समस्तीपुर जिले के विद्यापतिनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत मऊ धनेशपुर दक्षिण गांव में एक ही परिवार के 5 लोगों की आत्महत्या से पूरे इलाके में मातम पसर गया।
घटनास्थल पर डीएसपी के नेतृृत्व में पहुंची पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। मरने वालों में पति-पत्नी, मां और तीन बच्चे शामिल हैं। फिलहाल घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद तो नहीं हुआ है लेकिन पड़ोसियों द्वारा यह आर्थिक कलह का मामला बताया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक मऊ धनेशपुर दक्षिण गांव के वार्ड संख्या 4 निवासी मनोज झा (42), उनकी पत्नी सुंदर मणि देवी (38), मां सीता देवी (65), पुत्र सत्यम (10) और शिवम (7) ने सामुहिक खुदकुशी कर अपनी जिंदगी समाप्त कर लिया।
घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फ़ैल गई है। कारणों का पता जांच की बाद ही चल पाएगा।
जहानाबाद मंडल कारा में बंद एक विचाराधीन कैदी की इलाज के दौरान मौत हो गई। दरअसल अरवल जिले के रहने वाले अशोक कुमार को एक्साइज एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह जहानाबाद मंडल कारा में बंद था।
कल अचानक तबीयत खराब होने के बाद जेल प्रशासन द्वारा जहानाबाद सदर अस्पताल लाया गया। जहां देर रात उसकी मौत हो गई।
मौत की खबर सुनकर प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। सूचना के बाद एसडीओ एसडीपीओ जेल अधीक्षक समेत तमाम आला अधिकारी अस्पताल पहुंचे। चिकित्सकों ने बताया कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ थी।
इलाज के दौरान सदर अस्पताल में विचाराधीन 25 वर्षीय कैदी अशोक कुमार की मौत हो गई। मृतक अशोक कुमार अरवल जिले के महेंदिया थाना का निवासी था। शराब बेचने के मामले को लेकर जहानाबाद जेल में बंद था।
देर रात हुई मौत की सूचना परिजनों को दी गई। जिसके बाद सुबह में कैदी के परिजन भी सदर अस्पताल पहुंचे।
चीफ जस्टिस संजय करोल शताब्दी भवन के लॉबी में उन्हें शपथ दिलायेंगे।ये समारोह सुबह साढ़े दस बजे आयोजित किया गया है।
आज बिहार न्यायिक सेवा के सात अधिकारियों ने पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की।चीफ जस्टिस संजय करोल उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ शताब्दी भवन के लॉबी में दिलवाई।
पटना हाईकोर्ट में न्यायिक सेवा के सात अधिकारियों के पटना हाईकोर्ट में जजों की संख्या फिलहाल 34 हो चुकी है। इससे पहले पटना हाईकोर्ट में 27 जज कार्यरत थे। अब कल इन दोनों नियुक्त जजों के शपथ लेने के बाद पटना हाईकोर्ट में जजों संख्या 36 हो जाएगी।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानउद्दीन अमानउल्लाह का स्थानांतरण पटना हाईकोर्ट में हो गया है।इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया है।जस्टिस ए अमानुल्लाह के योगदान के बाद पटना हाईकोर्ट में जजों की संख्या 37 हो जाएगी।
जहानाबाद में ईट लदी ट्रैक्टर पलटने से एक मजदूर की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी। घटना काको थाना क्षेत्र के भेलू बिगहा गांव के समीप का है। मृतक मजदूर की पहचान नालंदा जिले के तेल्हाड़ा थाना क्षेत्र के लोदीपुर गांव निवासी संजय बिंद के रूप में की गई है।
घटना के संबंध में परिजनों ने बताया कि मृतक बारा ईट भट्ठे पर ईट बनाने का काम करता था। आज ट्रैक्टर पर ईट लोड कर भेलू बिगहा जा रहा था इसी दौरान अनियंत्रित होकर ट्रैक्टर पलट गया जिससे वह ट्रैक्टर के इंजन से दब गया और उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गयी।
वही घटना की जानकारी मिलते ही परिजनों में हाहाकार मच गया। इधर घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए जहानाबाद सदर अस्पताल भेज दिया है और मामले की छानबीन करने में जुटी।
जातिय गणना पेपर गणना नहीं बल्कि ई-गणना टेबलेट के माध्यम से कराई जाए • आर्थिक और जातिय के साथ-साथ सामाजिक मुद्दे से जुड़े प्रश्नों के आधार पर सर्वेक्षण हो • राजनैतिक दबाव में जल्दबाजी नहीं बल्कि पूरी तैयारी के साथ सर्वे किया जाए
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी कर बिहार सरकार को सुझाव दिया है कि प्रस्तावित जातिय गणना पेपर सर्वे के बजाय इलोक्ट्रोनिक सर्वे या ई-सर्वे के माध्यम से कराया जाना चाहिए जिसमें प्रगणक टेबलेट के माध्यम से सारी सुचना एकत्र करेंगे ताकि रियल टाइम आंकड़े अपलोड किया जा सके । साथ ही जनगणना 2022 एवं बिहार की जातिय गणना एक समय में न हो।
श्री मोदी ने कहा कि 2021 कि जनगणना ई – सेन्सस होने जा रही है । उसी तर्ज पर प्रत्येक जिले कि जातियों – उप जातियों को कोडिंग कर, ड्राप डाउन मेनू के माध्यम से जातिय गणना करने के लिए साफ्टवेयर विकसित किया जाय ताकि मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो सके ।
श्री मोदी ने कहा कि यह सर्वे केवल आर्थिक और जातिय ही नही बल्कि सामाजिक भी होना चाहिए । प्रत्येक जाति कि स्थिति का आकलन करने के लिए प्रत्येक परिवार कि शिक्षा, दिव्यांगता, ग्रसित बीमारियाँ , पशु-धन , चल -अचल सम्पति , रोजगार, भूमि की उपलब्धता, स्वास्थ्य आदि से जुड़े प्रश्नों की सूची तैयार कर पूछा जाना चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि अन्य दलों के दबाव में जल्दबाजी की आवश्यकता नहीं है बल्कि पूरी तैयारी, प्रशिक्षण, मार्गदर्शिका निर्माण, प्रश्न-सूची, सोफ्टवेयर, टेबलट की व्यवस्था कर ही सर्वे किया जाना चाहिए।
