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बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की बढ़ी मुश्किले, नियुक्ति पर खड़ा किया सवाल

दिल्ली — बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की मुश्किलें सकती है । सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार से ये पूछा है कि आख़िरकार क्यों नहीं डीजीपी की नियुक्ति करने को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना जाये।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की नियुक्ति को लेकर एक याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर बिहार में डीजीपी की नियुक्ति कर दी है. कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता जय साल्वा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार राज्यों के डीजीपी की नियुक्ति में अपने आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा है, लेकिन बिहार में कोर्ट के आदेश को ताक पर रख कर डीजीपी की नियुक्ति कर दी गयी।

मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि हाईकोर्ट में इस मामले को क्यों नहीं ले ज़ाया गया. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि हाईकोर्ट में दो मामले लंबित हैं और उस पर सुनवाई नहीं हो रही है. याचिकाकर्ता के वकील जय साल्वा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर सुनवाई करनी चाहिये. ऐसे ही मामले में कोर्ट झारखंड सरकार को अवमानना का नोटिस जारी कर चुकी है. इसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दे रखा है कि वह किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर नियुक्त नहीं करे. राज्य सरकार डीजीपी या पुलिस कमिश्नर के पद पर नियुक्ति के लिए जिन पुलिस अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही होगी, उनके नाम यूपीएससी को भेजे जाएंगे. यूपीएससी उसे शॉर्टलिस्ट कर तीन सबसे उपयुक्त अधिकारियों की सूची राज्य को भेजेगा. उन्हीं तीन में से किसी एक को राज्य सरकार पुलिस प्रमुख नियुक्त कर सकेगी.

कोर्ट ने ये भी कहा था कि मौजूदा पुलिस प्रमुख के रिटायरमेंट से तीन महीने पहले यह सिफारिश यूपीएससी को भेजी जाये. सरकार को ये कोशिश करनी चाहिए कि कि डीजीपी बनने वाले अधिकारी का पर्याप्त सेवाकाल बचा हो. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ये कहा गया है कि बिहार सरकार ने कोर्ट के इस आदेश को ताक पर रख कर डीजीपी के पद पर एसके सिंघल की नियुक्ति कर दी है.

बेटी के जन्मदिन पर बिहार की डाँक्टर दंपति ने चांद पर जमीन खरीद कर गिफ्ट दिया

मधुबनी । अब बेटी बोझ नहीं अभिमान है जी हां बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाली एक डांक्टर दंपति ने अपनी बेटी के जन्मदिन पर चाँद पर जमीन खरीद कर दिया है । बेटी आस्था भारद्वाज के 10वें जन्मदिन पर यह नायाब तोहफा देते हुए डॉक्टर सुरविन्दु झा और डॉक्टर सुधा झा ने कहा कि चांद पर एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री (Land On Moon) कराई है जो आज बेटी के जन्मदिन पर उपहार स्वरुप दिये हैं ।

झंझारपुर में निजी नर्सिंग होम (Private Nursing Home) चलाने वाले डॉक्टर सुरविन्दु झा का कहना है कि आस्था भारद्वाज उनके खानदान की पहली बेटी है. सुरविन्दु ने कहा कि बेटियां किसी भी खानदान की मान और सम्मान होती हैं, लेकिन उनके खानदान में करीब सात पीढ़ियों से बेटियों की किलकारी और हंसी नहीं गूंजी थी, इसलिए जब उनके घर में आस्था का जन्म हुआ तो परिवार काफी खुश है. इसलिए इस खुशी को खास बनाने के लिए हमने अपनी बेटी को चांद पर जमीन खरीदकर गिफ्ट किया है.डॉक्टर सुरविन्दु झा के मुताबिक बेटी के लिए चांद पर जमीन खरीदने की प्रक्रिया पूरी होने में करीब डेढ़ वर्ष का वक्त लगा. सबसे पहले उन्होंने अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित लूना सोसायटी की वेबसाइट पर आवेदन किया, फिर तमाम तरह की कागजी प्रक्रिया पूरी करने और जमीन की कीमत और रजिस्ट्री शुल्क की राशि पेपाल एप (Paypal) से भुगतान करवाने के बाद 27 जनवरी, 2022 को स्पीड पोस्ट से उन्हें चांद पर जमीन रजिस्टर्ड कराने का पेपर मिला.।

बेटी आस्था  पांचवीं कक्षा में पढ़ रही और ये भी बड़ी होकर डाँक्टर ही बनेगी।

मीडिया का साम्प्रदायिकरण

कल एक राष्ट्रवादी चैनल के सीनियर पत्रकार का दिल्ली से फोन आया संतोष जी ये जो भागलपुर में जो घटना घटी है क्या उस इलाके में मुसलमान भी मंडल लिखता है क्या, मैंने कहा नहीं जिसके यहां धमाका हुआ है उसके यहां 1999, 2002 और 2007 में भी धमाका हुआ चुका है,भागलपुर में  गंगौता एक जाति है जो इस तरह के काम में वर्षो से लगा हुआ है।आंफिस पहुंचते पहुंचते मरने वालो की संख्या बढ़कर 14 हो गयी थी विधानसभा पहुंचे तो देखते हैं रिजनल और राष्ट्रीय चैनल का ओबी वैन और बैकपैक यही है बात हुई तो पता चला कि जाने को लेकर आंफिस से अभी तक कोई आदेश नहीं आया है विधानसभा में भी इस घटना को लेकर कोई हलचल नहीं था ।                  

मैं हैरान था इतनी बड़ी घटना हो गयी है और चारों और खामोशी छाई हुई है शाम चार बजे डीजीपी इस घटना को लेकर पीसी किये वहां भी मौजूद पत्रकारों में कोई हलचल नहीं था डीजीपी भी रुटीन घटना की तरह आये और मीडिया को संबोधित करके चले गये कोई उस तरह का सवाल नहीं इतनी बड़ी घटना और डीजीपी के पास कहने के लिए इतना ही था कि थाना अध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है एफएसएल की टीम को भागलपुर भेजा गया और जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है ।

इसी दौरान खबर आयी की मोदी जी इस घटना को लेकर नीतीश जी से बात किये हैं हालांकि उससे पहले पीएम का इस घटना को लेकर ट्वीट भी आ गया था। देर शाम फिर दिल्ली से फोन आया संतोष जी ये तो समझ में आया कि पटाखा बनाने वाला हिन्दू था लेकिन जो इलाका है वो इलाका तो पूरी तौर पर मुसलमानों का इलाका है  उस इलाके में एक मात्र यही हिन्दू परिवार वहां  रहता था और जिस मकान में किराया पर रहता था वो भी मुसलमान का ही है मैंने कहा आपकी जानकारी सही है लेकिन यह परिवार पुराना पटाखा कारोबारी है लेकिन एक बड़ा सवाल है आप लोग दिल्ली में है उठाना चाहिए था इतना बड़ा विस्फोट हुआ है एनआईए अभी तक नहीं पहुंचा है जबकि भागलपुर में आये दिन इस तरह की घटनाएं घटती रहती है पहले भी यहां हिन्दू मुसलमान के बीच बड़ा दंगा हो चुका है।    

