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गुजरात पहुंचेंगे देशभर के स्वास्थ्य मंत्री, 3 दिन तक चलेगा शिविर

गुजरात के नर्मदा जिले के केवडिया में कल से 3 दिनों का स्वास्थ्य चिंतन शिविर हो रहा है। इसमें देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री हिस्सा लेंगे। इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी मौजूद होंगे।

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी इस बैठक में हिस्सा लेने जाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा स्वास्थ्य चिंतन शिविर का आयोजन हुआ है। सामान्य तौर पर यह एक दिन की बैठक देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की होती रही है और उसमें भविष्य की संपूर्ण योजनाओं पर चर्चा नहीं हो पाती थी।

इस बार स्वास्थ्य मंत्री मनसुखभाई मंडविया ने 3 दिनों का देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का स्वास्थ्य चिंतन शिविर आयोजित किया है। जिसमें जो देश के विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य का प्रेजेंटेशन होगा। जिससे एक राज्य दूसरे राज्य से बेस्ट प्रैक्टिसेज को देख सके समझ सके और आवश्यकतानुसार अपने यहां इंप्लीमेंट कर सकें।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि सुदूर गांव तक स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं को बेहतर तरीके से पहुंचाया जाए, उस पर भी इस चिंतन शिविर में विस्तार से चर्चा होगी।

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि कोविड रिस्पांस पैकेज -2, में कैसे कार्य हो रहा है जो 15वें वित्त आयोग से पैसा अलग-अलग राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जा रहा है, उसमें कैसे काम हो रहे हैं, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में डायग्नोस्टिक बहुत बड़ा विषय होता है और डायग्नोस्टिक को बहुत सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक कैसे किया जाए , इस संबंध में भी इस बैठक में चर्चा होगी।

उन्होंने कहा कि जो आधारभूत संरचना है उनका विस्तार कैसे हो और किसी भी विपरीत परिस्थिति में या महामारी की स्थिति में स्वास्थ्य महकमा लड़ने के लिए विभिन्न राज्यों में कैसे तैयार रहें, भविष्य की कार्ययोजना कैसी हो इस पर भी चर्चा होगी।

थोड़ी सी लापरवाही बरती और चली गई जान

पटना–गया रेलखंड के जहानाबाद के मुठेर गांव के समीप ट्रेन से गिरकर एक मजदूर की मौत हो गई। मृतक काको थाना क्षेत्र के सैदाबाद का निवासी बताया जाता है।

वह मजदूरी करने के लिए ट्रेन से पटना की तरफ जा रहा था। तभी पांव फिसल जाने के कारण ट्रेन से नीचे गिर गया। और ट्रेन के चपेट में आकर उसकी मौत हो गई।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। और मामले की तफ्तीश में जुट गई है

Bihar News : बिहार में शराबबंदी के 6 साल हो गए लेकिन शराब तस्करी नहीं रुक रही है

शराबबंदी के 6 साल हो गए लेकिन तस्कर बाज नहीं आ रहे। ताजा मामला पटना के बिहटा मका है। जहां बाथरूम के सामान के आड़ में लाया जा रहा ट्रक पर लदा भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब बरामद किया गया है।

ट्रक के अंदर तहखाना बनाकर शराब लाई जा रही थी । दो अरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है साथ ही ट्रक जप्त की गई है ।

पटना के परेव में वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस को ये सफलता मिली थी।

मुज़फ्फरपुर में बीच सड़क पर धू धू कर जलने लगी कार

मुजफ्फरपुर के गायघाट थाना क्षेत्र से बड़ी खबर है, जहाँ एक कार में अचानक भीषण आग लग गई। बताया गया कि थाना क्षेत्र के गायघाट चौक के समीप NH57 पर सड़क किनारे खड़ी एक आल्टो कार अचानक से धू-धू कर जलने लगी

गाड़ी में कुछ लोग बैठे भी थे इसी दौरान अचानक आग लग गई। जिसके बाद लोगो ने जैसे तैसे गाड़ी से कूदकर अपनी जान बचाई।

हालांकि इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है आग लगने सूचना पर पहुचीं गायघाट थाने की दमकल टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर कड़ी मशक्कत के बाद पाया आग पर काबू।

Bihar News : राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री इस्कॉन मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में हुए शामिल

पटना 03 मई 2022 : राज्यपाल श्री फागू चौहान एवं मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज इस्कॉन मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री का स्वागत इस्कॉन मंदिर प्रबंधन द्वारा फूल माला एवं अंगवस्त्र पहनाकर तथा प्रतीक चिंह भेंटकर किया गया।

मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना एवं राधा कृष्ण की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसे आमलोगों के दर्शनार्थ खोल दिया गया। मंदिर के पट खुलने के पश्चात् मुख्यमंत्री ने आरती पूजन कर राज्य की सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की।

कार्यक्रम में केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे, बिहार विधानसभा अध्यक्ष श्री विजय कुमार सिंहा, शिक्षा मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, भवन निर्माण मंत्री श्री अशोक चौधरी, विधायक श्री नंदकिशोर यादव, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आर०एन० सिंह, इस्कॉन के जय पताका स्वामी गुरू महाराज, लोकनाथ स्वामी महाराज, गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज, महाविष्णु स्वामी महाराज, भक्त पुरुषोत्तम स्वामी महाराज, पटना इस्कॉन के अध्यक्ष कृष्ण कृपा दास सहित अन्य संतगण, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त परामर्शी श्री मनीष कुमार वर्मा, बिहार राज्य नागरिक परिषद् के पूर्व महासचिव श्री अरविंद कुमार सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।

देश भर में ईद की नमाज़ तो दूसरी तरफ परशुराम जयंती के मौके पर जहानाबाद में भव्य शोभायात्रा निकाली गई

देश भर में ईद की नमाज़ तो दूसरी तरफ परशुराम जयंती के मौके पर जहानाबाद में भव्य शोभायात्रा निकाली गई । जो गांधी मैदान से निकल कर राजाबाजार तक गयी जहां भगवान प्रशुराम का मंदिर निर्माण को लेकर भूमि पूजन किया गया।

जहानाबाद में पहली बार निकाली गई शोभायात्रा गाजे बाजे और घोड़े के साथ लोग मौजूद रहे। शहर से निकली इस शोभायात्रा का शहर में विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के लोग मौजूद रहे।

बताया गया कि परशुराम नगर में मंदिर निर्माण के लिए नीव भी आज ही रखी गई है। परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ती है।

ऐसा माना जाता है कि परशुराम का जन्म प्रदोष काल के दौरान हुआ था और इसलिए जिस दिन प्रदोष काल के दौरान तृतीया होती है उस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है।

बिहार बीजेपी का कमान नित्यानंद राय को देने की तैयारी शुरु

हाजीपुर के तेरसिया में   केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के फार्म हाउस पर वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम की सफलता के बहाने आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान यह साफ हो गया कि बिहार बीजेपी का निजाम बदल गया है लेकिन यह ताज नित्यानंद राय के लिए कांटों से भरा ताज है इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है                

वर्षो बरस बाद यह पहला मौका है जब बीजेपी का कोई कार्यक्रम पार्टी कार्यालय और सुशील मोदी के आवास के बाहर आयोजित हुआ है हालांकि पहले दिन पार्टी के संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसानिया ने कहा था कि यह कार्यक्रम पार्टी का कार्यक्रम नहीं है यह कार्यक्रम नित्यानंद राय जी द्वारा आयोजित है, लेकिन तीसरे दिन आते आते पार्टी के विधायक ,विधान पार्षद,सांसद ,पूर्व विधायक पूर्व विधान पार्षद और पार्टी के पदाधिकारियों को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के फार्म हाउस पर आना है इसकी सूचना आधिकारिक रूप से पार्टी द्वारा दिया गया ऐसा कई विधायकों का कहना है।वैसे भी जिस तरीके से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तीनों दिन मौजूद रहे और संगठन महामंत्री दो दिन पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे उससे साफ लग रहा था कि नित्यानंद राय का कद काफी बढ़ गया है और बिहार बीजेपी का कमान नित्यानंद के हाथों में आ गया है ।

जितने विधायक और सांसद भोज में शामिल होने आये थे उसमें ऐसे विधायक और सांसद की सक्रियता बढ़ी हुई थी जो नीतीश और सुशील मोदी के चहेते नहीं रहे हैं हालांकि ऐसे विधायक भी आये थे जो सुशील मोदी के खासमखास माने जाते थे। भोज के दौरान विधायक और पार्टी के पदाधिकारियों को जो भाव था उससे भी साफ दिख रहा था कि नित्यानंद राय का कद बिहार बीजेपी में नम्बर वन का हो गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस तरीके से केंद्रीय नेतृत्व नित्यानंद राय को तवज्जो दे रहा है उसके पीछे मंशा क्या है।

