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दुनिया भटियारखाना बन जायेगा

स्वस्थ बहस आमंत्रित..अनर्गल पर भुभुन फोड़ा जाएगा..जो नये जुड़े हैं विशेष ध्यान रखें..
पिछले दो दिनों से यह देख रही..एक बार मन किया कि नज़रंदाज़ कर दूँ..फिर सोचा इसी विषय से अखबारों में वापसी करूँ..चूंकि पहले से ही व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को मजबूत आयाम देकर अगस्त माह से लौटना तय किया था तो इसी निर्णय पर टिके रहने का सोचा..

अब जब अखबारों में दर्जनों लेख यौन शिक्षा को सिलेबस में शामिल करने के लिए लिख चुकी हूँ तो नज़र चुराना ठीक नहीं लगा।।आइये अब बात करते हैं..

यह एक पंक्ति मात्र पंक्ति भर नहीं है…यह एक कुठाराघात है..कुंठा भी है..प्रश्न भी है और विकृति भी है..आंकड़ों को सच मान लेती हूँ क्योंकि मेरे स्वयं के जुटाये आंकड़ें भी लगभग यही है को विभिन्न स्टडीज से समझ आये..पंक्ति का पूर्वार्ध पूर्णरूपेण सत्य है.उत्तरार्ध भी सही है..परन्तु इस विषय के सम्बन्ध में कत्तई नहीं..

ओर्गास्म जिस्मानी ताल्लुकात के चरम सुख को कहते हैं..अब स्त्रियों में यह मात्र शारीरिक नहीं होती..यह मानसिक और सबसे बढ़कर भावनात्मक होती है..एक स्त्री को बिना छुए हुए ओर्गास्म तक पहुंचाया जा सकता है..स्त्री एक साथ 10 सम्बन्ध बनाते हुए या एक दिन में 10 लोगों से सम्बन्ध बनाकर भी ऑर्गेज़्म से कोसों दूर रह सकती हैं..और यह कोई स्टेटमेंट नहीं बल्कि स्टडी और यथार्थ है जिसे आप कामसूत्र के समय से पा सकते हैं..कामसूत्र क्यों लिखा गया जिनको जानकारी है वो इस बात से सहमति रखेंगे..ये बात हुई ऑर्गेज़्म की।। यह कड़वी सच्चाई है कि अधिकांश स्त्रियों को यह पता भी नहीं होता कि यह क्या बला है..पति या पार्टनर का ध्यान भी ना के बराबर ही इस बात पर होता है कि उनकी पत्नी या पार्टनर संतुष्ट हुई या नहीं..इसके कई कारण हैं जिन पर कभी और बात होगी..

यह स्थिति अच्छी तो नहीं कही जा सकती परन्तु मुझे आपत्ति है ‘कहीं और तलाशने’ और इस संदर्भ में नैतिकता का ठेका स्त्रियों को ना लेने की बात पर..कहीं और क्यों तलाशा जाए? अपने पति से बात क्यों न कि जाए? यह एक टैबू जो मर्द समाज बना चुका है उसकव तोड़ने के लिए दूसरे मर्द के पास क्यों जाना? क्या गैरन्टी है आपको ऑर्गेज़्म दूसरे मर्द के पास मिल ही जायेगा..नहीं मिला तो तीसरे फिर चौथे के पास जाएंगी?

स्त्री में हार्मोन्स की वजह से शारीरिक सम्बन्ध बनाने की इच्छा मर्दों से ज्यादा होती है यह भी रिसर्च कहता है..पर वो इसको नियंत्रित करना जानती है..तभी स्त्रियां बलात्कार नहीं करती🙂

नैतिकता कोई ठेका नहीं है जो आज इसको मिलना चाहिए कल उसको..विवाहित या प्रेम में पड़ा पुरुष भी जब किसी अन्य स्त्री से उसकी सहमति से सम्बन्ध बनाता है ना तो वह अन्य स्त्री स्त्री ही होती है और उसका नैतिक पतन भी वही हो जाता है..फिर चाहे उस अन्य स्त्री को ऑर्गेज़्म से मतलब हो या ना🙂

जब ये 70% स्त्री भी सर्वस्व ताक पर रख तलाशने निकल जाएंगी ना तो यह दुनिया भटियारखाना बन जायेगा..और सबसे अहम बात उन 70% में 95% को ऑर्गेज़्म चहिये ही नहीं होता..दिल से नहीं चाहिए होता है क्योंकि उनका चरम सुख उनका परिवार, प्रेम और अपना चरित्र होता है जो जन्मों के खुशी के लिए 2 पल के सुख को तुच्छ समझती हैं..

लेखक —-स्वाति खुश्बू

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