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रेलवे को हाईकोर्ट की फटकार कहा रेलवे कोई चैरेटिवल संस्था नहीं है।

पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन को सभी ओर से जोड़ने के लिए बनाये जाने वाली सड़कों के निर्माण मामले पर सुनवाई की। इस दौरान रेलवे की ओर से सड़क निर्माण में आने वाले खर्च का हिस्सा देने में आनाकानी किये जाने पर कोर्ट ने रेलवे को कहा कि जब सुविधा नहीं दे सकते तो स्टेशन बंद कर दे।कोर्ट ने कहा कि रेलवे कोई चैरिटी नहीं कर रहा है। बिहार विकास की राह पर है।

कोर्ट के कड़ा रुख को देखते हुए रेलवे के वकील ने कोर्ट से एक समय की मांग की। ताकि कोर्ट के रुख से रेलवे के अधिकारियों को अवगत कराया जा सके। उनका कहना था कि सड़क निर्माण पर करीब एक सौ करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के पूर्व के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार आधा पैसा देने को तैयार है। कोर्ट ने कहा कि रेलवे को पूरा पैसा देना चाहिए। जब रेलवे ने स्टेशन बनाया है तो वहां पहुंचने के लिए रास्ता बनाने का काम उसे ही करना चाहिए।

मुंगेर गोली कांड मामले की जांच एडीजी लां एंड आँर्डर विनय कुमार ही करेंगे।

पटना हाईकोर्ट ने मुंगेर में दुर्गा विसर्जन दौरान हुए गोलीकांड की सीआईडी जांच की मॉनिटरिंग कर रहे एडीजी के हुए स्थानांतरण को सशर्त मंजूरी दी है। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने अमरनाथ पोद्दार की आपराधिक रिट याचिका में राज्य सरकार की तरफ से दायर अर्ज़ी को मंज़ूर करते हुए यह आदेश दिया ।

कोर्ट ने यह अनुमति राज्य सरकार के इस आश्वासन पर दिया है कि एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर रहते हुए भी , एडीजी विनय कुमार इस स्थिति में रहेंगे कि वह इस गोलीकांड के जांच की निगरानी को देखते रहें । इस बारे में वे सीआईडी के नए एडीजी से आवश्यक सलाह मशविरा कर सकते हैं ।

गौरतलब है कि 7 अप्रैल 2021 को राज्य सरकार की तरफ से एड्वोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि बगैर हाई कोर्ट की अनुमति के विनय कुमार का बतौर एडीजी , सीआईडी के पद से कहीं भी स्थानांतरित नही किया जाएगा। चूंकि एडीजी विधि व्यवस्था केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए हैं और उस महत्वपूर्ण पद पर विनय कुमार का स्थानांतरण प्रशासनिक तौर पर आवश्यक था, इसलिए राज्य सरकार की तरफ से याचिका दायर की गई थी ।

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आश्वासन पर बाद इस स्थानांतरण की मंजूरी दी हैं।

गंगा नदी के कारण विस्थापित महादलित परिवारों के पुनर्वास को लेकर हाईकोर्ट ने दिया आदेश

पटना हाईकोर्ट ने पटना के पानापुर दियारा की ज़मीन गंगा के बढ़े जलस्तर कारण बेघर हुए महादलित परिवारों का जल्द पुनर्वास कराने का राज्य सरकार को प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया । रंजीत राम की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते से हुए आपदा प्रबंधन के विशेष सचिव व पटना के जिलाधिकारी को संयुक्त बैठक करने का निर्देश दिया।

गंगा नदी के बाढ़ से विस्थापित हुए 159 महादलित परिवारों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर उन्हें प्रति परिवार चार डिसमल भूमि पुनर्वास हेतु मुहैय्या कराने का निर्देश दिया है ।

याचिकाकर्ता के वकील डॉ रंजीत कुमार ने कोर्ट को बताया कि प्राकृतिक आपदा से विस्थापित या बेघर हुए महादलितों के पुनर्वास हेतु राज्य सरकार खुद की बनाई नीति पर अमल नही कर रही है । राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वास्त किया गया कि इस मामले पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।

पटना के मछुआटोली कूड़ा डपिंग यार्ड को हटाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर।