1–नित्यानंद की अघोषित ताजपोशी के पीछे अमित शाह की मंशा क्या है
बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की यह लगातार कोशिश जारी है कि बिहार बीजेपी का कमान नित्यानंद राय के हाथों में आ जाये। इसके लिए पहले सुशील मोदी को बिहार से हटाया गया फिर पार्टी के महामंत्री नागेन्द्र जी को हटाया गया और उनकी जगह सीधे गुजरात से लाकर भीखू भाई दलसानिया को पार्टी का संगठन मंत्री बनाया गया फिर भी बिहार बीजेपी के अंदर मोदी की ही चलती रही लेकिन वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम के दौरान जिस तरीके से नित्यानंद राय को आगे बढ़ा कर केन्द्रीय नेतृत्व ने साफ संदेश दिया कि नित्यानंद बिहार में मोदी और शाह की पसंद है हालांकि इसका असर दिखने भी लगा है बिहार बीजेपी के अंदर मोदी के खिलाफ जो लोग थे वो रातो रात नित्यानंद के साथ खड़ा हो गये हैं वही नीतीश कुमार के कार्यशैली से बीजेपी के जो विधायक असहज है वो भी इस खेमे में आ गये हैं।

2– सुशील मोदी कैलाशपति मिश्र नहीं हैं सुशील मोदी बिहार की राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाते हैं आज भी सुशील मोदी ही बीजेपी के ऐसे नेता हैं जिन्हें बगहा से लेकर किशनगंज तक और जमुई से लेकर औरंगाबाद तक पार्टी का कौन कार्यकर्ता है और उस कार्यकर्ता की क्या हैसियत है फिर विधानसभा में किस तरह का जातीय और सामाजिक समीकरण है मोदी को छोड़कर बीजेपी में किसी भी नेता को पता नहीं है साथ ही प्रशासनिक समझ के मामले में बिहार बीजेपी में इनका जोड़ा नहीं है इसलिए इनसे सीधे सीधे पंगा लेना अभी भी मुश्किल है।

वही जब तक बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू की पकड़ मजबूत रहेंगी तब तक सुशील मोदी को बिहार से हिलाना बहुत ही मुश्किल है क्यों कि तीनों के बीच गजब का सामंजस्य है और ये बात बिहार की राजनीति के माहिर से माहिर खेलाड़ी को पता है इसलिए मोदी और शाह की यह कोशिश बहुत जल्द रंग लाने लगेगी ऐसा होता नहीं दिख रहा है ।क्यों कि जब तक बिहार में एनडीए का कमान नीतीश कुमार के हाथों में है तब तक बहुत मुश्किल है बिहार में सुशील मोदी को छोड़ कर दूसरे नेता को स्थापित होना।

3—नीतीश को बिहार से बाहर किये बगैर शाह और मोदी के लिए बिहार सहज नहीं है
मोदी और शाह 2015 में बिहार को अजमा चुके हैं उन्हें पता है कि बिहार को साधना कितना मुश्किल है फिर भी उनकी कोशिश जारी है और इसी कड़ी में नित्यानंद का बिहार में स्थापित करने कि कोशिश चल रही है। लेकिन यह तभी सम्भव है जब नीतीश कुमार बिहार से बाहर चले जाये जानकार बता रहे हैं कि मीडिया में नीतीश कुमार के उप राष्ट्रपति बनने को लेकर जो खबरें चली थी वो पूरी तौर पर प्रायोजित था ताकि नीतीश दबाव में आ सके वैसे नीतीश राष्ट्रपति के अलावा किसी दूसरे पद के लिए बिहार छोड़ दे ऐसा सम्भव नहीं है। ऐसे में मई ,जून और जुलाई बिहार की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है लालू पटना आ रहे हैं ,राज्यसभा और राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है ऐसे में बिहार बीजेपी के सामने बहुत बड़ी चुनौती है ।

पहली चुनौती है नीतीश को साथ रखना दूसरी चुनौती है लालू को काउंटर करना और तीसरी चुनौती है राष्ट्रपति के चुनाव में नीतीश पिछले दो चुनाव की तरह अलग  स्टैंड ना ले इन तीनों चुनौती को साधने में अगर नित्यानंद राय सफल रहे तो फिर बिहार बीजेपी का एक नये युग में प्रवेश तय है ।

रंगदारी नहीं देने पर फल व्यवसायी को अपराधियों ने जमकर की पीटाई

गोपालगंज – रंगदारी नहीं देने पर फल व्यवसायी को अपराधियों ने जमकर की पीटाई । बेखौफ अपराधियो ने फल व्यसायी से फोन पर 4 लाख रुपये की रंगदारी की मांग की।