सारण में इन दिनों एक शादी खासे चर्चा में है जहां विदाई में लड़की वाले की तरफ से सभी बराती को हैलमेट भेट किया गया है । मामला सारण जिले के रसूलपुर थाना क्षेत्र के जमनपुरा गांव का है जहां गांव के निवासी बलिराम दुबे की पुत्री बेबी कुमारी की शादी बीते 2 जून 2022 को सारण के कोपा थाना क्षेत्र के चौखड़ा गांव निवासी दयानाथ मिश्रा के पुत्र विकास मिश्रा से हुई थी। बेबी के बड़े पापा की सड़क दुर्घटना में हुई थी मौत।
दुल्हन बेबी कुमारी के बड़े पापा महंगु दुबे की 4 साल पहले चैनपुर-रसूलपुर पथ पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी। घटना से आहत बेबी ने शपथ ली थी कि वह अपनी शादी में बारातियों को हैलमेट भेंट कर स्वागत करेगी। शादी ठीक होने से पहले बेबी ने यह बात अपने होने वाले पति से कहा और वह तैयार हो गया ।
इस सदर्भ मेंं विकास व बेबी ने बताया कि उन्होंने दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल संदीप शाही से प्रेरित होकर इस कदम को उठाया है। संदीप शाही को दिल्ली में लोग हैलमेट मैंन के नाम से पुकारते हैं। संदीप दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में भी लोगों को सड़क सुरक्षा व यातायात नियमों के पालन के लिए हैलमेट पहनने की सलाह देते हैं। उनकी पहल पर 28 अप्रैल को भी जिले की एक बेटी की शादी में 51 लोगों को उपहार स्वरूप हैल्मेट प्रदान किया गया था।
कटिहार के वर्तमान रजिस्टर जयकुमार के आवास व उनके कार्यालय सहित राज्य व राज्य के बाहर उनके 5 ठिकानों पर निगरानी विभाग के 6 सदस्य टीम द्वारा छापेमारी की जा रही है । रजिस्टर जयकुमार के सहायक थाना क्षेत्र अंतर्गत तेजा टोला स्थित भाड़े के मकान एवं रजिस्ट्री कार्यालय में पटना से पहुंचे 6 सदस्यी निगरानी की टीम ने आज सवेरे 8:00 बजे धावा बोल दिया।
अभी तक की तलाशी अभियान में उनके आवास से छह लाख नगद, 25 लाख इंश्योरेंस में निवेश के कागजात ,एक दर्जन बैंक अकाउंट एवं जमीन व फ्लैट के कागजात बरामद किया गया है। रजिस्टार जयकुमार को पूछताछ के लिए तत्काल हिरासत में लिया गया है। वहीं अन्य सभी ठिकानों पर तलाशी अभियान जारी है।
खतरे में पड़ा संघ का वजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिवलिंग व मस्जिद विवाद पर जो बयान आया है उससे देश की राजनीति गरमा गई है और अब एक राय ये भी है सामने आ रही है कि संघ अब भाजपा के उग्र हिन्दुत्ववादी आन्दोलन और फैसले से अपने आपको अलग करना चाह रही है ।
इसके पीछे की राजनीति पर चर्चा करने से पहले मोहन भागवत ने कहा क्या है पहले यह पढ़ लेते हैं मोहन भागवत ने कहा कि क्यों हर बार मस्जिद में आप केवल शिवलिंग ही देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी आस्था से जुड़ा मसला है जिसकी लड़ाई कोर्ट में लड़ी जा रही है। इस मामले को आपसी सहमति से निपटाया जाना चाहिए। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग खोजना सही नहीं है।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के फिल्मांकन के विवाद पर आपसी समझौते के माध्यम से रास्ता का आह्वान किया। आरएसएस चीफ ने कहा कि कुछ जगहों के प्रति हमारी विशेष भक्ति थी और हमने उनके बारे में बात की लेकिन हमें रोजाना एक नया मामला नहीं लाना चाहिए। हम विवाद को क्यों बढ़ाएँ? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसके अनुसार कुछ करना ठीक है। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग देखना ठीक नहीं है। यह क्यों किया जा रहा है।
सड़क पर ज्ञानवापी के लिए कोई आंदोलन नहींआरएसएस प्रमुख ने कहा कि सड़क पर ज्ञानवापी के लिए कोई आंदोलन नहीं और ना ही इसको लेकर कोई विवाद खड़ा करना है ,हम इतिहास नहीं बदल सकते। इसे न तो आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने। यह उस समय हुआ जब इस्लाम हमलावरों के माध्यम से बाहर से आया था। हमलों में, देवस्थानों को ध्वस्त कर दिया गया था। बाहरी हमलावरों ने यह इसलिए किया क्योंकि वह उन लोगों का मनोबल गिराना जो भारत की स्वतंत्रता चाहते थे। मोहन भागवत के इस विचार को आगे बढ़ाते हुए संघ विचारधारा से जुड़े वरिष्ट पत्रकार डाँ वेदप्रताप वैदिक ने एक लेख लिखा है जिसमें लिखा है कि भारतीयता का ही दूसरा नाम हिंदुत्व है और 1991 में जो कानून बना है इसका पालन करना चाहिए ।
1-खतरे में है नागपुर की बादशाहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिवलिंग व मस्जिद विवाद पर जो बयान आया है ये कोई आत्म परिवर्तन वाली बात नहीं है ,नागपुर की बादशाहत खतरे में पड़ गयी क्यों कि जैसे जैसे इस तरह का सवाल खड़ा होगा नागपुर कमजोर होगा । याद करिए राम मंदिर आन्दोलन के दौरान विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल का जलवा क्या था आज उसी आन्दोलन के बदौलत भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है लेकिन आज विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल कहां है । प्रवीण तोगड़िया थोड़े टाइट हुए तो गुजरात में ही उनको मारने की साजिश रच दी गयी और इसका अभास जैसे ही हुआ तोगड़िया रातोंरात विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी का पद छोड़ भाग खड़े हुए ।