पटाखा बनाने में बारूद का इस्तेमाल होता है लेकिन विस्फोट बता रहा है कि बारूद के साथ कोई ना कोई ऐसा शक्तिशाली पदार्थ मिलाया गया जिसके कारण इतना बड़ा नुकसान हुआ है ठीक है संतोष फिर बात करते हैं और उसके बाद वो फोन रख दिये सुबह अखबार में भी ऐसा नहीं लग रहा है कि बिहार में 14 लोगों की मौत हो गयी है ।सोशल मीडिया का भी यही हाल था लग ही नहीं रहा था कि बिहार में 14 लोगों की मौत हुई है।जबकि भागलपुर में इससे पहले टिफिन बम बरामद हो चुका है ,केमिकल बम बरामद हो चुका है आये दिन अलग अलग तरह का बम बरामद होता रहता है जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है ।           

मतलब घटना के पीछे अगर हिन्दू मुसलमान का एंगल है तो खबर है नहीं है तो खबर नहीं है चाहे कितनी भी बड़ी घटना क्यों नहीं घट जाये ।यह मानसिकता 2014 के बाद मीडिया में काफी तेजी से पनपा है वजह जो भी हो लेकिन यह साफ है कि मीडिया के इस मानसिकता का नुकसान आम लोगों को ही उठाना पड़ेगा।

देश के पहले राष्ट्रपति डाँ राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जय प्रकाश नारायण भू माफिया थे

बिहार सरकार की नजर में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाँ राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण भू माफिया थे वे लोगों का जमीन जबरन कब्जा करते थे, बिहार विधापीठ की जमीन पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डां राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जो भी निर्माण का काम कराया था वो सारा का सारा अवैध है।

जी हां हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की और से हाईकोर्ट में जो शपथ दायर किया गया है उसमें सरकार ने लिखा है कि बिहार विधापीठ को जमीन कैसे पाप्त हुआ इसकी कोई मुझे जानकारी नहीं है और बिहार विधापीठ को सरकार जमीन अधिग्रहण करके नहीं दिया है इतना ही नहीं पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी जैसी कोई संस्था सरकार द्वारा गठित नहीं कि गयी थी यह सब फर्जी है ।

जबकि डाँ राजेन्द्र प्रसाद पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी से 1954-55 में एक लाख 88 हजार रुपया भुगतान करने के बाद सरकार ने बिहार विधापीठ को जमीन दिया था।

पटना हाईकोर्ट में बिहार विधापीठ की और से मुकदमा लड़ रही शमा सिन्हा का कहना है कि पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से सरकार सिर्फ बिहार विधापीठ को ही नहीं कुर्जी अस्पताल को भी जमीन दिया है और ये सारी बाते जमीन रजिस्ट्री के कागजात में दर्ज है ऐसी स्थिति में सरकार कैसे कह रही है कि पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी की जानकारी नहीं है ये समझ से पड़े हैं ।

बिहार विधापीठ की ओर से मुकदमा लड़ रही शमा सिन्हा क्या कह रही है जरा आप भी सूनिए

अब जरा मामले के पीछे के खेल को समझ लीजिए बिहार विधापीठ इस वक्त जहां है आज की तारीख में उस जमीन की कीमत हीरा से भी ज्यादा है और यही वजह है कि इस जमीन पर सरकार और सरकार संरक्षित भूमाफिया की नजर है जो बिहार विधापीठ को बेदखल करना चाह रही है।यह बात तब प्रकाश में आयी है जब पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत को लेकर अधिवक्ता विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई चल रही थी।

फिलहाल आज हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार के हलफनामा को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि बिहार विद्यापीठ के चारदीवारी के भीतर की भूमि राष्ट्र की धरोहर है, न कि किसी की निजी संपत्ति है।

कोर्ट ने डी एम, पटना को बिहार विद्यापीठ की भूमि का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया है।साथ ही यह भी बताने को कहा कि बिहार विद्यापीठ की भूमि पर कितना अतिक्रमण है ।

बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी किया

पटना । पूर्व मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण को राज्य सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त किया है। इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर दिया है ।

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सेवानिवृत्त न्यायाधीश फूलचंद चौधरी को राज्य सूचना आयुक्त के पद पर पदस्थापित किया है, इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी कर दिया है ।

कानों की उचित देखभाल के लिए विश्व श्रवण दिवस पर किया जाएगा जागरूक

कानों की उचित देखभाल के लिए विश्व श्रवण दिवस पर किया जाएगा जागरूकः मंगल पांडेय
आज राज्य के 12 जिलों में चलेगा जागरूकता कार्यक्रम

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि बहरापन को रोकने के लिए खुद को जागरूक रखना बेहद आवश्यक है। कान हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। इसके प्रति लोगों को सचेत रहने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तीन मार्च को विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर जागरुकता कार्यक्रम रखा है, जो राज्य के 12 जिलों में संचालित होगा।

श्री पांडेय ने कहा कि राष्ट्रीय बहरापन नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) के तहत पूर्व की तरह इस साल भी तीन मार्च को विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर कई जिलों में बचाव एवं देखभाल के लिए आमजन को जागरूक किया जाएगा।

पोस्टर, बैनर व माइकिंग कर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में आकर ऐसे मरीज से जांच करवाने की अपील की जाएगी। इस संदर्भ में बताया जाएगा कि हमें तेज ध्वनि से कैसे कानों को सुरक्षित रखा जाए। अगर आपके कान में दर्द या संक्रमण के कोई लक्षण है तो जांच करायें। यह भी बताया जाएगा कि जो दवाइयां आप ले रहे हैं, कहीं वह आपके सुनने की क्षमता को प्रभावित तो नहीं कर रहा है। इस संदर्भ में अपने डॉक्टर से सलाह लें। अपने कान की जांच नियमित करायें। सुनने के लिए किन-किन उपकरणों का प्रयोग करें इसकी जानकारी भी दी जायेगी।

श्री पांडेय ने कहा कि श्रवण दिवस पर बहरापन के मुख्य कारणों के प्रति भी जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा, उनमें कान का मैल और निरंतर मवाद का बहाव, कान के अंदुरुनी भाग में सूखा घाव, अनुवांशिक बहरापन, कान के नजदीक अचानक तेज ध्वनि जैसे लक्षण हो सकते हैं। लोगों को जागरूक कर सलाह दी जाएगी कि वो अपने नजदीकी अस्पताल में आकर इस संदर्भ में जानकारी लें।

जिन जिलों में विभिन्न प्रचार माध्यमों से लोगों को जागरूक करने की योजना है, उनमें बांका, बक्सर, गया, गोपालगंज, जमुई, कैमूर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, पूर्वी चंपारण, रोहतास, पश्चिमी चंपारण एवं वैशाली जिले हैं।