पटना हाई कोर्ट ने पटना के मछुआटोली स्थित घनी आबादी वाले क्षेत्र में कूड़ा (गारबेज ट्रांसफर सेंटर व गारबेज प्रोसेसिंग) नष्ट के कार्यों को अन्य स्थान पर शिफ्ट करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा पटना नगर निगम से जवाबतलब किया। हलफनामा दाखिल करने को कहा है। यह जनहित याचिका मोहन प्रसाद व अन्य द्वारा दायर की गई।

इस जनहित याचिका में स्थानीय लोगों के असुविधाओं व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मद्देनजर क्षेत्र में इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। ये जनहित याचिका दायर करने वाले मछुआटोली क्षेत्र के निवासी है।
इस याचिका में कहा गया है कि उक्त जमीन पर मिडिल स्कूल चल रहा था। शेष बचे जगह पर स्थानीय लोग उस खुले जगह का इस्तेमाल घूमने टहलने के लिए करते थे।

वहाँ बांकीपुर अंचल मयूनिसिपल ऑफिस भी था, जिसे बाद में कही और स्थानांतरित कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने इस स्थान को चिल्ड्रेन पार्क के तौर पर विकसित करने का आग्रह संबंधित अधिकारियों से किया।

अंततः अधिकारियों ने उक्त जमीन पर मॉल बनाने का निर्णय लिया। निर्माण भी शुरू हुआ, लेकिन पूरा नहीं किया जा सका। जिसके परिणामस्वरूप आसामाजिक तत्वों का उक्त स्थान पर प्रवेश हुआ।

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों से मॉल का निर्माण करने का अनुरोध किया, ताकि क्षेत्र साफ सुथरा रह सके। लेकिन, कुछ भी नही हो सका और अभी उस स्थान पर कूड़ा केंद्र और व्यवसाय के लिए खाद उत्पादन यूनिट की स्थापना कर दी गई है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजित कुमार ने बताया कि इस प्रकार का कार्य मयूनिसिपल लॉ, पर्यावरण लॉ व जनसंख्या से जुड़े कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। इतना ही नहीं भारत के संविधान में वर्णित शालीनता के साथ रहने के अधिकार का भी उल्लंघन है। इस मामले पर आगे सुनवाई की जाएगी।

हर्ष फायरिंग पर लग सकती है रोक, हाईकोर्ट ने सरकार से माँगी रिपोर्ट ।

पटना हाई कोर्ट ने शादी।समारोहों में लाइसेंसी/बिना लाइसेंसी बंदूको से अंधाधुध फायरिंग कर मानव जीवन को खतरे में डालने पर दायर एक लोकहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राजीव रंजन सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 3 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है |

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि हर साल कई सारे लोग शादी समारोहों में लाइसेंसी/बिना लाइसेंसी बंदूको से हुए अंधाधुध फायरिंग का शिकार हो कर जान से हाथ धोते हैं |

याचिकाकर्ता ने वैशाली जिला स्थित चंडी धनुष के ऐसे ही वारदात का हवाला देते हुए विवाह कार्यक्रमों में हवाई फायरिंग पर रोक लगाये जाने पर याचिका दायर की थी |

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के अन्दर जवाब देने के लिए कहा है | मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी |

पटना शहर स्थित पूराने तलाब को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश ।

पटना के बुद्धा कॉलोनी क्षेत्र के दुज़रा में सरकारी जमीन पर स्थित तालाब के रूप में चिन्हित स्थान को विकसित करने के लिए पटना हाईकोर्ट ने दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

इस जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए पटना के जिलाधिकारी और पटना नगर निगम को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।। यह जनहित याचिका सुभाष कुमार ने इस जनहित याचिका को दायर किया।

कोर्ट ने पटना के डी एम को तीन सदस्यीय एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। यह कमेटी स्थिति की जांच कर एक रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमित कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि लगभग 5 एकड़ 17 कट्ठा में सरकारी भूमि पर पर स्थित तालाब का गैर कानूनी अतिक्रमण किया गया है।

भूमि का अधिग्रहण राजेन्द्र स्मारक के नाम पर तालाब के निर्माण के लिए किया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा इस पर अतिक्रमण कर लिया गया है।

अधिवक्ता सुमित कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने अपने जनहित याचिका के जरिये चहारदीवारी बनाने का भी अनुरोध किया है, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा तालाब क्षेत्र में लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता ने 6 सितंबर, 2021 को पटना के जिलाधिकारी को स्पीड पोस्ट के माध्यम से इस मामले को लेकर पत्र भी लिखा गया है, जिसके जरिये तालाब से अतिक्रमण हटाने और चहारदीवारी का निर्माण करने की बात कही गई है।

