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राज्य सरकार के कार्यशैली पर एक बार फिर हाईकोर्ट ने जतायी नराजगी

पटना हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान पटना हाई कोर्ट द्वारा पूछे गए प्रश्न का राज्य सरकार के अधिवक्ता द्वारा कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिए जाने पर राज्य सरकार के किसी जिम्मेदार अधिकारी को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का आदेश ने दिया है। ये आदेश कमल किशोर प्रसाद की अपील पर जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच सुनवाई की।

कोर्ट ने पूर्व में पारित किये गए अदालती आदेश के संबंध में राज्य सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता से प्रश्न किया था। कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को वैसे अधिकारी को अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया,जो उप सचिव से नीचे का रैंक का न हो।

अपीलार्थी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में विगत 12 अक्टूबर, 2017 को पटना हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने राज्य के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के निदेशक को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने बी आर अम्बेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के 14 फिजिकल ट्रैनिंग इन्स्ट्रक्टर को वाइस चांसलर द्वारा 8000 रुपये से 13,500 रुपये वाला पे स्केल दिए जाने सम्बन्ध में जवाब देने का निर्देश दिया।

साथ ही वाइस चांसलर द्वारा की गई कार्रवाई का राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किये जाने व रिट याचिका में रिट कोर्ट द्वारा पारित किये गए आदेश के आलोक में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के सम्बन्ध में जवाब देने का निर्देश दिया था।

साथ ही राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में फिजिकल ट्रेनिंग इन्स्ट्रक्टर के लिए निर्धारित पे स्केल को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। इस मामले पर अगली सुनवाई 13 जनवरी, 2022 को होगी।

पुलिस कर्मियों प्रोन्नति मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने बीस सालों से लंबित एक पुलिस कर्मी के प्रोन्नति मामले में जवाबी हलफनामा दायर नहीं करने पर राज्य सरकार पर दस हज़ार रुपये का अर्थदंड लगाया। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने रमा कांत राम की याचिका पर यह आदेश दिया।

कोर्ट ने 18 नवंबर को डी जी पी सह विभागीय प्रोन्नति कमेटी के अध्यक्ष को हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दिया था।

इस हलफनामा में यह बताने कहा था कि 23 सितंबर, 1998 के प्रभाव से सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर के पद पर प्रोन्नत हुए याचिकाकर्ता 26 सितंबर, 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य थे कि नहीं।

साथ ही डी जी पी,बिहार को यह भी बतलाने को कहा गया था कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा किये गए दावे के अनुसार प्रोन्नति नहीं दी गई तो, इसकी वजह क्या थी।

याचिकाकर्ता ने 11 दिसंबर, 1998 को पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर अपनी याचिका में कहा था कि वह 26 सितंबर, 1995 के प्रभाव से प्रोन्नति के योग्य हैं।

इस तिथि से अनुसूचित जाति में आने वाले इसके जूनियरों की प्रोन्नति दी गई थी,जबकि याचिकाकर्ता को तीन वर्षों के विलंब के बाद प्रोन्नति दी गई थी।

याचिकाकर्ता बिहार के बंटवारे के बाद झारखंड कैडर का चुनाव किया था और इस तरह से याचिकाकर्ता झारखंड पुलिस का अधिकारी हो गया था।

राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने हलफनामा दाखिल करने के लिए कोर्ट से चार सप्ताह अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया था, इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए अर्थदंड लगाया।

इस मामले में अभी आगे भी सुनवाई की जाएगी।

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का विवाद पहुंचा हाईकोर्ट

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में सही तौर से काम- काज किये जाने को लेकर तदर्थ कमेटी बनाने हेतु एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है।यह याचिकाकर्ता अजय नारायण शर्मा ने याचिका दायर की है।

चयनकर्ताओं/ सपोर्ट स्टाफ व बी सी सी आई द्वारा संचालित घरेलू टूर्नामेंट में विभिन्न उम्र के राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाडियों को सही तौर से चयन करने को लेकर आदेश देने की माँग भी इस याचिका में किया गया।

याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन कमेटी में अवैध रूप से कुर्सी पर काबिज लोगों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है। यह भी आरोप लगाया गया है कि कुर्सी पर कथित रूप से अवैध तौर पर बैठे लोग प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ियों के दावों को हतोत्साहित कर रहे हैं।

खिलाड़ियों के मनमाने औऱ अनुचित तौर से चयन कर क्रिकेट को बेचने पर उतारू हैं।इसलिए राज्य में खिलाड़ियों की स्थिति और भी खराब होते जा रही है।

