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पटना हाईकोर्ट ने चंपारण, बेतिया जिला स्थित सभी SC-ST आवासीय विद्यालयों के रखरखाव के लिए खरीद और आपूर्ति में कथित रूप से बड़े पैमाने पर बरती गई वित्तीय अनियमितता और गबन के मामले पर सुनवाई की

पटना, 11 नवम्बर 2022। पटना हाईकोर्ट ने ऑनलाइन सुनवाई करते हुए चंपारण, बेतिया जिला स्थित सभी एससी/ एसटी आवासीय विद्यालयों के रखरखाव के लिए खरीद और आपूर्ति में कथित रूप से बड़े पैमाने पर बरती गई वित्तीय अनियमितता और गबन के मामले पर सुनवाई की।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने पूनम देवी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के चीफ सेक्रेटरी से गठित की गई जांच कमेटी का रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दो सप्ताह के भीतर इस मामले में की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने का आदेश भी दिया है। याचिककर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मामला वर्ष 2018 -2000 से जुड़ा हुआ है।

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याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के जरिये मामले की जांच के लिए हाई लेवल जांच कमेटी के गठन हेतु आदेश देने का भी अनुरोध किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

11 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अधिवक्ता मयूरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

कोर्ट ने राज्य में स्टेट ड्रग कंट्रोलर की स्थाई नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम के संबंध में प्रधान सचिव को सूचित करने को कहा है। चूंकि वर्तमान ड्रग कंट्रोलर करीब विगत 5 वर्षों से अस्थाई रूप से कार्यरत हैं।

स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने कथित रूप से कुछ प्रतिबंधित दवाओं बनाये जाने के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी। इन दवाओं को भारत सरकार ने एक गज़ट अधिसूचना से वर्ष 2011 में ही प्रतिबंधित कर दिया था।

याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टेट ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से कुछ दवाओं पर पूरे भारत में प्रतिबंध लगा दिए जाने के बावजूद इन दवाओं को बिहार राज्य में बनाया और बेचा जा रहा था।

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कोर्ट का यह भी कहना था कि मामले के प्रकाश में आने के बाद करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कि गई है, जोकि प्रथम दृष्टया राज्य में स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता को बतलाता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 नवंबर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंगीभूत एवं संबद्धता प्राप्त कालेजों द्वारा यूजीसी को उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के मामलें पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों की कमिटी बनाई है।

इस कमिटी को अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में कोर्ट में दायर करनी हैं | कोर्ट ने वेटरन फोरम की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कालेजों द्वारा आवंटित धनराशि का विवरण एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना गंभीर मामला है।

इससे पहले कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था । याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य में अंगीभूत और सम्बद्धता प्राप्त कालेजों की संख्या 325 है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के विभिन्न कालेजों द्वारा 124 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र यूजीसी को प्रस्तुत नहीं किया गया है। इन कालेजों को काफी पहले यूजीसी ने जो अनुदान दिया था, उसका बहुत सारे मामलों में अबतक उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया गया है।

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इस पर कोर्ट ने कहा कि था कि यदि कालेजों द्वारा दो दिनों के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा तो सम्बंधित वीसी के वेतन पर रोक लगा दी जाएगी ।इस मामलें की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी ।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल डीजल से चलने वाली चार चक्का वाहनों को गारंटी वारंटी के साथ सीएनजी में परिवर्तित करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार से जबाब तलब किया है

आवेदक को भी राज्य में प्रदूषण के बारे में पूरक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।राज्य सरकार के राज्य परिवहन विभाग की ओर से इस केस में जबाब दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि राज्य में फ़िलहाल 47 सीएनजी पम्प स्टेशनों से वाहनों को सीएनजी गैस की आपूर्ति की जा रही है।

अगले वित्तीय वर्ष में 90 नये सीएनजी गैस पम्प स्टेशनो से वाहनों में सीएनजी गैस की आपूर्ति की जाएगी। गैल, आईओसीएल सहित चार सीएनजी गैस एजेंसी सीएनजी गैस पंप स्टेशन (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) लगाने के काम में जुटी हुई है।

पटना में 19 सीएनजी पम्प स्टेशनो से वाहनों को सीएनजी गैस का आपूर्ति किया जा रहा है वही अगले वित्तीय वर्ष में 11 नये सीएनजी पम्प स्टेशन को चालू कर दिया जायेगा।