इसी तरह बजरंग दल का नायक विनय कटियार कहां है इसकी एक बड़ी वजह है याद करिए राम मंदिर आन्दोलन का वो दौर संघ का मुख्यालय भले ही नागपुर था लेकिन सारी गतिविधियों का केंद्र दिल्ली स्थिति विश्व हिन्दू परिषद का कार्यालय बन गया था और उस दौर में झंठे वाला में स्थिति संघ कार्यालय की पहचान खत्म होने के कगार पर आ गया था ,जो संघ को नागवार गुजरा और फिर विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी से जुड़े पदाधिकारियों का पर कतरना शुरु कर दिया और इसी कड़ी में कल्याण सिंह ,कटियार ,उमाभारती सहित बीजेपी से जुड़े ऐसे तमाम नेता को कमजोर किया गया जो विश्व हिन्दू परिषद या हिन्दूवादी राजनीति के प्रभाव में थे।
2–योगी के दूसरी बार सीएम बनने से संघ सहज नहीं है योगी के दोबारा चुने जाने के बाद से संघ और मोदी टीम को यह खतरा महसूस होने लगा है कि हिन्दू मुस्लिम की राजनीति परवान चढ़ी तो यूपी में इस तरह के दर्जनों मामले हैं जिसके सहारे योगी राष्ट्रीय पटल पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है । योगी की छवि भी वाजपेयी की तरह सॉफ्ट नहीं है वही पहनावा-ओढावा भी संत साधु जैसा है जो हर भारतीय के अंतश्चेतना में पहले से बसा हुआ है जैसे गांधी का बसा हुआ है।
हालांकि संघ पहले से ही योगी को लेकर सतर्क था जब योगी के यूपी के मुख्यमंत्री बनने की बात हुई तो संघ ने योगी के सामने शर्त रखा था कि गोरखपुर मठ के गतिविधि से दूर रहेंगे और साथ ही उनकी जो संस्था है हिन्दू युवा वाहिनी उसको किसी भी तरह का मदद सरकार से नहीं मिलनी चाहिए और आप इस संस्थान को तत्काल भंग कर दे । हालांकि योगी मठ से तो दूरी नहीं बना सके लेकिन हिन्दू युवा वाहिनी से दूरी जरूर बना कर रखा लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले शाह की गतिविधि से नाराज होकर एक बार फिर से हिन्दू युवा वाहिनी को सक्रिय कर दिया था और चार चरण के चुनाव के बाद जिस तरीके ये मोदी और शाह की तस्वीर को पूरे इलाके से हटाया गया था उसमें हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े कार्यकर्ताओं का ही हाथ था।
संघ को लगता है कि हिन्दू मुसलमान नैरेटिव की बात फिर चली तो यूपी में इसकी काफी गुंजाइश अभी भी बची हुई है । लोकसभा सीट के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा राज्य भी है और ऐसे में योगी जैसे जैसे मजबूत होगा नागपुर का प्रभाव कम होता जायेंगा वैसे भी महाराष्ट्र और गुजरात में संघ और मोदी संचालित बीजेपी अंतिम सांसे ले रही है मध्यप्रदेश और राजस्थान योगी का स्वाभाविक सहयोगी है ,कर्नाटक और नॉर्थ ईस्ट में पहले से ही गोरखपुर मठ की पकड़ मजबूत है।
इसलिए संघ और टीम मोदी इस तरह के मामले से दूरी बनायेगा क्यों कि कश्मीर एक बार फिर मुखर होने लगा है और अब पाकिस्तान में ना तो इमरान है और ना ही अमेरिका में ट्रम्प है ऐसे में कश्मीर इनके लिए वाटरलू साबित हो जाये तो बड़ी बात नहीं होगी और ऐसा हुआ तो योगी और मजबूत होगे ऐसे में आने वाले दिनों में संघ और मोदी टीम मुसलमानों के घर सेवई और टोपी पहनने पहुंच जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।
लेखक संतोष सिंह संघ का स्वयंसेवक रहा है और तीस वर्षो से संघ के गतिविधियों को काफी करीब से देख रहा है और यह आलेख उसी अनुभव और संघ और बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ताओं के बातचीत पर आधारित है ।
चीफ जस्टिस संजय करोल उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ शताब्दी भवन के हॉल में दिलवाएंगे।ये शपथ ग्रहण समारोह दोपहर एक बजे होगा।
बिहार न्यायिक सेवा कोटा से श्री शैलेन्द्र सिंह, श्री अरुण कुमार झा, श्री जितेंद्र कुमार,श्री आलोक कुमार पाण्डेय,श्री सुनील दत्ता,श्री चंद्र प्रकाश सिंह और श्री चंद्र शेखर झा को पटना हाईकोर्ट के जज बनाए गए हैं।
इस सम्बन्ध में अधिसूचना केंद्रीय कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने जारी किया है।4 मई, 2022को सुप्रीम कोर्ट कालेजीयम ने न्यायिक सेवा कोटा के सात अधिकारियों का पटना हाईकोर्ट मे जज के रूप में नियुक्ति की अनुशंसा की थी।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानउद्दीन अमानउल्लाह का स्थानांतरण पटना हाईकोर्ट में हो गया है।इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया है।
अभी पटना हाईकोर्ट में जजों की कुल संख्या 27 हैं। जबकि इन जजों के योगदान देने के बाद ये संख्या 37 हो जाएगी। वकील कोटे से दो जजों की पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके साथ ही जजों की संख्या पटना हाईकोर्ट में 37 हो जाएगी।
पटना हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत पद 53 हैं।इस तरह अभी भी 16 जजों के पद रिक्त रहेंगे।
पटना हाई कोर्ट में वकील कोटा से दो और जजों की नियुक्ति की गई हैं। ख़ातिम रज़ा और डॉ अंशुमान को हाई कोर्ट पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है। इनकी नियुक्ति की अधिसूचना भारत सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी किया गया है। भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 के क्लाउज (1) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए किया है।