इस कारण से खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंट में भी कामयाब नहीं हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल फोर क्रिकेट इन इंडिया एंड अदर्स बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार व अन्य के मामले में सिविल अपील संख्या – 4235 में 9 अगस्त, 2018 को दिये गए फैसले के अनुसार जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा के आलोक में खिलाड़ियों का सही तौर से चयन करने हेतु क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के गठन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव के निर्वाचन की वैधता को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह विधायक तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस बीरेंद्र कुमार ने इस चुनाव याचिका पर सुनवाई की।

विधायक तेज प्रताप यादव के हसनपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र उनके निर्वाचन को विजय कुमार यादव ने चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दी है।

आज गवाह गरीब मालाकार की गवाही हुई। गरीब मालाकार का सभी संबंधित पक्षों द्वारा परीक्षण और जिरह किया गया।
तेजप्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने जिरह किया।

तेज प्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने आगे बताया कि याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि एक्ट, 1951 की धारा 100 का हवाला देते हुए तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देने के लिए चुनाव याचिका दायर किया है।

याचिकाकर्ता ने श्री यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देकर हारे हुए जद यू के उम्मीदवार राज कुमार राय को विजयी घोषित करने की माँग इस चुनाव याचिका में की हैं।

यह मामला वर्ष 2020 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव से सम्बंधित है। याचिका दायर करने का आधार श्री यादव द्वारा जानबूझकर अपनी संपत्ति के संबंध में नामांकन पत्र के साथ संपत्ति को लेकर हलफनामा में जानकारी छुपाना बताया गया है।
याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि क़ानून की धारा 123(2) के अनुसार इसे भ्रष्ट आचरण बताया है।

इस विधानसभा में चुनाव 3 नवंबर, 2020 को विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ था। 10 नवंबर, 2020 को चुनाव परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें तेज प्रताप यादव हसनपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र से विजयी हुए थे।

अब इस मामले पर अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

फ्टना में कचड़ा प्रबंधन को लेकर हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने पटना के संपतचक बैरिया में स्थापित किये जाने वाले कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट को हटाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार स्टेट पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सुरेश प्रसाद यादव व अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान पटना नगर निगम अधिवक्ता प्रसून सिन्हा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में किसी प्रकार की अनियमितता या विधि विरुद्ध कार्य नहीं किया गया है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता का कहना था कि इस प्रोजेक्ट के लिए कोई न तो आवेदन दिया गया है और न ही अनुमति ली गई है। कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड के अधिवक्ता से मौखिक रूप से कहा कि आपको कार्रवाई करने से कौन रोक रहा ? कार्रवाई कीजिये।

पूर्व की सुनवाई में ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीप्रकाश श्रीवास्तव ने खंडपीठ को बताया था कि उक्त प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण से सहमति भी नहीं लिया गया है। इस वजह से एक ओर वायु प्रदूषण फैल रहा है तो दूसरी ओर कृषि योग्य भूमि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

याचिका में कहा गया है कि आखिर किस कानूनी अधिकार के तहत पंचायत क्षेत्र में पड़ने वाले इस जगह का चयन कचड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट के लिए किया गया है ? याचिका में यह भी प्रश्न खड़ा किया गया है कि क्या कृषि भूमि पर स्थापित किये जाने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए बैरिया कर्णपुरा पंचायत राज से किसी भी प्रकार की अनुमति ली गई है ?

नगर विकास व आवास विभाग के कमिश्नर, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व पटना नगर निगम से स्पष्टीकरण पूछने सह शो – कॉज करने का आग्रह भी इस याचिका के जरिये किया गया है।

प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण किये जाने के पूर्व पंचायत राज बैरिया के ग्राम सभा द्वारा एक बैठक भी 29 दिसंबर, 2006 को बुलाई गई थी, जिसमें इस प्रोजेक्ट को लेकर विरोध किया गया था।