राज्य के 11 जिलों में सीएनजी गैस पंप स्टेशन लगाने का काम तेजी से चल रहा है। अगले वित्तीय वर्षो में 16 नए जिलों में सीएनजी गैस पम्प स्टेशन लगा दिया जायेगा।

पटना, गया, मुज्जफरपुर, वैशाली, जहानाबाद, भोजपुर, रोहतास, समस्तीपुर, कैमूर, नालंदा तथा बेगूसराय जिलों में 47 सीएनजी गैस पंप स्टेशन से वाहनों में गैस की आपूर्ति की जा रही है।सिर्फ तीन जिला पटना गया और मुज्जफरपुर में जुलाई मध्य तक 25 हजार 314 वाहनों को 21 लाख 61 हजार 831 किलो गैस की आपूर्ति की गई है।

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प्रत्येक माह सीएनजी की बिक्री में बढ़ोतरी हो रही है।सरकार सीएनजी को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। विभाग अपने जबाब में कहा है कि राज्य सरकार पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचने की दिशा में हर संभव कार्य कर रही है और सीएनजी गैस को बढ़ावा दे रही है।

मामले पर अगली सुनवाई अगले 25 जनवरी,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह को अग्रिम जमानत की याचिका की मंजूर करते हुए बड़ी राहत दी

पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा,जिसे आज सुनाया गया।।इस अग्रिम जमानत की याचिका पर जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने सुनवाई की थी।

ये मामला बिहटा के राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह के अपहरण से सम्बंधित मामला है।14नवम्बर,2014 को बिहटा पुलिस स्टेशन में थाना कांड संख्या 859/2014 रजिस्टर किया गया।

ये मामला दानापुर के जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, अजय कुमार के समक्ष सुनवाई हेतु लंबित हैं।
इस मामलें में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर,2014 को सूचना दी कि उन्हें टेलिफोन पर ये पता चला है कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का अपहरण हो गया है।

अपहर्ता 18 की संख्या में थे,जो पाँच scorpio गाड़ी से आये थे।उन्होंने राजू को बलपूर्वक ले गए।ये आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह,बंटू सिंह व अन्य सोलह व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया।

इससे पहले भी दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगे जाने का आरोप लगाया गया था,जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में कोर्ट को बताया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामलें है,उनमें वे जमानत पर है।पटना हाईकोर्ट में 2017 में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी,लेकिन उसे 16 फरवरी,2017 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया।

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उसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत की कोई याचिका पटना हाइकोर्ट में नहीं दायर की।उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में ये बताया है कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था।साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के सम्बन्ध में नहीं लिया था।

उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर,2014 को वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे।उनके हस्ताक्षर भी उपस्थिति रजिस्टर में अंकित है।

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 10 नवंबर,2022 तक टल गयी

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई 10 नवंबर,2022 तक टल गयी है।जस्टिस संदीप कुमार द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया हैं।

साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था।

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कोर्ट ने कहा कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 10 नवंबर ,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों को डिग्री निर्गत करने में हो रहे विलम्ब पर कड़ा रुख अपनाया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विवेक राज की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी सम्बंधित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो कुलपति हलफनामा दायर नहीं करेंगे,उन पर पाँच हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।ये धनराशि उनके व्यक्तिगत वेतन से काटा जाएगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शाश्वत ने बताया कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा छात्रों की परीक्षा ली जाती है।एक तो इन विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक सत्र ऐसे भी विलम्ब से चल रहे है।परीक्षाएं भी निर्धारित समय पर नहीं ली जा रही है।उन्होंने के कोर्ट को बताया कि परीक्षाएं लेने और रिजल्ट देने के बाद भी ये विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को डिग्रियां देने में विलम्ब करते हैं।इससे जहां छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,वहीं इन छात्रों के भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता हैं।

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विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों में डिग्री मांगी जाती हैं।लेकिन डिग्री नहीं होने के कारण उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या नौकरियों से वंचित रह जाना पड़ता हैं।इसलिए ये आवश्यक है कि छात्रों को सम्बंधित विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर डिग्री उपलब्ध कराएं।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने नई दिल्ली स्थित रेलवे के चेयरमैन पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया

