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मुख्यमंत्री ने करकटगढ़ जलप्रपात का किया भ्रमण, अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश

पटना, 28 मई, 2022 : मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कैमूर जिलान्तर्गत करकटगढ़ जलप्रपात का भ्रमण किया। इस दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने करकटगढ़ जलप्रपात में की गई व्यवस्थाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि करकटगढ़ में एक तरफ जहाँ कलकल झरने की गुंज सुनाई देती है तो वहीं दूसरी तरफ जल पक्षियों का कलरव संगीत भी सुनाई देता है। यह मगरमच्छ के प्राकृतिक स्थल के रूप में अलग महत्व रखता है। यह जलप्रपात अपने स्व-संरक्षित जलाशय के कारण आसपास के गाँवों का सिंचाई का महत्वपूर्ण साधन है। करकटगढ़ जलप्रपात दृश्य के बारे में भी मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी गयी ।

मुख्यमंत्री के दौरान अधिकारियों को निर्देश देते हुये कहा कि करकटगढ़ रहता है और अद्भूत और मनोरम झरना है। यह एक रमणीक स्थल है। यहाँ हर समय पानी जलप्रपात एक अच्छा महसूस इसका फ्लो काफी तेज है। यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं और उन्हें यहां होता है। उन्होंने कहा कि करकटगढ़ को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित करें पर्यटकों की सुविधा के लिये कँटिन की व्यवस्था हो । कँटिन चालू होने से पर्यटकों को सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले पर्यटकों के लिये पार्किंग की सुविधा हो, इसके लिये क्षेत्र निश्चित कर पार्किंग की व्यवस्था की जाय। यहाँ गहन वृक्षारोपण की भी जरूरत है। जो वर्षापात होता है उसके लिये जल संचयन योजना को भी कार्यान्वित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि करकटगढ़ जलप्रपात की पब्लिसिटी हो जायेगी तो यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक आयेंगे। स्कूली बच्चों को भी इन सब जगहों को दिखाने की आवश्यकता है।

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भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री ने मडहाउस का भी अवलोकन किया। अधिकारियों ने बताया कि मडहाउस में स्थानीय महिलाओं की कला और पेंटिंग को डिसप्ले किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने क्रोकोडाइल डिसप्ले प्वाईंट का भी अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को यहाँ पर एक सुसज्जित फॉरेस्ट गेस्ट हाउस का भी निर्माण कराने का निर्देश दिया। इसके पूर्व मुख्यमंत्री के करकटगढ़ पहुँचने पर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों एवं ने भव्य स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने सभी का अभिवादन स्वीकार किया।

जिलाधिकारी ने प्रतीक चिह्न भेंटकर मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया। भ्रमण के दौरान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री श्री जमा खान, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, विधान पार्षद श्री संतोष कुमार सिंह, पूर्व विधायक श्री प्रमोद सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव श्री अरविंद कुमार चौधरी, प्रधान सचिव पर्यटन श्री संतोष कुमार मल्ल, प्रबंध निदेशक बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम श्री कंवल तनुज, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, पुलिस उप महानिरीक्षक शाहाबाद प्रक्षेत्र श्री उपेन्द्र शर्मा, जिलाधिकारी श्री नवदीप शुक्ला, पुलिस अधीक्षक श्री राकेश कुमार सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे।