इस मामले पर आगे की सुनवाई अब अगले वर्ष जनवरी माह में की जाएगी।

हाईकोर्ट ने दरोगा बहाली पर लगाया रोक़

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में 2446 दारोगा की बहाली पर रोक लगा दी है, यदि उनकी बहाली नहीं हुई हैं।जस्टिस पी बी बजन्थरी ने सुधीर कुमार गुप्ता व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व बिहार राज्य सब ordinate पुलिस सर्विस कमीशन से जवाबतलब किया है।कोर्ट को बताया गया कि 268 ऐसे उम्मीदवार हैं,जो प्रारंभिक,मुख्य व शारीरिक परीक्षा में सफल घोषित हुए,लेकिन बाद में उन्हें सफल उम्मीदवार की सूची से बाहर कर दिया गया।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 1 अगस्त,2021 प्रकाशित मेरिट लिस्ट में इन 268।उम्मीद्वारों का नाम था।उस समय कट ऑफ मार्क्स 75.8 रहा।उसके बाद जो सूची जारी हुई,उसमें कट ऑफ मार्क्स 75 था,लेकिन इन 268 उम्मीदवार के नाम सफल अभ्यर्थियों की सूची में नहीं थे।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जब इन उम्मीद्वारों को 75.8 के कट ऑफ मार्क्स पर सफल उम्मीद्वारों की सूची में शामिल थे,लेकिन जब कट ऑफ मार्क्स 75 हो गया,तो इन्हें सफल अभ्यर्थियों की सूची में नहीं शामिल किया गया।
इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

हाईकोर्ट ने बेगूसराय एसपी पर लगाया अर्थदंङ

पटना हाई कोर्ट ने बेगूसराय के एस पी पर 25 हज़ार रुपये का अर्थदंड लगाया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने याचिकाकर्ता मोहम्मद एहतेशाम खान की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश को पारित किया।

दरअसल, सिपाही बहाली करने वाली केंद्रीय चयन परिषद को गुप्त सूचना मिली थी कि याचिकाकर्ता ने दूसरे व्यक्ति को परीक्षा में बिठाकर सिपाही की परीक्षा पास की है। इसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोप गठित हुआ।

कार्यवाही चली, लेकिन कार्यवाह की इन्क्वायरी रिपोर्ट की प्रति याचिकाकर्ता को नहीं दी गई थी। 18 अक्टूबर, 2021 को उक्त मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक को इन्क्वायरी रिपोर्ट और सेकंड शो – कॉज की प्रति विभागीय कार्यवाही में याचिकाकर्ता को मुहैया कराइ गई थी कि नही ,ये शपथ पर बताने को कहा था।

इसके बावजूद ये शपथ पर नही आ सकी। इसी को लेकर कोर्ट ने 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

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वकील और उनकी नौकरानी की हत्या मामले में हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने बिहार स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष व अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय और उनकी नौकरानी की हत्या मामलें में अभियुक्त गोपाल भारती की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए केस डायरी तलब किया। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने मुख्य अभियुक्त गोपाल भारती द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई की।

अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय के भतीजे अभिजीत कुमार द्वारा 6 मार्च, 2020 को स्थानीय पुलिस को दी गई लिखित सूचना के आधार पर आई पी सी की धारा 302, 380, 120(बी) व 34 के तहत भागलपुर जिले मेंं कोतवाली (तिलकामांझी) प्राथमिकी संख्या 72/ 2020 दर्ज की गई थी।

इस तिथि को अधिवक्ता पाण्डेय के ड्राइवर द्वारा कांड के सूचक को फोन पर सूचना दी गई थी कि वे तुरंत घर आ जाइये। वकील साहब की हत्या हो गई है।हत्या के बाद कामेश्वर पांडेय के घर के मुख्य द्वार के पास कुछ खून के धब्बे पाए गए थे और वे अपने बेडरूम में अस्त व्यस्त हालात में अचेत पड़े हुए थे।

उनके चेहरे पर खून लगा हुआ तकिया रखा हुआ पाया गया था। कमरे में रखा हुआ आलमारी टूटा हुआ था और उसमें रखा हुआ सामान गायब था।

मुख्य द्वार के निकट पोर्टिको में जेनेरेटर के बगल में रखा हुआ ड्राम में नौकरानी का शव पाया गया था। घर से सारे नकदी, कागजात, एक स्मार्ट फोन और कामेश्वर पांडेय के कार को लेकर आरोपी अपने साथियों के साथ भाग गया था।

कोर्ट को बताया गया कि दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मृत कामेश्वर पांडेय का किराएदार गोपाल भारती से आये दिन मकान खाली करने को लेकर विवाद होता रहता था।नौकरानी से भी वह उलझा करता था और धमकी भी देता था कि तुमलोगों को देख लेंगे।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था। इस बात की जानकारी मोहल्ले वालों परिवार वाले और कचहरी के कुछ लोगों की भी थी की गोपाल भारती का विचार और व्यवहार अच्छा नहीं था।