मोतिहारी कोर्ट के पीपी को हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने सीएम के प्रधान सचिव को जारी किया नोटिस

पटना हाई कोर्ट ने गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक ( पीपी ) जय प्रकाश मिश्र को अदालत के आदेश के बाद भी अभी तक पद पर बहाल नहीं किये जाने के मामलें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने मोतिहारी के लोक अभियोजक जयप्रकाश मिश्रा द्वारा दायर अवमानना के मामलें पर सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा को खुद ही पहल कर अदालती आदेश का पालन कराना चाहिए था।

कोर्ट का कहना था कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव को नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने उनसे यह पूछा था कि अदालती आदेश की अवहेलना के मामले में क्यों नहीं उन्हें जिम्मेवार माना जाय।

कोर्ट ने सरकारी वकील को स्पष्ट रूप से कहा था कि अवमानना का यह मामला दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध दायर किया गया है, इसलिये इस मामले को लेकर जिम्मेदार व्यक्ति को स्वयं अदालत में अपना जवाब देना होगा कि उसने अदालती आदेश का पालन निर्धारित अवधि में क्यों नही किया।

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पूर्व में कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित संचिका मुख्य मंत्री के यहां लंबित है, इसलिए इसमें अदालती आदेश का पालन नही हो सका है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर, 2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र जारी कर दें। अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई ,तो अदालती आदेश की अवमानना का यह मामला दायर किया गया था।

इस मामले पर आगे की सुनवाई अब दस दिनों में की जाएगी।

सत्ता और सरकार से सवाल करने से देश मजबूत होता है

बात कोई 15 वर्ष पुरानी है मेरा भगिना अमेरिका से आया हुआ था बच्चों का जो टीकाकरण होता है उसका समय हो गया था लेकिन अमेरिका में बच्चों को जो टीका दिया जाता था वो यहां उपलब्ध नहीं था, भगिना मेरा अमेरिकन नागरिक था जहां तक मुझे याद है भारत में अमेरिका का जो दूतावास है वो भगिना के हर गतिविधि की जानकारी रखता था ।            

टीकाकरण की बात हुई तो जानकारी दी गयी कि पटना के एग्जीबिशन रोड में बच्चों के टीकाकरण से जुड़ा कोई डॉक्टर है जिनके यहां वो टीका उपलब्ध है ये सारी जानकारी दूतावास के माध्यम से मिल रहा था डॉक्टर के पास पहुंचे तो उसको पहले से जानकारी था टीकाकरण के बाद बच्चों को कोई परेशानी तो नहीं हुई इस स्तर तक दूतावास खबर रखता था अपने नागरिक का वैसे यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।                            

वैसे अमेरिका अपने नागरिक के प्रति कितना सजग है ये मीडिया रिपोर्ट से समझा जा सकता है वहीं एक अमेरिकन सेना या नागरिक के मौत होने पर वहां की जनता किस स्तर पर सवाल करती है वो भी कई मौके पर देखने को मिला है लेकिन आज यूक्रेन क्राइसिस के दौरान भारतीय छात्रों के साथ दूतावास का क्या व्यवहार है वो छात्रों के जुबानी समझा जा सकता है ।

भारत सरकार के मंत्री  प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) कहते हैं कि  विदेश में पढ़ने वाले 90% मेडिकल स्टूडेंट नीट एग्जाम पास नहीं कर पाते हैं इस बयान का यूक्रेन में फंसे छात्रों से क्या सम्बन्ध है क्या वो इस देश का नागरिक नहीं है यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने जाना देशद्रोही है क्या । 

लेकिन दूतावास का गैर जिम्मेदाराना रवैया और मंत्री का बेतुका बयान इसलिए आ रहा है कि इस देश की जनता सवाल करना भुल गया है  उलटे जो सवाल कर रहा है  उनसे पूछा जा रहा है कि झारखंड में छात्र पांडेय को मुसलमान मार दिया उस वक्त कहां थे ,कर्नाटक में हिन्दू छात्र को मुसलमान मार दिया उस वक्त चुप क्यों थे ऐसा सवाल करने लोगों  को ट्रोल कर रहे हैं।

इस संकट की घड़ी में भी जहां हजारों बच्चे जिंदगी और मौत से जूझ रहा है  इस समय भी सरकार पर दबाव बनाने के बजाय पूरी ट्रोल सेना  मामले को भटकाने में  लगा है। हालांकि अब पहले जैसी बात नहीं रही घर में विद्रोह शुरू हो गया है ।ऐसे लोग अब अपना प्रोफाइल लॉक करके रखता है फेक आईडी से अब यह खेल हो रहा है  लेकिन सवाल यह है कि यह कब तक चलेगा वैसे  यूक्रेन में जो छात्र फंसे हुए हैं उनमें से 95 प्रतिशत दास(भक्त) परिवार से ही आते हैं और उन्हें मोदी में अपार श्रद्धा है और इन्ही के जानने वाले मोदी का ट्रोल आर्मी भी है ये जानते हुए भी सवाल करने वाले सवाल कर रहे हैं।

आप तटस्थ है सही है मेरा देश शांति के साथ हमेशा खड़ा रहा है लेकिन इस तटस्थता का क्या मतलब है जब हमारे नागरिक की जिंदगी दाव पर है कही कोई खबर तो नहीं आयी है कि रूस से भारत की बात हुई हो कि हमारे नागरिक को सुरक्षित बाहर निकालने का रास्ता दिया जाये ।रुस हमारा मित्र देश हैं संकट के खड़ी में तटस्थ रह कर साथ ही दिये हैं ऐसे में रुस से सहयोग की अपील करनी चाहिए कि नहीं  अभी एक छात्र की मौत हुई है और  ये हाल है कि पीएम को खुद बात करनी पड़ रही है।

वैसे इन बच्चों को लाने  में जो खर्च हो रहा है वो पैसा बच्चा देश छोड़ने से पहले ही सरकार के खाते में जमा कर दिया है उस खाते में अभी भी 400 करोड़ रुपया देश के ऐसे नागरिक का जमा है जिसका इस्तेमाल ऐसे में समय में सरकार कर सकती है ,इसलिए सरकार इन बच्चों को लाकर कोई एहसान नहीं कर रहा है।          

वैसे यूक्रेन में फसे बच्चों के परिजनों से डीएम का मिलना अच्छी पहल है और यही होना चाहिए ऐसी घड़ी में परेशान परिवार को हमेशा यह लगना चाहिए कि पूरा सिस्टम और देश उनके साथ खड़ा है तभी तो देश के प्रति सम्मान का भाव रहेगा क्यों कि इसका असर हर नागरिक  पर पड़ता है ।

तेजस्वी प्रसाद यादव ने आज वरिष्ठ नेता श्री शरद यादव जी से शिष्टाचार मुलाकात की

नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा श्री तेजस्वी प्रसाद यादव जी ने आज दिल्ली में वरिष्ठ समाजवादी नेता श्री शरद यादव जी से उनके दिल्ली स्थित आवास पर शिष्टाचार मुलाकात की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार विमर्श किया।

