सीबीआई किस तरीके से काम करती है इसकी एक बानगी बिहार के सबसे चर्चित मुकदमों में एक पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के ट्रायल के दौरान देखने को मिला इस कांड के सबसे महत्वपूर्ण गवाह जिसे सीबीआई ने मृत घोषित कर दिया था वह महिला गवाह बादामी देवी शुक्रवार को कोर्ट में हाजिर हुई ।
CBI ने 24 मई को कोर्ट में बादामी देवी को मृत बताते हुए रिपोर्ट दाखिल किया था। इस बात की जानकारी जब बादामी देवी को मीडिया के माध्यम से मिली तो वह काफी दुखी हुईं। वे आज स्वयं कोर्ट में उपस्थित हुईं और कहा कि मैं जिंदा हूं। महिला ने कोर्ट के समक्ष आईकार्ड, पैन कार्ड, वोटर आई कार्ड दिखाया। इस पर कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए CBI से शोकॉज किया है।
घर कब्जाने को लेकर हुई थी हत्या
बता दें, यह वही महिला है, जिसके घर पर आरोपी कब्जा करने की फिराक में थे। पत्रकार राजदेव रंजन इसे लेकर लगातार आवाज उठा रहे थे। इसी बात को लेकर आरोपित लड्डन मियां समेत अन्य ने तय किया था कि पत्रकार की हत्या के बाद ही घर पर कब्जा हो सकता है। इसके बाद पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बादामी देवी ने बताया कि मेरी उम्र 80 वर्ष पार कर चुकी है, लेकिन जब सुना कि हमें मरा हुआ घोषित कर दिया गया है, तब हम काफी दुखी हुए। ये सब आरोपियों की मिलीभगत से हुआ है।
अधिवक्ता ने उठाए सवाल
अधिवक्ता शरद सिन्हा ने CBI पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘ये बड़ी लापरवाही है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी अगर इस तरीके से काम करेगी तो क्या होगा? CBI ने गवाह से संपर्क तक नहीं किया और महिला को मृत घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट में रिपोर्ट भी सबमिट कर दी गई। इसमें कहीं न कहीं साजिश की बू आ रही है।’
13 मई 2016 को सीवान के स्टेशन रोड में गोली मारकर राजदेव रंजन की हत्या कर दी गई थी। जांच के बाद CBI ने पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन समेत आठ आरोपितों के खिलाफ विशेष कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था। कहा जाता है कि रंजन के हमलावरों को शहाबुद्दीन के सहयोगी लड्डन मियां (या मियां) ने सुपारी दी थी।