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सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर नियुक्ति मामले में अभ्यर्थी पहुंचा हाईकोर्ट विभाग पर बहाली में लगाया धांधली का आरोप

पटना हाई कोर्ट ने सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एस टी एस) के पद पर नियुक्ति सुनवाई करते हुए स्टेट हेल्थ सोसाइटी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने सोनु कुमार व अन्य द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए फिलहाल इन पदों पर नियुक्ति पर रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ता ने इस पद पर नियुक्ति हेतु सेनेटरी इंस्पेक्टर कोर्स को भी शामिल करने हेतु आदेश देने का आग्रह किया गया है। इसको लेकर राज्य के स्टेट हेल्थ सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक के हस्ताक्षर से विज्ञापन जारी किया गया था।

इस मामले में नेशनल tubercolosis संशोधित प्रोग्राम, स्टेट हेल्थ सोसाइटी व केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस और पूर्व में नियुक्ति के लिए मान्यता प्राप्त सेनेटरी इंस्पेक्टर कोर्स की योग्यता रखने वाले भी एस टी एस के पद पर नियुक्ति के योग्य होंगे।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने बताया कि मान्यता प्राप्त सेनेटरी इंस्पेक्टर कोर्स की योग्यता रखने उम्मीदवारों समेत याचिकाकर्ता को सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर के पद पर नियुक्ति हेतु ऑनलाइन आवेदन करने के लिए अनुमति देने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया।

इन सभी याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के बिहार पैरा मेडिकल / पैरा डेंटल एग्जामिनेशन कमेटी द्वारा संचालित की गई सेनेटरी इंस्पेक्टर कोर्स को पास किया है।
इस मामलें पर आगे भी सुनवाई होगी।

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मधुबनी जज मारपीट मामले में हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

पटना हाईकोर्ट ने मधुबनी के एडीजे अविनाश कुमार पर हुए हमले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डीजीपी, गृह विभाग के प्रधान सचिव एवं मधुबनी के एसपी को नोटिस जारी किया है। जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लेते हुए अगली सुनवाई में राज्य के डी जी पी को कोर्ट में उपस्थित हो कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। इसके साथ- साथ कोर्ट ने डीजीपी को अपनी रिपोर्ट के साथ 29 नवंबर को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट मधुबनी के जिला जज से प्राप्त पत्रांक सं. 1993 पर स्वतः संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिया।

इस पत्र के अनुसार झंझारपुर के डिस्ट्रिक्ट जज ने हाईकोर्ट को घटना की जानकारी देते हुए यह जानकारी दी है कि घोघरडीहा के थानाध्यक्ष गोपाल कृष्णा एवं सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने 18 नवंबर,2021 को दोपहर 2 बजे झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार-1 के चैम्बर में घुस गए।

उन पर पिस्तौल तान दी और मारपीट के साथ बदसुलूकी की।ए डी जे अविनाश कुमार के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार पर झंझारपुर के वकीलों ने गहरा रोष जताया और कहा कि पहले अपराधियों से सुरक्षा की जरूरत होती थी।लेकिन अब पुलिस वालों से न्यायिक पदाधिकारी व वकीलों को सुरक्षा की आवश्यकता हो गई है।

पटना हाईकोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता और गम्भीरता को देखते हुए बिहार के डीजीपी को स्वयं कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

हाईकोर्ट ने पूर्वी चम्पारण के केसरिया ज़िला परिषद के चुनाव में उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि के समक्ष मतगणना नहीं होने के मामले पर की सुनवाई

पटना हाईकोर्ट ने पूर्व चम्पारण के केसरिया ज़िला परिषद के चुनाव में उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि के समक्ष मतगणना नहीं होने के मामले पर सुनवाई की।हेमंत कुमार की जनहित याचिका पर जस्टिस राजन गुप्ता की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को मतगणना के समय वीडिओ और सीसीटीवी फुटेज की जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा।
इस जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया कि चुनाव के बाद हुए मतगणना के दौरान न तो उम्मीदवार उपस्थित थे और न ही उनके प्रतिनिधि।मतगणना उनके अनुपस्थिति में हुआ और बाद में एक चार्ट में मतगणना का परिणाम दे दिया गया।

राज्य निर्वाचन आयोग के वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया गया कि चुनाव के बाद मतगणना नियमानुकूल हुई।इसमें किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई।साथ ही सारी मतगणना प्रक्रिया का वीडिओ और सीसीटीवी फुटेज मौजूद है।

