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सत्ता और सरकार से सवाल करने से देश मजबूत होता है

बात कोई 15 वर्ष पुरानी है मेरा भगिना अमेरिका से आया हुआ था बच्चों का जो टीकाकरण होता है उसका समय हो गया था लेकिन अमेरिका में बच्चों को जो टीका दिया जाता था वो यहां उपलब्ध नहीं था, भगिना मेरा अमेरिकन नागरिक था जहां तक मुझे याद है भारत में अमेरिका का जो दूतावास है वो भगिना के हर गतिविधि की जानकारी रखता था ।            

टीकाकरण की बात हुई तो जानकारी दी गयी कि पटना के एग्जीबिशन रोड में बच्चों के टीकाकरण से जुड़ा कोई डॉक्टर है जिनके यहां वो टीका उपलब्ध है ये सारी जानकारी दूतावास के माध्यम से मिल रहा था डॉक्टर के पास पहुंचे तो उसको पहले से जानकारी था टीकाकरण के बाद बच्चों को कोई परेशानी तो नहीं हुई इस स्तर तक दूतावास खबर रखता था अपने नागरिक का वैसे यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है।                            

वैसे अमेरिका अपने नागरिक के प्रति कितना सजग है ये मीडिया रिपोर्ट से समझा जा सकता है वहीं एक अमेरिकन सेना या नागरिक के मौत होने पर वहां की जनता किस स्तर पर सवाल करती है वो भी कई मौके पर देखने को मिला है लेकिन आज यूक्रेन क्राइसिस के दौरान भारतीय छात्रों के साथ दूतावास का क्या व्यवहार है वो छात्रों के जुबानी समझा जा सकता है ।

भारत सरकार के मंत्री  प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) कहते हैं कि  विदेश में पढ़ने वाले 90% मेडिकल स्टूडेंट नीट एग्जाम पास नहीं कर पाते हैं इस बयान का यूक्रेन में फंसे छात्रों से क्या सम्बन्ध है क्या वो इस देश का नागरिक नहीं है यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने जाना देशद्रोही है क्या । 

लेकिन दूतावास का गैर जिम्मेदाराना रवैया और मंत्री का बेतुका बयान इसलिए आ रहा है कि इस देश की जनता सवाल करना भुल गया है  उलटे जो सवाल कर रहा है  उनसे पूछा जा रहा है कि झारखंड में छात्र पांडेय को मुसलमान मार दिया उस वक्त कहां थे ,कर्नाटक में हिन्दू छात्र को मुसलमान मार दिया उस वक्त चुप क्यों थे ऐसा सवाल करने लोगों  को ट्रोल कर रहे हैं।

इस संकट की घड़ी में भी जहां हजारों बच्चे जिंदगी और मौत से जूझ रहा है  इस समय भी सरकार पर दबाव बनाने के बजाय पूरी ट्रोल सेना  मामले को भटकाने में  लगा है। हालांकि अब पहले जैसी बात नहीं रही घर में विद्रोह शुरू हो गया है ।ऐसे लोग अब अपना प्रोफाइल लॉक करके रखता है फेक आईडी से अब यह खेल हो रहा है  लेकिन सवाल यह है कि यह कब तक चलेगा वैसे  यूक्रेन में जो छात्र फंसे हुए हैं उनमें से 95 प्रतिशत दास(भक्त) परिवार से ही आते हैं और उन्हें मोदी में अपार श्रद्धा है और इन्ही के जानने वाले मोदी का ट्रोल आर्मी भी है ये जानते हुए भी सवाल करने वाले सवाल कर रहे हैं।

आप तटस्थ है सही है मेरा देश शांति के साथ हमेशा खड़ा रहा है लेकिन इस तटस्थता का क्या मतलब है जब हमारे नागरिक की जिंदगी दाव पर है कही कोई खबर तो नहीं आयी है कि रूस से भारत की बात हुई हो कि हमारे नागरिक को सुरक्षित बाहर निकालने का रास्ता दिया जाये ।रुस हमारा मित्र देश हैं संकट के खड़ी में तटस्थ रह कर साथ ही दिये हैं ऐसे में रुस से सहयोग की अपील करनी चाहिए कि नहीं  अभी एक छात्र की मौत हुई है और  ये हाल है कि पीएम को खुद बात करनी पड़ रही है।

वैसे इन बच्चों को लाने  में जो खर्च हो रहा है वो पैसा बच्चा देश छोड़ने से पहले ही सरकार के खाते में जमा कर दिया है उस खाते में अभी भी 400 करोड़ रुपया देश के ऐसे नागरिक का जमा है जिसका इस्तेमाल ऐसे में समय में सरकार कर सकती है ,इसलिए सरकार इन बच्चों को लाकर कोई एहसान नहीं कर रहा है।          

वैसे यूक्रेन में फसे बच्चों के परिजनों से डीएम का मिलना अच्छी पहल है और यही होना चाहिए ऐसी घड़ी में परेशान परिवार को हमेशा यह लगना चाहिए कि पूरा सिस्टम और देश उनके साथ खड़ा है तभी तो देश के प्रति सम्मान का भाव रहेगा क्यों कि इसका असर हर नागरिक  पर पड़ता है ।

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