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तेजस्वी प्रसाद यादव की शरद यादव जी से शिष्टाचार मुलाकात

नवोदित कलाकार अक्षत उत्कर्ष की मौत मामले की जांच में मुंबई पुलिस पहुंची मुजफ्फरपुर

मुंबई पुलिस की टीम अक्षत के सिकंदरपुर स्थित आवास पर पहुंचकर उनके माता-पिता और परिजनों से पूछताछ कर रही है।


27 सितंबर 2020 में मुंबई के अंधेरी वेस्ट में अक्षत की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।

आपदा को अवसर में बदलने का वक्त नहीं है मिल कर यूक्रेन में फंसे भारतीय को निकालने पर सोचे

आत्ममुग्धता और अपने पूर्वजों के सर ठीकरा फोड़ने की प्रवृति कमजोरी की निशानी है, इस समय भारत इसी दौर से गुजर रहा है। जो भी गड़बड़ हुआ उसके लिए गांधी और नेहरू जिम्मेदार है और जो अच्छा हो रहा है उसके लिए मैं और सिर्फ मैं ही हूं।

कल से अचानक यूक्रेन में फंसे छात्रों का परेशानी भरा मैसेज और फोन कॉल आना तेज हो गया इधर अभिभावक का हाल और बूरा हो गया है और जब से रूसी सेना द्वारा भारतीय लड़की को अगवा करने की खबर आयी है लोग और परेशान हो गये हैं ।

यूक्रेन में 15 हजार से अधिक भारतीय छात्र और छात्राएं फंसी हुई है पिछले दो दिनों के दौरान दो सौ तीन सौ करके चार पाच फ्लाइट भारत पहुंचा है एयरपोर्ट पर आत्ममुग्धता की यह स्थिति दिख रही थी जैसे जंग जीत करके आ रहे हैं मंत्री से लेकर संतरी तक पहुंचे हुए थे लेकिन रात से खबर आ रही है कि रूसी सेना भारतीय लड़की को अगवा कर लिया है मीडिया से लेकर मंत्री संतरी तक चुप्पी साध लिए हैं सरकार हेल्पलाइन नम्बर जारी कर दी है एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए रेड कारपेट और गुलाब छात्र छात्राओं के आने का इन्तजार कर रहा है वही यूक्रेन में जो छात्र फंसे हुए हैं वो कह रहे हैं कि दूतावास फोन नहीं उठा रहा है ,देश स्तर पर जो हेल्पलाइन जारी किया गया है वो कोई रिस्पांस नहीं ले रहा है ।

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बिहार की बात करे तो अभी तक 51 लौटे है जबकि बिहार के 1200 सौ अधिक छात्र वहाँ मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है ।
पटना डीएम से बात हुई इन्होंने कहा कि बिहार के कितने छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं इसकी कोई सूची नहीं है बस जो दिल्ली और मुंबई पहुंच रहा है उसके घर तक पहुंचाने कि जिम्मेदारी सरकार ने दी है वही हो रहा है ।

बिहार सरकार के श्रम मंत्रालय के अधिकारी और मंत्री का भी यही हाल है बिहार के कितने बच्चे यूक्रेन में पढ़ रहे हैं कोई जानकारी नहीं है हां एक खगड़िया के डीएम है जो सूची जारी किया है कि उनके जिले के 11 बच्चे यूक्रेन में फंसा हुआ है अभी थोड़ी देर पहले खगड़िया डीएम का एक मैसेज आया है कि एक छात्र थोड़ी देर में मुंबई पहुंचने वाला है।

कल देर शाम बिहार के मुख्यसचिव बिहार के सभी डीएम से सूची उपलब्ध कराने को कहाँ है वैसे देश स्तर पर सूची जारी होनी चाहिए थी कि कितने छात्र और नागरिक यूक्रेन में फसा हुआ है ।

मंत्री जी भेजे गये हैं तो क्या हो रहा है छात्र उनसे कैसे सम्पर्क करे कहां से निकाला जा रहा है क्यों कि इस समय मीडिया ही एक ताकत है जो भारतीय नागरिक तक सूचना पहुंचा सकता है यूक्रेन के दूतावास को मजबूत बनाने कि जरूरत है और इस सब के लिए रूस क्या मदद कर सकता है इस पर बात होनी चाहिए सीधे वोट में शामिल नहीं होंगे इसका कोई मतलब नहीं है हर सहयोग के लिए रूस से सौदा होना चाहिए की हमारे नागरिक को सुरक्षित निकालने का मौका दीजिए ।

क्यों कि युद्ध विनाशकारी होगा ऐसा दिखने लगा है रूस यूक्रेन पर कब्जा करने को लेकर किसी भी हद तक जाने का मन बना लिया है वही यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं है ऐसे में अब जो युद्ध होगा वो बेहद भयानक होगा और इस दौरान मानवता के सारे रिश्ते खत्म हो जाएंगे ऐसे में भारत सरकार को पहले लड़कियों को वहां से बाहर निकाले क्यों कि जो सोशल मीडिया का जमाना है और जो खबरें आ रही है वो परेशान करने वाली है ।

आपदा में अवसर की तलाश छोड़ के इस समय सब मिल के काम करने की जरूरत है ।

वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद बदल गया है अमेरिका

11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका में बहुत कुछ बदल गया है उससे पहले अमेरिकन नागरिक को दुनिया में क्या हो रहा है और दुनिया के साथ अमेरिका क्या कर रहा है उससे अमेरिकन नागरिक को कोई मतलब नहीं रहता था लेकिन इस हमले के बाद अमेरिकन यूथ में अमेरिका की विदेश नीति और अमेरिका की राजनीति के प्रति जिज्ञासा बढ़ी और अब अमेरिकन सरकार पहले जैसे व्यापारी के हित साधने के लिए बहुत कुछ भी नहीं कर सकता है अब देश के अंदर विमर्श शुरू हो जाता है देश के अंदर विरोध के स्वर उठने लगता हैं ।

मेरी बहन और उसका परिवार अमेरिकन नागरिक है मेरा एक भगिना तो अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का दावा अभी से ही ठोके हुए हैं रोजाना अमेरिका की नीति पर बहस होता रहता है।

वैसे ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की राजनीति को लेकर मेरी भी दिलचस्पी बढ़ी और अक्सर मेरा सवाल रहता था कि ट्रंप जैसा व्यक्ति अमेरिका का राष्ट्रपति कैसे बन गया, फिर ट्रंप हटा तो कैसे हटा, क्यों कि ट्रंप मोदी की तरह पूरे अमेरिका को राष्ट्रवाद के नाम पर ऐसा माहौल बना दिया था कि बहुत मुश्किल था उसको हटाना अभी भी वहां के लोग सशंकित रहते हैं कि फिर कही वो लौट ना आय़े ।