रंगदारी नही देने पर फल व्यवसाई के मैनेजर को पकड़कर जहां उसकी बेरहमी से पिटाई कर अपहरण कर लिया। वहीं व्यसायी के गल्ले से नकद रुपये भी लूट लिये। पिटाई करने का यह वीडियो सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया।

घटना कल रविवार को नगर थाना के अरार मोड़ की है।पीड़ित का नाम राकेश सिंह है।यह मांझा थाना के सुधा साह के टोला गाँव के निवासी बताये जाते है।

गाँधी मैदान में आयोजित ईद के नवाज में शामिल हुए नीतीश कुमार

पटना – सीएम नीतिश कुमार ने ईद की बधाई देते हुये सभी को एक दुसरे के प्रति आदर का भाव रखने और बिहार की तरककी को लेकर काम।करने की नसीहत दी है

वही उन्होंने कहा कि लागातर कोविड की वजह से गांधी मैदान में कार्यक्रम नही हो रहा था, लेकिन इसबार कार्यक्रम हो रहा है खुशी की बात है

हम खुद लगातार यहां आते है काफी खुशी मिलती है।

मुंगेर यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक ने मानी अपनी गलती, छात्र के अंक पत्र को किया सही

मुंगेर विश्वविद्यालय द्वारा शनिवार को सत्र 2018-21 स्नातक पार्ट-3 के बीए का रिजल्ट जारी किया गया है । लेकिन इसमें विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आयी है ।

जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा एक विद्यार्थी को स्नातक के तीनों पार्ट को मिलाकर कुल 800 की जगह 868 अंक दे दिया गया है. केकेएम कॉलेज, जमुई के इतिहास ऑनर्स के एक छात्र दिलीप कुमार साह (जिसका रौल नंबर 118040073) को उसके पार्ट-3 के पेपर-5 विषय में कुल 100 अंकों में 555 अंक दे दिया गया है । जिसके कारण ही उसका कुल प्राप्तांक भी 1,130 हो चुका है ।

इतना ही नहीं सबसे आश्चर्य की बात है कि उसे कुल 108.5% प्राप्त हुए हैं. बता दें कि कई तकनीकी कारणों और सही से रिजल्ट प्रकाशन को लेकर ही परीक्षा विभाग अपने दो बार रिजल्ट प्रकाशित करने के दावे की तिथि पर इसे प्रकाशित नहीं कर पाया था । विश्वविद्यालय द्वारा जो रिजल्ट जारी किया गया है, उसे चेकर, मेकर के अतिरिक्त परीक्षा नियंत्रक से लेकर कुलपति और प्रतिकुलपति द्वारा भी अनुमोदित किया गया है । और रिजल्ट जिसके टीआर के वेबकॉपी को विश्वविद्यालय के ऑफिशियल वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया ।

मीडिया में ख़बर आने के बाद परीक्षा विभाग की नींद टूटी और उस विधार्थी के रिजल्ट को सही किया । साथ ही इस मामले में परीक्षा नियंत्रक रामाशीष ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए कहा की काम के काफी प्रेशर और समय पे परीक्षा फल प्रकाशित करने के कारण ये मिस्टेक हुई पर इसे सुधार दिया गया । साथ ही एक अन्य मामला जिसमे भी गलत हुआ था उसे ठीक कर दिया गया । साथ ही कहा की अब आइंदा इस तरह की गलती नहीं होगी ।

पकड़ा गया मोबाइल झपटमार गिरोह का सदस्य

जहानाबाद शहर में चोर गिरोह सक्रिय है । अकेले देखकर लोगों का मोबाइल छीन लेना है इनका काम । ऐसा ही एक मामला सोमवार दोपहर बाद अरवल मोड़ के समीप का है, जहां एक महिला मोबाइल से बात करते जा रही थी पीछे से आए एक युवक ने झपट्टा मार लिया ।

महिला जोर जोर से चिल्लाने लगी जिसके बाद लोगों ने मोबाइल चोर को पकड़ लिया और पिटाई करने के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी। आरोपी को पुलिस अपने साथ ले गई है मोबाइल चोर जहानाबाद शहर के पचमहला का रहने वाला है पुलिस आरोपी से पूछताछ कर गिरोह के बारे में जानकारी जुटाने में लगी है।

जहानाबाद का एक स्कूल ऐसा, 60 साल बाद भी भवन नहीं; मंदिर में चलता है स्कूल

केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षा को लेकर बड़े- बड़े दावें करती है। लेकिन जमीन पर ये दावे फेल होते दिखते हैं। जहानाबाद शहर के ये सरकारी विद्यालय कई सालों से मंदिर के प्रांगण में चल रहा है।

