Press "Enter" to skip to content

Posts tagged as “#PatnaHighCourt”

पटना हाईकोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस कृष्णन विनोद चंद्रन कल राजभवन में पद और गोपनीयता की लेंगे शपथ

पटना हाईकोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस कृष्णन विनोद चंद्रन कल सुबह 9:30 बजे राजभवन में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर नवनियुक्त चीफ जस्टिस कृष्णन विनोद चन्द्रन को शपथ दिलायेंगे ।

इस अवसर पर पटना हाईकोर्ट के जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह एवं पटना हाई कोर्ट के अन्य जज भी शपथ समारोह में उपस्थित रहेंगे

Justice_K._Vinod_Chandran

शपथ समारोह के बाद पटना हाईकोर्ट के मुख्य चीफ जस्टिस कोर्ट में सुबह 11 बजे स्वागत समारोह का आयोजन किया जाएगा। उसके बाद हाईकोर्ट को सामान्य न्यायिक कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार में एयरपोर्ट के स्थापित करने, विकास, विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के स्थापित करने,विकास,विस्तार और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के तीन एयरपोर्ट और पूर्णियां एयरपोर्ट के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से ये बताने को कहा कि राज्य में नए एयरपोर्ट बनाए जाने के मामलें क्या कार्रवाई की गई है। दोनों सरकारों को बताने को कहा गया था कि वे बताए कि इनके सम्बन्ध में क्या योजनाएं बना रहे है।

कोर्ट ने उन्हें ये भी बताने को कहा था कि क्या वे नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उन्हें चिन्हित करने की कार्रवाई की है।कोर्ट ने ये जानना चाहा कि इन नए एयरपोर्ट के निर्माण के लिए उनकी क्या योजना है।

पूर्व की सुनवाई में कार्यरत एयरपोर्ट पटना,गया,बिहटा और दरभंगा के एयरपोर्ट के विकास,विस्तार और सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं के बारे में बताने को कहा था। बहुत सारी सुविधाओं की कमी है।इन्हें बेहतर बनाने के क्या कार्रवाई की जा रही है।

Patnahighcourt

इससे पूर्व में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा था। तत्कालीन चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर फैसला सुनाया था।

ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है।केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट में राज्य सरकार विश्वविद्यालयों के चान्सलर के हलफनामा दायर किया।इस हलफनामा में बताया गया है कि लॉ कालेजों में नेट/ पीएचडी डिग्रीधारी शिक्षक होने चाहिए।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने चन्सलर कार्यालय को हलफनामा दायर कर ये बताने को कहा कि राज्य में लॉ की पढ़ाई के लिए क्या क्या सुधारात्मक कार्रवाई की गई।साथ ही ये भी बताने को कहा गया कि इन लॉ कालेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए यूजीसी मानक के तहत नेट/पीएचडी डिग्री वाले शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है या नहीं।

चान्सलर ने राज्य के विश्वविद्यालयों के वाईस चान्सलर की बैठक 3अप्रैल,2023 को तय किया है।इस बैठक में असिस्टेंट प्रोफेसर, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों की संख्या, बुनियादी सुविधाएँ, सम्बद्धता दिए जाने के सम्बन्ध विचार विमर्श किया जाएगा। इसके बाद चान्सलर कार्यालय को अगली सुनवाई में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे है, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते है।

उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए।इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है।

कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है।वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है।बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है।

इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद ही सत्र 2021- 22 के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां दाखिला लेने के लिए अनुमति दी थी।

पूर्व में हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी। बाद मे इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी गई।

सुनवाई के समय समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 10अप्रैल,2023 कर बाद फिर की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के अंतर्गत विभिन्न कालेजों में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के सामंजन से संबंधित मामले पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के अंतर्गत विभिन्न कालेजों में कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के सामंजन से संबंधित मामले पर सुनवाई की। जस्टिस पी बी बजनथ्री की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सभी रिकॉर्ड के साथ अगली सुनवाई में तलब किया है।

कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए दायर किए गए एलपीए पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

राज्य सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग एलपीए दायर कर हाईकोर्ट के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है।
अपील में एकल पीठ द्वारा वर्ष 1978 से 1982 के बीच कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को नियमित करने संबंधी आदेश को गैरकानूनी और गलत बताते हुए उसे निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

