Press "Enter" to skip to content

Posts published in “जायका बिहार का”

post about जायका बिहार का

मकर संक्रान्ति को लेकर इस बार भी एक मत नहीं हैं विद्वान

मकर संक्रान्ति, 14 जनवरी, 2022 ई :

वर्ष भर में 12 राशियों की संक्रान्तियाँ होतीं हैं। इनमें मकर संक्रान्ति से छह महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क राशि की संक्रान्ति से दक्षिणायन सूर्य आरम्भ होते हैं। उत्तरायण सूर्य में यज्ञ, देवप्रतिष्ठा आदि के लिए शुभ मुहूर्त होते हैं। ऐसी मान्यता है कि जबतक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तब तक छह महीनों के लिए देवताओं का दिन रहता है तथा दक्षिणायन सूर्य के महीनों में देवताओं की रात रहती है। अतः मकर संक्रान्ति का यह दिन देवताओं के लिए प्रातःकाल माना जाता है। दिन भर में जो धार्मिक महत्त्व प्रातःकाल का होता है, वैसा ही महत्त्व मकर संक्रान्ति का भी वर्ष भर में होता है।

इस वर्ष दिनांक 14 जनवरी की रात्रि 8.34 मिनट पर संक्रमण हो रहा है। चूँकि संक्रमण काल रात्रि में भी हो सकता है; अतः धर्मशास्त्रियों ने संक्रमण काल के आधार पर पुण्यकाल तथा पुण्याह की व्यवस्था की है।

गणित-ज्योतिष के अनुसार संक्रान्ति के पहले या बाद 8 घंटा तक सूर्य का बिम्ब उस संक्रान्ति-बिन्दु पर रहता है। अतः संक्रमण-काल से 8 घंटा पहले अथवा बाद, जब भी उदित सूर्य मिलें, पुण्यकाल माना जायेगा। इस वर्ष रात्रि 8:34 बजे संक्रमण के पूर्व दिनांक 14 को हमें सूर्य-संक्रान्ति का बिम्ब प्राप्त होगा, अतः संक्रान्ति सम्बन्धी गणित के अनुसार भी 14 को ही मनाया जाना चाहिए।

मिथिला के सभी निबन्धकारों ने एकमत से निर्णय दिया है कि आधी रात से पहले यदि संक्रमण है, तो पुण्यकाल पूर्वदिन मध्याह्न के बाद होगा तथा वह पूरा दिन पुण्याह कहलायेगा। इन सभी प्रमाणों का संकलन कर म.म. मुकुन्द झा बख्शी ने ‘पर्वनिर्णय’ में यही व्यवस्था दी है। अतः मिथिला से प्रकाशित पंचाङ्ग में दिनांक 14 को मकर संक्रान्ति माना गया है।

निर्णयसिन्धु में कमलाकर भट्ट ने मकर-संक्रान्ति के सम्बन्ध में सभी मतों को उद्धृत कर दिया है, जिनमें माधव का मत है कि यदि रात्रि में संक्रमण हो तो दूसरे दिन पुण्यकाल माना जाए। किन्तु अनन्तभट्ट के अनुसार यदि आधी रात से पूर्व संक्रमण हो तो पूर्व दिन माना जाए। इस प्रकार कमलाकर में अपना कोई निर्णय नहीं दिया है। धर्मसिन्धुकार का मत है कि रात्रि के पूर्वभाग, परभाग अथवा निशीथ में संक्रमण हो तो दूसरे दिन पुण्यकाल होगा। इस मत से दिनांक 15 को मकर संक्रान्ति होगी।

इस विषय में कमलाकर भट्ट ने भी क्षेत्रीय परम्पराओं का महत्त्व दिया है, अतः धर्मशास्त्र के अनुसार जिनकी जो परम्परा है उस दिन मनाये

लेखक–आचार्य किशोर कुणात

हर थाली में बिहारी व्यंजन एक और कदम आगे बढ़ा बिहार फाउंडेशन।

हर थाली में बिहारी व्यंजन के लिए काम करेगा बिहार फाउंडेशन…उपमुख्यमंत्री
पटना 26 सितंबर 2021
कल देर शाम बिहार के उपमुख्यमंत्री -सह-वित्त मंत्री-सह-अध्यक्ष, बिहार फाउंडेशन श्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में वर्चुअल मीट के माध्यम से बिहार फाउंडेशन के विदेशों में स्थित चैप्टरों एवं कोविड-19 दूसरी लहर में प्राप्त राहत सामग्रियों के दानकर्त्ताओं के संग एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

