लेकर बैठक में मौजूद विधायक और मंत्री हैरान रह गये ।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी की और मंत्री जनक राम से पुछा गया कि आपके आप्त सचिव के यहां छापामारी हुई है भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं इस पर मंत्री ने कहा कि बालू टेंडर को लेकर विभाग के अधिकारी एक खास कंपनी को मदद करने को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में टेंडर का दर पिछले टेंडर के दर से बढ़ाने का निर्देश दिया ।                     

लेकिन इसके लिए विभाग तैयार नहीं था और इसी विवाद की वजह से आप्त सचिव के यहां छापा मारा गया हालांकि मंत्री से जब अधिकारिक तौर पर सवाल किया गया तो यह कहते हुए निकल गये कि आप लोगों से बेहतर कौन जान सकता है वैसे इस मामले में सच्चाई क्या है उससे पार्टी को अवगत करा दिये हैं ।

बिहार में बोतल है और बोतल में बिहार है-रवीश कुमार

बिहार में बोतल है और बोतल में बिहार है-रवीश कुमार
बिहार एक अदृश्य बोतल के आतंक की गिरफ़्त में है। हर कोई सतर्क है कि कहीं बोतल न दिख जाए। बोतल मिल जाने की आशंका में हर किसी को हर जगह बोतल नज़र आ रहा है। हर कोई एक दूसरे के बग़ल में झांक रहा है कि कहीं उसके पास बोतल तो नहीं है।

कोई मिलने आ रहा है तो लोगों की नज़र उसके हाथ और झोले पर है कि कहीं बोतल तो नहीं है। पार्किंग में खड़ी कार देखते ही लोग सहम जा रहे हैं कि डिक्की में बोतल तो नहीं है।

स्टेशन से रिश्तेदार अटैची लिए चले आ रहे हैं, लोग डरने लग जा रहे हैं कि कहीं बोतल तो नहीं है। एक ज़माना था जब दिल्ली में बस की सीट के पीछे लिखा था कि आपकी सीट के नीचे बम हो सकता है। बैठने वाला सीट के नीचे झांकने लगता था। बम देखने लगता था।

उसी तरह बिहार के लोग बोतल देखने लगे हैं। बोतल का नहीं मिलना अब अच्छा माना जा रहा है।
विधानसभा के प्रांगण में बोतल मिल गया। इस तरह से हंगामा हुआ, जैसे मंगल ग्रह का एक टुकड़ा आ गिरा हो। सदन के बाहर और भीतर हंगामा मच गया कि बोतल मिल गई है।

हालाँकि बोतल कई चीज़ों की होती है लेकिन बिहार में हर बोतल प्रथम दृष्टया शराब की बोतल ही समझी जा रही है। विधानसभा में बोलते मिलते ही तेजस्वी ट्वीट कर देते हैं कि शराबबंदी फेल हो गई है। किसी ने पी ली है। बस बोतल से सरकार को ठेस लग गई।

मुख्यमंत्री सबको हड़का रहे हैं कि मामूली बात नहीं है कि यहाँ बोतल मिली है। जाँच होगी।स्पीकर महोदय, इजाज़त दीजिए, जाँच करेंगे कि आपके परिसर में बोतल कैसे मिल गई है। ऐसे पूछने पर तो कोई भी ख़ुद पर ही शक करने लगेगा कि भाई कहीं मेरा ही नाम न आ जाए। सदस्य राम राम जपने लगेंगे कि स्पीकर जी इजाज़त मत दीजिए। बोतल मिल गई है तो मिल गई है।

बिहार में बोतल मिल रही है लेकिन विधानसभा में बोतल का मिल जाना, सारी कल्पनाओं की पराकाष्ठा है। कवि भी बोतल मिलने पर कविता लिख रहे हैं लेकिन विधानसभा में बोतल मिलेगी उनकी किसी कविता में नहीं आया है। मेरा यह लेख पढ़कर बिहार हंस रहा है।

घर-घर चोरी चुपके बोतल पहुँचाने वाले हंस रहे हैं। पीने वाले हंस रहे हैं। बोतल की तरह लुढ़क रहे हैं।लोट-पोट हो रहे हैं। कह रहे हैं कि बिहार में भगवान मिल जाएँ तो मिल जाएँ मगर बोतल नहीं मिलनी चाहिए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी का ग़ुस्सा देखकर मैं भी सीरीयस हो गया हूँ। मैंने भी बोतलों से प्रार्थना की है कि भाई तुम कहीं दिखो लेकिन उनके सामने मत दिखो।