वैसे ट्रंप का चुनाव हारना अमेरिका के लिए ऐतिहासिक घटना था क्यों कि ट्रंप जिस तरीके से अमेरिकन के दिल में गैर अमेरिकन के प्रति घृणा पैदा करने में कामयाब रहा है ऐसे में बहुत मुश्किल था ट्रंप को हराना और अभी भी ट्रंप कमजोर नहीं हुआ है उसका विचारधारा अभी भी अमेरिका को अशांत किए हुए हैं।

ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान और यूक्रेन मामले में अमेरिकन राष्ट्रपति को पहले जैसे निर्णय लेना बहुत ही मुश्किल है देश के अंदर एक बड़ा वर्ग मौजूद है जो सवाल खड़ा कर सकता है ।

अफगानिस्तान से अमेरिकन फौज के वापस होने पर जो हुआ उससे पूरे विश्व बिरादरी में अमेरिका की जगहंसाई हुई थी इस मामले में जब बात हुई तो अमेरिकन नागरिक की सोच पूरी तौर पर स्पष्ट था दुनिया में लोकतंत्र रहे इसका ठेका अमेरिका का ही थोड़े ही है। अफगान में अमेरिका लोकतंत्र बहाल हो इसके लिए क्या क्या नहीं किया पूरी व्यवस्था खड़ा किया लेकिन आप वही शरियत के चक्कर में रहेंगे तो फिर अमेरिका क्या कर सकता है ।

अफगानिस्तान के पास इतनी बड़ी फौज और साजो सामान छोड़ कर अमेरिका आया और एक मामूली सा लड़ाका के सामने पूरी अफगानिस्तानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया अब अमेरिका आपकी लड़ाई लड़ने नहीं जा रही है आपको खुद लड़ना होगा और अमेरिका आपको पीछे से सहयोग करेगा मुझे बादशाहत का तमगा नहीं चाहिए ।ये आज के अमेरिकन यूथ का सोच है ।

यूक्रेन को लेकर भी अमेरिकन का यही सोच है उन्हें अपने देश के लिए खड़ा होना होगा फिर पूरा अमेरिकन उसके साथ खड़ा रहेगा ।अमेरिकन के इस बदले हुए सोच का असर दिख रहा है लाख आलोचना हुई लेकिन अमेरिका सैन्य कार्रवाई के लिए यूक्रेन के साथ खड़ा नहीं हुआ आज पूरी दुनिया से यूक्रेन को आम लोग पैसा भेज रहा है यूक्रेन ने अपने देश की रक्षा के लिए जो जज्बा दिखाया है उसी का असर है कि आज रुस परमाणु युद्ध का धमकी दे रहा है।

पूरे दुनिया के लोग यूक्रेन के साथ खड़ा है और उसके राष्ट्रभक्ति को सम्मान कर रहा है । इसलिए कहा जाता है ना दिमाग के साथ दिल जुड़ जाये तो सामने वाला कितना भी बलशाली क्यों ना हो हराना बहुत मुश्किल हो जाता है ।
उम्मीद है यूक्रेन के सहारे ही सही एक विश्व में एक नयी उम्मीद की किरण जगी है जिसका प्रभाव पूरी दुनिया पर दिखेगा और पिछले कुछ वर्षो से जो दुनिया के स्तर पर धुंध छा गया था वो अब हटेगा ये साफ दिखने लगा है ।

पटना हाईकोर्ट में गाय घाट महिला रिमांड होम मामले की सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट में गाय घाट महिला रिमांड होम मामले की सुनवाई हुई। इसमें पीड़िता की वकील ने पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने का विरोध किया। वकील मीनू कुमारी ने बताया कि उन्होंने पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने की शिकायत की।

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उन्होंने कहा कि नाम को सार्वजनिक करने से उनकी निजी जिंदगी प्रभावित हो सकती है। बाध्य किया जाए कि कोई उनका नाम न लें। वहीं अब इस मामले की फिजिकल सुनवाई होगी। इसकी अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

शराबबंदी कानून को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट में आज फिर शराबबंदी कानून को लेकर सुनवाई हुई है इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी कानून लागू किये जाने के बाद बढ़ते हुए मुकदमों की संख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है।

अदालत ने बिहार सरकार से इस मामले में सवाल भी किया और पूछा कि क्या इस कानून को लागू करने के पहले अदालती ढांचा के बारे में विचार किया गया था या नहीं।

न्यायालय में जमानत याचिका की जो स्थिति है उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की.
आरोपित सुधीर कुमार यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस किशन कौल ने सुनवाई के दौरान अदालत में कहा कि बिहार की निचली अदालतों में शराबबंदी कानून से जुड़े मुकदमे काफी अधिक है अधिकांश जज इसी सुनवाई में लगे हैं वही पटना हाईकोर्ट के 26 में 16 जज शराब से जुड़े मामलों को देखने में ही व्यस्त हैं।

आरोपितों को जमानत नहीं दी गयी तो जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ती जाएगी. अदालत ने सवाल किये कि क्या बिहार में मद्य निषेध और उत्पाद कानून लागू करते समय सरकार ने इसपर अध्ययन किया था? क्या यह देखा गया था कि इसके लिए न्यायिक ढांचा तैयार है या नहीं?र एम एम सुंदरेश की बेंच में हुई

बेंच ने कहा कि बिहार से इस तरह के कई मामले लगातार सर्वोच्च न्यायालय आ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण पटना हाईकोर्ट में जजों के ऊपर मुकदमों के बढ़े लोड को समझा गया।

अदालत ने सरकार से यह सवाल किया कि इतना बड़ा फैसला लेते समय अदालती ढांचे का ख्याल रखा गया था या नहीं? इस कानून में बिहार सरकार प्ली बारगेनिंग प्रावधान जोड़ेगी या नहीं, इसके बारे में भी पूछा गया. बता दें कि अगर किसी अपराध का आरोपित केस की सुनवाई के दौरान जज के सामने अपने ऊपर लगे आरोप को स्वीकार कर लेता है तो कोर्ट सजा में कुछ नरमी बरत देती है. अब इस मामले की सुनवाई 8 मार्च को होगी. बिहार सरकार को सभी बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

रूस यूक्रेन युद्ध के बीच तस्वीर कह रहा है उम्मीद अभी बाकी है

इश्क और जंग में सब जायज़ है यह विचार अहंकार और दंभ को प्रदर्श करता है जबकि मानव मूल्य की परीक्षा इसी दो जंग में होती है ।

