Press "Enter" to skip to content

बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामला बड़ी मछली पर हाथ डालने से घबरा रही है पुलिस

बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामला बड़ी मछली पुलिस के पकड़ से अभी भी है बाहर।
आर्थिक अपराध इकाई बीमारी की वजह को पकड़ने के बजाय बीमार व्यक्ति को पकड़ने में लगा है।
आईएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंह की भूमिका की जांच में तेजी क्यों नहीं लायी जा रही है ।

बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद के कार्यकाल के दौरान मैं ईटीवी की ओर से पुलिस मुख्यालय के लिए रिपोर्टिंग करता था ।हालांकिअभयानंद के पूरे कार्यकाल के दौरान मेरा इनसे हमेशा खबरों को लेकर 36 का आंकड़ा रहा और एक समय ऐसा आया जब मुझे पुलिस मुख्यालय बीट से बाहर कर दिया गया और इससे भी बात नहीं बनी तो मुझे ईटीवी छोड़ना पड़ा।

लेकिन इस तल्खी के बावजूद व्यक्तिगत रिश्ते हमेशा मधुर रहे उसकी एक बड़ी वजह ये रही कि दोनों एक दूसरे के ईमानदारी पर शक नहीं था हां अभयानंद की पुलिसिंग और मेरी पत्रकारिता की शैली की वजह से टकराव जरूर होता था लेकिन एक पुलिस अधिकारी के रुप में दम तो था ।

कल उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर प्रश्न पत्र लीक मामले को लेकर एक पोस्ट लिखे हैं जिसका अंतिम पैराग्राफ यह है कि मैंने जो पुलिस की 37 वर्षों की जिंदगी में समझा, वह यह कि पैसे का वितरण जब तक स्वाभाविक तौर पर समाज में होता रहता है, तब तक “हाय-तौबा” नहीं मचती। छोटे-मोटे अपराध होते हैं। लेकिन अगर “बवाल” मच जाए तो समझना चाहिए कि काले धन का वितरण “स्वाभाविक” तौर पर नहीं हुआ है। कई बार इस आधार पर अनुसंधान करने से सफलता मिली है।

हालांकि अभयानंद के इस सुक्षाव पर आर्थिक अपराध इकाई अमल करने कि स्थिति में है या नहीं कहना मुश्किल है लेकिन अभयानंद के इस सूत्र के सहारे पूरे मामले के जड़ तक जरूर पहुंचा जा सकता है। क्यों कि बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक मामले का एक माह होने वाला है अभी तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है मीडिया रिपोर्ट की ही माने तो अभी तक आर्थिक अपराध इकाई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है प्रश्न पत्र कहां से लीक हुआ और लीक करने में कौन कौन शामिल है इसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है ।

वही आर्थिक अपराध इकाई बीमारी की वजह को पकड़ने के बजाय बीमार व्यक्ति को पकड़ने में लगा है ।अभी तक के अनुंसधान में जो बाते सामने आयी है उसके अनुसार सॉल्वर गैंग का सरगना पिंटू यादव भी 2011-12 में इंजीनियरिंग की परीक्षा में सेटिंग कर एनआईटी पटना में दाखिला लिया था,यह खुलासा पिंटू यादव के सहयोगी संजय ने किया है संजय ने आर्थिक अपराध इकाई के जांच अधिकारी को बताया है कि वर्ष 2011-12 बैच में, मैं और पिंटू इंजीनियरिंग में एडमिशन सेटिंग करके एनआईटी पटना में लिया था,पिंटू जैसे-तैसे पढ़कर पास कर गया लेकिन मैं लगातार फेल होता रहा और फिर मुझे नॉट फिट फॉर टेक्निकल एजुकेशन करार कर बाहर कर दिया गया।

इसी तरह 64वीं बीपीएससी परीक्षा पास करके राजस्व पदाधिकारी बने राहुल कुमार का भी कहना है कि मैं सेटिंग से ही अधिकारी बना हूं मैं डीएसपी बनना चाहता था इसलिए इस बार फिर परीक्षा में बैठा था और परीक्षा शुरू होने से एक घंटा पहले प्रश्न पत्र हल किया गया सीट मुझे परीक्षा भवन में जाने से पहले मिल गया था।