कुछ भी है हम लोगों के सीएम हैं, बोतल देखकर ग़ुस्सा जा रहे हैं। मुझे आशंका है कि किसी दिन बीजेपी ने जदयू से गठबंधन तोड़ा तो बोतल लेकर नीतीश जी को चिढ़ाने न आ जाए। ऐसा होगा तो मुझे बुरा लगेगा।

भाई आप गठबंधन तोड़िए, आपका हक़ है लेकिन बोतल से नीतीश जी का मज़ाक़ मत उड़ाइये। बीजेपी वालों से अनुरोध है कि राजनीति में गठबंधन तो बनते टूटते हैं लेकिन जब भी ऐसा हो बोतल लेकर कोई प्रदर्शन न करें।

क्या ऐसा हो सकता है कि बीजेपी के नेता ख़ुद बोतल लेकर न चिढ़ाए, किसी और संगठन को आगे कर नीतीश जी के घर के आगे बोतल फेंकवा दें। मन में तरह-तरह की आशंकाएँ पैदा होती रहती हैं।

शुभ-शुभ बोलिए रवीश कुमार। ऐसा मत कहिए। बोतल से कहिए कि बिहार में रहे लेकिन मुख्यमंत्री के आस-पास न रहे। अरे ये क्या कह दिया। बोतल से कहिए कि बिहार में भी न रहे।

ख़्याल तो ख़्याल है।पता चला हमारे सीएम दिल्ली में किसी बारात में आए हुए हैं और लोग बोतल लेकर फ़ोटो खिंचाने आ गए हैं। मैं तो सलाह दूँगा कि नीतीश जी साथ में एक हंटर लेकर भी चलें।

दिल्ली की शादी में जो भी बोतल लेकर फ़ोटो खिंचाने आए, मार हंटर, मार हंटर वहीं पर उसका हाथ बेहाल कर दें। दरअसल, राजनीति में बोतल इस तरह उपस्थित है कि उसकी अनुपस्थिति को लेकर आप आश्वस्त नहीं हो सकते हैं। बोतल ही है, कहीं से आ सकती है। किसी के पास से मिल सकती है।

मुझे आशा है कि आप बोतल का मतलब शराब की बोतल ही समझ रहे हैं। वैसे बिहार में बोतल का एक और मतलब होता है। बेवकूफ होता है। बिहार में लोग किसी को बोतल बुला दें तो उसे बुरा लग जाता है। दोस्तों के बीच बोतल समझा जाना बहुत बुरा माना जाता है। उस बिहार में जहां बोतल से इतनी विरक्ति हो, बोतल मिल जाए तो लोग बोतल हो जा रहे हैं। उछल-कूद मचाने लगे हैं।

बोतल दिखते ही मेरा बिहार बोतल हो जा रहा है। सहम जाता है। आप किसी चलती-फिरती सड़क पर जाइये। बीच सड़क पर बोतल रख दीजिए, देखिए अफ़रा-तफरी मचने लगेगी। लोग कार से कूद कर भाग जाएँगे कि कहीं पुलिस न देख ले कि उनकी कार के सामने बोतल रखी हुई है।

इससे शक हो सकता है कि कार वाले ने पीने के बाद बीच सड़क पर बोतल रख दी हो। लोग रात भर जाग रहे हैं कि कोई अहाते में बोतल न फेंक जाए। सुबह होते ही पता चला कि जेल चले गए। शादियों में जो लोग छिप कर बोतल पीते थे, वे अब बोतल देखते ही छिप जा रहे हैं।

हर कोई बोतल से छिप रहा है जबकि लोग पहले इस बोतल को बाज़ू में रखकर छिपा लेते थे।
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल। बिहार में उल्टा हो रहा है। बोतल नाच नहीं रही है। बोतल के पीछे बिहार नाच रहा है। शराब का नशा तो सीमा से लगे राज्यों में है।

केवल बोतल है जो बिहार में है। जहां बोतल नहीं है वहाँ भी लोग बोतल देख रहे हैं। बिहार में बोतल आ गया है और बोतल में बिहार समा गया है। नीतीश जी को बोतलों से बचाना है। हमने तो अब यही ठाना है।
अंत में, आदरणीय नीतीश जी, प्लीज़। अब आगे कुछ नहीं कहूँगा।