इसलिए जब कभी भी इश्क और जंग की चर्चा होती है तो ऐसे नायक की लोग तलाश करते हैं जिसने इश्क और जंग में मूल्य के लिए अपना सब कुछ गवा दिया है । ऐसे सेनापति और राष्ट्रअध्यक्ष को आज भी लोग स्वीकार नहीं करते जिसने युद्ध में युद्ध नीति का पालन नहीं किया है उसी तरह प्यार पाने वालों में भी चर्चा लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट और शीरीं-फरहाद की ही होती है जिसने प्यार के लिए कुर्वान हो गयी। आज यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है भले ही पुतुन यह युद्ध जीत ले लेकिन रुस एक ऐसा युद्ध हारने जा रहा है जिसे कभी मानव सभ्यता माफ नहीं करेगा यूक्रेन में बिहार के बहुत सारे बच्चे मेडिकल की पढ़ाई करते हैं उनमें से कई से हमारी पहले से बातचीत होती रही है और युद्ध शुरु होने के बाद तो लगातार संपर्क में है। इस स्थिति में भी कॉलेज प्रबंधक और कॉलेज के शिक्षक बच्चों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है।

बच्चे सुरक्षित निकले इसके लिए शिक्षक बच्चों को गाड़ी खुद चला कर बॉर्डर वाले इलाके में पहुंचा रहे हैं ।बिहार के बच्चों से जब भी बात होती है तो यह जरुर कहता है कि यूक्रेनवासी जैसा ईमानदार ,जिंदादिल और खुशमिजजा लोग कहीं नहीं मिलेगा

अभी जो यूक्रेन का राष्ट्रपति है जिसके जान के पीछे पुतुन पड़ा है वह व्यक्ति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की पटकथा लेखक और हास्य अभिनेता रहा है ,इनकी लिखी पटकथा हमेशा मानव मूल्य के साथ खड़ा दिखता है हास्य अभिनेता के रूप में इन्होंने जितनी फिल्मों और टीवी शो में काम किया है हंसते हंसते कुछ ना कुछ ऐसा संदेश देने कि कोशिश करते दिखते हैं जो मानव मूल्य को बनाये रखने के लिए समर्पित रहता है ।

अभी थोड़ी देर पहले यूक्रेन के इस 44 वर्षीय राष्ट्रपति का एक संदेश आया है जंग में सबने अकेला छोड़ दिया, जिन्होंने जान गंवाई वे यूक्रेन के हीरो से कम नहीं हैं।’ उन्होंने नागरिक ठिकानों पर रूसी हमलों की निंदा की। यूक्रेन में अब तक 137 सैनिकों व नागरिकों की मौत की खबर है। बमबारी में 316 लोग घायल हुए हैं।

अमेरिका सहित पूरी दुनिया जिस तरीके से यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद खेल खेल रहा है आने वाले समय में जिस दौर से दुनिया गुजर रही है वो दिन दूर नहीं है जब हर बड़ा देश छोटे देश को निगलना शुरु कर देगा। आज जो खामोश है या फिर जो युद्ध से डर रहे हैं या फिर जो तटस्थ है समय उनका भी अपराध लिखेगा।

भारत में यूक्रेन के राजदूत डॉक्टर आइगोर पोलिखा ने कहा कि अपने देश में रूस की सैन्य कार्रवाई को लेकर भारत के रुख़ से मैं ”काफ़ी असंतुष्ट हूं”.उन्होंने कहा है “हम इस मौक़े पर ये अपेक्षा कर रहे हैं कि पीएम मोदी किसी तरह पुतिन पर प्रभाव डालने की कोशिश करें. इसके साथ ही पीएम मोदी अगर यूक्रेन के समर्थन में कोई बयान देते हैं या कारगर ढंग से मदद करते हैं तो यूक्रेन इसके लिए शुक्रगुजार रहेगा।

लेकिन जो बात हुई है उससे ऐसा कुछ भी संदेश नहीं जा रहा है।उन्होंने आगे कहा, ”हम अपने सभी मित्र देशों से मदद मांग रहे हैं ताकि इस युद्ध को रोका जा सके. यूक्रेन एक शांतिप्रिय देश है. वो लड़ने के लिए तैयार है लेकिन शांति सबसे अच्छा समाधान है. हम अपने सभी साझेदारों से कह रहे हैं कि वे किसी तरह हमारी मदद करें।

वैसे रूस की जनता ने जिस तरीके से इस युद्ध के खिलाफ पुतिन के धमकी के बावजूद सड़क पर आकर विरोध किया है बहुत कुछ संदेश दे रहा है ,वही इस युद्ध को लेकर भारत की वामपंथी पार्टियां चुप्पी साधे हुए हैं और रूस के इस प्रवृत्ति को साम्राज्यवाद कहने से कन्नी काट रहा है इनका भी इतिहास लिखेगा ।

यह युद्ध भेल ही रूस और यूक्रेन के बीच हो रहा है लेकिन इसका असर दूसरे विश्व युद्ध से भी बड़ा पड़ेगा क्यों कि यूक्रेन का शासक सद्दाम हुसैन नहीं है बगदादी नहीं है यह हमला मानव सभ्यता पर हमला है और उस पर चुप्पी मानवता के लिए चुनौती ।
ऐसे में इस समय पूरी दुनिया जिस घने अंधेरे के दौर से गुजर रहा है उस अंधेरे को चीर कर कही ना कही से रोशनी जरुर निकलेगी ।
फिलहाल हमारे देश के जो बच्चे यूक्रेन में फंसे हैं उनको कैसे बाहर लाया जाए साथ ही यूक्रेन के शांति प्रेमी जनता इस संकट से कैसे बाहर निकले इस पर कुछ करने कि जरूरत है ।
वैसे युद्ध के दौरान ये दो तस्वीर काफी है कि उम्मीद अभी बाकी है ।
1–पहली तस्वीर रूस की है जहाँ युद्ध के खिलाफ लोग सड़क पर विरोध कर रहे हैं।
2–दूसरी तस्वीर यूक्रेन के मेट्रो स्टेशन का है जहाँ प्रेम युगल एक दूसरे को फिर मिलेगे इसका भरोसा जता रहे हैं ।

जातिवाद ,सामंतवाद और सम्प्रदायवादी राजनीति से देश को नुकसान हो रहा हैं

ये बात 2001 या 2002 की है मैं उस समय रोसड़ा से हिन्दुस्तान अखबार के लिए काम करता था सुबह सुबह दीदी(मां) की तेज आवाज सुनाई दी टुनटुन टुनटुन उठो उठो जैसे ही नींद खुली रोने की आवाज सुनाई दी तेजी से उठते हुए बाहर निकले देखते है पांच छह महिला बैठी रो रही है पता चला रात में मनटुन भिरहा से लौट रहा था उसी दौरान जीप से गिर गया और वही मर गया थाना बात हुई तो पता चला कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई है।

मनटुनवा का दादा मेरे यहां उस जमाने में टमटम चलाता था उसके पिता मेरा जीप चलाता था इसलिए रिश्ता खानदानी था लेकिन पूरा परिवार बहुत बड़ा पियक्कड़ था ये छोरा भी खुब पीता था फिर भिरहा ने जिस व्यक्ति का गांड़ा चलाता था वो भी बड़ा पियक्कड़ था पता चला रात में वहीं सब मिलकर पिया और फिर मनटुनवा पी कर रोसड़ा के लिए निकल गया भिरहा रोसड़ा रोड़ पर आया और किसी सवारी गाड़ी पर चढ़ा और आगे आने पर गिर गया और सिर फटने से वहीं मौत हो गयी उसी समय वीडियो और एसडीओ से भी बात हुई प्रशासन ने भरोसा दिलाया कि पैसा की व्यवस्था कर देते है सब चली गयी ।