पटना हाई कोर्ट ने हाजीपुर- सुगौली रेल लाइन प्रोजेक्ट को पूरा किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर
वर्चुअल रूप से सुनवाई करते हुए नई दिल्ली स्थित रेलवे के चेयरमैन पर पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस मामले में अभी तक जवाब दाखिल नहीं किये जाने पर नाराजगी जताते हुए ये जुर्माना लगाया।

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याचिकाकर्ता का कहना है कि विगत 16 वर्षों से भी ज्यादा समय से इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में इस कार्य हेतु जमीन अधिग्रहण में विलंब नहीं करने के लिए आदेश देने का आग्रह कोर्ट से किया है।

पटना हाईकोर्ट ने कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत पर सुझाव दिया

पटना हाईकोर्ट के वरीय जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने एक महत्वपूर्ण तथ्य को इंगित करते हुए कहा कि करोना काल की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए कोर्ट के कामकाज में परिवर्तन किये जाने की जरूरत है।

उन्होंने ने चीफ जस्टिस संजय क़रोल को सुझाव देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के समय से चली आ रही एसओपी (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर) को अब तक जारी रखने की अब कोई औचित्य और आवश्यकता नहीं प्रतीत होता है।

उन्होंने कहा कि अदालती कार्यवाही से आम जनता एवं वादियों को दूर नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि पुनः कोई असाधारण परिस्थियां उत्पन्न न हो जाए। उन्होंने कोरोना की स्थिति में नियंत्रण के सन्दर्भ में ये बातें कही।

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उन्होंने 9 महीने पुराने स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीड्यूर के सम्बन्ध में कहा कि किसी भी कोर्ट के पास वादियों या आम जनता को कार्यवाही देखने से वंचित नहीं किया जा सकता।अदालती कार्यवाही में वादी के प्रवेश अधिकार को रोकने से अदालती कार्यवाही में भी अस्पष्टता पैदा होती है ,जो खुली अदालत की कार्यवाही के सिद्धांत के विपरीत है।

हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया 21.02.2022 से प्रभावी एसओपी के अनुसार हाईकोर्ट के कामकाज के संबंध में कहा कि यह उनका एक विचार मात्र हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि हाईकोर्ट के कामकाज के मामले में चीफ जस्टिस का निर्णय सर्वोपरि और अंतिम होता है।

पटना हाईकोर्ट ने कोसी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के पीड़ितो को मुआवज़ा देने से संबंधित लोकहित याचिका पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने महेंद्र यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष रखने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट को बताया कि कोशी नदी के बाढ़ से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का निर्णय लिया गया था।

उन्होंने बताया कि कोसी पीड़ित विकास प्राधिकार का गठन 30 जनवरी,1987 को किया गया।लेकिन ये अबतक कागज पर ही दिख रहा है। कोर्ट ने इस सम्बन्ध में राज्य सरकार से कई बार जवाब तलब किया, लेकिन इसका कोई स्पष्ट जवाब अब तक नहीं दिया गया।

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उन्होंने बताया कि कोसी नदी के बाढ़ से बड़े पैमाने पर जान माल की क्षति होती रही है।ऐसे में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की पीड़ित जनता को मुआवज़ा, खाद्य सामग्री एवं अन्य जरूरत की चीजें मुहैय्या कराई जानी चाहिए थी, लेकिन राज्य सरकार इसमें असफल रही ।

पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर अब सुनवाई 7 नवंबर,2022 को दोपहर सवा दो बजे सुनवाई की जाएगी

स्थानीय मतदाता दीपू कुमार सिंह द्वारा दायर रिट याचिका पर जस्टिस मोहित कुमार शाह करेंगे।

गौरतलब है कि कल गोपालगंज विधानसभा चुनाव क्षेत्र के उपचुनाव में मतदान हो चुका है।6 नवंबर,2022 को मतगणना हो कर परिणाम आ जाएगा। पिछली सुनवाई में भारत के चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने इस रिट याचिका को सुनवाई करने के योग्य नहीं माना था।