लेखक–रवीश कुमार

पंचायत चुनाव में उपमुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक के रिश्तेदारों को जनता ने नकारा

#बिहारपंचायतचुनाव के 9वें चरण की मतगणना का काम चल रहा है इस चरण में भी मतदाताओं ने पूराने चेहरे से दूरी बनाये रखा साथ ही विधायक और मंत्री के रिश्तेदार को भी हराने से परहेज नहीं किया ।

नौतन प्रखंड के बैकुंठवा पंचायत के बिहार सरकार में पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद की पुत्रवधू रंजीता देवी मुखिया का चुनाव हार गई हैं। बैकुंठवा पंचायत से अफरोज आलम ने रंजीता देवी को हराकर जीत दर्ज की है।

नौतन के जिला परिषद क्षेत्र संख्या 35 से डिप्टी सीएम रेणू देवी के भाई अनिल कुमार उर्फ मंटू हार गए हैं। उन्हें बाल्मीकि नगर सांसद सुनील कुमार के बड़े भाई मनोज कुमार कुशवाहा ने हराया है।

भोजपुर जिले के कोइलवर ब्लॉक से कोइलवर दक्षिण के ब्लॉक संख्या 30 से जिप सदस्य के पद पर चुनाव लड़ रही 24 साल की युवा उम्मीदवार परिधि गुप्ता जिला परिषद के पोस्ट से जीत गई है. परिधि को 11870 वोट मिले है. वहीं दूसरे स्य्हां पर अंजू कुमारी है. जिनको 7151 वोट मिला है।

परिधि कोइलवर के चांदी गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता प्रदीप कुमार गुप्ता रेलवे में सेक्शन इंजीनियर हैं और फिलहाल वाराणसी में पोस्टेड हैं। उनकी मां रेखा देवी पहले जगदीशपुर से जिला परिषद सदस्य रह चुकी हैं।

परिधि ने तमिलनाडु से MBA किया है। इसके बाद साल 2018 में नीदरलैंड की एक कंपनी में बतौर बिजनेस एनालिस्ट काम किया। वो BYJU में भी असोसिएट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। अब लाखों रुपए के पैकेज छोड़कर गांव की राजनीति में उतरी हैं।


चुनाव परिणाम का अपडेट–
1—-खगड़िया में 22 साल की आकांक्षा मुखिया बन गई हैं। वह बीपीएससी की तैयारी कर रही हैं। सहरसा के सोनबरसा राज विधानसभा के जदयू विधायक रत्नेश सादा के बेटे का मुखिया बनाने के सपना टूट गया। वह तीसरे स्थान पर रहे। वहीं, मधेपुरा के बिहारीगंज से JDU विधायक निरंजन कुमार मेहता की पत्नी भी मुखिया का चुनाव हार गईं।

भोजपुर जिले के कोइलवर ब्लॉक से कोइलवर दक्षिण के ब्लॉक संख्या 30 से जिप सदस्य के पद पर चुनाव लड़ रही 24 साल की युवा उम्मीदवार परिधि गुप्ता जिला परिषद के पोस्ट से जीत गई है. परिधि को 11870 वोट मिले है. वहीं दूसरे स्य्हां पर अंजू कुमारी है. जिनको 7151 वोट मिला है।

2—सीवान से लकड़ीं नबीगंज प्रखंड की डुमरा पंचायत से ब्रजेश सिंह, ब्लडीहा पंचायत से रमेश राम, भादा खुर्द पंचायत से रिपु देवी, भोपतपुर पंचायत से सरवरी खातून, लखनौरा पंचायत से शहाबुन निशा मुखिया के पद पर विजयी।

3—गोपालगंज बिशुनपुर पक्ष्मी पंचायत के मुखिया प्रत्याशी मुकुंद पासवान विजयी।664 वोट से हुए विजयी।

4—सहरसा के सोनबरसा राज विधानसभा के जदयू विधायक रत्नेश सादा के बेटे का मुखिया बनाने के सपना टूट गया। वह भी खुद के गृह पंचायत से। चुनाव जीतना तो दूर वो मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ सके। वह तीसरे स्थान पर रहे।