इस पर कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि मतगणना से सम्बंधित वीडिओ और सीसी टीवी फुटेज की जांच व् परीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई करें।इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया।

अपराधिक घटनाओं से जुड़े मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर हाईकोर्ट सख्त

पटना हाईकोर्ट में राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों से जारी की जाने वाली मेडिकल,इंजुरी व पोस्टमार्टम रिपोर्ट को computerised (डिजिटल) करने के जनहित याचिका दायर किया गया है।ये जनहित याचिका अधिवक्ता ओम प्रकाश ने दायर किया है।

उन्होंने इस जनहित याचिका में यह आरोप लगाया कि अधिकतर सरकारी और निजी अस्पतालों से निर्गत मेडिकल,इंजुरी व पोस्टमॉर्टम हस्तलिखित होता हैं।इससे न सिर्फ पढ़ने में कठिनाई होती है, बल्कि सही अर्थ भी नहीं निकल पाता है।
रिपोर्ट की लिखावट स्पष्ट नहीं होने के कारण पढ़ने में बहुत मुश्किलें होती है।यहीं रिपोर्ट पुलिस थाना से होते हुए कोर्ट में आता है।यहाँ इस तरह के रिपोर्ट पढ़ने में मुश्किल होने के कारण न्यायिक प्रक्रिया मे बाधा उत्पन्न होता हैं।

इससे पूर्व 16 दिसंबर,2020 को याचिकाकर्ता ने इस सम्बन्ध में जनहित याचिका दायर किया था।हाईकोर्ट ने इस मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को इस सम्बन्ध में अभ्यावेदन दायर करने का आदेश दिया था।साथ ही सम्बंधित अधिकारी को यह निर्देश दिया था कि इस मामले में विचार कर दो माह में निर्णय लें।लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट के निर्देश के अनुसार इस सम्बन्ध में याचिककर्ता दुबारा हाईकोर्ट के समक्ष ये मामला विचार के लिए रखा।

पुलिस कस्टडी में गुड्डु राय के मृत्यु के मामले में इंस्पेक्टर कमलेश कुमार को हाईकोर्ट से मिली राहत

पटना हाईकोर्ट ने कथित रूप से पुलिस कस्टडी में गुड्डु राय नाम के एक क़ैदी के मृत्यु के मामले में इंस्पेक्टर कमलेश कुमार की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस अरविन्द श्रीवास्तव ने अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए केस डायरी तलब किया है। साथ ही साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता कमलेश कुमार की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ता के विरुद्ध हुई विभागीय जांच में यह पाया गया था कि मारने की वजह से गुड्डु राय की मृत्यु हुई थी। छपरा स्थित सदर अंचल के पुलिस निरीक्षक हीरालाल प्रसाद द्वारा 20 अगस्त, 2019 को सारण के दाउदपुर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी।

प्राथमिकी के अनुसार याचिकाकर्ता तत्कालीन थाना प्रभारी दाउदपुर पर कस्टडी में जाने के बाद जांच के क्रम में गुड्डु राय को गंभीर रूप से मारपीट करने का आरोप है। जिसकी वजह से इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। घटना स्थल दाउदपुर थाना परिसर स्थित थानाध्यक्ष का कक्ष बताया गया है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने आरोपी पुलिस अधिकारी का बचाव करते हुए कहा कि मृतक गुड्डु राय एक कुख्यात अपराधी था। उसके विरुद्ध बहुत सारे केस थे। पुलिस अधिकारी द्वारा कानून के दायरे में मृतक के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की गई थी।

जेल में ही कुछ कैदियों द्वारा मारपीट किये जाने की वजह से इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। आगे उन्होंने बताया कि गुड्डु राय को 21 जुलाई, 2017 को जुडिशियल रिमांड में जेल भेजा गया था।उसकी मृत्यु 26 जुलाई, 2017 को पटना के पी एम सी एच में इलाज के दौरान हुई थी।मृतक का पोस्टमार्टम भी पटना के पी एम सी एच में किया गया था।

जज की संख्या बढ़ने से हाई कोर्ट के कामकाज में आयी तेजी

पटना हाई कोर्ट में नए जजों के आने से अब लंबित पड़े आपराधिक मामलों की सुनवाई रफ्तार पकड़ने संभावना को बल मिला है । पिछले कुछ दिनों मे स्थानांतरण व नई नियुक्तियों के होने से पटना हाई कोर्ट जजों की संख्या 17 से बढ़ कर 26 हो गई हैं।
पूजा अवकाश के बाद कोर्ट खुलते ही पटना हाई कोर्ट में वकीलों में उत्साह दिखाई देने लगा। लेकिन वे इस बात को लेकर चिन्तित दिखें कि एक लाख से अधिक लम्बित पड़े सिविल मामलों की सुनवाई के लिए केवल 5 एकलपीठ ही गठित हुए हैं।