इससे पूर्व बिहार न्यायिक सेवा के सात अधिकारियों को पटना हाईकोर्ट में जज के रूप नियुक्ति से सबंधित अधिसूचना केंद्र सरकार ने जारी की गई थी।इसके साथ ही आंध्र प्रदेश के जज जस्टिस ए अमानुल्लाह को पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में स्थानांतरित किये जाने संबंधी अधिसूचना जारी कर दिया गया।
पटना हाईकोर्ट में इन सभी जजों के योगदान देने के पटना हाईकोर्ट में जजों की संख्या 27 से 37 हो जाएगी।
पटना हाईकोर्ट इस जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 53 हैं।इस तरह अभी भी 16 जजों के पद रिक्त पड़े हैं।राज्य में मुकदमों की लंबित मामलों और आबादी के मद्देनजर पटना हाईकोर्ट में जजों की संख्या 75 किए जाने का अनुरोध अधिवक्ता संघ द्वारा किया जा रहा है।
पटना के अनिशाबाद स्थित पुलिस कॉलोनी मोड़ के समीप आईआईएफएल फाइनेंस कंपनी में लगभग 4 करोड की लूट के मामले में पटना पुलिस ने स्पेशल टास्क फोर्स की गठन की है।
स्पेशल टास्क फोर्स सीआईडी एफएसएल की टीम फाइनेंस कंपनी के ऑफिस में जांच कर रही है। साथ ही डॉग स्क्वायड को लेकर के इलाके में छानबीन भी कर रही है। लेकिन अभी कुछ भी हाथ नहीं लगा है।
इस मामले को लेकर के मैनेजर धीरज सिंह ने बताया कि लगभग चार करोड़ की लूट की घटना को अपराधियों ने अंजाम दिया है।
पूर्णिया के जानकीनगर थाना के लादुगढ़ निवासी नारायण ऋषि और सुलोचना देवी का एकलौता पुत्र दिलखुश ऋषि को जम्मू कश्मीर के बागडोब में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दिया.
इसकी सूचना जैसे ही उनके घर पहुंची उनके घर में कोहराम मच गया. माता पिता और परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है. सबका एक ही मांग है कि सरकार आतंकवादियों पर कठोर कार्रवाई करें. वहीं लोगों ने दिलखुश के बूढ़े मां बाप को मुआवजा देने की मांग की. ताकि बुढ़ापे मैं उनका गुजर बसर हो सके. पिता नारायण ऋषि ने कहा कि दिलकुश उनका इकलौता पुत्र था. वह मार्च महीने में 3 माह पहले कमाने के लिए कश्मीर गया था. जहां वह इट भट्ठा में काम करता था.
आज दिन में उन्हें सूचना मिली कि उनके बेटे की किसी आतंकवादी ने गोली मारकर हत्या कर दी है. वहीं मृतक दिलखुश की बहन पूनम का कहना है कि उनके माता-पिता का बुढ़ापा कैसे कटेगा. सरकार मदद करें. गांव के सरपंच पति नागेश्वर साह और वार्ड सदस्य व चचेरा भाई वकील ऋषि का कहना है कि उन्हें आज दिन में इस घटना की सूचना मिली. उसके बाद से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. लोगों के घर आंगन का चूल्हा तक नहीं जला है. लोगों का रो रो कर बुरा हाल है.
लोगों ने मांग की है कि सरकार कठोर कार्रवाई करें. वही बनमनखी विधायक कृष्ण कुमार ऋषि भी सूचना मिलते ही दिलखुश के घर पर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बँधाया.
केन्द्र में नरेंद्र मोदी सरकार के 8 साल पूरे होने पर बीजेपी ने जानकारी देने के लिए जिला मुख्यालयों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इसी क्रम में जहानाबाद में वरिष्ठ भाजपा नेता नंद किशोर यादव पहुंचे।
पूर्व मंत्री ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी जी ने सत्ता को सेवा का माध्यम मानकर गरीबों, किसानों, महिलाओं और वंचितों को उनके अधिकार दिए। जिससे लोकतंत्र में उनका विश्वास जगा और वो देश की विकास यात्रा में सहभागी बने। अनेकों ऐतिहासिक उपलब्धियों से परिपूर्ण इन 8 वर्षों की सभी देशवासियों को बधाई।
गत 8 सालों में नरेंद्र मोदी जी ने देश के हर नागरिक के सपनों व आकांक्षाओं को पंख देकर उनमें नया आत्मविश्वास जगाया है। योजनों के क्रियान्वयन में न तो जाति देखी गई, और नहीं धर्म देखा गया। मोदी जी ने अपने सक्षम नेतृत्व और दृढ़ इच्छाशक्ति से न सिर्फ देश को सुरक्षित किया, बल्कि कई ऐसे निर्णय लिए जिससे हर देशवासी का सिर गर्व से ऊंचा उठा।
सीबीआई किस तरीके से काम करती है इसकी एक बानगी बिहार के सबसे चर्चित मुकदमों में एक पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के ट्रायल के दौरान देखने को मिला इस कांड के सबसे महत्वपूर्ण गवाह जिसे सीबीआई ने मृत घोषित कर दिया था वह महिला गवाह बादामी देवी शुक्रवार को कोर्ट में हाजिर हुई ।
CBI ने 24 मई को कोर्ट में बादामी देवी को मृत बताते हुए रिपोर्ट दाखिल किया था। इस बात की जानकारी जब बादामी देवी को मीडिया के माध्यम से मिली तो वह काफी दुखी हुईं। वे आज स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुईं और कहा कि मैं जिंदा हूं। महिला ने कोर्ट के समक्ष आईकार्ड, पैन कार्ड, वोटर आई कार्ड दिखाया। इस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए CBI से शोकॉज किया है।
घर कब्जाने को लेकर हुई थी हत्या बता दें, यह वही महिला है, जिसके घर पर आरोपी कब्जा करने की फिराक में थे। पत्रकार राजदेव रंजन इसे लेकर लगातार आवाज उठा रहे थे। इसी बात को लेकर आरोपित लड्डन मियां समेत अन्य ने तय किया था कि पत्रकार की हत्या के बाद ही घर पर कब्जा हो सकता है। इसके बाद पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बादामी देवी ने बताया कि मेरी उम्र 80 वर्ष पार कर चुकी है, लेकिन जब सुना कि हमें मरा हुआ घोषित कर दिया गया है, तब हम काफी दुखी हुए। ये सब आरोपियों की मिलीभगत से हुआ है।