उनका कहना था कि चुनाव परिणाम के बाद इसके विरुद्ध चुनाव याचिका दायर की जा सकती है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एस डी संजय ने कहा था कि आर जे डी उम्मीद्वार ने अपने विरुद्ध मामलें को छुपा कर नामांकन किया।ये सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन हैं।

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वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि याचिकाकर्ता ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा के उप चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता उर्फ मोहन प्रसाद के नामांकन की जांच कर रद्द करने की माँग किया गया है।इसके लिए मुख्य चुनाव अधिकारी को आदेश देने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में ये आरोप लगाया गया था कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इनके नामांकन को गलत और अनुचित तरीके से स्वीकार किया गया है।इसमें तथ्यों को छुपा कर गलत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है। ये भी आरोप लगाया गया है कि उक्त आरजेडी के उम्मीदवार द्वारा भरे गए फॉर्म सी- 4 में लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत सूचना दिया है।उनके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत जानकारी दी गई है।

पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर कल (4 नवंबर,2022) सुबह साढ़े दस बजे ऑन लाईन सुनवाई की जाएगी

पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध दायर रिट याचिका पर कल (4 नवंबर,2022) सुबह साढ़े दस बजे ऑन लाईन सुनवाई की जाएगी। स्थानीय मतदाता दीपू कुमार सिंह द्वारा दायर रिट याचिका पर जस्टिस मोहित कुमार शाह सुनवाई करेंगे।

भारत के चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने इस रिट याचिका को सुनवाई करने के योग्य नहीं माना।उनका कहना था कि चुनाव परिणाम के बाद इसके विरुद्ध चुनाव याचिका दायर की जा सकती है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एस डी संजय ने कहा कि आर जे डी उम्मीद्वार ने अपने विरुद्ध मामलें को छुपा कर नामांकन किया।ये सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन हैं।

वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि याचिकाकर्ता ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा के उप चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता उर्फ मोहन प्रसाद के नामांकन की जांच कर रद्द करने की माँग किया है।

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इसके लिए मुख्य चुनाव अधिकारी को आदेश देने का आग्रह किया गया है।याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इनके नामांकन को गलत और अनुचित तरीके से स्वीकार किया गया है।इसमें तथ्यों को छुपा कर गलत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है।

ये भी आरोप लगाया गया है कि उक्त आरजेडी के उम्मीदवार द्वारा भरे गए फॉर्म सी- 4 में लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत सूचना दिया है। उनके विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत जानकारी दी गई है।

पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध एक रिट याचिका दायर की गई है

1 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट में गोपालगंज से आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता के विरुद्ध एक रिट याचिका दायर की गई है। ये याचिका स्थानीय मतदाता दीपू कुमार सिंह ने दायर किया है।

याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने बताया कि याचिकाकर्ता ने राज्य में होने जा रहे विधानसभा के उप चुनाव में आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद गुप्ता उर्फ मोहन प्रसाद के नामांकन की जांच कर रद्द करने की माँग किया है।इसके लिए राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को आदेश देने का आग्रह किया गया है।

याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा इनके नामांकन को गलत और अनुचित तरीके से स्वीकार किया गया है। तथ्यों को छुपा कर गलत हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया गया है।

ये भी आरोप लगाया गया है कि उक्त आरजेडी के उम्मीदवार द्वारा भरे गए फॉर्म सी- 4 में लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में गलत सूचना दिया गया है। लंबित आपराधिक मामलों के संबंध में स्थानीय मीडिया में गलत जानकारी दी गई है।

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याचिका में कहा गया है कि 7 सितंबर, 2022 को शराब के अवैध व्यवसाय के लिए एक्साइज एक्ट के तहत एक आपराधिक मुकदमा मेसर्स सिल्वर हेरिटेज स्पिरिट्स एल एल पी और इसके पार्टनर / डाइरेक्टर/ मैनेजर के विरुद्ध दर्ज किया गया था।

आरजेडी के उम्मीदवार मोहन प्रसाद के नाम से डायरेक्टर थे, जिसमें इनके पिता का नाम शंकर प्रसाद बताया गया था।

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आम जनता का आपराधिक न्याय व्यवस्था ( क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) में विश्वास बना रहे,ये सबसे आवश्यक बात है