तृतीय एवं चतुर्थ पद वर्ग के पद पर नियुक्त हुए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों के अनुसार वर्ष 1978 से 1982 के बीच की अवधि में की गई थी।

जिनका सामंजन वर्ष 2011 से 2013 के बीच की अवधि में किया गया।लगभग पांच वर्षों के बाद वर्ष 2017 में इनसे सेवा नही लेने और उन्हें वेतन का भुगतान नहीं करने का आदेश राज्य सरकार द्वारा दिया गया।

राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के इसी आदेश के खिलाफ एक सौ उन्तीस कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति और सामंजन को सही मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को उन्हें उनके पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कर्मचारियों को उनके पद पर योगदान नहीं कराया और हाई कोर्ट के एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दिया।

इसी मामले में हाईकोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों को अगली सुनवाई पर तलब किया है।इस मामले पर 3 सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने नेत्र सहायक की नियुक्ति के मामले में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निर्देशक को 6 अप्रैल,2023 को कोर्ट में तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने नेत्र सहायक की नियुक्ति के मामले में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निर्देशक को 6 अप्रैल,2023 को कोर्ट में तलब किया है।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने रंजीत कुमार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग ने नेत्र सहायक के पद पर नियुक्ति करने के लिए वर्ष 2021 में एक विज्ञापन निकाला था।

इस विज्ञापन के अनुसार इस पद पर नियुक्ति के लिए भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान और अंग्रेजी के साथ उत्तीर्ण और मान्यता प्राप्त संस्थान से नेत्र सहायक के डिप्लोमा कोर्स किए उम्मीदवार को ही योग्य माना था। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि विज्ञापन को हाईकोर्ट में चुनौती दिया गया, जिसके बाद कई रिट याचिकाएं अन्य अभ्यर्थियों के द्वारा भी हाईकोर्ट में दायर किया गया।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

हाईकोर्ट ने कुछ रिट याचिकाकर्ताओं के पक्ष में अपना आदेश सुनाया। कोर्ट को बताया गया कि सरकार द्वारा इस मामले में जो शपथ पत्र दायर किया गया है, वह हाईकोर्ट के खंडपीठ के आदेश के विपरीत है।

इसी मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अपर निर्देशक को अगली सुनवाई पर तलब किया है।

इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

बिहार की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर पटना हाइकोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि इस सम्बन्ध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया, तो कोर्ट इस पर गंभीर रुख अपनाएगा

पटना हाइकोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर सुनवाई की। आत्मबोध की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार दिए गए कार्रवाई रिपोर्ट पर गहरा असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि इस सम्बन्ध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया, तो कोर्ट इस पर गंभीर रुख अपनाएगा।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास,विस्तार और कलाकारों के कल्याण के लिए राज्य सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कला व संस्कृति सचिव व उद्योग विभाग के निर्देशक को पटना एयरपोर्ट परिसर में बने मधुबनी पेंटिंग का निरीक्षण कर कल कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत का निर्देश दिया था।

Patnahighcourt

उन्होंने जो रिपोर्ट दिया ,उससे स्पष्ट हुआ कि पटना एयरपोर्ट के परिसर में जो मधुबनी पेंटिंग लगी है,वहां न तो कलाकारों को क्रेडिट दिया गया है।साथ ही जी आई टैग भी नहीं लगा है।इससे मधुबनी पेंटिंग व उसके कलाकारों की उपेक्षा स्पष्ट होती है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास और विस्तार के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया कि मधुबनी पेंटिंग सरकारी उपेक्षा का शिकार तो है ही, साथ ही मधुबनी पेंटिंग करने वाले कलाकारों का शोषण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग की ख्याति देश विदेश में है,लेकिन मधुबनी पेंटिंग के कलाकार गरीबी में जीवन बिता रहे है।उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को अपने कानूनी अधिकारों का ज्ञान नहीं है।

इसी का लाभ बिचौलिए उठाते है।उनकी पेंटिंग का बाहर ले जा कर महंगे दामों में बेचते है, जबकि उन कलाकारों को बहुत थोड़ी सी रकम दे देते है।