5—पश्चिम चंपारण के नौतन में बिहार सरकार में पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद की पुत्रवधु रंजीता देवी मुखिया का चुनाव हार गईं हैं। वे बैकुंठवा से चुनाव मैदान में थीं। वहां अफरोज नैयर मुखिया बने हैं। उधर, समस्तीपुर के वारिसनगर की नियारपुर पंचायत के मुखिया प्रत्याशी अरविंद कुमार साह जीते। रहुआ पश्चिमी पंचायत से मुखिया प्रत्याशी वशिष्ठ राउत की जीत।

6—नवादा के हिसुआ की विधायक नीतू कुमारी की दो देवरानी पंचायत चुनाव हार गईं हैं। पूर्व जिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष आभा देवी हिसुआ पश्चिमी सीट से जिला परिषद का चुनाव हारीं।

वहीं छोटी देवरानी प्रियंका कुमारी नरहट पंचायत से मुखिया का चुनाव हारीं। पूर्व में विधायक की सास यहां से मुखिया थीं। मो. एहतेशाम गुड्डू मुखिया निर्वाचित हुए। हिसुआ पश्चिमी से उमेश यादव जीते। यहां से निवर्तमान पार्षद वीरेंद्र सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा है।

भोजपुर जिले के कोइलवर ब्लॉक से कोइलवर दक्षिण के ब्लॉक संख्या 30 से जिप सदस्य के पद पर चुनाव लड़ रही 24 साल की युवा उम्मीदवार परिधि गुप्ता जिला परिषद के पोस्ट से जीत गई है. परिधि को 11870 वोट मिले है. वहीं दूसरे स्य्हां पर अंजू कुमारी है. जिनको 7151 वोट मिला है।

इंझारपुर जज मारपीट मामले की जॉच सीआईडी करेगी हाईकोर्ट का आदेश

पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार – I पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले की जांच का जिम्मा सी आई डी को सौंप दिया हैं। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि मधुबनी के एस पी क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया।कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस अधिकारी मनमानी कार्रवाई कर सकते हैं।

कोर्ट ने सी आई डी को जांच का जिम्मा सौपा और कहा कि इस मामले की जांच एस पी स्तर के अधिकारी करेंगे।साथ ही इस मामले की निगरानी सी आई चडी के ए डी जी खुद करेंगे।

कोर्ट ने अगली सुनवाई मे जांच का पूरा ब्यौरा सील लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश सी आई डी को दिया।

कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। साथ ही कोर्ट मास्टर को आज ही इस मामले से सम्बन्धित कागजात समेत कोर्ट मे राज्य सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट उन्हें देने का आदेश दिया है।

इस मामलें पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने पिछली सुनवाई में स्पष्ट किया था कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है। एड्वोकेट जनरल ने कहा कि यदि कोर्ट चाहे सी बी आई समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है।

उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया है। साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की।

ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई किया था। इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट भी किया था।

पुलिस अधिकारियों ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर निकालकर आक्रमण करना चाहा।
कोर्ट ने राज्य के डी जी पी को अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित रहने से छूट दी है।
इस मामले पर अगली सुनवाई ,8 दिसम्बर,2021 को होगी।

नीतीश कुमार को गुस्सा क्यों आता है

भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार की पहचान एक कुशल प्रशासक के साथ साथ सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव के रूप में रही है लेकिन हाल के दिनों में नीतीश कुमार के स्वभाव में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है । विधानसभा सत्र को लेकर आयोजित एनडीए विधायक दल की बैठक में शराबबंदी को लेकर बीजेपी की एक महिला विधायक द्वारा सुक्षाव दिये जाने पर नीतीश कुमार जिस भाषा का इस्तेमाल किये वो कभी भी नीतीश कुमार के छवि के अनुरूप नहीं था।   ये अलग बात है कि नीतीश कुमार जिस अंदाज में महिला विधायक को अपमानित किये और बीजेपी के विधायक प्रतिकार नहीं कर पाये लेकिन नीतीश कुमार के इस आचरण को लेकर कल पूरे दिन विधानसभा में काना फूसी चलता रहा और नीतीश कुमार के आचरण में आये इस बदलाव को लेकर लोग हैरान थे ।        

नीतीश को गुस्सा क्यों आता है

             