अधिवक्ता ने उठाए सवाल अधिवक्ता शरद सिन्हा ने CBI पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘ये बड़ी लापरवाही है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी अगर इस तरीके से काम करेगी तो क्या होगा? CBI ने गवाह से संपर्क तक नहीं किया और महिला को मृत घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट में रिपोर्ट भी सबमिट कर दी गई। इसमें कहीं न कहीं साजिश की बू आ रही है।’
13 मई 2016 को सीवान के स्टेशन रोड में गोली मारकर राजदेव रंजन की हत्या कर दी गई थी। जांच के बाद CBI ने पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन समेत आठ आरोपितों के खिलाफ विशेष कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। कहा जाता है कि रंजन के हमलावरों को शहाबुद्दीन के सहयोगी लड्डन मियां (या मियां) ने सुपारी दी थी।
बिहार की 5 सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया समाप्त हो गई है। इस 5 सीटों के चुनाव के लिए पांच उम्मीदवार अलग-अलग पार्टियों से उतारे गए थे। सभी उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए ।
राज्यसभा के 5 सीटों के लिए भाजपा ने 2 उम्मीदवार उतारे थे, जदयू ने एक उम्मीदवार उतारा था और आरजेडी ने 2 उम्मीदवार उतारे थे।
भाजपा ने अपने पुराने राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र दुबे को मैदान में उतारा था। इसके साथ ही एक नए चेहरे शंभू शरण पटेल को उम्मीदवार बनाया था। दोनों का निर्वाचन निर्विरोध हो गया है। वहीं, जेडीयू के तरफ से झारखंड के जदयू प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो को उम्मीदवार बनाया गया था, उनका भी निर्वाचन निर्विरोध कर लिया गया है।
आरजेडी के तरफ से लालू यादव की बेटी मीसा भारती एक बार फिर से मैदान में उतारा गया, इसके अलावा एक उम्मीदवार अल्पसंख्यक चेहरे के तौर पर फैयाज अहमद को उम्मीदवार बनाया गया था। दोनों आरजेडी उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित कर लिए गए हैं।
सभी उम्मीदवारों को निर्वाचन का सर्टिफिकेट दे दिया गया है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री संप्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी ने अपील की उपरोक्त तीनों सर्वेक्षण का पूरा अध्ययन किया जाए ताकि वो गलतियां बिहार में नहीं दोहराई जाए।
• टीम भेजकर कर्नाटक और तेलंगाना की जातिय सर्वेक्षण का अध्ययन कराएं। • सामाजिक, आर्थिक, जातिय गणना 2011 क्यों विफल हुई का भी अध्ययन हो। • उपरोक्त तीनों सर्वेक्षण की त्रुटियों से सबक लेकर जातिय गणना कराएं।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री संप्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी ने जातीय जनगणना कराने हेतु कैबिनेट की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि बिहार सरकार को कर्नाटक और तेलंगाना टीम भेजकर अध्ययन कराना चाहिए कि इन दोनों राज्यों ने किस प्रकार जातीय गणना कराई थी। साथ ही इस बात का भी अध्ययन कराना चाहिए कि 2011 की सामाजिक, आर्थिक, जातीय गणना में क्या त्रुटियां थी कि केंद्र सरकार जाति के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करा पाई ।
श्री मोदी ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने जातीय गणना तो कराई परंतु 7 वर्ष हो गए आज तक आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं कर पाई। कुछ जातियों की संख्या काफी कम पाई गयी और उनके विरोध के डर से कोई भी सरकार जातीय आंकड़े प्रकाशित नहीं कर सकी ।
तेलंगाना ने 2014 में ‘समग्र कुटुंब सर्वे’ के नाम से जातिय गणना करायी जिसमें एक ही दिन में पूरे सरकारी तंत्र ने सर्वे का काम पूरा किया । इस सर्वे में 75 सामाजिक, आर्थिक मुद्दों पर सर्वेक्षण किया गया था।
केंद्र सरकार ने 5500 करोड़ रुपए व्यय कर 2011 में बिना तैयारी के जल्दबाजी में SECC, 2011 कराया जिसमें 46 लाख जातियां दर्ज हो गई और 1 करोड़ 18 लाख से ज्यादा त्रुटियां पाई गई।
श्री मोदी ने अपील की उपरोक्त तीनों सर्वेक्षण का पूरा अध्ययन किया जाए ताकि वो गलतियां बिहार में नहीं दोहराई जाए।
3 जून 1930 को ज़ार्ज़ फ़र्नांडिस का जन्म दिन है। हम दोनो के बीच वह आख़िरी झगड़ा था ,उस समय हमे यह अनुमान नही था कि यह “ आख़िरी “ बन जायगा , लेकिन वक्त ने कुछ और तय कर रखा था – आख़िरी मुलाक़ात भी वही बनी ।
इसके बाद उनकी बीमारी अल्ज़ाइमर में चले जाना , मिलना , न मिलना दोनो बराबर था । उनकी बीमारी का सुन कर उनसे मिलने जब उनके आवास पर पहुँचा तो – बहुत दर्दनाक मंजर था – ज़ार्ज़ कोमा में हैं , मोटी सी चादर में ढके हुए , सामने लैला जी ( लैला कबीर फ़र्नांडिस – ज़ार्ज़ की पत्नी ) खड़ी हैं , एक कुर्सी पर दलाई लामा जी बैठे हैं , उनका हाथ ज़ार्ज़ के घुटने पर है । लामा की आँख से आंसू झर रहा है – “ अब हमारी लड़ाई कौन लड़ेगा ज़ार्ज़ ? “ हमने दूर से ही प्रणाम किया और वापस मुड़ गया । अपने से पूछा – “इस” ज़ार्ज़ से क्यों मिले ?