उन्होंनेे कोर्ट को बताया कि उन्हें 2005 में ही जीआई टैग भारत सरकार से लगाने की अनुमति प्राप्त हुई।ये भौगोलिक क्षेत्र के तहत रजिस्टर होता है ,लेकिन इसका आजतक रेजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।

इसके सम्बन्ध में इन कलाकारों को जानकारी नहीं है।इसका लाभ बिचौलिए उठाते है। इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की। एक्टिंग चीफ जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को विस्तृत जानकारी देने के लिए तीन सप्ताह का मोहलत दिया।

पटना नगर निगम ने कोर्ट को बताया कि आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है।निविदा की कार्रवाई की जा रही है। पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने के लिए पटना नगर निगम ने तीन सप्ताह की मोहलत मांगी,जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

ये जनहित याचिका अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने दायर की है। अधिवक्ता अंकिता कुमारी ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य विभिन्न क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर और नियमों के विरुद्ध मांस मछली काटे और बेचे जाते हैं।

उन्होंने कहा कि इससे जहाँ आम आदमी के स्वास्थ्य पर पर बुरा असर पड़ता हैं, वहीं खुले में इस तरह से खुले में जानवरों के काटे जाने से छोटे लड़कों के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

Patnahighcourt

याचिकाकर्ता के वकील अंकिता कुमारी ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि खुले और अवैध रूप से चलने वाले बूचडखानों को नगर निगम द्वारा तत्काल बंद कराया जाना चाहिए ।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पटना के राजा बाज़ार, पाटलिपुत्रा , राजीव नगर, बोरिंग केनाल रोड , कुर्जी, दीघा , गोला रोड , कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन कर खुले में मांस मछ्ली की बिक्री होती है।

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि अस्वस्थ और बगैर उचित प्रमाणपत्र के ही जानवरों को मार कर इनका मांस बेचा जाता है ,जो कि जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

उनका कहना था कि शुद्ध और स्वस्थ मांस मछ्ली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आधुनिक सुविधाओं सुविधाओं के साथ बूचड़खाने बनाए जाने चाहिए,ताकि मांस मछली बेचने वालोंं को भी सुविधा मिले।

साथ ही जनता को भी स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त मांस मछली मिल सके।इस मामलें पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

पटना हाईकोर्ट में मुज़फ़्फ़रपुर के सरैया थाना चर्चित हत्याकांड में मृतक के परिजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई 3 सप्ताह के लिए टल गई

पटना हाई कोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर के सरैया थाना चर्चित हत्याकांड में मृतक निर्भया कुमारी (काल्पनिक नाम) के परिजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई तीन सप्ताह के लिए टल गई। राज्य सरकार की ओर से जस्टिस अंशुमान की एकल पीठ को बताया गया कि वीडिओ जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित फॉरेंसिक लैब में भेजा गया है, लेकिन अभी रिपोर्ट नहीं आया है।

आज कोर्ट में उपस्थित सरैया के डीएसपी और सम्बंधित अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट को ये जानकारी दी।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओम प्रकाश कुमार ने कोर्ट से आग्रह किया गया है कि केस में नामजद अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। साथ ही केस को किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाया जाए।

इस केस में काम नही कर रहे पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही भी चलाया जाए। पिछले सुनवाई के दौरान मुज़फ़्फ़रपुर के एस एस पी ने शपथ पत्र दायर कर बताया कि इस केस में सिर्फ एक व्यक्ति ही संलिप्तता जांच में सामने आई है ।इसलिए बाकी अभियुक्तों को गिरफ्तार नही किया गया।

पूर्व की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि जो शपथ पत्र एसएसपी ने दायर किया है, उसे देखने से प्रतीत होता है कि पुलिस अन्य अभियुक्तों को बचा रही है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए इस केस के डीएसपी और अनुसंधान कर्ता को अगली सुनवाई में कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था।अधिवक्ता ओम प्रकाश ने बताया कि दिनांक 26 अप्रैल 2022 को याचिकाकर्ता की पुत्री अपने घर से बाहर गयी थी ,लेकिन वह वापस नही लौटी।

जिसके बाद परिजन वालों ने अपनी पुत्री को जा खोजबीन किया, परन्तु वह नही मिली। उसी दिन रात्रि 12.47 बजे एक कॉल आया, जिसमे याचिकाकर्ता की पुत्री की आवाज सुनाई दी।वह दर्द से कराह रही थी।