कल होगे मनटुनवा के पूरे परिवार के साथ राजद का दो तीन नेता सुबह सुबह फिर पहुंच गया वो नेता मुझको कह रहा है कि सर मामला दुर्घटना का नहीं है मनटुन का पांच छह माह का वेतन भिरहा वाला जमीनदार नहीं दे रहा था वहीं लेने गया था उसी में बहस हुई और फिर मार करके रोड़ पर फेंक दिया है ताकी मामला दुर्घटना को बन जाये कुछ कीजिए दलित के साथ बहुत जुल्म हुआ है। मुझे गुस्सा आ गया मैंने कहा मैं खुद घटना स्थल पर गया था लोगों से बात हुई है चाय वाली बता रही थी कैसे घटना घटी है फिर ये सब बात क्यों कर रहे हैं।

उसमें से दूसरा व्यक्ति कहता है संतोष बाबू आप से कुछ छुप थोड़े सकता है इस तरह से खबर चला दीजिए गरीब को फायदा हो जाएगा इसका पूरा परिवार आपके दादा के समय से ही सेवक रहा है और भिरहा वाला जुल्मी जमींदार है आप जानते ही और आपका परिवार सामाजिक न्याय के लिए हमेशा खड़ा रहता है मैंने साफ मना कर दिया कि इस तरह से खबर नहीं चला सकते हैं वैसे चलिए भिरहा उनसे बात करते हैं मनटुन का काम करता था गरीब है मर गया है छोटा छोटा बच्चा है मदद करिए।तय हुआ कल चलते हैं लेकिन वो लोग फिर नहीं और उसके दो दिन बाद पटना से हिन्दुस्तान अखबार के मुख्य पृष्ठ पर खबर छपी बकाया मांगने गया दलित को पीट पीट कर मारा सामंतों ने फिर क्या था नेताओं का ताता लग गया और फिर मनटुनवा की पत्नी के बयान पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया और भिरहा वाले को जेल जाना पड़ा ।

यह स्टोरी इसलिए याद आ गयी कि पिछले 48 घंटे के दौरान बिहार में इसी तरह की दो स्टोरी को चलाया जा रहा है और मेरे पास इतना साक्ष्य जरुर है कि इसके पीछे सांप्रदायिक मानसिकता वाले लोग खड़े है ताकी देश स्तर पर तनाव खड़े हो सके और यूपी चुनाव प्रभावित हो ।

पहली स्टोरी मेरे गृह जिला समस्तीपुर से जुड़ा है जहां एक जदयू कार्यकर्ता का वीडियो वायरल हुआ है जिसकी हत्या हो चुकी है वीडियो में दिख यह रहा है कि कुछ लोग उस व्यक्ति को पीट रहा है और पुछ रहा है कि गाय का माँस खाया है कि नहीं तुम्हारे यहां गाय कौन कौन मारता है जबकि जिस युवक की हत्या हुई है उस पर आरोप है कि वो नौकरी दिलाने के नाम पर कुछ छात्रों का पैसा ठगी कर लिया उसी आक्रोश में लड़को ने इसे घर से बुलाकर उठा लिया और फिर उसी के मोबाईल से उसकी पत्नी को फोन किया कि इसके खाते में मेरा पैसा डाल दो नहीं तो मार देगे गाय और गौ हत्या से कही दूर दूर तक इसका कोई भी वास्ता नहीं है

लेकिन वीडियो वायरल किया गया फिर जब पुलिस पकड़ कर लायी तो एसपी कह रहा है नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के कारण उसकी हत्या हुई है लेकिन उसी एसपी के चैंबर के बाहर उसका बाईट मीडिया वाले को दिलवाया जाता है जिसमें लड़का कहता है गौ हत्या के कारण इसका हत्या कर दिया है हत्यारा और जिसकी हत्या हुई दोनों आसपास के गांव का ही रहने वाला है दोनों गांव के लोगों को सच्चाई पता है लेकिन ऐजेंडा तय करने वाले यहां भी खेल करके चल दिया ताकी देश स्तर पर माहौल बिगड़ सके। वीडियो देख कर कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है कि इसके पीछे इतनी बड़ी साजिश हो सकती है हालांकि इस वीडियो के सहारे माहौल बिगाड़ने की कोशिश अभी भी जारी है।

दूसरी खबर रोहतास से है जहां एक चैनल बड़ी प्रमुखता से खबर चला रहा है कि कैथी गांव के लोग मुसलमानों के डर से गांव छोड़ के जा रहे हैं चैनल का हेडलाइन था कैथी को केरोने बनाने की साजिश कल पूरे दिन इस खबर को लेकर हंगामा खड़ा रहा टीवी डिबेट तक हुए लेकिन शाम ढ़लते ढ़लते इसकी भी हवा निकल गयी क्यों कि इस खबर को भी प्लांट करने के पीछे बड़े स्तर पर साजिश रची गयी लेकिन गांव के ही लोग उस साजिश का साथ नहीं दिया वैसे भी यह गांव जिस पंचायत में पड़ता है उसका मुखिया हिन्दू है उस प्रखंड का प्रमुख हिन्दू है उस गांव में 1100 वोटर है जिसमें 600 सौ मुसलमान और 500 हिन्दू वोटर है उस गांव के चारो और हिन्दू है फिर भी खबर को प्लांट किया गया ताकी माहौल बनाया जा सके ।

यह खेल उसी तरीके से चल रहा है जैसे जातिवादी राजनीति करने वाले लोग मामला कुछ भी हो जाति का रंग देने की कोशिश लगे रहते है उसी तरह वामपंथी आज भी कोई घटना घटती है तो उस घटना को सामंतवाद के चश्मे से ही देखना शुरू करता है ताकि उसकी सियासत का बगीचा हरा भरा रहे।

हालांकि जातिवाद,सामतंवाद और सम्प्रदायवादके सहारे जो राजनीति चल रही है उससे हमेशा देश का नुकसान ही हुआ है ऐसे में मीडिया और समाज को इस खेल को समझने की जरूरत है ।

राष्ट्रपति पद को लेकर नीतीश के नाम की चर्चा समझ से पड़े: शिवानन्द तिवारी

राष्ट्रपति पद के लिए नीतीश कुमार के नाम की चर्चा पता नहीं कहाँ से शुरू हुई. भारतीय जनता पार्टी अगर उनको राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना चाहती हो तो इसमें विपक्ष को क्या एतराज़ हो सकता है !