वही विधानसभा परिसर से शराब की बोतल मिलने की खबर के बाद नीतीश कुमार की जो प्रतिक्रिया आयी वो भी हैरान करने वाली थी ।शराबबंदी को लेकर उस तरह का आन्दोलन देश स्तर पर कभी  नहीं हुआ जैसा आंदोलन दिल्ली में निर्भया के साथ बलात्कार की घटना के बाद हुई थी। पूरा देश सड़क पर था कड़े कानून बने क्या उसके बाद बलात्कार होना बंद हो गया या फिर बलात्कार की घटनाओं में कमी आ गयी नहीं ना,ये तो मसला शराबबंदी से जुड़ा हुआ है और यह अपराध भी बलात्कार और हत्या जैसी संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है तो फिर इतनी सक्रियता क्यों याद करिए शराब पीने से हुई मौत मामले में नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया कितनी आपत्ति जनक थी ।                      

ये सही है कि बिहार की महिलाएं अभी भी जाति ,धर्म और मजहब की दीवारों को तोड़कर नीतीश कुमार को वोट करती है लेकिन यह भी सच्चाई है कि तीसरे चरण के चुनाव में लालू के जंगलराज का भय नहीं दिखाते तो 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए की हार तय थी ।    

वही 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण  में महिला वोटर भी नीतीश का साथ छोड़ दिया था वो भी साफ दिख रहा है नीतीश कुमार को उन वजहों पर मंथन करना चाहिए कि ऐसी कौन सी चूक हुई जो बिहार की सबसे बड़ी पार्टी होने के साथ साथ बिहार की जनता के दिल पर राज करने वाले नीतीश तीसरे नम्बर पर चले गये ।      

मसला शराब ही नहीं है, मसला भ्रष्टाचार है, मसला अफरशाही है ,मसला बेरोजगारी है ,मसला आपकी राजनीतिक शैली भी है आप पर से लोगों का भरोसा उठ गया है कब किसका साथ छोड़ देंगे कब किसके साथ चले जायेंगे कहना मुश्किल है ।                

राजनीति कितनी भी गद्दी क्यों ना हो आज भी विचारों का महत्व है जो आप खो चुके हैं ऐसे में आपकी ताकत सुशासन और विकास है जिसके सहारे आने वाले समय में बिहार की राजनीति में आप बने रह सकते हैं। इसके लिए आपको मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलना होगा ।   आपके जो चहेते अधिकारी है उससे आपको बाहर निकलना होगा क्यों कि 15 वर्षो के दौरान वो सारे अधिकारी भी फील्ड से दूर है  जिस वजह से जमीन पर क्या बदलाव हो रहा है उसकी अब समझ नहीं रही इसका असर भी आपके कामकाज पर साफ दिख रहा । चंचल कुमार दिल्ली जा ही रहे हैं कुछ और अधिकारी जो लम्बे समय से आपके साथ है उनकी जगह जिले में तैनात यंग आईएएस अधिकारियों को मुख्यमंत्री सचिवालय में जगह दीजिए बहुत सारी बातें आपके समझ में भी आयेंगी क्यों कि बिहार के यूथ के स्वभाव और सोच में क्या बदलाव आया है उससे शायद आप भी परिचित नहीं है ।                       

आपकी राजनीतिक टीम भी 74 आन्दोलन से बाहर का नहीं है जबकि बिहार का यूथ भी अब 21 सदी का सोच रखने लगा है ऐसे में आप अपने टीम में युवा और महिलाओं को जगह दीजिए बहुत सारी चीजे बदलेगी और चलते चलते यह बिहार है और आपसे बेहतर कौन समझ सकता है ।            

विधानसभा परिसर में शराब की खाली बोतल मिलने के बाद जिस तरीके से तेजस्वी ने आपको चिढ़ाया और आप उसके झांसे में आ गये आने वाले समय में आप बिहार के दौरे पर निकलने वाले हैं बहुत परेशानी हो सकती है ।                     

वैसे शराबबंदी कानून में संशोधन हुआ उस पर पुलिस अमल क्यों नहीं कर रही है ये भी कही ना कही शराबबंदी को लेकर अति सक्रियता दिखायी जा रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि शराबबंदी को लेकर जो चल रहा है वो कितने दिनों तक चलेगा क्यों कि जैसे ही पुलिस सुस्त पड़ेगा इस धंधे में शामिल लोग फिर सक्रिय हो जायेंगे ऐसे में कानून को अपने तरीके से काम करने दीजिए नहीं तो सरकार को शासन चलाना मुश्किल हो जाएगा क्यों कि इसको लेकर अब प्रभावशाली वर्ग भी जो कभी शराब का सेवन भी नहीं किया है वैसे लोग सरकार की आलोचना करना शुरू कर दिये हैं।