इसके बाद फोन कट गया और पुनः प्रयास करने पर मोबाइल बंद मिला।अगले दिन सुबह में ग्रामीण ने बताया कि याचिकाकर्ता की पुत्री की बॉडी पोखर में पड़ी हुई है।

इसके बाद परिजन घटना स्थल पर जाने के क्रम में देखे की गांव के ही मो0 वसीम खान के द्वारा याचिकाकर्ता की पुत्री को बोलेरो कार से लेकर कहीं जा रहा था।वह बोलेरो मोहम्मद वसीम के घर पर जाकर रुकती है।

फिर मोहम्मद वसीम के परिवार वाले गाड़ी में बैठते है। वे लोग वैष्णवी हॉस्पिटल, मुज़फ़्फ़रपुर याचिकाकर्ता की पुत्री को लेकर जाते हैं, जहाँ याचिकाकर्ता की पुत्री के परिजन भी पहुचते हैं ।

अपनी पुत्री से बात करते हैं, तो याचिकाकर्ता की पुत्री द्वारा बताया जाता है कि लगभग 8 लोग द्वारा बलात्कार किया गया और जहर पिलाया गया। इसमें उसने चार लोगों का नाम भी लिया था, जिसमे से एक व्यक्ति मोहम्मद वसीम खान को गिरफ्तार कर लिया गया है ।

लेकिन अभी भी तीन नामजद अभियुक्त पुलिस के गिरफ्त से बाहर है।इस मामलें पर पुनः तीन सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने फोर लेन रजौली-बख्तियारपुर नेशनल हाइवे के प्रथम पैकज के निर्माण में हो रहे बिलम्ब पर NHAI को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने फोर लेन रजौली बख्तियारपुर नेशनल हाइवे के प्रथम पैकज के निर्माण में हो रहे बिलम्ब पर एनएचएआई को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया। विपिन कुमार की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट को एनएचएआई के अधिवक्ता ने बताया कि ये एन एच 31 के 105 किलोमीटर को तीन पैकेज में बांटा गया है। पैकेज दो और तीन के कार्य चल रहे है।लेकिन पैकेज एक का कार्य नहीं हो पा रहा है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

उन्होंने बताया कि इस पैकेज के निर्माण के वन व पर्यावरण विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलना बाकी है।उन्होंने बताया कि इसके बाद पैकेज एक का काम प्रारम्भ हो सकेगा।

कोर्ट ने एनएचएआई को छह सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद की जाएगी।

बिहार के तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद रॉय के विरुद्ध अदालती कार्रवाई पर तत्काल रोक

पटना हाइकोर्ट ने बिहार के तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद रॉय के विरुद्ध अदालती कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाते हुए बड़ी राहत दी। जस्टिस संदीप कुमार ने नित्यानंद द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।

उनके विरुद्ध अपने भाषण में सामुदायिक विद्वेष फैलाने का आरोप लगाया गया था।अंचलाधिकारी, नरपतगंज,ज़िला अररिया ने एक नरपतगंज थाने मे तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद रॉय के विरुद्ध अपने 9 मार्च,2018 को अपने भाषण में साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने की सूचना दी।

सीजेएम अररिया 13अप्रिल,2022 को पुलिस द्वारा 31अक्तुबर,2021 के दायर चार्जशीट पर सुनवाई करते हुए संज्ञान लिया।कोर्ट ने थाना प्रभारी को इनके विरुद्ध समन जारी करने का निर्देश दिया।

NityanandRai

निचली अदालत के इस आदेश के विरुद्ध केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद रॉय ने एक याचिका दायर की।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि जिन प्रावधानों के तहत उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है, वह उन पर लागू ही नहीं होगा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि नित्यानंद रॉय ने किसी प्रकार से अपने भाषण में सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने का काम नहीं किया है।उन्होंने विदेश के एक आतंकवादी के सन्दर्भ में बात कही थी।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि ये मामला 2018 का है,जबकि निचली अदालत ने इस मामले का संज्ञान 2022 में लिया।

इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दिया।इस मामलें पर अगली सुनवाई जुलाई,2023 में की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने वैशाली ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल चुनाव की अंतिम मतदाता सूची से दिघी पूर्वी एवं दिघी पश्चिम नगर पंचायत प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति का नाम हटाने से संबंधित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने वैशाली ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल चुनाव की अंतिम मतदाता सूची से दिघी पूर्वी एवं दिघी पश्चिम नगर पंचायत प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति का नाम हटाने से संबंधित याचिका पर सुनवाई की ।

जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने राकेश कुमार मिश्रा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को बिहार सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष भेजने का निर्देश दिया है,ताकि इस मामले का निराकरण किया जा सके ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि प्रतिवादी सं. 12 और 14 दिघी पूर्व और दिघी पश्चिम पैक्स के सदस्य थे।ये अब हाजीपुर नगर परिषद के क्षेत्र में शामिल है ।इस तरह पैक्स ने नगरपालिका क्षेत्र में शामिल होने के बाद अपनी पहचान खो दी है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

जो वैशाली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड, हाजीपुर द्वारा बनाए गए उपनियमों के संदर्भ में मतदाता और प्रतियोगी होने के लिए एक आवश्यक शर्त है। सुनवाई के दौरान स्टेट इलेक्शन अथॉरिटी के अधिवक्ता मुकेश कुमार ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि नि:संदेह उपरोक्त 2 पैक्स को हाजीपुर की नगरपालिका सीमा के भीतर शामिल किया गया है।लेकिन फिर भी आज तक पैक्स के उपनियमों को दिनांक 24.11.2009 के पत्र संख्या 7477 के मद्देनजर संशोधित नहीं किया गया है।

रजिस्ट्रार, को-ऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा, इस तरह, उपरोक्त 2 पैक्स अभी भी पैक्स की पहचान को बनाए रखते हैं । इस पर कोर्ट ने मामले को निष्पादित करते हुए इसे बिहार सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष भेजने का निर्देश दिया।

बिहार में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों द्वारा स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दिए जाने के मामले पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई हुई

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों द्वारा स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दिए जाने के मामले पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार लीगल सर्विसेज़ अथॉरिटी (बालसा) से रिपोर्ट तलब किया।

कोर्ट ने बालसा को ये बताने को कहा कि कितने बच्चों ने स्कूलों की पढ़ाई छोड़ दी है और कितने बच्चों ने दोबारा इन स्कूलों में जाना शुरू किया है ? बिहार आदिवासी अधिकार फोरम की लोकहित याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए चिंता जताई कि इन बच्चों की पढ़ाई के लिए राज्य सरकार द्वारा क्या कार्रवाई की गई है।इसके साथ साथ खंडपीठ ने बालसा के एक सदस्य को लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड में स्थित स्कूल एवं कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के विकास से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि हाईकोर्ट इस मामले में लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है ।

इस मामले में पहले भी हाईकोर्ट ने वकीलों की एक टीम गठित कर निरीक्षण करने का निर्देश दिया था । इस टीम में अधिवक्ता सूर्या नीलांबरी, अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय , अधिवक्ता आयुष अभिषेक एवं अन्य अधिवक्ता शामिल थे ।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि बिहार में अनुसूचित जनजाति के बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है।पहले यहाँ पर कक्षा एक से लेकर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।

लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में आया तबसे इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।

साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।

इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। हाईकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति के छात्रों द्वारा इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बीच में छोड़ने को गंभीर स्थिति का दर्जा दिया ।

इस मामले की अगली सुनवाई 11अप्रैल,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने उचित सुनवाई का मौका दिये बगैर ही एक कम्पनी को पूरे बिहार में सरकारी कार्य ठेके से वंचित किये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया

पटना हाइकोर्ट ने उचित सुनवाई का मौका दिये बगैर ही एक कम्पनी को पूरे बिहार में सरकारी कार्य ठेके से वंचित किये जाने के आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने ग्रामीण कार्य विभाग के एक मुख्य अभियंता पर 10 हज़ार रुपये का हर्जाना लगाया है।जस्टिस पी बी बजनथ्री की खंडपीठ ने परमार कंस्ट्रक्शन की रिट याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया कि वे राज्य सरकार के सभी विभागों को दिशानिर्देश जारी करें, ताकि कोई भी प्रशासनिक तौर पर कोई दंडात्माक आदेश देने से पहले सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया जाए।साथ ही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करने हेतु हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से पारित हुए आदेशों का अनुपालन करे।