यहां बच्चे ज्यादा गर्मी हो या ठंड भगवान भरोसे ही होते हैं. गौरक्षनी देवी मंदिर के प्रांगण में बच्चों की भीड़ कोई पूजा-पाठ करने नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण करने आती है. स्कूल भवन के अभाव में ये बच्चे कैसे शिक्षा ग्रहण करते होंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

इस मंदिर में बड़े पैमाने पर शादी और धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। ऐसे में भारी भीड़ और गाजे – बाजे के साथ बच्चों की पढाई भी बाधित होती है।

जब स्कूल के शिक्षक और प्रधान शिक्षिका से इस बारे में पूछा गया उन्होंने बताया कि विद्यालय की जमीन उपलब्ध ना होने की वजह से यह स्कूल गौरक्षनी स्थित मंदिर में चल रहा है।

कभी शादी तो कभी धार्मिक कर्मकांड होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ता है. उन्होंने कहा की कई बार अधिकारियों से भवन निर्माण की बात की गई है लेकिन तक इस पर कोई कारवाई नही की गई है.

बिहार में किसी नई राजनीतिक मुहिम का कोई भविष्य नहीं – सुशील कुमार मोदी

पटना । प्रशांत किशोर के नई पार्टी के गठन पर सुशील मोदी की प्रतिक्रिया बिहार में कोई भविष्य नहीं है।

  1. बिहार में मुख्यधारा के चार दलों के अलावा किसी नई राजनीतिक मुहिम का कोई भविष्य नहीं है।
    लोकतंत्र में किसी को भी राजनीतिक प्रयोग करने या दल बनाने की पूरी आजादी है, इसलिए देश में सैंकड़ो दल पहले से हैं। अब इस भीड़ में यदि कोई अतिमहत्वाकांक्षी व्यक्ति एक नई नहर बनाना चाहता है, तो इससे सदाबहार नदियों को क्या फर्क पड़ेगा?
  1. जनता के मन-मस्तिष्क में गहरे स्थापित किसी राजनीतिक दल के लिए चुनावी रणनीति बनाना, नारे-पोस्टर, घोषणापत्र आदि बनाने में किसी पार्टी की मदद करना या इस अभियान को बहुत पेशेवर ढंग से पूरा कर लेना एक बात है, लेकिन करोड़ों लोगों की आकांक्षा पर खरे उतरने वाली राजनीति करना बिल्कुल अलग बात है।
prashant and sushil modi

जिनको वर्षों तक अलग-अलग पार्टी के साथ अलग-अलग राज्यों में काम के बावजूद जनता के मुद्दे समझ में नहीं आये, वे अब अकेले क्या तीर मार लेंगे?

पटना विश्वविद्यालय में स्नातक नामांकन के लिए पोर्टल आज से खुला

पटना विश्वविद्यालय में स्नातक नामांकन के लिए आज से पोर्टल खोल दिया गया है। छात्र फॉर्म चार जून तक भर सकते हैं, लिखित प्रवेश परीक्षा 18 जून को होगी।

एक ही आवेदन पर छात्र सभी कॉलेजों के लिए योग्य होंगे। नोडल संस्थान बीएन कॉलेज के द्वारा इस संबंध में शनिवार को भी बैठक की गयी थी। बैठक में नोडल संस्थान के द्वारा कुछ गाइडलाइन बनायी गयी है।

बिहार डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) के लिए अनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं आवेदन फीस जमा करने की आखरी तिथी को बढ़ा दिया है

बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (BSEB) ने बिहार डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) के लिए अनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं आवेदन फीस जमा करने की आखरी तिथी को अब बढ़ा दिया है।

पहले आवेदन और आवेदन शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि 2 मई 2022 थी, जिसे बढ़ा कर अब 5 मई 2022 कर दिया गया है। जिससे रजिस्ट्रेशन के साथ आवेदन शुल्क जमा करने के लिए अभियार्थियों को और वक्त मिल गया है।

BSEB

वहीं ऑनलाइन भरे गए रजिस्ट्रेशन फॉर्म के आधार पर समिति द्वारा जारी डमी रजिस्ट्रेशन कार्ड में किसी प्रकार की त्रुटि का सुधार आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर 6 मई तक किया जा सकता है।

