दिल्ली/पटना । बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना हाईकोर्ट 3 दिन में याचिका को सुन कर अंतरिम आदेश दे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जातिवाद बिहार में बड़े पैमाने पर है और नौकरशाही या राजनीति हर क्षेत्र में प्रचलित है।
जस्टिस एमआर शाह और जेबी पर्दीवाला की पीठ राज्य में चल रहे जाति सर्वेक्षण पर रोक लगाने की याचिका पर विचार कर रही थी।
न्यायमूर्ति शाह ने टिप्पणी की, “वहां बहुत अधिक जातिवाद है। हर क्षेत्र में। नौकरशाही, राजनीति, सेवा।”
“बिहार में हर क्षेत्र में इतना जातिवाद”: सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट से जाति सर्वेक्षण पर रोक के लिए याचिका पर फिर से विचार करने को कहा।
याचिकाकर्ता ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ का कहना है कि पूरी प्रक्रिया बिना उचित कानूनी आधार के हो रही है. लोगों को जाति बताने के लिए बाध्य करना उनकी निजता का भी हनन है।
बिहार सरकार राज्य में जातियों की संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए जाति जनगणना करा रही है।सरकार का कहना है कि इससे आरक्षण के लिए प्रावधान करने और विभिन्न योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।
पटना उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील प्रस्तुत करने के लिए सर्वेक्षण पर कोई अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अंतरिम राहत देने या न देने का निर्णय लेने से पहले उच्च न्यायालय को गुण-दोष के आधार पर मामले की सुनवाई करनी चाहिए थी।