Patnahighcourt

कोर्ट ने कहा कि अधिकारीगण पूर्व के न्याय आदेशों को बगैर ध्यान में रखे ही अवैध तरीके से प्रशासनिक आदेश जारी कर देते हैं।

पटना हाइकोर्ट ने नालंदा स्थित शिवपुरी जलाशय के निर्माण हेतु सरकारी ठेके मे सबसे कम लागत लगाने वाली कम्पनी को अवैध तरीके से अयोग्य करार देने के मामले पर लघु सिंचाई विभाग के वरीय अधिकारी व अभियंता पर 2 लाख रुपये का हर्जाना लगाया

पटना हाइकोर्ट ने नालंदा स्थित शिवपुरी जलाशय के निर्माण हेतु सरकारी ठेके मे सबसे कम लागत लगाने वाली कम्पनी को अवैध तरीके से अयोग्य करार देने के मामले पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने लघु सिंचाई विभाग के वरीय अधिकारी व अभियंता पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।

जस्टिस पी बी बजंत्री की खंडपीठ ने राजीव कुमार की रिट याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने हरजाने की राशि पटना हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में दो सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता के वकील प्रभात रंजन द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि बिना किसी आरोप के उनके मुवक्किल की कंपनी को नालंदा स्थित शिवपुरी जलाशय के निर्माण कार्य हेतु लगाई गई नीलामी में सबसे कम लागत की लगाने के बावजूद अयोग्य करार दे दिया गया।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

लघु सिंचाई विभाग के तकनीकी मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष व अभियंता प्रमुख ने याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित कर दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभात ने आरोप लगाया कि पूरे विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने निजी स्वार्थ के लिए अधिक लागत की बोली लगाने वाली कंपनी को काम करने का ठेका दे दिया।जबकि याचिकाकर्ता ने काम के लागत राशि से 15 फ़ीसदी कम की बोली लगाई थी।

वही कमेटी के अधिकारियों ने उतनी ही लागत से 13 फ़ीसदी कम की बोली लगाने वाले को काम का ठेका दिया ।
इससे सरकारी राजकोष को इस पूरे काम के लागत यानि 460 करोड़ रुपए के 2 फी सदी का नुकसान झेलना पड़ा ।

कोर्ट ने सरकारी अधिकारी व अभियंताओं से इस मामलें में जवाब माँगा, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

Patna High Court News: पिछले दो दशकों से राज्य के विभिन्न निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामलें पर सुनवाई अधूरी रही

पटना हाइकोर्ट में पिछले दो दशकों से राज्य के विभिन्न निचली अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मुकदमों के मामलें पर सुनवाई अधूरी रही। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ कौशिक रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

पिछली सुनवाई में Patna High Court ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार(बालसा)के सचिव को नेशनल जुडिशल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के उपलब्ध आंकड़े को मूल रिकॉर्ड से जांच करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता कौशिक रंजन की अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि बड़ी तादाद में आपराधिक मामलें लंबित पड़े है।उन्होंने बताया कि लगभग 67 हज़ार मामलें ऐसे है,जिनमें पार्टियां कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।

Patna High Court ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार व विभिन्न ज़िला विधिक सेवा प्राधिकार को ऐसे मामलों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि वकीलों सहायता के अभाव में लगभग सात लाख आपराधिक मामलें लंबित है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

Patna High Court ने इस सम्बन्ध में बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आंकड़े की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने कहा कि इन मामलों में वकीलों की सहायता दिए जाने को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए था।

अधिवक्ता शमा सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारे मामलें काफी पुराने है,जिनमें अधिकांश सन्दर्भहीन हो चुके है।तीस चालीस साल पुराने मामलों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। याचिकाकर्ता के वकील शमा सिन्हा ने Patna High Court को बताया था कि ये आंकड़े नेशनल जुडिशल ग्रिड और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले है।इन्ही आंकड़ों को कोर्ट के सामने पेश किया गया।

Patna High Court को यह भी बताया गया इतने पुराने लंबित मामले में आरोपी और परिवादी दोनों की जीवित रहने पर संदेह है, ऐसी स्थिति में या नहीं तो बेकार और कानूनी तौर पर औचित्य पड़े अपराधिक मामले को खत्म करने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए ।