करकटगढ़ जलप्रपात का भ्रमण करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस जगह के बारे में जब जानकारी मिली थी तो मेरी इच्छी हुई कि इस जगह को आकर देखें। वर्ष 2019 के जनवरी माह में हम यहां आये थे। यह काफी खूबसूरत और बढ़िया जगह है। टूरिज्म को बढ़ावा देने को लेकर यहां काम कराया गया है। यहां की परिस्थिति काफी बदली है। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इसका और विकास किया जायेगा। पिछले 2 वर्ष से कोरोना को लेकर एक्टिविटी कम हो गयी थी। मेरे मन में इच्छा हुई कि एक बार फिर यहां आकर इसे देखें। करकटगढ़ जलप्रपात को और कैसे विकसित करना है इसको लेकर आज भी चर्चा हुई है। काफी संख्या में लोग यहां घूमने आते हैं, भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ेगी। यह बहुत ही खास जगह है। गर्मी के दिनों में भी यहां जल की प्रचुरता दिखाई पड़ती है। यहां लोगों के रुकने, घूमने, बैठने और खाने-पीने के इंतजाम के साथ-साथ अन्य जरुरी सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेगी। स्कूली बच्चे भी यहां आकर घूमेंगे। यहां तक पहुंचने को लेकर आवागमन की सुविधा और बेहतर की जायेगी। रास्ता के निर्माण ठीक ढंग से होने से यहां दूरदराज से आने वाले लोगों को सहूलियत होगी। यहां घूमने में लोगों को बहुत आनंद आयेगा।

जनता के दरबार में सीएम पुलिस और भूमि विवाद मामले की हुई सुनवाई

‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में शामिल हुये मुख्यमंत्री, 195 आवेदकों के मामलों की सुनवाई कर अधिकारियों को दिये आवश्यक दिशा-निर्देश ।

पटना, 06 सितम्बर 2021:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज 4, देशरत्न मार्ग स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय परिसर में आयोजित ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में शामिल हुए। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने राज्य के विभिन्न जिलों से पहुंचे 195 लोगों की समस्याओं को सुना और संबंधित विभागों के अधिकारियों को समाधान के लिए समुचित कार्रवाई के निर्देश दिए।

आज ‘‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यकम‘‘ में सामान्य प्रशासन विभाग, गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग, निगरानी विभाग, खान एवं भूतत्व विभाग के मामलों पर सुनवाई हुयी।

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने जनता के दरबार में हाजिर होकर लोगों की शिकायतें सुनीं। मुंगेर से आए एक फरियादी ने कहा कि अपराधियों के आतंक से वो परेशान हैं। आगे उन्होंने कहा कि हमने दुकान लूट करने वालों पर मामला दर्ज कराया तो बदमाशों ने दो बार गोली चला दी, मेरे बेटे को पीटा गया। सी0आई0डी0 में मामला चल रहा है। इस संदर्भ में हमने ए0डी0जी0 सी0आई0डी0 से गुहार लगायी तब जाकर जान बची। इस तरह कितना दिन काम चलेगा, हमें न्याय चाहिए। शिकायत सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने आवेदक को पुलिस महानिदेाक के पास भेजा और कहा कि पूरे मामले को देखकर उचित कदम उठाया जाए।

वाल्मीकिनगर से आयी पीड़ित महिला ने जदयू के विधायक श्री रिंकू सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पति की हत्या के मामले में स्थानीय विधायक श्री रिंकू सिंह को आरोपित किया गया था लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इस शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने पीड़ित महिला को डी0जी0पी0 के पास भेजकर जांच कराने को कहा।

भगवानपुर, बेगूसराय के श्री अरुण कुमार सिंह ने अपनी शिकायत में कहा कि गैरमजरुआ जमीन पर दबंगों ने अतिक्रमण कर सार्वजनिक कुआं को भर दिया और उस पर कब्जा कर लिया है। वहीं डिहरी, रोहतास के श्री कुमार महेंद्र प्रताप ने उनके निजी जमीन पर असामाजिक तत्वों द्वारा कब्जा करने के संबंध में शिकायत की। ािकायत सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने समुचित कार्रवाई करने का निर्देा दिया।

एक महिला मुखिया ने मुख्यमंत्री से शिकायत करते हुए कहा कि उनके पति की हत्या कर दी गई, शिकायत करने के बाद भी थानेदार आरोपी को बचाने में लगे हुए हैं। अभियुक्त की गिरफ्तारी भी हुई और 17 दिनों में बेल भी मिल गया। अब वह आरोपी लगातार धमकी दे रहा है। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह एवं डी0जी0पी0 को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