गौरतलब हैं कि दूसरे हाई कोर्ट से स्थानांतरित होकर आए तीन जज जहां डिवीजन बेंच में बैठे ,वहीं नवनियुक्त छह जजों ने एकलपीठ में बैठकर पुराने लम्बित ज़मानत अर्ज़ियाँ पर सुनवाई किया।

वही दूसरी ओर रिट समेत सिविल मामलों पर सुनवाई करने के लिए बहुत कम जज होने के कारण वकीलों ने निराशा जताई ।
हाई कोर्ट में आपराधिक मामलों पर सुनवाई हेतु जहां एक ओर 16 एकलपीठ गठित हुई है।

वहीं रिट याचिकाओं समेत अन्य सिविल मामलों पर सुनवाई के लिए सिर्फ 5 जज ही हैं। इसमें भी अभी सिर्फ चार ही कार्यरत हैं । जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय की बीमारी की वजह से उनकी एकलपीठ फिलहाल सुनवाई नही कर रही है।

भागलपुर स्मार्ट सिटी के टेंडर को लेकर हाईकार्ट सख्त सरकार से मॉगी रिपोर्ट

पटना हाई कोर्ट ने भागलपुर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इंटग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेन्टर के संबंध में टेंडर के कागजात को पेश करने समेत अन्य मुद्दों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस मोहित कुमार शाह ने इस मामले पर सुनवाई करते मेसर्स भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड, भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक/ सी ई ओ, टेंडर कमेटी और मेसर्स शपूरजी पलोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है।

हाईकोर्ट ने टेलिकम्युनिकेशनस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि उक्त मामले में निविदा प्रक्रिया का अंतिम निष्कर्ष इस रिट याचिका के फलाफल पर निर्भर करेगा।

याचिका में 25 मार्च, 2021 के टेंडर नंबर – बी एस सी एल/ आई सी सी सी एस / 2024/48 से संबंधित सभी कागजातों को पेश करने को लेकर आदेश देने के लिए कोर्ट से आग्रह किया गया है।साथ ही याचिका में टेंडर देने के संबंध में टेंडर कमेटी द्वारा लिये गए निर्णय को रद्द करने का भी आग्रह किया गया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूरी टेंडर प्रक्रिया को पक्षपात तरीके से मैनेज किया गया है और याचिकाकर्ता कंपनी को अयोग्य ठहराया गया है,जो संचार मंत्रालय के अधीन सेंट्रल गवर्नमेंट पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज है।

पटना हाईकोर्ट में सात जज लेगें शपथ

पटना हाई कोर्ट में सात जजों का शपथ ग्रहण 20 अक्टूबर,2021 को होगा । चीफ जस्टिस संजय करोल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से स्थानांतरित जज जस्टिस राजन गुप्ता,कर्नाटक हाईकोर्ट से स्थानांतरित जज जस्टिस पी वी बजनथ्री और केरल हाईकोर्ट से स्थानांतरित जज जस्टिस ए एम बदर को 11 बजे दिन में शपथ दिलाएंगे।इसके साथ ही चार नवनियुक्त हुए जजों, संदीप कुमार, पूर्णेन्दु सिंह,सत्यव्रत वर्मा एवं राजेश कुमार वर्मा को पटना हाई कोर्ट के जज के रूप में शपथ दिलाएंगे।
दशहरा छुट्टी खत्म होने के बाद 21अक्तुबर,2021 को पटना हाई कोर्ट के खुलते ही ये सभी जज भी अपना कार्य प्रारंभ कर देंगे।

पटना हाई कोर्ट में पूजा अवकाश के ठीक पहले न्यायिक सेवा कोटे से दो जज पटना हाई कोर्ट में शपथ ग्रहण किये थे ।
इन चार इस सभी जजों के आने से पटना हाईकोर्ट में जजों की कुल संख्या 26 हो जाएगी,जबकि यहां जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 53 हैं।इस तरह अभी भी 27 जजों के पद रिक्त पड़े रहेंगे।

संदीप कुमार जज बनने के पटना हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट थे एवम कुछ वर्षों तक बिहार सरकार के वकील के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।