मतलब इस बार मामला प्रकाश में आ गया लेकिन बिहार में सेटिंग का खेल बहुत पहले से चल रहा है और बड़े स्तर पर चल रहा है ऐसे में आर्थिक अपराध इकाई को अब 64 वीं बीपीएससी परीक्षा की भी जांच करनी चाहिए, 2011-12 में इंजीनियरिंग की परीक्षा जो आयोजित किया था उसकी भी जांच करनी चाहिए ये सब यही दर्शाता है कि पुलिस मामले की लीपापोती करना चाह रही है। क्यों इस पूरे मामले की बड़ी बात यह है कि प्रश्न पत्र सॉल्वर गैंग को पहुंचाता कौन है इस खेल के खुलासे के बगैर इस मामले में कुछ नहीं होना है।

ये उसी तरह का आई वास है जैसे सरकार की निगरानी विभाग घूस लेते किसी सरकारी अधिकारी को पकड़ता है और जेल भेज कर सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करती है। सवाल यह है कि वो अधिकारी घूस क्यों लेता है और घूस की राशि कहां कहां पहुंचता है जब तक इस विन्दू पर जांच नहीं होगी और उस खेल में शामिल मंत्री से लेकर ब्यूरोक्रेट तक पर कार्यवाही नहीं होती है तो फिर इस तरह घूस लेते कर्मी के पकड़ने का मतलब क्या है इसलिए जांच का दायरा पहले बीपीएससी का दफ्तर होना चाहिए क्यों खेल वही से शुरु होता है ।

2–आईएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंंह से पूछताछ क्यों नहीं हो रही है
बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक मामले में आईएएस अधिकारी रंजीत कुमार सिंह की भूमिका क्या है यह तो पुलिस के जांच का विषय है लेकिन इसका पूरा आचरण संदिग्ध है जो जानकारी मिल रही है रंजीत कुमार सिंह जिस मोबाइल नम्बर का इस्तेमाल करते हैं वो उसके नाम से नहीं है, बीपीएससी के सचिव को जिस वाट्सएप नम्बर से प्रश्न पत्र की कॉपी भेजा है वह नंबर भी रंजीत कुमार सिंह के नाम से नहीं है।इस तथ्य की पुष्टि के लिए मै रंजीत कुमार सिंह से बात करने कि कोशिश की लेकिन वो बार बार फोन काट दे रहे थे।

वो अपना फेसबुक पेज क्यों डिलीट कर दिया जिसमें हाल के वर्षो में इसके द्वारा जो कोचिंग संस्थान चलाया जा रहा है उसके बारे में विस्तृत जानकारी दर्ज था। इनके कोचिंग में पढ़ने वाले कितने बच्चे पास किए हैं इसकी जानकारी दर्ज था। ऐसे में इन्हें पुलिस को सहयोग करना चाहिए था तो ये साक्ष्य मिटा रहे हैं इसके अलावे कई ऐसे तथ्य है जो कही ना कही रंजीत कुमार सिंह के आचरण को संदिग्ध कर रहा है ।

वही अभी तक बीपीएसपी के कर्मी और अधिकारियों से पूछताछ नहीं हुई उनकी भूमिका लगातार संदिग्ध रही है अंत में इतना कहना ही काफी है कि अगर “बवाल” हुआ है तो समझना चाहिए कि काले धन का वितरण “स्वाभाविक” तौर पर नहीं हुआ है और अब जब मामला सामने आ गया तो काले धन के स्वाभाविक वितरण पर काम शुरु हो गया है ,फिर भी ना उम्मीद मत होइए इस मामले की जांच ऐसे अधिकारी के जिम्मे है जिस पर भरोसा किया जा सकता है ।

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »
More from बड़ी खबरMore posts in बड़ी खबर »
More from बिहार ब्रेकिंग न्यूज़More posts in बिहार ब्रेकिंग न्यूज़ »