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग से व स्तरीय जांच नहीं किये जाने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज कोर्ट ने सुनाया है।
अधिवक्ता ओम प्रकाश की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य में पुलिस बल में रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए। कोर्ट ने पुलिसकर्मियों के वर्तमान प्रशिक्षण को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि आज जिस तरह के अपराध हो रहे हैं, उसके मद्देनजर पुलिसकर्मियों को व्यवहारिक ,स्तरीय और प्रभावी प्रशिक्षण की जरूरत है।

कोर्ट ने अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने और सख्त कार्रवाई करने की जरूरत पर जोर दिया,ताकि आम जनता को न्यायिक और प्राशासनिक व्यवस्था पर विश्वास मजबूती से बना रहे।

कोर्ट ने पुलिस बल द्वारा जांच की प्रक्रिया को प्रभावी और व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया,ताकि अपराध करने के पहले अपराधियों के अंदर कानून का भय हो।कोर्ट ने इस आदेश की प्रति को राज्य मुख्य सचिव, गृह सचिव और डी जी पी को भेजने का आदेश दिया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में अपराधियों के सजा पाने से बच जाने के कारण लोगों का आपराधिक न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होते जा रहा है।पुलिस अधिकारियों द्वारा किये जा रहे जांच में त्रुटियों और कमी के कारण अपराधियों को सजा से बच जाते है।

सुनवाई के दौरान बिहार पुलिस एकेडमी के निदेशक ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों को जांच और अन्य आपराधिक मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया जाता है।उनका समय समय पर परीक्षा ली जाती हैं और उनके प्रगति का मूल्यांकन होता है।इसमें लगातार सुधार किया जा रहा हैं।

पुलिस आधुनकिकरण के ए डी जी के के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और त्रुटियों पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी के कारण भी समस्याएं हैं।फॉरेंसिक लेबोरेट्री में आवश्यक सुधार और सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत हैं।

उन्हों कोर्ट को बताया था कि एक फॉरेंसिक लैब पटना में है।दो क्षेत्रीय फॉरेंसिक लैब मुजफ्फरपुर और भागलपुर में भी है।दरभंगा में फॉरेंसिक लैब की स्थापना होने जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को प्रभावी ढंग से जारी रखने के लिए पुलिसकर्मियों सही ढंग से प्रशिक्षित करने की जरूरत हैं।साथ ही उनकी जांच में जिम्मेदारी तय करना भी आवश्यक है।

इसी सुनवाई में बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कहा था कि आपराधिक न्याय व्यवस्था को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि अपराधियों को सजा देने का अनुपात बढ़े।पुलिस कि संवेदनशील बनाने के साथ ही उनकी कार्यक्षमता और कुशलता बढ़ाने के समय समय पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए ।

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कोर्ट ने राज्य पुलिस द्वारा सही ढंग, वैज्ञानिक और स्तरीय जांच नहीं करने के कारण अपराधियों को सजा नहीं मिलने पर गहरी चिंता जाहिर की थी।

उन्होंने कहा था कि जहां पुलिस अधिकारियों को सही ढंग से आपराधिक मामलों की जांच के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है।सही तरीके से जांच करने,ठोस सबूत और पक्के गवाह उपलब्ध कराने पर ही अपराधियों को कोर्ट द्वारा सजा दी जा सकेगी।

कोर्ट ने कहा था कि जबतक अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी,कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता हैं।इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के जांच आधुनिक,स्तरीय और वैज्ञानिक हो,जिसमें अपराधियों को सजा मिलना सुनिश्चित हो।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट 2007, में मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया

21 अक्टूबर 2022 ।  पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 में मार्च, 2021 में राज्य सरकार को द्वारा किए गए संशोधनों को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया। इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने 13अक्टूबर,2022 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था।

चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि निगम के सी और डी श्रेणी की नियुक्ति का अधिकार पूर्ववत निगम के अधिकार क्षेत्र में होगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शक्ति प्राप्त स्टैंडिंग कमिटी एक स्वतन्त्र निर्वाचित संस्था है।उसे राज्य सरकार या कोई अन्य संस्था उनका निरीक्षण नहीं कर सकती हैं।कोर्ट ने ये भी कहा कि 74वें संवैधानिक संशोधन के बाद नगर निकाय सांविधानिक हैसियत रखती हैं।उनकी शक्ति को कम करना या। खत्म करना असंवैधानिक होगा।

यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है। यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है। उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।

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कोर्ट को आगे यह भी बताया गया था कि चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है। जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

कोर्ट ने इस संशोधन को रद्द करते हुए सी और डी श्रेणी के कर्माचारियों की नियुक्ति का अधिकार नगर निगमों को पहले की भांति दे दिया हैं।

पटना हाइकोर्ट में 24 अक्टूबर, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक अवकाश रहेगा

दिवाली,दावात पूजा एवं छठ पर्व के अवसर पर पटना हाइकोर्ट में 24 अक्टूबर, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 अवकाश रहेगा। 1 नवंबर, 2022 को हाईकोर्ट खुलेगा और उसके बाद सामान्य अदालती कामकाज प्रारम्भ हो जाएगा।

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार की एक अभ्यर्थी के NEET परीक्षा की ओएमआर आंसर शीट पेश करने का आदेश दिया

देश भर के मेडिकल संस्थानों मे दाखिले हेतु , इस वर्ष आयोजित हुई राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट ) मे बिहार की एक अभ्यर्थी के ओ एम आर एनसर शीट मे प्रथम द्राष्ट्या गड़बड़ी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए, पटना हाई कोर्ट ने उक्त छात्रा की ओएमआर एनसर शीट पेश करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने श्रेया प्रसाद की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए परीक्षा लेने वाली एजेंसि एन टी ए को निर्देश दिया कि 16 नवम्बर को मांगी गयी ओएमआर उत्तर फलक को कोर्ट मे पेश करे।

केंद्र सरकार की तरफ से पटना हाई कोर्ट में एडीशनल सोलिसिटर जेनरल को भी इस मामले की नोटिस लेने को कहा गया ताकि उनके जरिये परीक्षा लेने वाली एजेंसि को जल्दी सूचना दी जा सके।

याचिकाकर्ता के वकील अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को दर्शाया कि श्रेया की ओएमआर एनसर शीट, जो नीट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई उसमे क्रम संख्या एक से लेकर 101 तक के उत्तर दिखाई ही नही दे रहे, जिसके परिणाम मे उनके मुवक्किल् को पहले 100 प्रश्नो मे शून्य अंक मिले हैं . जबकि आगे के प्रश्नो को श्रेया ने सफलता पूर्वक हल किया है. एक साथ 100 से भी अधिक प्रश्नो के उत्तर ओ एम आर शीट मे नहीं दिखना, परीक्षा व्यवस्था मे गंभीर गड़बड़ी की और इंगित करता है और साथ ही याचिका कर्ता की दक्षता और पात्रता को चोट पहुंचाता है।

अभिनव ने देश के अन्य हाई कोर्ट से पारित आदेशों के हवाले से, न्यायमूर्ति शर्मा की एकलपीठ को दर्शाया कि बिल्कुल इसी प्रकार गड़बड़ियों को अन्य हाई कोर्ट मे उजागर किया जा चुका है।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से दी गयी दलील को स्वीकार करते हुए श्रेया की ओएमआर शीट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

मामले पर अगली सुनवाई 16 नवम्बर ,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने 11 साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले में फाँसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया

पटना हाईकोर्ट ने 11 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के मामले में फाँसी की सजा पाए सजायफ़्ता को राहत देते हुए उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। साथ ही इसी मामले एक अन्य अभियुक्त को रिहा कर दिया।

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह एवं जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने अरविंद कुमार एवं अभिषेक कुमार की अपील याचिका पर सुनवाई करते स्वीकृति दे दी ।

19.09.2018 को इन दोनों अभियुक्तों के खिलाफ पीड़िता की माँ ने आईपीसी की धारा 376, 376b, 120(B), 504, 506, 354(D) एवं पॉक्सो एक्ट की धारा 4,6 ऐवं 12 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाई थी ।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि फुलवारीशरीफ़ स्थित न्यू सेंट्रल पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल ने कक्षा पाँच में पढ़ने वाली छात्रा के साथ यौन शोषण किया।साथ ही उसका वीडियो वायरल करने के नाम पर ब्लैकमेल किया करते थे ।