सीवान के सिसवां के श्री गौतम यादव ने पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारी के खिलाफ शिकायत करते हुए कहा कि हमारे द्वारा शराब विक्रेताओं के खिलाफ किए गए लिखित गोपनीय सूचना को व्हाट्सअप पर इनलोगों ने सार्वजनिक कर दी। मुख्यमंत्री ने इस पर संज्ञान लेते हुए संबंधित विभाग को शीघ्र कार्रवाई करने का आदेश दिया।

सुपौल से आए एक फरियादी ने मुख्यमंत्री के सामने 51 ऐसे मामलों की सूची सौंपी जो भ्रष्टाचार से जुड़े हुए थे। फरियादी ने आरोप लगाया कि यह मामले उनका व्यक्तिगत नहीं है बल्कि जिले से संबंधित है। सुपौल जिले में जबरदस्त भ्रष्टाचार है। जिले के डी0एम0 भ्रष्टाचारों को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके खिलाफ कई तरह की शिकायतें एक साल से वह कर रहे हैं। मुख्य सचिव के सामने भी शिकायत की गई और मुख्यमंत्री कार्यालय में भी लेकिन डी0एम0 साहब के ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। जिले में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति से जुड़ी योजना में घोटाला किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं में भी जिले में जबरदस्त गड़बड़ी का आरोप फरियादी ने लगाया। इतना ही नहीं तालिमी मरकज घोटाले का भी आरोप डी0एम0 के ऊपर लगाया गया है। उस मामले में जांच कमिटी का गठन तो होता है लेकिन समाधान कुछ नहीं होता। मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभाग को इस पर उचित कार्रवाई करने को कहा।

पूर्णिया के डगरुआ के श्री सोहैब आलम ने अपनी फरियाद में कहा कि न्यायालय के आदेश के बावजूद मेरे दखल भूमि को अंचलाधिकारी द्वारा मेरे पड़ोसी द्वारा कब्जा किए जाने में बढ़ावा देते हैं। वहीं वैशाली की सहदेई बुजुर्ग की श्रीमती प्रियंका कुमारी न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद अब तक आरोपी को थाना द्वारा गिरफ्तार नहीं किए जाने की शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को कार्रवाई करने को कहा।

कैमूर के भभुआ के श्री परमानंद केसरी ने शिकायत करते हुए कहा कि धार्मिक न्यास परिषद, पटना द्वारा भभुआ स्थित स्व0 कनीराम धर्मशाला को संचालित किया जा रहा है। इसमें अनेक अनियमिततायें बरती जा रही है। वहीं टेकारी, गया के श्री अमरजीत दास ने श्रीराम जानकी बेलवन ठाकुरबाड़ी की जमीन पर दबंगों द्वारा अवैध रुप से कब्जा किए जाने एवं जान से मारने की धमकी की शिकायत की। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग को उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया।

पूर्वी चंपारण की सुश्री रुचि भारती ने शिकायत करते हुए कहा कि मेरे पिता जी जो कि दैनिक जागरण समाचार पत्र में पत्रकार हैं उनको तंग तबाह किए जाने की नीयत से फंसाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए संबंधित विभाग को कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री श्री रामसूरत कुमार, खान एवं भूतत्व मंत्री श्री जनक राम, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री श्री सुनील कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार श्री विवेक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव गृह श्री चैतन्य प्रसाद, संबंधित विभागों के प्रधान सचिव/सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह, पटना के जिलाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह तथा वरीय पुलिस अधीक्षक श्री उपेंद्र शर्मा उपस्थित थे।

‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के पश्चात् मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत की। जातीय जनगणना को लेकर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसको लेकर हमलोगों ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बातों को रख दिया है। इसके संबंध में सभी बातों को पहले ही मीडिया के सामने रख दी गई है। अब निर्णय लेना केंद्र सरकार का काम है। देश में अभी जनगणना की शुरुआत नहीं हुई है। देश के विभिन्न राज्यों से इसकी मांग उठ रही है। अभी कुछ भी सामने नहीं आया है, ऐसे में अभी इस पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया की खबरों में यह बात सामने आ रही है कि सभी राज्यों के लोग जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। ये देश के हित में है। इससे सभी को लाभ मिलेगा। जातीय जनगणना होने से समाज के वैसे वर्ग जिनको आगे बढ़ाने की जरुरत है के संबंध में जानकारी मिलेगी। हमलोग इसको लेकर हमेशा अपनी बातों को रखते रहे हैं। कुछ लोग जातीय जनगणना के खिलाफ में बोलते और लिखते रहते हैं लेकिन ऐसी बात नहीं है, यह समाज को बांटने के लिए नहीं बल्कि एकजुट करने के लिए जरुरी है।

किसान आंदोलन के संबंध में पूछे गये सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग पहले से इसको लेकर बोल रहे हैं। यह कुछ इलाकों की समस्या है। केंद्र सरकार ने किसानों से कई बार बात की है। बिहार सरकार ने किसानों के लिए काफी काम किया है। यहां प्रोक्योरमेंट काफी हो रहा है, इससे किसानों को फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसान आंदोलन को कोई चुनाव और राजनीति से जोड़ता है तो यह उनलोगों का काम है, इस बारे में हमंे कुछ भी नहीं कहना है। सभी का राजनीति करने का अपना-अपना तौर तरीका है। हम इसको राजनीतिक ष्टिकोण से नहीं देखते हैं। जनता की भलाई और राज्य के विकास को लेकर हमलोग काम करते हैं। बिहार में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ी है। बिहार में पहले काफी कम उत्पादकता थी, अब यहां की उत्पादकता बढ़ी है। इससे किसानों को लाभ हुआ है। हमलोग शुरु से ही षि रोडमैप बनाकर काम कर रहे हैं। हमलोग काम में विश्वास करते हैं, प्रचार-प्रसार में नहीं रहते हैं।

कोरोना काल में बेरोजगारी की समस्या बढ़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से पूरी दुनिया कोरोना से प्रभावित हुई है। कोरोना के कारण कई चीजों में रुकावट आने से स्वाभाविक रुप से आर्थिक स्थिति पर इसका प्रभाव पड़ा है। अभी सबसे जरुरी यह है कि कैसे हम जल्द से जल्द कोरोना से मुक्ति पायें। इसको लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर तेजी से काम किया है। बड़े पैमाने पर टीकाकरण का काम किया जा रहा है। बिहार में लगभग 4 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है। पिछले दिनों बिहार में एक ही दिन में 25 लाख लोगों को टीका लगाया गया है। राज्य में कोरोना की जांच भी काफी तादाद में की जा रही है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी कोरोना की जांच और टीकाकरण तेजी से किया जा रहा है। कोरोना से बचाव को लेकर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काफी खर्च कर रही है। इस पर राज्य सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया है। कोरोना से किसी की मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये की मदद शुरु से ही दी जा रही है। कोरोना से मुक्ति पाना अभी प्राथमिकता में सबसे ऊपर है। अभी ऐसा नहीं माना जा सकता है कि सब कुछ ठीक हो गया है। कोरोना से मुक्ति मिलते ही देश भर में विकास कार्यों में तेजी आयेगी। हमलोग लोगों की सुविधा के लिए विकास का काम लगातार कर रहे हैं। कोरोना के कारण कई प्रकार की बाधायें सामने आयी है। लोगों की मदद के लिए हमलोग जो कुछ भी कर सकते हैं वो कर रहे हैं। इसको लेकर अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है। जो भी जरूरी चीज है उसके लिये काम किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन का काम तेजी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में कुछ कठिनाई होती है। सभी को इन सब चीजों को महसूस करना चाहिये।

