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देश के पहले राष्ट्रपति डाँ राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जय प्रकाश नारायण भू माफिया थे

बिहार सरकार की नजर में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाँ राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण भू माफिया थे वे लोगों का जमीन जबरन कब्जा करते थे, बिहार विधापीठ की जमीन पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डां राजेन्द्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने जो भी निर्माण का काम कराया था वो सारा का सारा अवैध है।

जी हां हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की और से हाईकोर्ट में जो शपथ दायर किया गया है उसमें सरकार ने लिखा है कि बिहार विधापीठ को जमीन कैसे पाप्त हुआ इसकी कोई मुझे जानकारी नहीं है और बिहार विधापीठ को सरकार जमीन अधिग्रहण करके नहीं दिया है इतना ही नहीं पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी जैसी कोई संस्था सरकार द्वारा गठित नहीं कि गयी थी यह सब फर्जी है ।

जबकि डाँ राजेन्द्र प्रसाद पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी से 1954-55 में एक लाख 88 हजार रुपया भुगतान करने के बाद सरकार ने बिहार विधापीठ को जमीन दिया था।

पटना हाईकोर्ट में बिहार विधापीठ की और से मुकदमा लड़ रही शमा सिन्हा का कहना है कि पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से सरकार सिर्फ बिहार विधापीठ को ही नहीं कुर्जी अस्पताल को भी जमीन दिया है और ये सारी बाते जमीन रजिस्ट्री के कागजात में दर्ज है ऐसी स्थिति में सरकार कैसे कह रही है कि पाटलिपुत्रा कॉपरेटिव सोसाइटी की जानकारी नहीं है ये समझ से पड़े हैं ।

बिहार विधापीठ की ओर से मुकदमा लड़ रही शमा सिन्हा क्या कह रही है जरा आप भी सूनिए

अब जरा मामले के पीछे के खेल को समझ लीजिए बिहार विधापीठ इस वक्त जहां है आज की तारीख में उस जमीन की कीमत हीरा से भी ज्यादा है और यही वजह है कि इस जमीन पर सरकार और सरकार संरक्षित भूमाफिया की नजर है जो बिहार विधापीठ को बेदखल करना चाह रही है।यह बात तब प्रकाश में आयी है जब पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत को लेकर अधिवक्ता विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई चल रही थी।

फिलहाल आज हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार के हलफनामा को खारिज करते हुए आदेश दिया है कि बिहार विद्यापीठ के चारदीवारी के भीतर की भूमि राष्ट्र की धरोहर है, न कि किसी की निजी संपत्ति है।

कोर्ट ने डी एम, पटना को बिहार विद्यापीठ की भूमि का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया है।साथ ही यह भी बताने को कहा कि बिहार विद्यापीठ की भूमि पर कितना अतिक्रमण है ।

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