कड़ी सुरक्षा के बीच पंचायत चुनाव के 9वें चरण की मतगणना शुरु

#बिहारपंचायतचुनाव – कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पंचायत चुनाव के 9वें चरण की मतगणना सभी 35 जिलों के जिला मुख्यालयों में शुरु हो गयी है । 9वें चरण में 35 जिलों के 875 पंचायतों में वोटिंग 29 नवंबर को हुई थी मतगणना का कार्य आज और कल दो दिनों तक चलेगा ।

97 हजार 878 प्रत्याशियों के भाग्य का होगा फैसला
इस चरण में 97 हजार 878 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। बिहार निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस चरण में कुल 26,831 पदों के लिए चुनाव संपन्न हो चुका है।

इसमें ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए 11,883 सीट, ग्राम पंचायत मुखिया पद के लिए 871 सीट, पंचायत समिति सदस्य पद के लिए 1196 सीट, जिला परिषद सदस्य पद के लिए 127 सीट, ग्राम कचहरी पंच पद के लिए 11,883 सीट और ग्राम कचहरी सरपंच पद के लिए 871 सीट शामिल हैं।

9वें चरण में 46 हजार 164 पुरूष और 51 हजार 714 महिला प्रत्याशी हैं। वोटिंग की गणना 1 और 2 दिसंबर को होनी है।

जिला स्तर पर होगी विधायकों की बैठक

प्रमंडलीय एवं जिला स्तर पर होगी विधायकों की बैठक। क्षेत्रीय समस्याओं और प्राथमिकताओं पर होगा विचार… उपमुख्यमंत्री

भारतीय जनता पार्टी विधानमंडल दल की आयोजित हुई बैठक। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं सांसद श्री संजय जायसवाल ने कहा… सरकार और संगठन की मजबूती के लिए काम करें विधान मंडल के सदस्य

पटना 30 नवंबर 2021
भारतीय जनता पार्टी विधानमंडल दल की बैठक आज 5, देशरत्न मार्ग स्थित उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के आवासीय परिसर में आयोजित हुई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के सभी मंत्रीगण, विधायक, विधान पार्षदों ने भाग लिया।

बैठक में शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में चलने वाली कार्यवाही के व्यवस्थित एवं सुचारु संचालन पर चर्चा हुई।
बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि शीतकालीन सत्र छोटा है, परंतु महत्वपूर्ण है।

सत्र के दौरान दोनों सदनों में द्वितीय अनुपूरक बजट एवं कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करने एवं गैर-सरकारी संकल्पों पर भी विचार होना है। सत्रावधि में वाद-विवाद के दौरान विधान मंडल के सदस्यगण पूरी तैयारी के साथ चर्चा में भाग लें एवं सदन के समक्ष सरकार के अच्छे कामों को अपने संबोधन में रखें। उन्होंने कहा कि प्रमंडलीय एवं जिला स्तर पर विधायकों के साथ बैठक होगी, जिसमें क्षेत्रीय समस्याओं एवं प्राथमिकताओं पर विचार एवं चर्चाएं होंगी।

हमारा प्रयास है कि हमारे मंत्रिमंडल के साथी जिस भी जिले में दौरे पर जाएं, स्थानीय विधायकों के साथ बैठक अवश्य करें एवं उनके स्थानीय समस्याओं के निराकरण हेतु सकारात्मक पहल करें।

बैठक को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद डॉ० संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार विधान मंडल के सभी सदस्य पार्टी की विचारधारा का अधिक- से-अधिक प्रसार करें तथा सरकार एवं संगठन को मजबूत करने के लिए दृढ़ता से काम करें तथा विधायी कार्यों के अलावा संगठन कार्यों में भी अधिक -से- अधिक उपस्थिति दर्ज करें।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री श्री भिखूभाई दलसानिया ने संविधान गौरव कार्यक्रम, सभी जिलों में प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन, कमल पुष्प कार्यक्रम, पन्ना प्रमुख, शेष बचे बूथ समितियों के गठन आदि विभिन्न कार्यक्रमों के विषय में विस्तार से चर्चा की।