इस ज़ार्ज़ से क्यों मिले ? यह पोस्ट इसी सवाल का जवाब बनाने की कोशिश कर रहा हूँ । ज़ार्ज़ से हम पहली दफ़ा 1972 , में मिले । और मिलते ही उदास हो गया । यही ज़ार्ज़ है ? “जाइंट किलर “ ? बांबे का मज़दूर नेता , जिसके एक इशारे पर बांबे ठप ? पुलिस परिषद का नेता ? रेलवे मेंस फ़ेडरेशन का नेता ? ज़ार्ज़ की शक्सियत सवाल में आ गयी । खादी का कुर्ता , पजामा , गांधी आश्रम का चप्पल एक छोटा सा बैग लिए ज़ार्ज़ खड़े हैं । इस तरह का नेता हम पहली बार देख रहे थे । हमारे पास नेता की दूसरी ही तस्वीर रही , बिल्कुल कांग्रेसी नेता की । थुल-थुल काया , निकला हुआ पेट । चौचक कुर्ता धोती । लेकिन वह तस्वीर टूट गयी और मन उदास हो गया । अवसर था – बिल्थरा रोड बलिया में समाजवादी युवजन सभा ने “ पूर्वांचल विद्रोह सम्मेलन “ आयोजित किया था जिसका उद्घाटन करने ज़ार्ज़ आए थे ।
देबू दा ( देवब्रत मजूमदार ) ने हमारा परिचय कराया – – ज़ार्ज़ ! ये चंचल है – हलों ! और एक हाथ बढ़ आया । निहायत गर्म जोशी से हाथ मिला । यहाँ से एक नयी यात्रा शुरू हुई ।
एक दिन ज़ार्ज़ की चिट्ठी मिली । मज़मून था – “उत्तर प्रदेश में पुलिस परिषद की मान्यता को लेकर सरकार और पुलिस में तनाव है । तुम लोग पुलिस की मदद करो । “ किया गया और बनारस केंद्र बन गया । इसकी वजह रामनगर पी ये सी कैम्प पर सेना का आक्रमण । नुक़सान दोनो तरफ़ हुआ । पुलिस शक के घेरे में आ गयी और पंडित कमलापति त्रिपाठी की सरकार गिर गयी । उत्तर प्रदेश इतिहास लिख रहा था पुलिस के साथ समाजवादी युवजन सभा का सुदृढ़ रिश्ता । नतीजा यह रहा क़ि विश्वविद्यालय में होनेवाले सालाना उपद्रव को रोकने के लिए पी ये सी की जगह दक्षिण की रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स लगने लगी । यहाँ भी पीं ये सी को दोहरा फ़ायदा हुआ । पुलिस परिषद के तत्कालीन नेता गिरी के अनुसार – लड़कों (छात्रों ) से लात खाना बंद हुआ और टी ये डी ये तो बढ़ा ।
तकनीकी पेंच समझिए – राजस्व भूमि रजिस्टर में काशी विश विद्यालय गाँव दर्ज है । डेढ़ कदम लांघ जाइए बनारस शहर है । पुलिस नियमावली बहुत कमाल की है । पुलिस फ़ोर्स को मिलने वाला दैनिक भत्ता शहर में ज़्यादा है गाँव में कम । गिरी इसी तरफ़ इशारा कर रहे थे ।
इस ज़ार्ज़ को देखा है । 74 में रेल हड़ताल हुई । हमे दो काम मिला – एक – रेल कर्मचारियों के परिवार की मदद । और आम जन को आवश्यक वस्तुओं की सम्भावित कमी दूर करने का प्रयास । इस प्रयास में दुकानदारों द्वारा सामानों को रोकना और फिर महँगे दाम पर बेचना । ग़ज़ब का ख़ौफ़नाक मंजर बनाया आढ़तियों ने । नमक और माचिस जैसी चीज़ों की क़ीमत आसमान पर चली गयी माचिस दस दस रुपए तक बिकने लगी । हमारी ड्यूटी जौनपुर में लगी थी । अनगिनत दुकानो के गोदाम खोलवाए । वाजिब दाम पर चीनी , डालडा , माचिस , नमक सब बँटा । रेल किस तरह देश को जोड़ती है , उसकी कितनी उपयोगिता है , यह उस रेल हड़ताल से मालूम हुआ । इस रेल हड़ताल ने श्रीमती ईंदिरा गांधी को ज़ार्ज़ का स्थायी दुश्मन बना दिया । रही सही कसर माओत्से तुंग के उस ख़त ने आग में घी का काम किया जिसे माओ ने ज़ार्ज़ की बहादुरी पर लिखा था ।
हमने इस ज़ार्ज़ को देखा था 75में आपातकाल लगा । इसे इमरजेंसी कहते हैं । हर ग़ैर कांग्रेसी नेता धड़ल्ले से झूठ बोलता है की हम इमरजेंसी से लड़े हैं ।25/26 जून को इमरजेंसी लगी । सारे लोग गिरफ़्तार हो गये , कुछ ने माफ़ीनाम लिख दिए , बाक़ी फ़रार रहे , तो कब और किससे लड़े ? इस इमरजेंसी के ख़िलाफ़ केवल दो थे जो लड़ रहे थे । एक अकाली दल , वह प्रति दिन जत्था बना कर निकलता और गिरफ़्तारी देता दूसरे थे ज़ार्ज़ और उनके मित्र लोग । ज़ार्ज़ पर डाइनामाइट केस चला । हम इस ज़ार्ज़ को जानते थे । ज़ार्ज़ का यह हिस्सा कभी नही मरेगा ।
हम उस उस ज़ार्ज़ की चर्चा फ़िलहाल यहाँ नही करेंगे जिस पर हम झगड़े थे ।
बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामला बड़ी मछली पुलिस के पकड़ से अभी भी है बाहर। आर्थिक अपराध इकाई बीमारी की वजह को पकड़ने के बजाय बीमार व्यक्ति को पकड़ने में लगा है। आईएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंह की भूमिका की जांच में तेजी क्यों नहीं लायी जा रही है ।
बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के कार्यकाल के दौरान मैं ईटीवी की ओर से पुलिस मुख्यालय के लिए रिपोर्टिंग करता था ।हालांकिअभयानंद के पूरे कार्यकाल के दौरान मेरा इनसे हमेशा खबरों को लेकर 36 का आंकड़ा रहा और एक समय ऐसा आया जब मुझे पुलिस मुख्यालय बीट से बाहर कर दिया गया और इससे भी बात नहीं बनी तो मुझे ईटीवी छोड़ना पड़ा।
लेकिन इस तल्खी के बावजूद व्यक्तिगत रिश्ते हमेशा मधुर रहे उसकी एक बड़ी वजह ये रही कि दोनों एक दूसरे के ईमानदारी पर शक नहीं था हां अभयानंद की पुलिसिंग और मेरी पत्रकारिता की शैली की वजह से टकराव जरूर होता था लेकिन एक पुलिस अधिकारी के रुप में दम तो था ।
कल उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर प्रश्न पत्र लीक मामले को लेकर एक पोस्ट लिखे हैं जिसका अंतिम पैराग्राफ यह है कि मैंने जो पुलिस की 37 वर्षों की जिंदगी में समझा, वह यह कि पैसे का वितरण जब तक स्वाभाविक तौर पर समाज में होता रहता है, तब तक “हाय-तौबा” नहीं मचती। छोटे-मोटे अपराध होते हैं। लेकिन अगर “बवाल” मच जाए तो समझना चाहिए कि काले धन का वितरण “स्वाभाविक” तौर पर नहीं हुआ है। कई बार इस आधार पर अनुसंधान करने से सफलता मिली है।
हालांकि अभयानंद के इस सुक्षाव पर आर्थिक अपराध इकाई अमल करने कि स्थिति में है या नहीं कहना मुश्किल है लेकिन अभयानंद के इस सूत्र के सहारे पूरे मामले के जड़ तक जरूर पहुंचा जा सकता है। क्यों कि बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामले का एक माह होने वाला है अभी तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है मीडिया रिपोर्ट की ही माने तो अभी तक आर्थिक अपराध इकाई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है प्रश्न पत्र कहां से लीक हुआ और लीक करने में कौन कौन शामिल है इसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है ।
वही आर्थिक अपराध इकाई बीमारी की वजह को पकड़ने के बजाय बीमार व्यक्ति को पकड़ने में लगा है ।अभी तक के अनुंसधान में जो बाते सामने आयी है उसके अनुसार सॉल्वर गैंग का सरगना पिंटू यादव भी 2011-12 में इंजीनियरिंग की परीक्षा में सेटिंग कर एनआईटी पटना में दाखिला लिया था,यह खुलासा पिंटू यादव के सहयोगी संजय ने किया है संजय ने आर्थिक अपराध इकाई के जांच अधिकारी को बताया है कि वर्ष 2011-12 बैच में, मैं और पिंटू इंजीनियरिंग में एडमिशन सेटिंग करके एनआईटी पटना में लिया था,पिंटू जैसे-तैसे पढ़कर पास कर गया लेकिन मैं लगातार फेल होता रहा और फिर मुझे नॉट फिट फॉर टेक्निकल एजुकेशन करार कर बाहर कर दिया गया।
इसी तरह 64वीं बीपीएससी परीक्षा पास करके राजस्व पदाधिकारी बने राहुल कुमार का भी कहना है कि मैं सेटिंग से ही अधिकारी बना हूं मैं डीएसपी बनना चाहता था इसलिए इस बार फिर परीक्षा में बैठा था और परीक्षा शुरू होने से एक घंटा पहले प्रश्न पत्र हल किया गया सीट मुझे परीक्षा भवन में जाने से पहले मिल गया था।
मतलब इस बार मामला प्रकाश में आ गया लेकिन बिहार में सेटिंग का खेल बहुत पहले से चल रहा है और बड़े स्तर पर चल रहा है ऐसे में आर्थिक अपराध इकाई को अब 64 वीं बीपीएससी परीक्षा की भी जांच करनी चाहिए, 2011-12 में इंजीनियरिंग की परीक्षा जो आयोजित किया था उसकी भी जांच करनी चाहिए ये सब यही दर्शाता है कि पुलिस मामले की लीपापोती करना चाह रही है। क्यों इस पूरे मामले की बड़ी बात यह है कि प्रश्न पत्र सॉल्वर गैंग को पहुंचाता कौन है इस खेल के खुलासे के बगैर इस मामले में कुछ नहीं होना है।
ये उसी तरह का आई वास है जैसे सरकार की निगरानी विभाग घूस लेते किसी सरकारी अधिकारी को पकड़ता है और जेल भेज कर सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करती है। सवाल यह है कि वो अधिकारी घूस क्यों लेता है और घूस की राशि कहां कहां पहुंचता है जब तक इस विन्दू पर जांच नहीं होगी और उस खेल में शामिल मंत्री से लेकर ब्यूरोक्रेट तक पर कार्यवाही नहीं होती है तो फिर इस तरह घूस लेते कर्मी के पकड़ने का मतलब क्या है इसलिए जांच का दायरा पहले बीपीएससी का दफ्तर होना चाहिए क्यों खेल वही से शुरु होता है ।
2–आईएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंंह से पूछताछ क्यों नहीं हो रही है बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक मामले में आईएएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंह की भूमिका क्या है यह तो पुलिस के जांच का विषय है लेकिन इसका पूरा आचरण संदिग्ध है जो जानकारी मिल रही है रंजीत कुमार सिंह जिस मोबाइल नम्बर का इस्तेमाल करते हैं वो उसके नाम से नहीं है, बीपीएससी के सचिव को जिस वाट्सएप नम्बर से प्रश्न पत्र की कॉपी भेजा है वह नंबर भी रंजीत कुमार सिंह के नाम से नहीं है।इस तथ्य की पुष्टि के लिए मै रंजीत कुमार सिंह से बात करने कि कोशिश की लेकिन वो बार बार फोन काट दे रहे थे।
