पूर्ण निर्माण निगम ने एक करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से पुल का निर्माण तो कर दिया। लेकिन करोड़ों रुपए लागत का कोई फायदा नहीं हुआ। पुल के दोनों तरफ एप्रोच पथ नहीं है ऐसे में बरसात के दिनों में रास्ता बंद हो जाता है। ये हाल है कभी लाल कॉरिडोर के नाम से जाना जाने वाला भवानीचक सुरूंगापुर गांव का।
ग्रामीण बताते हैं के बरसात के सीजन में सबसे ज्यादा दिक्कत लड़कियों को होती है।
पुल के बगल में किसान उच्च विद्यालय भवानी चक है। जहां सैकड़ों की संख्या में लड़कियां और लड़के पढ़ने आते हैं। छात्रों का कहना है कि सरकार की तरफ से साइकिल तो मिल गए लेकिन आना पैदल ही पड़ता है। वही स्कूल के प्रधानाध्यापक भी सड़क की कमी की बात कहते हैं, लेकिन साथ ही दूसरी कमियों का रोना भी रोते हैं।
सड़क की बात को लेकर हमने आरडब्ल्यूडी से बात की। एसडीओ ने बताया इसकी जानकारी उनको भी है साथ ही भरोसा दिया कि हम कोशिश करेंगे कि जल्द से जल्द सड़क का निर्माण हो जाए। जहानाबाद का पश्चिम का ये इलाका कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। यह विकास की बयार ही है जिसके वजह से नक्सली अब गायब हो चुके हैं।
लेकिन सवाल है आधे अधूरे विकास से भला किसका भला होगा। जरूरत है की आवश्यक आवश्यकता की पूर्ति हो।