भारतीय जनता पार्टी विधानमंडल दल की बैठक के दौरान पूर्व मंत्री श्री नीतीश मिश्रा, विधायक श्री संजय सरावगी, बिहार विधान पार्षद् श्री संजय मयूख ने पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों के क्षेत्रीय प्राथमिकताओं पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। बैठक के दौरान कई विधायकों ने मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना में कुछ आवश्यक संशोधनों की ओर ध्यान आकृष्ट किया तथा मुख्यमंत्री नगर विकास योजना को शीघ्र प्रारंभ करने का अनुरोध किया।

बैठक के दौरान कटोरिया की विधायक श्रीमती निक्की हेंब्रम, विधायक श्री सुनील कुमार, वारसलीगंज की विधायक श्रीमती अरुणा देवी, सिकटी के विधायक श्री विजय कुमार मंडल, पीरपैंती के विधायक श्री ललन कुमार, नरपतगंज के विधायक श्री जयप्रकाश यादव, रामनगर की विधायक श्रीमती भागीरथी देवी, फारबिसगंज के विधायक श्री मंचन केसरी, मोहद्दीनगर के विधायक श्री राजेश सिंह, खजौली के विधायक श्री अरुण शंकर प्रसाद, बरौली विधायक श्री राम प्रवेश सिंह, बगहा के विधायक श्री राम सिंह, पारो के विधायक श्री अशोक सिंह, विधान पार्षद् श्री देवेश कुमार, लालगंज के विधायक श्री संजय कुमार, सीतामढ़ी के विधायक श्री मिथिलेश कुमार सहित अन्य विधायक, विधान पार्षदों ने अपनी कठिनाइयों एवं क्षेत्रीय समस्याओं के विषय में अपने विचार रखे।

पैक्स चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला रूल 7(4) को किया रद्द

पटना हाई कोर्ट ने पैक्स का सदस्य बनाये जाने के संबंध में बिहार कोआपरेटिव सोसाइटी रूल्स, 1959 के रूल 7(4) को भारत के संविधान और कोआपरेटिव एक्ट के अल्ट्रा वायरस घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने फैसला सुनाया।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने रूल 7(4) को रद्द कर दिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने लक्ष्मीकांत शर्मा व अन्य के मामलों पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

वर्ष 2008 में किये गए संशोधन के तहत रूल 7(4) के अनुसार किसी को पैक्स का सदस्य बनाने में बिलंब हो रहा है ,तो उस व्यक्ति के द्वारा पैसा जमा करने और शपथ पत्र दाखिल करने के बाद सदस्य बनाया जा सकता था।

याचिकाकर्ता ओं के अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक संवैधानिक आदेश को अनाधिकृत तौर से हटाया नहीं किया जा सकता है।

अधिक से अधिक दायरे में रहकर नियंत्रण या पर्यवेक्षण किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में तो किसी से भी शपथ पत्र लेकर बगैर मैनेजिंग कमेटी गए या सुने ही पैक्स का सदस्य बनाया जा सकता है।

कोर्ट का यह भी मानना था कि संशोधित नियम में अपील का भी प्रावधान नहीं किया गया है और पीड़ित पक्ष बगैर किसी निवारण के नहीं रह सकता है।

अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी), 43(बी) और 243(जेड एल) तथा बिहार कोआपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 1935 का संशोधन के जरिये सदस्य बनाने का अधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, कोऑपरेटिव सोसाइटी के असिस्टेंट रजिस्ट्रार व डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव ऑफिसर को दिया गया था।

शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार का हठ परेशानी का सबब बन सकता है

बात कोई आठ वर्ष पूरानी है सरकार ने पटना एसएसपी के पद पर अमृत राज को पोस्ट किया था ,अमृत राज ने पदभार संभालते ही पटना जिले के ऐसे थानेदार जिसका रिश्ता भूमाफिया और अपराधियों से था आते आते उनको निशाने पर लेना शुरु कर दिये ।

शराब विधानसभा परिसर में कैसे पहुंचा इसकी जॉच करने पहुंचे डीजीपी और मुख्यसचिव

पटना के लोगो को अमृत राज के बारे में ज्यादा पता नहीं था लेकिन अपराधियों के सिडिंकेट को पता था कि अमृत राज किस तरीके से अपराधियों से निपटते हैं ।पदभार संभालते ही अपराधियों के खिलाफ ऑपरेशन की शुरुआत करने ही वाले थे कि पटना सिटी के इलाके में लड़कियों और महिलाओं को ब्लेड मारने की घटना अचानक शुरु हो गयी ।