पूर्णेंदु सिंह जज बनने से पहले वे पटना हाई कोर्ट में बिहार सरकार, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ,नेशनल इंश्योरेंस कंपनी व सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के वकील रहे।

सत्यव्रत वर्मा जज नियुक्त होने से पूर्व पटना हाई कोर्ट में झारखंड सरकार के रह चुके हैं ।

राजेश कुमार वर्मा जज बनने से पहले पटना हाई कोर्ट में बिहार एवं केंद्र सरकार दोनों के वकील रह चुके हैं।

कोरोना का असर राज्य के अदालतों में भी पड़ा है एक लाख से अधिक़ मामले हैं पेंडिंग।

कोरोना महामारी का असर राज्य के अदालतों के कामकाज स्पष्ट दिखने लगा है। पटना हाई प्रशासन ने पटना हाई कोर्ट में वर्ष 2018, 2019 और 2020 में दायर हुए व् निष्पादित हुए मुकदमों का केस क्लीयरेंस रेट (सी सी आर) अपने आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया है।

हाई कोर्ट प्रशासन द्वारा जारी सी सी आर के अनुसार वर्ष 2018 में कुल 130518 मुकदमें दर्ज हुए, जिसमें 117984 मुकदमें कोर्ट द्वारा सुनवाई के बाद निष्पादित किये गए। इस तरह से वर्ष 2018 का सी सी आर 90.39 फी सदी।

इसी प्रकार से वर्ष 2019 में पटना हाई कोर्ट में कुल 136401 मुकदमें दर्ज हुए, जिसमें हाई कोर्ट ने 117707 मुकदमों का निष्पादन किया। इस तरह से वर्ष 2019 का सी सी आर 86.29 रहा।

वर्ष 2020 में पटना हाई कोर्ट में 58674 मुकदमें ही दर्ज हुए, जिसमें हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 51637 मुकदमों को निष्पादित किया। इस प्रकार से वर्ष 2020 का सी सी आर 88.00 रहा।

गौरतलब है कि दर्ज मुकदमों की संख्या व निष्पादित किये गए मुकदमों के प्रतिशत को यहां सी सी आर कहा गया है। इसी प्रकार से राज्य के निचली अदालतों में वर्ष 2018, वर्ष 2019 व वर्ष 2020 का सी सी आर भी हाई कोर्ट प्रशासन द्वारा आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया गया है।

राज्य के निचली अदालतों में वर्ष 2018 में कुल 493973 मुकदमें दर्ज किये गए, जिसमें 361063 मुकदमों को निचली अदालतों द्वारा निष्पादित किया गया। इस प्रकार से वर्ष 2018 का सी सी आर 73.09 रहा।

वर्ष 2019 में राज्य के निचली अदालतों में कुल 598462 मुकदमें दर्ज हुए, जिसमें 405347 मुकदमों को निचली अदालतों द्वारा निष्पादित किया गया। इस तरह से वर्ष 2019 का सी सी आर 67.73 रहा।

वर्ष 2020 में राज्य के निचली अदालतों में 476877 मुकदमें ही दर्ज हुए, जिसमें 174478 मुकदमों को सुनवाई के पश्चात निष्पादित किया गया। इस तरह से वर्ष 2020 का सी सी आर 36.58 रहा।

इस तरह से देखा जाए तो वर्ष 2018 और 2019 में मुकद्दमों की दायर संख्या और निष्पादित मामलों की संख्या सामान्य मानी जा सकती है।किंतु करोना महामारी वर्ष 2020 में दायर मुकद्दमों की संख्या तो कम रही ही, साथ निष्पादित मामलों का प्रतिशत भी नीचे रहा।

अधिवक्ता कोटे से पटना हाई कोर्ट को मिला जज।

भारत के राष्ट्रपति ने अधिवक्ता कोटे से संदीप कुमार, पुरणेंदु सिंह, सत्यव्रत वर्मा व राजेश कुमार वर्मा को पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया है। भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के क्लॉज़ (1) में दी गई शक्ति का इस्तेमाल करते हुए ये नियुक्ति की है। कार्यभार संभालने की तिथि से इनकी वरीयता निर्धारित की जाएगी।

इस आशय की अधिसूचना भारत सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा 14 अक्टूबर, 2021 को जारी की गई है। उक्त अधिसूचना की प्रति अधिवक्ता संदीप कुमार, पुरणेंदु सिंह, सत्यव्रत वर्मा व राजेश कुमार वर्मा को भी पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक के जरिये भेजी गई है।