ज़रा सोचिए : बिहार में क्यों नहीं थम रहा है पलायन

बिहार से पलायन नही रुकेगा, अव्वल तो पलायन बिहार के लिए एक अभिशाप नही बल्कि एक वरदान है । रोजगार के लिए पलायन हमेशा बुरा भी नही होता । केरल में बिहार से भी अधिक पलायन है परंतु औसत आमदनी और समृद्धि बहुत अधिक है, जिसमे रेमिटेंस सेंड बैक का बड़ा योगदान है । पलायन का नेचर और रोजगार की प्रकृति अलग है, वहां अधिकांश पलायन मिडिल ईस्ट गल्फ देशों में है। पलायन से केरल में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी, बिहार में भी बढ़ी है ।

पलायन का सबसे बड़ा लाभ बिहार में आर्थिक के बजाय #सामाजिक स्तर पर हुआ, बिहार में गरीब गुरबों को सर उठाने का जज़्बा और हिम्मत पलायन के बल पर ही मिला । याद करिये 60 और 70 का दशक जब बिहार के गांवों में छोटी जाती के भूमिहीन मजदूरों के साथ कितना बुरा बर्ताव होता था, उनकी समाजिक स्थिति कितनी बदतर थी । उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बना के रखा गया था । यदि कहूँ की, उन्हें इंसान नही माना जाता था, तो अतिश्योक्ति नही होगी । यही मजदूर जब पंजाब गया तो उसकी आमदनी बढ़ने लगी । जाहिर है इस रास्ते को श्रमिको और मजदूरों ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के माध्यम के साथ अपने आत्म स्वाभिमान को बढ़ाने के माध्यम के रूप में अपनाया, अब वो गांव के बड़े ज़मीदार की दासता से मुक्त था ।

बिहार में कृषि भूमि की औसत जोत पूरे भारत मे सबसे कम है, आबदी की वृद्धि दर सबसे अधिक है । अब भाइयों में बटवारें के पश्चात सिर्फ कृषि आमदनी से छोटे किसानों के बढ़ते परिवार को पालना कठिन होने लगा था । योजना आयोग की 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत मे कृषि क्षेत्र से अविलंब 22 करोड़ अतिरिक्त लोगों को दूसरे क्षेत्र में रोजगार देने की आवश्यकता है । खेती के मजदूरों का पहले बिहार से पंजाब हरियाणा जैसे राज्यो में पलायन हुआ जहाँ कृषि भूमि की जोत बड़ी थी ।

अब बात करें बिहार के #औद्योगिकरण की: तथ्य ये है कि बिहार आजादी के कई वर्षों बाद तक देश का औद्योगिक रूप से अग्रणी एवम सम्पन्न राज्य था । शुरुआती दौर में ही सबसे अधिक चीनी मिलें, सीमेंट कारखाने, जुट मिल आदि बिहार में खुली, डालमिया नगर 3700 एकड़ का औद्योगिक शहर बसा जिसमे 40 से अधिक विभिन्न केमिकल, शुगर, डिस्टिलरी, सीमेंट, पेपर मिल की इकाइयां थी, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद कोल माईनस, बिहार कई प्रदेशो से आगे था, लेकिन ये प्रक्रिया गति पकड़ने के बजाय थमने लगी जिसके अनेक कारण थे:

1) भेदभाव पूर्ण नीति: #फ्रेट_इकुलाइज़ेशन की पॉलिसी ने बिहार में उद्योग लगाने के एडवांटेज को समाप्त कर दिया, कोयला, लौह अयस्क एवं अन्य खनिज बिहार से जिस दाम में मिलेंगे उसी दाम पर जब दक्षिण और पश्चिम के राज्यो में उपलब्ध होंगे तो कोई बिहार में कारखाना क्यों लगाए ।

2) #लैंड_लॉक स्टेट होने के कारण बिहार में उद्योग लगाने में डिसडवांटेज है क्यों कि अगर रॉ मटेरियल इम्पोर्ट करना है या आउटपुट एक्सपोर्ट करना है ऐसे में बंदरगाह से नजदीकी मायने रखती है ।

3) #भूमि की अनुपलब्धता – बिहार में आबादी का घनत्व अधिक है और अधिकांश भूमि कृषि योग्य है । बड़े उद्धयोग को जिस पैमाने पर भूमि की आवश्यकता होती है, बिहार में उसका सही स्थान पर प्रबन्ध कर पाना आज भी एक दुस्कर कार्य है । भूमि की दर भी बिहार में अन्य राज्यो की तुलना में बहुत अधिक है । समृद्ध राज्यो में भी जमीन बिहार से सस्ती उपलब्ध है ।