जहाँ तक विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उनको पेश करने की बात होती है तो वह मुझे असंभव दिखाई देता है. क्योंकि उस हालत में तो नीतीश कुमार को भारतीय जनता पार्टी से अलग होना होगा. क्या यह मुमकिन है ? यहां याद करें कि नीतीश कुमार की नरेन्द्र मोदी के प्रति क्या धारणा थी और क्या संकल्प लेकर ये उनसे अलग हुए थे ?

आज उन्हीं नरेंद्र मोदी द्वारा सच्चे समाजवादी होने के प्रमाण पत्र को जो व्यक्ति अपने ऊपर उनकी कृपा मानता हो वह भाजपा से अलग हो सकता है ?कोई इसकी कल्पना भी कैसे कर सकता है! इसके अलावा यह भी देखने की बात है कि राष्ट्रपति सेना के तीनों अंगों का सर्वोच्च कमाण्डर होता है.

यह भी विचारणीय है कि सेना का सर्वोच्च कमांडर क्या ऐसा होना चाहिए जो अपने सार्वजनिक जीवन में हर चुनौती के सामने घुटने टेकता आया है ! जो अपने संकल्पों पर टिकता नहीं हो ! ऐसा व्यक्ति संकट के समय हमारी सेना को अनुप्राणित कैसे कर सकता है ! लेखक–शिवानन्द

नीतीश हारी हुई बाजी को पलटने के माहिर खेलाड़ी रहे हैं

नीतीश हारी हुई बाजी को पलटने के माहिर खेलाड़ी रहे हैं।
बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह के दौरान नीतीश कुमार का बर्डी लेंगुएज (Bird Language)
देख कर हमलोग हैरान थे पहली बार नीतीश कुमार ऐसे बैठे थे मानो इस कार्यक्रम से उनका कोई वास्ता ही ना हो। नीतीश कुमार के चेहरे का वह तेज नहीं दिख रहा था जो उनकी पहचान रही है ।

नीतीश जब भी मंच रहते हैं हमेशा टाइट बैठते हैं लेकिन उस दिन एकदन ढ़ीला ढ़ीला कुर्सी पर पसर कर बैठे हुए थे अमूमन कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार मंच से उतरते नहीं हैं लेकिन उस दिन दो दो बार मंच से उतर कर बाथरुम गये ऐसा लग रहा था जैसे वो कोरम पूरा करने के लिए मंच पर आ गये हैं।

नीतीश कुमार के बर्डी लेंगुएज को लेकर हमलोग हैरान थे मेरे साथ ही बिहार के एक सीनियर पत्रकार बैठे थे वो भी नीतीश के बर्डी लेंगुएज देख कर हैरान थे ,संतोष देख रहे हो नीतीश अब बूढ़ा लगने लगा है, वो तेज खत्म हो गया बात चल ही रही थी कि नीतीश भाषण के लिए डेस पर पहुंच गये पहली बार भाषण में भी वो प्रभाव नहीं दिख रहा था ।

ये बात हो रही थी कि हद तो तब हो गयी जब बिहार विधानसभा से जुड़े पूर्व के कार्यक्रम की चर्चा करते हुए अरुण जेटली का नाम ही वो भूल गये पहले वो अरुण कुमार बोले फिर अरुण पटेल बोले फिर बोले नहीं नहीं हम बात कर रहे हैं अरुण जेटली जी का । हमलोग आपस में बात करने लगे लगता है जार्ज और वाजपेयी जी की तरह ये भी अलजाइमर के शिकार तो नहीं हो रहे हैं।

बात आयी चली गयी लेकिन कल एक खबर दिल्ली से ब्रेक हुई नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के प्रत्याशी हो सकते हैं बीजेपी से उनका रिश्ता लगातार बिगड़ रहा है और वो कभी भी बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं ।

खबर इंडियन एक्सप्रेस के gossip column में छपी थी और वही से इस खबर को एवीपी न्यूज उठाया है, समझ में नहीं आ रहा था कि इस खबर का इस समय क्या महत्व है 10 मार्च तक का इन्तजार किया जा सकता था क्यों कि विपक्ष का राष्ट्रपति तभी बन सकता है जब यूपी ने बीजेपी की सरकार नहीं बनेगी।

वैसे राजनीति में gossip में भी कही गयी बात के पीछे कुछ ना कुछ संदेश जरुर छुपा रहता है इसी संदेश तक पहुंचने के लिए पटना , लखनऊ से दिल्ली तक राजनीति की समझ रखने वाले लोगों से मैं लगातार बात कर रहा हूं ।

दिल्ली में अधिकांश पत्रकारोंं का मानना है कि इंडियन एक्सप्रेस gossip column की writer Coomi Kapoor है जो बीजेपी का प्रवक्ता मानी जाती है यह खबर कहीं ना कहीं बीजेपी के द्वारा ही प्लांट करवाया गया है।

लम्बी बहस हुई इस खबर से बीजेपी को क्या फायदा है चुनाव बिहार में तो है नहीं विचार विर्मश के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि मसला यूपी चुनाव है क्यों कि फेज 4 से लेकर फेज 7 वाले इलाके में जहां अब चुनाव होने वाला है उस इलाके में कुर्मी का वोट अच्छा खासा है और यूपी में पिछड़ी जाति की बात करे तो कुर्मी ही है जो अभी बीजेपी के साथ खड़ी दिख रही है ।फिर सवाल हुआ नीतीश को लेकर यूपी का कुर्मी क्यों प्रभावित होगा मैंने कहना जैसे वीपी सिंह के समय बिहार में पहली बार कांग्रेस राजपूत को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन 1989 के लोकसभा चुनाव में राजपूत कांग्रेस को वोट नहीं किया।

राष्ट्रपति पद पर कोई कुर्मी बैठ सकता है यह कुर्मी के स्वाभिमान से जुड़ा है मसला है और यूपी में जिसकी सरकार बनेगी वो राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करेगा यह सर्वविदित है। ऐसे में यह कार्ड एक रणनीति के तहत खेला गया है ऐसा लग रहा है क्यों कि यूपी का चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं है यह साफ दिखने लगा है ऐसे में कुर्मी भी साथ छोड़ दिया तो बीजेपी का हाल बहुत बूरा हो सकता है ।

बिहार न्यूज़ पोस्ट के खबर का हुआ असर, अय्याश थानेदार पर गिरी गाज

बिहार न्यूज़ के खबर का हुआ बड़ा असर

सहरसा — शराबी थानेदार को एसपी ने किया निलंबित बकौल एसपी की माने तो वीडियो और फोटो जांच में सही पाया गया है फिलहाल थानेदार को निलंबित कर दिया गया है। और डीएसपी को जांच का जिम्मा दिया गया है जांच में अन्य तथ्य भी सही पाये गये तो और कठोर कार्रवाई की जायेगी ।

अय्याश थानेदार पर गिरी गाज

बेगूसराय – दूसरी खबर हिजाब खुलवाने के मामले में कल देर शाम जोनल मैनेजर रमेश दुबे ग्राहक के घर पहुंच कर माफी मांगें हैं और केशियर पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है ।

ग्राहक के घर पहुंच कर मांगें माफी