इस मामलें पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

Patna High Court News: दानापुर-बिहटा एलिवेटेड रोड के निर्माण से संबंधित लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार, NHAI एवं रेलवे को हलफ़नामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया

पटना हाई कोर्ट ने दानापुर – बिहटा एलिवेटेड रोड के निर्माण से संबंधित लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एनएचएआई एवं रेलवे को हलफ़नामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया है। एसीजे जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।

ये जनहित याचिका विपिन कुमार ने दायर किया है। याचिकाकर्ता ने इस जनहित याचिका के माध्यम से दानपुर – बिहटा एलिवेटेड रोड के निर्माण में प्रगति लाने के लिए ये जनहित याचिका को दायर किया है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट ने इस याचिका में पूर्व मध्य रेलवे को भी प्रतिवादी बनाने का भी निर्देश दिया है।

इस मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल,2023 को होगी ।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया गया कि तेरह स्थानों के लिए वकीलों के लिए भवन निर्माण और बुनियादी सुविधाओं के लिए टेंडर जारी कर दिया गया। बाकी अन्य जिलों में भी कार्रवाई चल रहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भूमि उपलब्धता से सम्बंधित मामलें पर राज्य के विकास आयुक्त को अधिकारियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को ये भी बताने को कहा था कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित कर भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली है।

Patnahighcourt

वरीय अधिवक्ता श्री रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य प्रारम्भ नही तो पाया हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

बिहार में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर असंतोष जाहिर किया

राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया।ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों द्वारा लिखें गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते है।वे बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटते है।जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है,बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलबाड़ है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि फार्मेसी एक्ट,1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए।लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।इस आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि फार्मेसी एक्ट,1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए।ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें,क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है।राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है।इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाबतलब किया

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने कोशी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाबतलब किया है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई।बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था।

इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध है।2017 में सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी।

कोर्ट को ये बताया कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है।गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुडी जाना पड़ता है।इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है,बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सहरसा में एम्स अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है,जबकि दरभंगा में एम्स अस्पताल के भूमि की कमी है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था,लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दिया।यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा,पूर्णियां,कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते है।इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए।

कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कंचन कुमार सिंह ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया। इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

हाईकोर्ट से रोक के बाद भी निजी भूमि पर सड़क का निर्माण किए जाने पर पटना हाइकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की

पटना हाइकोर्ट ने निजी भूमि पर सड़क बनाने पर हाईकोर्ट से रोक के बाद ईट की सोलिंग कर सड़क का निर्माण किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने नाग नारायण सिंह की याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने उपस्थित छपरा के जिलाधिकारी को हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि वे स्वयं विवादित जमीन पर जाकर लगाए गए ईट की सोलिंग को अपने सामने हटवा दें। अगली सुनवाई में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस सम्बन्ध में 20मार्च,2023 को इस बात की जानकारी शपथ पत्र पर जानकारी दी जाए।

सुनवाई के दौरान छपरा के जिलाधिकारी के साथ ही छपरा सदर के अंचलाधिकारी, और सड़क निर्माण कराने वाले इंजीनियर कोर्ट में उपस्थित थे।याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता के निजी जमीन पर सरकार द्वारा कराए जा रहे सड़क निर्माण पर हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया था।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

हाई कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने की जानकारी याचिकाकर्ता ने छपरा के जिलाधिकारी के साथ ही छपरा सदर के अंचलाधिकारी और निर्माण करने वाले इंजीनियर को दे दिया था।

कोर्ट को डॉ आलोक कुमार सिन्हा ने बताया गया कि हाई कोर्ट द्वारा सड़क निर्माण पर लगाए गए रोक के बाद भी, याचिकाकर्ता की जमीन पर सरकार द्वारा ईट का सोलिंग लगाकर सड़क का निर्माण कर दिया गया है।यह अदालती आदेश की अवमानना है।इसी मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने छपरा के जिलाधिकारी के साथ ही अन्य संबंधित अधिकारियों को हाई कोर्ट में तलब किया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20मार्च, 2023 को की जाएगी।