इस कांड में स्कूल के एक अन्य शिक्षक ने भी उसका साथ दिया । जब लड़की की माँ को शक हुआ तो उसने स्कूल के प्रिंसिपल एवं शिक्षक के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई । इस पर संज्ञान लेते हुए निचली अदालत ने स्कूल के प्रिंसिपल को फाँसी की सजा सुनाई और शिक्षक को उम्रक़ैद की सजा सुनाई।

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इस निचली अदालत के आदेश को अपीलकर्ताओं ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । अपीलकर्ताओं का पक्ष वरीय अधिवक्ता बख्शी एस आरपी सिन्हा ने रखा।

मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह पाया कि अभियोजन पक्ष पीड़ित बच्ची की उम्र 12 वर्ष के कम साबित करने में विफल रहे और संदेह का लाभ देते हुए अभियुक्त अरविंद कुमार की फाँसी की सजा को उम्रकैद की सजा में तबदील कर दिया। अभियुक्त अभिषेक कुमार को उम्रक़ैद की सजा से बरी कर दिया ।

बिहार में नगर निकाय के चुनाव का रास्ता साफ; सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे वर्ग के राजनीतिक पिछडेपन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है

राज्य में नगर निकाय के चुनाव का रास्ता साफ, अति पिछडे के आरक्षण के साथ साफ कर दिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई की।

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे वर्ग के राजनीतिक पिछडेपन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है।

ये कमीशन राज्य में अतिपिछडे वर्ग में राजनीतिक पिछडेपन पर अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौपेंगी।

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इसके बाद राज्य सरकार के रिपोर्ट के आधार पर राज्य चुनाव आयोग राज्य में नगर निकायों का चुनाव कराएगा। कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार व अन्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को निष्पादित कर दिया।

बिहार के पूर्व कानून मंत्री कार्तिक सिंह की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई पटना हाइकोर्ट में टल गई

बिहार के पूर्व कानून मंत्री व विधान पार्षद कार्तिकेय कुमार ऊर्फ कार्तिक सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका पटना हाइकोर्ट में सुनवाई टल गई। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को केस डायरी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।इस अग्रिम जमानत की याचिका पर जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने सुनवाई की।

ये मामला बिहटा के राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह के अपहरण से सम्बंधित मामला है।14नवम्बर,2014 को बिहटा पुलिस स्टेशन में थाना कांड संख्या 859/2014 रजिस्टर किया गया।

ये मामला दानापुर के जुड़ीशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, अजय कुमार के समक्ष सुनवाई हेतु लंबित हैं।
इस मामलें में सूचक सचिन कुमार ने बिहटा थाना में 14 नवंबर,2014 को सूचना दी कि उन्हें टेलिफोन पर ये पता चला है कि उनके चाचा राजीव रंजन सिंह ऊर्फ राजू सिंह का अपहरण हो गया है।

अपहर्ता 18 की संख्या में थे,जो पाँच scorpio गाड़ी से आये थे।उन्होंने राजू को बलपूर्वक ले गए।ये आरोप लगाया गया कि मोकामा के विधायक अनंत सिंह,बंटू सिंह व अन्य सोलह व्यक्तियों ने इसे अंजाम दिया।इससे पहले भी दस करोड़ रुपए की फिरौती मांगे जाने का आरोप लगाया गया था,जिसकी सूचना कृष्णापुरी थाने को दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में कोर्ट को बताया है कि उनके विरुद्ध जो अन्य आपराधिक मामलें है,उनमें वे जमानत पर है।पटना हाईकोर्ट में 2017 में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी,लेकिन उसे 16 फरवरी,2017 को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया।

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उसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत की कोई याचिका पटना हाइकोर्ट में नहीं दायर की।उन्होंने अपनी अग्रिम जमानत की याचिका में ये बताया है कि प्राथमिकी में उनका नाम नहीं था।साथ ही पीड़ित और सूचक ने उनका नाम इस घटना के सम्बन्ध में नहीं लिया था।

उन्होंने बताया कि घटना के दिन 14 नवंबर,2014 को वे सरकारी स्कूल में अपनी ड्यूटी में थे।उनके हस्ताक्षर भी उपस्थिति रजिस्टर में अंकित है।

इस अग्रिम जमानत की याचिका पर दिवाली अवकाश के सुनवाई की जाएगी।