बिहार फाउंडेशन के विदेश में अवस्थित 4 चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव इस संवाद कार्यक्रम में जुड़े, जिनमें यू०एस०ए० वेस्ट कोस्ट चैप्टर से श्री राजीव सिन्हा (अध्यक्ष) एवं श्री दीपक शर्मा (सचिव), कनाडा चैप्टर से श्री उमेश कुमार (सचिव), क़तर चैप्टर से श्री शकील अहमद काकवी (अध्यक्ष), श्री गौहर अल्ताफ (उपाध्यक्ष), मोहम्मद महफूज़ हसन (महासचिव) तथा यू०ए०ई० चैप्टर से श्री ओमेर हेजाज़ीन (अध्यक्ष) एवं श्री तारिक़ अनवर (सचिव) शामिल हुए। इसके अतिरिक्त अमेरिका में बसे प्रवासी बिहारी जिन्होंने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बिहार फाउंडेशन के माध्यम से बिहार राज्य को राहत सामग्री उपलब्ध कराई थी, वे भी इस संवाद कार्यक्रम में जुड़े। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) से डॉ अविनाश गुप्ता (अध्यक्ष) एवं श्री आलोक कुमार (सदस्य), डा० सोनल सिंह, एमडी, एमपीएच, एफएसीपी यू०एस०ए०, एवं श्रीमती मनीषा पाठक, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, बे एरिया, सिलिकॉन वैली, यू०एस०ए० ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़कर अपने विचारों को रखा।

उपमुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं को कार्यक्रम में शामिल होने तथा बिहार की यथासंभव मदद करने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने सबों को सूचित किया कि बिहार के कटिहार जिले के शुभम कुमार इस वर्ष की यूपीएससी की परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम रैंक लाकर बिहार की बौद्धिक शक्ति का परिचय दिया है।

उन्होंने हर्ष के साथ कहा कि जिस प्रकार आप सभी प्रवासी बिहारी विदेशों में भी बिहार के कला, संस्कृति एवं भाषा को न सिर्फ अपने अंदर संजोये हुए है बल्कि इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी तत्पर है, इस भावना का हम सभी बिहारवासी सम्मान करते है। इसी सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ाने के उद्देश्य से बिहार फाउंडेशन के माध्यम से एवं आपके सहयोग से विदेश में सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की परिकल्पना की जाएगी। इस भावी कार्यक्रम में बिहार के कला, संस्कृति एवं भाषा इत्यादि आधारित ऑडियो/वीडियो, अन्य उत्पाद आदि भी साझा की जाएगी।

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रवासी बिहारियों से अपने-अपने क्षेत्र में बिहार के व्यंजन यथा गया का तिलकुट, बाढ़ का लाई, सिलाव का खाजा, मनेर का लड्डू, नवादा का अनरसा इत्यादि के प्रचार-प्रसार किए जाने पर बल दिया तथा यह भी सुझाव दिया की इन व्यंजनों का विदेश में एक बिक्री-केंद्र खोला जाए जिससे इसका न केवल ब्रांडिंग-मार्केटिंग होगा बल्कि इससे रोजगार का सृजन भी होगा । उन्होंने कहा कि उनकी हार्दिक इच्छा है की बिहार के पारम्परिक व्यंजन सुदूर देशों के प्रवासी चखें। इससे न केवल जड़ों से सम्बन्ध मजबूत रहेगा, वरन् इनके निर्माण में लगे कारीगरों को भी प्रोत्साहन तथा रोजगार भी मिलेगा। साथ ही, उन्होंने बिहारी कला जैसे मधुबनी पेंटिंग एवं बिहारी हस्तशिल्प निर्मित सामग्रियों की भी बिक्री बढ़ाये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए विशेष पहल की जाएगी।

उपमुख्यमंत्री ने समस्त प्रवासी बिहारियों से कोविड की दूसरी लहर के दौरान बिहार फाउंडेशन के माध्यम से बिहार राज्य के लिए उपलब्ध कराये गए राहत सामग्री के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में बिहार फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री रविशंकर प्रसाद ने कार्यक्रम में उपस्थित बिहार फाउंडेशन के चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं का स्वागत किया तथा सभी चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव एवं प्रवासी बिहारी दानकर्ताओं द्वारा बिहार राज्य के हितार्थ किये गए कार्यों से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में फाउंडेशन के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री सुशील कुमार ने उपर वर्चुअल माध्यम से जुड़े सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

अंग्रेजों के मुंह का जायका भी बनेगा बिहार का ये पान, अब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी होगा निर्यात

बिहार के दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर समेत करीब 17 जिलों के किसानों के दिन अच्छे आने वाले हैं। क्योंकि अब इन जिलों में उत्पादित होने वाला मगही पान का निर्यात (Magahi Paan Exports) दूसरे देशों में भी होगा। बिहार के मगही पान की डिमांड ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों में होने लगी है। बिहार का मगही पान (Magahi Paan of Bihar) अभी तक देश के अन्य राज्यों के लोगों के मुंह का जायका ही बनता रहा है।