Press "Enter" to skip to content

राष्ट्रपति पद को लेकर नीतीश के नाम की चर्चा समझ से पड़े: शिवानन्द तिवारी

राष्ट्रपति पद के लिए नीतीश कुमार के नाम की चर्चा पता नहीं कहाँ से शुरू हुई. भारतीय जनता पार्टी अगर उनको राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना चाहती हो तो इसमें विपक्ष को क्या एतराज़ हो सकता है !

जहाँ तक विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में उनको पेश करने की बात होती है तो वह मुझे असंभव दिखाई देता है. क्योंकि उस हालत में तो नीतीश कुमार को भारतीय जनता पार्टी से अलग होना होगा. क्या यह मुमकिन है ? यहां याद करें कि नीतीश कुमार की नरेन्द्र मोदी के प्रति क्या धारणा थी और क्या संकल्प लेकर ये उनसे अलग हुए थे ?

आज उन्हीं नरेंद्र मोदी द्वारा सच्चे समाजवादी होने के प्रमाण पत्र को जो व्यक्ति अपने ऊपर उनकी कृपा मानता हो वह भाजपा से अलग हो सकता है ?कोई इसकी कल्पना भी कैसे कर सकता है! इसके अलावा यह भी देखने की बात है कि राष्ट्रपति सेना के तीनों अंगों का सर्वोच्च कमाण्डर होता है.

यह भी विचारणीय है कि सेना का सर्वोच्च कमांडर क्या ऐसा होना चाहिए जो अपने सार्वजनिक जीवन में हर चुनौती के सामने घुटने टेकता आया है ! जो अपने संकल्पों पर टिकता नहीं हो ! ऐसा व्यक्ति संकट के समय हमारी सेना को अनुप्राणित कैसे कर सकता है ! लेखक–शिवानन्द

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »
More from बड़ी खबरMore posts in बड़ी खबर »
More from बिहार ब्रेकिंग न्यूज़More posts in बिहार ब्रेकिंग न्यूज़ »
More from सियासी संग्रामMore posts in सियासी संग्राम »