इसके अलावे अधिसूचना की प्रति बिहार के राज्यपाल के सचिव, राज्य के मुख्यमंत्री के सचिव, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सचिव, बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी के सचिव, पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक व राज्य के अकाउंटेंट जनरल, प्रेसिडेंटस सेक्रेटेरिएट ( नई दिल्ली), प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के पी एस, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्यालय के रजिस्ट्रार, सेक्रेटरी (जस्टिस) के एम एल एंड जे/ पी पी एस के पी एस व डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के टेक्निकल डायरेक्टर को भी भी भेजी गई है।

हाईकोर्ट ने मुखिया हीरावली देवी को चुनाव लड़ने की दी अनुमति

पटना हाई कोर्ट ने कैमूर(भभुआ) जिले के लहदन ग्राम पंचायत राज की मुखिया रही हीरावती देवी को चुनाव लड़ने का आदेश दिया। जस्टिस विकास जैन की खंडपीठ ने हीरावती देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें मुखिया पद का चुनाव लड़ने की अनुमति दी।

साथ ही कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी कैमूर को सिंबल आवंटित करने का आदेश दिया। हीरावती देवी को आगामी 20 अक्टूबर को होने जा रहे चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का भी आदेश दिया है।

इसके पूर्व कोर्ट ने मुखिया के पद पर निर्वाचन के लिये नामांकन पत्र को स्वीकार करने का आदेश दिया था। हीरावती देवी को पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव के आदेश से मुखिया के पद से 28 अक्टूबर, 2019 को हटा दिया गया था।
इस आदेश के विरुद्ध अपीलार्थी ने पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर किया था, जोकि 8 मार्च, 2021 को खारिज हो गया था। इस रिट याचिका में दिए गए आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने पटना हाई कोर्ट में ही अपील दायर किया था, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने यह आदेश को पारित किया।

राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव द्वारा 20 अक्टूबर, 2019 को पारित उस आदेश को रद्द करने हेतु याचिका दायर की थी, जिसके जरिये उन्हें लोहदन पंचायत के मुखिया के पद से हटा दिया गया था।

अपीलार्थी के अधिवक्ता ने बताया कि मुखिया के ऊपर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कथित रूप से लगभग 34 लाख रुपये का गबन किया था। इन्होंने प्रबंधन कमेटी के नाम से चेक जारी नहीं कर पंचायत सचिव के नाम से चेक जारी किया और पैसे का इस्तेमाल अपने लिये किया था। ये राशि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना की थी।
किन्तु याचिकाकर्ता की जानकारी में जब यह बात आई तो इन्होंने ब्याज समेत पूरे पैसे को खाता में जमा करवा दिया। गबन की गई राशि पर कंपाउंड इनटरेस्ट लेने का भी आदेश दिया गया। अपीलार्थी ने इस राशि को भो खाता में जमा किया।

अपीलार्थी जनवरी, 2016 में मुखिया के तौर पर निर्वाचित हुए थी। पब्लिक फण्ड के गबन को लेकर स्पष्टीकरण भी पूछा गया था। बी डी ओ ने जिला पंचायत राज ऑफिसर को अपीलार्थी द्वारा पैसा जमा कर दिए जाने की सूचना भी दे दिया था।
इस मामले में अगली सुनवाई आगामी 21 अक्टूबर को होगी।

हाईकोर्ट ने कृषि सेवा से जुड़े अधिकारी के नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूरा करने का दिया निर्देश।

पटना हाई कोर्ट ने बिहार कृषि सेवा में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर समेत अन्य पदों पर बहाली के मामले पर सुनवाई करते हुए चयन प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का निर्देश बीपीएससी को दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल संजय करोल की खंडपीठ ने मनोज कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई की।

235 पदों पर बहाली के लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा विज्ञापन निकाला गया था। अधिवक्ता कुमार कौशिक ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने बिहार एग्रीकल्चर सर्विस कैटेगरी – 1 के रूल्स कैडर (अपॉइंटमेंट, प्रमोशन) रूल्स, 2014 को चुनौती दी थी।

इसके तहत संविदा सेवा को वेटेज नहीं देने का प्रावधान है। याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति संविदा पर जिला स्तर पर डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पदों पर की गई थी। 27 मार्च, 2018 को कोर्ट ने रिजल्ट के अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दिया था, लेकिन परीक्षा लेने की अनुमति दे दी थी।

तीन अप्रैल 2018 को मुख्य परीक्षा का संचालन किया गया। 07 नवंबर, 2019 को मुख्य परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया था।