वो अपना फेसबुक पेज क्यों डिलीट कर दिया जिसमें हाल के वर्षो में इसके द्वारा जो कोचिंग संस्थान चलाया जा रहा है उसके बारे में विस्तृत जानकारी दर्ज था। इनके कोचिंग में पढ़ने वाले कितने बच्चे पास किए हैं इसकी जानकारी दर्ज था। ऐसे में इन्हें पुलिस को सहयोग करना चाहिए था तो ये साक्ष्य मिटा रहे हैं इसके अलावे कई ऐसे तथ्य है जो कही ना कही रंजीत कुमार सिंह के आचरण को संदिग्ध कर रहा है ।
वही अभी तक बीपीएसपी के कर्मी और अधिकारियों से पूछताछ नहीं हुई उनकी भूमिका लगातार संदिग्ध रही है अंत में इतना कहना ही काफी है कि अगर “बवाल” हुआ है तो समझना चाहिए कि काले धन का वितरण “स्वाभाविक” तौर पर नहीं हुआ है और अब जब मामला सामने आ गया तो काले धन के स्वाभाविक वितरण पर काम शुरु हो गया है ,फिर भी ना उम्मीद मत होइए इस मामले की जांच ऐसे अधिकारी के जिम्मे है जिस पर भरोसा किया जा सकता है ।
जहानाबाद जिले के घोसी धमापुर सड़क गोडसरअस्पताल के समीप ईट से लगा एक ट्रैक्टर पलटने से दो व्यक्ति की मौत हो गई ।और 2 लोग घायल हो गया बताया जाता है कि गोडसर गांव से ईटी लेकर ट्रैक्टर ईट भट्ठा पर जा रहा था।
जैसे ही अस्पताल के समीप पहुंचा कि अचानक ट्रैक्टर का चक्का टूट कर अलग हो गया। जिसके कारण ड्राइवर ने संतुलन खो दिया। और ट्रैक्टर सड़क के किनारे गढ़ा मैं गिरा । जिससे 2 मजदूर की मौत घटनास्थल पर ही हो गई और दो लोग घायल हो गए।
अहियासा गांव निवासी गुंजन कुमार उम्र 20 वर्ष एवं खिरौटी गांव निवासी रामबाबू उम्र 32 वर्ष घटनास्थल पर ही मौत हो गई दो व्यक्ति घायल बताया जाता है जिसमें चालक वैना बाल्मीकि दास उम्र 50 वर्ष एवं अटल बरनाला उम्र 55 वर्ष जो रांची का निवासी है ।दोनों घायलों को ग्रामीणों के सहयोग से इलाज हेतु सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां डॉक्टर द्वारा इलाज किया जा रहा है।
मौत के बाद उसके परिवार में कोहराम मच गया परिवारजनों के रोते-रोते बुरा हाल है ।ग्रामीणों द्वारा मुआवजे की मांग को लेकर धामापुर सड़क पर शव रखकर ग्रामीणों द्वारा जाम कर दिया है। पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच में जुटी हुई है ग्रामीणों द्वारा वरीय पदाधिकारी को घटनास्थल पर बुलाने की मांग लोग कर रहे हैं।
घोसी के थाना अध्यक्ष ने बताया कि वरीय पदाधिकारी को सूचना दी गई है जल्दी पदाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचकर मुआवजे की घोषणा कर जाम को हटाया जाएगा। लेकिन इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है लोगों का कहना है कि यह व्यक्ति मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था ।इसके मौत के बाद परिवार पर संकट की घड़ी आ गई है ।
नवादा जिले के कादिरगंज ओपी के विजयनगर में गुरुवार को 8 कट्ठा जमीन को लेकर परिवार के लोगों आपस में भीड़ गए ,जिसमे कुल 4 महिलाएं जख्मी हो गए है।
मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। हिंसक मारपीट में 4 महिला गंभीर रूप से जख्मी हो गए जहां सभी को घायल अवस्था मे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पीड़ित ने बताया कि राजेंद्र प्रसाद के घर पर तीन व्यक्ति लाठी डंडा लेकर पहुंच जाते हैं। और देखते ही देखते घर मे मौजूद सभी के साथ मारपीट करना शुरू कर देते हैं।
मौके पर मौजूद रहे परिवार के सदस्यों ने मारपीट का वीडियो बना लिया और वायरल कर दिया।पीड़ित परिवार ने बताया है कि पत्नी भासो देवी, बेटी नीतू कुमारी, खुशबू कुमारी, ममता कुमारी के साथ जमकर मारपीट की गई है। उन्होंने बताया कि 8 कट्ठा जमीन को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। और इसी को गुरुवार को हमारे भाई और भतीजा ने मिलकर हमारी पत्नी और बेटी के साथ मारपीट किया है। हम लोग घर में नहीं थे। उसी दौरान अचानक घर पर आकर विपिन कुमार, शिवनाथ महतों व किशन महतों ने घर पर आकर हमारे परिवार के साथ जमकर मारपीट करना शुरू कर दिया।
जिसके बाद थाना में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।फिलहाल सभी घायलों का सदर अस्पताल में इलाज़ जारी है।