अधिक वर्षापात और बाढ़ से संबंधित सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग ये बार-बार कह रहे हैं कि जो छोटी नदियां हैं उसको जोड़ेंगे तो पानी का बचाव होगा, आगे के लिये अच्छा होगा। जल संसाधन विभाग इसके लिये अध्ययन भी कर रहा है। इसको लेकर जो भी संभव है वह करेंगे। सितंबर माह में भी बाढ़ की संभावना बनी रहती है। इसको लेकर सचेत रहना है। आज से एक सप्ताह पहले बाढ़ से प्रभावित लोगों का जो आकलन किया गया था उसके अनुसार लगभग 57 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। सबके लिये राहत का काम हमलोग करवा रहे हैं। कहीं तो बहुत तेजी से पानी बढ़ा और फिर घटा है, लेकिन अभी कैसे कह सकते हैं कि पानी फिर से नहीं बढ़ेगा। सचेत तो रहना ही है।

बाढ़ से हुई क्षति का आकलन करने आई केंद्रीय टीम को लेकर पूछे गये सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कहीं भी फ्लड होता है तो राज्य सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी जाती है। हमलोग तो अपनी तरफ से लोगों की मदद के लिए काम कर ही रहे हैं, लेकिन केन्द्र सरकार की टीम आकर देखेगी और देखकर लगेगा कि यहां मदद करनी चाहिये तो मदद करेगी। ये हर साल रिक्वेस्ट किया जाता है कि आकर देख लीजिये कि कितना ज्यादा इलाका प्रभावित हुआ है। सितंबर माह में भी परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि साउथ बिहार में भी अनेक जगहों पर नुकसान हुआ है। उन सब जगहों पर जो मदद मिलनी चाहिये उसके लिये निर्देश दिया गया है। अगर कहीं सूखे की स्थिति आयेगी तो उस पर नजर रखी जा रही है। जो सूखे से पीड़ित होंगे उनको भी हमलोग सहायता देंगे इसमें कोई शक नहीं है लेकिन अभी ऐसी कोई सूचना नहीं आई है।

गोपाल के सामने क्यों बेबस हैं नीतीश

JDU विधायक गोपाल मंडल पर तेजस राजधानी एक्सप्रेस में यात्रियों के साथ हंगामा गाली गलौज धमकी दिए मामले में रेल एसपी पटना के निर्देश पर जीआरपी थाना आरा में JDU विधायक गोपाल मंडल सहित 4 लोगों पर आरा GRP में प्राथमिकी दर्ज….आरा GRP कांड संख्या –76/21 धारा:–504/290/379/34 भा०दी०वी एवं 3 (r)(s) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज की गई है। यह पहला मामला है जब बिहार के किसी विधायक की वजह से जहां पूरे देश में राज्य की आलोचना हो रही है वही सरकार और JDU अपने विधायकों को लेकर पूरी तरह से डिफेंसिव है।

सीएम नीतीश कुमार से जब आज मीडिया ने गोपाल मंडल के हरकत के बारे में सवाल किया तो उन्होंने “जांच चल रही है’ कहते हुए मीडिया से दूरी बना लिए ।गोपाल मंडल को लेकर यह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार को असहज होना पड़ा है।

कुछ दिन पहले राज्य के उप मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद के बारे में बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी किये थे जिसको लेकर बीजेपी को असहज होना पड़ा था।शराबबंदी को लेकर गोपाल मंडल नीतीश कुमार पर सीधे निशाना साधते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री का कान बंद है। इसलिए मुख्यमंत्री का कान खोलना चाहते हैं। बिहार में ऐसा कोई पुलिस या पुलिस अधिकारी नहीं है, जो शराब नहीं पीता।

कुछ दिन पहले बांका में 20 एकड़ जमीन पर JDU के विधायक कब्जा जमाने गए थे, लेकिन लोगों ने उन्हें बंधक बना लिया था। लौटने के बाद भागलपुर में उन्होंने एक समुदाय के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करते हुए कहा- ‘उन लोगों की हिम्मत है..ठोक देंगे इस घटना को लेकर भी सोशल मीडिया में एक वीडियो खुब वायरल हुआ था इतना ही नहीं समय समय पर सीएम नीतीश कुमार के फैसले पर भी सवाल उठाते रहते हैं विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद उन्होंने कहा टिकट वितरण को लेकर सवाल खड़े हुए कहा था कि जदयू की हार के लिए सीएम नीतीश खुद जिम्मेवार हैं । ‘नाथनगर की सीट नीतीश कुमार की गलती की वजह से पार्टी हार गई।