विधानसभा परिसर में शराब मिलने की सूचना पर बिफरे नीतीश दिया जॉच का आदेश

पूरा महकमा हिल गया लाख कोशिश के बावजूद एक माह तक एसएसपी से लेकर थानेदार तक परेशान रहा लेकिन शाम होते होते ब्लैड मारने की दो तीन घटनाये हो ही जाती है लेकिन एक अचानक बंद हो बंद कैसे हुआ उसकी एक कहानी है कभी मौका मिलेगा तो चर्चा करेगे ।

इस घटना की चर्चा क्यों किये शायद आपको समझ में आने लगा होगा शराबबंदी को लेकर जिस तरीके से नीतीश कुमार व्यवहार कर रहे हैं उससे आने वाले समय में सरकार के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है ।

विधानसभा परिसर में शराब की बोतल मिलने की सूचना पर जिस तरीके से मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया आयी है और डीजीपी और मुख्यसचिव घटना स्थल पर पहुंच कर जिस अंदाज में मामले की जांच कर रहे हैं बेहद हस्यापद है क्यों कि समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो प्रशासन को बेवजह तंग करने के लिए आये दिन इस तरह का हरकत ना करे ।

कोरोना से मौत मामले में अनुग्रह अनुदान का शीघ्र भुगतान का निर्देश

बिहार सरकार आपदा प्रबंधन विभाग

कोविड-19 से मृत सभी व्यक्तियों के आश्रितों को 4.00 लाख रुपये की दर से अनुग्रह अनुदान की राशि का भुगतान माह- मार्च, 2021 से बिहार सरकार द्वारा किया जा रहा है।

माननीय मुख्यमंत्री, बिहार द्वारा इस हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष से राशि का भुगतान करने की शुरूआत की गयी थी तथा इससे कोविड-19 से मृत 3737 व्यक्तियों के आश्रितों हेतु कुल 149.48 करोड़ रूपये की राशि सभी जिलों में उपलब्ध करायी गयी।

इसके उपरान्त राज्य सरकार ने शेष मृतकों के आश्रितों को राज्य संसाधन से आपदा प्रबंधन विभाग के अधिसूचना संख्या 2098 दिनांक 09.06.2021 द्वारा राज्य के निवासी जिनकी मृत्यु कोविड-19 से राज्य के अन्दर हो गई है, उन्हें अनुग्रह अनुदान की राशि का भुगतान करने का निर्णय लिया गया।

मुख्यमंत्री राहत कोष से अबतक कोविड-19 से 3704 मृत व्यक्तियों को 4.00 लाख की दर से कुल 148.16 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

इसके अतिरिक्त आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कोविड-19 से अबतक 5111 मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 4.00 लाख रुपये की दर से कुल 204.44 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है एवं शेष आश्रितों को भुगतान की कार्रवाई जिला स्तर से की जा रही है। इस प्रकार अबतक बिहार सरकार के द्वारा कुल 8815 लाभुको को 352.60 करोड़ रूपये की राशि उपलब्ध करायी जा चुकी है।

गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा कोविड-19 से मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 50,000 रुपये की दर से अनुग्रह अनुदान का भुगतान राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) से करने का निर्णय लिया गया है।

उक्त के आलोक में राज्य सरकार के द्वारा भी पूर्व में कोविड- 19 से मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 4.00 लाख रुपये की दर से भुगतान की गई अनुग्रह अनुदान की राशि के अतिरिक्त 50,000 रुपये की राशि का भी भुगतान करने का निर्णय लिया गया है।

इसके अन्तर्गत सभी जिलों को 8815 कोविड-19 से मृत व्यक्तियों के आश्रितों को भुगतान हेतु कुल 44.075 करोड़ रुपये आवंटित की गई है, जिसका भुगतान जिला पदाधिकारी के स्तर से किया जा रहा है।

सभी जिलों को जिला स्तर से ही कोविड-19 से मृत व्यक्तियों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान की राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में अंतरित करने का निदेश दिया गया है। अब तक कुल भुगतान की गयी राशि 396.675 करोड़ हैं।