याचिकाकर्ता ने तालाब के स्थल का पर जाकर कुछ फोटो लेने का काम भी किया है, जिसे याचिका के साथ कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया गया।अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगायी फटकार

पटना हाईकोर्ट ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण बंद होने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा कि कब तक टेंडर निकालने की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी। डा आशीष कुमार सिन्हा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को ये बताने कहा कि वेडिंग जोन निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में जानना चाहा था कि राज्य के नगर विकास और आवास विभाग ने इस योजना को कैसे रोक दिया।कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि नगर निगम स्वायत्त संस्था हैं,जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि कदमकुआं वेंडिंग जोन के लिए फिर कब टेंडर जारी किया जाएगा और ये कब तक पूरा हो जाएगा।

पटना नगर निगम ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण रोके जाने के मामले में एक हलफनामा दायर किया।इस हलफनामा में यह बताया गया कि नगर निगम को दो करोड़ रुपए से अधिक का टेंडर जारी करने का अधिकार नहीं है।

साथ ही इस तरह के निर्माण के लिए बुडको से सहमति लेना आवश्यक है।कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इन सरकारी विभागों ने निगम के टेंडर को कैसे रद्द कर दिया,जबकि नगर निगम संवैधानिक दर्जा प्राप्त स्वायत संस्था हैं।

साथ ही नगर निगम को बुडको की सहमति क्यों लेने की जरूरत है।हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि जब नगर निगम स्वायत्त संस्था हैं और उसकी वित्तीय स्वतंत्रता हैं,इन सरकारी विभागों को टेंडर रद्द करने का क्या अधिकार हैं।

अधिवक्ता मयूरी ने याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि इन दोनों सरकारी विभागों न सिर्फ कदमकुआं वेंडिंग जोन परियोजना को रद्द किया,बल्कि आठ अन्य परियोजनाओं को भी रद्द किया है।
इस मामले अगली सुनवाई फिर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अपना अधिवक्ता बदला

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अब पटना हाई कोर्ट का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता गौरव अग्रवाल रखेंगे। यह नियुक्ति पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेश के बाद की गई है। इनकी नियुक्ति मेसर्स पारेख एंड कंपनी के स्थान पर की गई है।

श्री अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पटना हाई कोर्ट से जुड़े सभी मुकदमों का पक्ष रखेंगे। यह सूचना पटना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दी गई है।

श्री अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड भी हैं।

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से कानूनी शिक्षा प्राप्त करने के बाद गौरव अग्रवाल ने 1999 से सुप्रीम कोर्ट में वकालत करना शुरू किया । वे भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मिलन बैनर्जी के भी सहयोगी वकील रहे हैं।

कोरोना के बाद पहली बार 27 सितंबर से शुरु होगा फिजिकल कोर्ट

पटना हाई कोर्ट में 27 सितंबर से पहले की तरह सामान्य फिजिकल अदालती कामकाज शुरू होगी। पटना हाई कोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के समन्वय समिति के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने ये जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि पटना हाई कोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के समन्वय समिति की पूरी टीम हाई कोर्ट के सुरक्षा समिति से मिला ,जिसमें जस्टिस ए अमानुल्लाह,जस्टिस आशुतोष कुमार, जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद व जस्टिस अरविंद श्रीवास्तव शामिल रहे।

सुरक्षा समिति के साथ बैठक के बाद चीफ जस्टिस संजय करोल ने घोषणा किया कि आगामी 27 सितंबर से फिजिकल कोर्ट शुरू होगा। पूरे मामले में चीफ जस्टिस का भी सकारात्मक रुख रहा।

यह भी तय हुआ है कि कोर्ट के पांच दिनों के कार्य दिवस में चार दिन फिजिकल और एक दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से वर्चुअल कोर्ट चलेगा।

कोर्ट में प्रवेश के लिये हाई कोर्ट परिसर का तीन मुख्य गेट को खोला जाएगा। वकील संघों को भी दस – दस वकिलों के नाम सुझाने को कहा गया है, जो प्रवेश द्वार पर वकीलों की पहचान करेंगे, ताकि सभी लोग नियंत्रित रहे।