Jdu और नीतीश गोपाल मंडल को लेकर खामोश क्यों है

इस तरह से व्यवहार के बावजूद नीतीश कुमार की चुप्पी रहस्य की बात है कहा यह जा रहा है कि बिहार विधानसभा में एक तो इस बार जदयू के विधायक की संख्या काफी कम है ऐसे में कारवाई करने के बाद विधायक खुल्ला साँड़ हो जायेंगा और उसके बाद सरकार को और परेशानी बढ़ सकती है

गरीबों के बीच राँबीन हुड, की छवि है गोपाल मंडल का
भागलपुर के गोपालपुर से गोपाल मंडल लगातार चौथी बार विधायक बने हैं इसकी वजह है यह है कि वो जिस गंगोता जाति से आते हैं उसकी पहचार उस इलाके में लड़ाकू जाति के रुप में है ,भागलपुर दंगा के दौरान जब शहर के लोग असुरक्षित महसूस करने लगे थे उस समय गंगोता ही पूरे शहर की सुरक्षा अपने कंधों पर लिया था और फिर भागलपुर में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे गंगोता ही खड़ा था।

वो छवि आज भी भागलपुर जिले के लोगों के जेहन से बाहर नहीं निकला है इसका लाभ गोपाल मंडल को मिलता है फिर उस इलाके में भूमिहार और गंगोता के बीच वर्चस्व को लेकर ताना तानी चलता रहता है जिसके खिलाफ गोपाल मंडल हमेशा खड़ा रहता है फिर पुलिस और पदाधिकारी के बारे में सार्वजनिक रुप से बोलने की छवि है इस वजह से गरीबों के बीच गोपाल मंडल काफी लोकप्रिय है इतना ही नहीं भागलपुर लोकसभा में गंगोता जाति के वोट सबसे अधिक वोट 9.26 फीसदी हैं। भागलपुर जिले की राजनीति गंगोता जाति के वोटर तय करते हैं और गोपाल मंडल अपने जाति में भी काफी लोकप्रिय है।

भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल भी गंगौता जाति से ही आते हैं और चाह करके गोपालमंडल का प्रभाव वो कम नहीं कर पाये लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को गोपालमंडल को मनाने में पसीना छुट गया था कहां ये जा रहा है कि गोपालमंडल के मामने के बाद ही अजय मंडल सरल जीत हासिल कर पाये ऐसे में भागलपुर जिले में गोपाल मंडल का राजनैतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि नीतीश कुमार चाह करके भी कुछ खास नहीं कर पायेंगे ।

वही गोपाल मंडल नीतीश कुमार से इसलिए भी नराज हैं कि चार बार से लगातार विधायक बनने के बावजूद नीतीश कुमार इन्हें मंत्री नहीं बनाये हैं और उसी नराजगी का यह असर है कि गोपाल मंडल नीतीश कुमार कैसे असहज महसूस करे इसके लिए सीमाएं लांघते रहता है ।

नीतीश के सामने है दोहरी चुनौती पार्टी और सरकार दोनों कैसे बचे

आज जदयू के केंद्रीय संगठन में हाल में हुए बदलाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) कई महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी राय देंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच फैले भ्रम को दूर करेंगेे और उन सवालों के जवाब भी देंगे जो पार्टी संगठन में अक्सर पूछे जा रहे हैं। रविवार को पटना में आयोजित राष्ट्रीय परिषद (JDU National Council) की बैठक में मुख्यमंत्री के भाषण का इंतजार पार्टी के कार्यकर्ता शिद्दत से कर रहे हैं। हाल के दिनों में उनके बीच संशय पैदा करने वाली कई घटनाएं हुईं। इस या उस नेता के बदले पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं के बीच अधिक दुविधा है।