4) अब कुछ ऐसे कारण जो बिहार के औधोगिक पिछड़ेपन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण रहे है – #उद्यमियोंकोहेयदृष्टिसे_देखना – राज्य की जनता और प्रशासन ने कभी भी जोखिम लेकर पूंजी निवेश करने वाले, रोजगार देने वाले, उद्यमी को उसका यथोचित सम्मान नही दिया । जनता नेताओ, प्रशासनिक अधिकारीयों, पुलिस अधिकारीयों का तो सम्मान करती है लेकिन उद्यमियों के राह में बाधाएं हर स्तर पर आते है । सामाजिक कार्यक्रमो में उन्हें उद्योगपति अथवा #व्यापारी कहने के बजाए #समाजसेवी कह कर परिचित कराना पड़ता है । उनकी मेहनत और जोखिम को नजरअंदाज कर उनसे जलने वाले उन्हें हमेशा नीचे लाने को ततपर रहते है । क्या नेता, पुलिस और अफ़सर ही सम्मानयोग्य है, क्या इनमे भरस्टाचार नही, शायद बहुत अधिक, एक उद्यमी का देश की तरक्की में योगदान इनसे अधिक होता है, चाहे राज्य को दिया जाने वाला सेल्स टैक्स (अब GST) हो, या केंद्र को दिया जाने वाला आयकर (हिस्सा राज्य को भी मिलता है) अथवा डायरेक्ट इनडायरेक्ट कर्मचारियों, सप्लायर्स, ट्रांसपोर्टर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, रिटेलर्स के माध्यम से लोगो को दिए जाने वाला रोजगार हो, दूसरी और जो उत्पादन/ट्रेड वो कर रहे है अगर वो न करे तो आम लोगों के लिए वस्तुओं की उपलब्धता कम और महंगी होगी, किसानों की फसल का बेहतर मूल्य न मिले, लेकिन सारे लाभ होने के बाद भी इस राज्य ने उद्यमी को कभी भी सम्मान नही दिया, उसे हमेशा मुनाफ़ाखोर और दूसरे से काम लेकर खुद कमाने वाला के रूप में देखा, उससे लोग जलते , यही मुनाफा जब कोई बाहर की या विदेश की कम्पनी लेती है तो उसके आगे बिहार वाशी नतमस्तक रहते है । अरे मुनाफ़ा व्यापार की प्रगति और निरन्तरता के लिए परमावश्यक है, मुनाफ़ा ही नए निवेश का आधार होता है और उत्तरोत्तर प्रगति की नींव रखता है । आज बिहार में हर जिले में बन्द पड़ी सरकारी और निजी चीनी मिल, फर्टीलाइजर फैक्टरी, पेपर मिल आदि की ऐसी कहानियां बिखरी पड़ी है ।

5) #अपनेघरमेहनत_नहीं: बिहारी श्रमिकों के साथ भी एक तथ्य है कि अपने राज्य में उनकी श्रम शक्ति उस प्रकार प्रभावी नही होती जैसे वो बाहर जा कर क्रियाशील होते है । यहाँ अपने लोगो के बीच वो अपनी प्रथाओं, अस्मिता, राजनीति, तीज त्योहारों और आलस्य उत्सव में मग्न रहते है, जबकि परदेश में उनके साथ ये बधाये नही होती।

6) #लो_एस्पिरेशन- मैंने बिहार के प्रत्येक जिले में छात्रों का सेमीनार लिया है, अक्सर छात्रों से पूछता था कि बताओ अगर तुम्हें अवसर मिले तो तुम किस नौकरी के लिए तैयारी करना चाहोगे? कौन सा जॉब करना है? कई बार छात्रों ने कहा कि टॉवर में गार्ड लगवा दीजिये, उस दौर में शिक्षा मित्र की बहाली आयी थी, तब वेतनमान मात्र 6000 प्रतिमाह था, लेकिन छात्रों में उसका जबरदस्त क्रेज था । आज विधानसभा में चपरासी, गार्ड, स्वीपर और माली की नौकरी के लिए 6 लाख लोगो ने आवेदन कर दिया, जिसमे स्नातकोत्तर और प्रोफेशनल कोर्स किये छात्र है, फैक्ट यही है कि लगातार छात्रों की एस्पिरेशन घटी है, पटना ssc, बैंकिंग और दरोगा-सिपाही बहाली के कोचिंग से भरा है IAS का कोचिंग पटना में एक भी स्तरीय नही । बिहार से आज भी भारी मात्रा में IAS के प्रतिभागी भाग लेते है, दिल्ली, इलाहाबाद में कोचिंग करते है, लेकिन बिहार का रिजल्ट लगातार गिरा है, अधिकांश हिंदी मीडियम से परीक्षा देते है, हिंदी मिडियम का ही रिजल्ट कुल सफल छात्रों में मात्र 2% है । उद्यमिता की बात ही वहाँ कैसे हो जहाँ एस्पिरेशन लेवल नीचे जा रहा हो । उद्यमिता की सबसे बड़ी ड्राइविंग फोर्स साहस और महत्वाकांक्षा होती है । ऊँचे सपनो के आधार पर ही उद्योग की नींव होती है ।