यह भी तय हुआ है कि संक्रमण फैलने की स्थिति में चीफ जस्टिस उचित कार्रवाई करेंगे। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व हाई कोर्ट के एडवोकेट्स एसोसिएशन, लॉयर्स एसोसिएशन और बार एसोसिएशन के अध्यक्षों ने पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलकर हाई कोर्ट में फिजिकल कामकाज शुरू करने का अनुरोध किया था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने उक्त मामले में इन्हें हाई कोर्ट की सुरक्षा कमेटी से मिलने को कहा है।

अधिवक्ता संघों की समन्वय समिति में एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सह समन्वय समिति के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, अजय कुमार ठाकुर, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंह व् अन्य सदस्य शामिल थे।

हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज को सरकारी आवास खाली कराने को लेकर जनहित याचिका दायर

पटना हाई कोर्ट के जजों के सेवानिवृत होने के कई महीनों बाद भी अपने सरकारी आवास खाली नहीं करने के मामलें में पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।अधिवक्ता दिनेश कुमार सिंह ने ये जनहित याचिका दायर की हैं।

इस जनहित याचिका में यह बताया गया है कि सेवानिवृत जज जस्टिस दिनेश कुमार सिंह, जस्टिस अंजना मिश्रा,जस्टिस पी सी जायसवाल और जस्टिस ए के त्रिवेदी कई माह पहले सेवा निवृत हो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अब तक सरकारी आवास खाली नहीं किया है।

याचिकाकर्ता दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि जस्टिस दिनेश कुमार सिंह अक्टूबर, 2020,जस्टिस पी सी जायसवाल दिसम्बर, 2019 और जस्टिस ए के त्रिवेदी अगस्त,2020ं में अपने पद से सेवानिवृत हो चुके हैं, लेकिन वे अभी सरकारी आवास में बने हुए हैं।

उन्होंने अपनी याचिका में बताया है कि जजों के सेवानिवृत होने के एक महीने के भीतर उन्हें सरकारी आवास खाली करने का प्रावधान है।अगर वे एक महीने के बाद भी सरकारी आवास में रहते हैं,तो उन्हें आवास में रहने के लिए प्रावधान के अनुसार किराया देना होगा।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अगर कोई राजनीतिज्ञ या नौकरशाह अपना सरकारी आवास खाली नहीं करते है, तो कोर्ट उन्हें सरकारी आवास खाली करने का आदेश देता है, लेकिन उनके द्वारा सेवानिवृत होने के बाद सरकारी आवास खाली नहीं किया जाना दुखद है।

उन्होंने कोर्ट से इस सम्बन्ध में उचित आदेश पारित करने का अनुरोध किया है, ताकि सेवानिवृत जज अपने सरकारी आवास को खाली कर दे।

हजारों वकील के बैंक खाते का डाटा हुआ लीक मचा अफरातफरी।

पटना हाईकोर्ट कैंपस स्थित एस बी आई ब्रांच से कथित तौर पर वकीलों के बैंक खातों की डिटेल्स लीक होने की आशंका के वकीलों मैं अफरातफरी मच गई। आज पटना हाई कोर्ट के कई वकीलों ने सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये शिकायत की गई कि उन्हें अनजान नंबर से कॉल आया।

वकीलों ने बताया कि पटना हाई कोर्ट कैम्पस स्थित सबीआई शाखा में ऑनलाइन केवाईसी कराने को कहा गया । इस फोन पर उन्हें यह भी चेतावनी दी गयी कि अगर वकील लोग फोन के जरिये केवाईसी की जानकारी (रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर , आधार नम्बर व पैन नम्बर ) नही देंगे, तो तत्काल प्रभाव से उनका एकाउंट को ब्लॉक हो जाएगा ।

वकीलों ने इसे साइबर क्राइम का दर्जा देते हुए प्रशासन से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने की गुहार लगाई है | हाई कोर्ट के एक अधिवक्ता पतंजलि ऋषि ने इस मामलें साइबर थाने में एक शिकायत भी दर्ज किया है ।

कई अधिवक्ताओं ने संदेह जाहिर किया है कि यह काम बैंक कर्मियों की मिलीभगत से हो रहा है | अधिकांश वकीलों को ऐसे कॉल पूर्वाह्न 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच मिले ।

उनमे से अधिकांश वकीलों का खाता हाई कोर्ट ब्रांच में तो कुछ वकीलों का खाता एसबीआई की अन्य शाखा में है ।