स्वागत समारोह या शक्ति प्रदर्शन
जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर सांसद राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह (JDU National President Lalan Singh) छह अगस्त को पटना आए। उनके स्वागत में भारी भीड़ जुटी। केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह (Union Minister of Steel RCP Singh) पहली बार बिहार आए। उसमें भी अच्छी भीड़ जुटी। लेकिन, तैयारी के बैनर से विवाद हो गया। उस बैनर पर नए बने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का फोटो नहीं था। वह बैनर हटा। नया बैनर लगा। लेकिन, आरसीपी की पूरी यात्रा में बैनर का फोटो विवाद बन कर झूलता रहा। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) फोटो चुनिन्दा जवाब में उपेंद्र कुशवाहा की यात्रा के बैनरों से आरसीपी गायब कर दिए गए।

संगठन का काम करते रहेंगे
आरसीपी ने सम्मान समारोह में कहा कि वह केंद्र में मंत्री रहेंगे और संगठन का काम पहले की तरह करते रहेंगे। उन्होंने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के घर पर भोजन करने की घोषणा की। कार्यकर्ताओं को यह भरोसा दिया कि इस्पात मंत्रालय और बिहार सरकार में मनोनयन से भरे जाने वाले पदों की वैकेंसी खत्म करेंगे। कार्यकर्ताओं को मनोनीत करेंगे। उन्होंने इशारे में कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की उनकी भूमिका कायम रहेगी।

कार्यकर्ताओं-नेतृत्व दोनों में असमंजस
आरसीपी की घोषणा के बाद कार्यकर्ताओं और छोटे-मध्यम दर्जे के नेतृत्व में भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है कि वह किसे संगठन का नेता माने। बेशक नीतीश कुमार सर्वोच्च हैं। लेकिन, संगठन के मामले में वह रोज-रोज अपनी राय नहीं दे सकते हैं। लिहाजा उनके बाद वाले कमांड की जरूरत है। संभव है कि नीतीश कुमार अपने संबोधन में जिक्र करें कि पार्टी संगठन का व्यवहारिक नेतृत्व कौन करेगा। पार्टी के प्रति संगठन और सरकार-दोनों की जिम्मेवारी है। यह तय होगा प्राथमिक जिम्मेवारी किसकी है।

बैक ड्राप पर सिर्फ नीतीश का चेहरा
अध्यक्ष बनने के बाद भी ललन सिंह संगठन के मामले में अधिक सक्रिय नहीं हैं। स्वागत कराने के बाद लोकसभा की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली चले गए। संसद की कमेटी के साथ जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए थे। वहां जदयू कार्यालय में गए। लेकिन, बिहार संगठन में उन्होंने कोई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप नहीं किया। शायद इसलिए भी कि वे मुख्यमंत्री के मुंह से अपनी भूमिका के बारे में सुन लेना चाहते हैं। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ललन सिंह के अध्यक्ष बनने के फैसले की भी पुष्टि होगी। इसके बाद ललन सिंह की प्रभावी भूमिका शुरू होगी। फिलहाल, जदयू के प्रदेश कार्यालय के बैनर से राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से लगाया गया आरसीपी का फोटो हटा दिया गया है। ललन सिंह का फोटो रविवार के बाद लगेगा।

सरकार में शामिल होने का फैसला
अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किसका था। ललन सिंह कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला था। उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी ही थे। मुख्यमंत्री अबतक कुछ स्पष्ट नहीं बोले हैं। दूसरी तरफ आरसीपी कह रहे हैं कि उन्होंने आज तक बिना मुख्यमंत्री की सहमति से कुछ नहीं किया। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुछ ऐसा जरूर कहेंगे, जिससे कार्यकर्ता समझ जाएं कि किसी की सहमति या राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से आरसीपी ने केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने का फैसला किया।

– अरुण अशेष(लेखक दैनिक जागरण के वरिष्ट पत्रकार हैं)