7) #पोस्टप्रोडक्शन के बजाय #प्रीप्रोडक्शन_स्कैम – बिहार में कही भी कोई उद्योग, विश्वविद्यालय लगाने की प्रक्रिया शुरु करेगा तो उस इलाके के राजनीतिज्ञ, अधीकारी, दबंग, जातीय मुखिया और गुंडे इस जुगत में लग जाते है कि कैसे इस इंडस्ट्रीलिस्ट / मारवाड़ी / पैइसावाले से माल टाना जाए । मुर्गी अंडा दे उसके बजाय उसका पेट ही चीर कर सारे अंडे एक साथ निकाल ले ।

8) आज स्थिति ये है कि इस राज्य में #बाहुबल और #राजनैतिक_संरक्षण के बिना उद्योग या कोई बड़ा प्रोजेक्ट लगाना सम्भव नही रह गया है । आप किस जाति के गांव में है, आपका प्रमुख मैनेजर किस जाति का है, भूमिहार का गांव है कि बाबूसाहब का है, बाभन एडवाइजर है कि नही, लाल झंडा का क्षेत्र तो नही न था? ऐसे कितने प्रश्न है जिसे कोई उद्यमी झेलना नही चाहेगा , निवेश ही करना है तो भारत मे विकल्प की कमी नही है ।

9) #रेडटेपब्योरोक्रेशी – माननीय मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी विफलता अपने नौकरशाही में सुधार न ला पाने की है । जिस उद्यमी को सचिवालय का चक्कर लगता है उससे वहाँ के हाल पूछिये । सरकारी फाइल से स्लो कोई चीज़ भगवान ने बनाई नही, और ऊपर से अर्जेंट आदेश वाली फाइल सबकी बनती नही ।

10) #छवि : मुख्यमंत्री एक बार उद्यमियों के सम्मेलन में मुंबई गए थे, अगले दिन वहां के प्रमुख अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने छापा कि “नीतीश डेयर्स इन्वेस्टर्स” यानी कि मुख्यमंत्री ने निवेशकों को आमंत्रित करने का प्रयास जो किया उसे वहां के उद्यमियों ने डराने के प्रयास के रूप में लिया क्योंकि बिहार में निवेश बिना शर्तों के नहीं होता है जबकि उद्यमी ऐसे राज्यों को खोज रहे होते हैं जहां उनको रेड कारपेट वेलकम मिले कई बार ऐसी परिस्थितियां भी बनी जहां पर उद्यमी निवेश करने के पश्चात स्थानीय अथवा प्रशासनिक समस्याओं में उलझ गया, ऐसे में उच्च स्तर पर उद्यमी की परेशानी को समझने के बजाय सरकारी नियमों एवं वोट की राजनीति के मजबूरियों को महत्व दिया गया। यानी कि उच्चतम स्तर पर शासन की प्रतिबद्धता अपनी छवि और वोट बैंक की मजबूरियों के प्रति दृढ़ हैं जबकि राज्य के औद्योगिककरण के लक्ष्य को लगभग असंभव मानते हुए प्रयासों को छोड़ दिया गया है । यहाँ राजनेता उद्यमी की मदद करने की छवि बनने से डरते है, क्योंकि जनता इसे अच्छा नही मानती ।

11) #शिक्षा स्तर में गिरावट: पहले कर्पूरी फॉर्मूला, फिर परीक्षाओं में व्यापक कदाचार और अब मुखिया द्वारा बहाल अयोग्य शिक्षकों की वजह से बिहार की प्राइमरी, सेकेंडरी समेत पूरी शिक्षा व्यवस्था गर्त में चली गयी है । जिस बिहार की मेधा पर भारत को नाज़ था आज उस मेधा को बिहार में पुष्पित-पल्वित होने का अवसर ही नही मिल रहा । हायर एजुकेशन राजनीति और भ्रस्ट वाइस चांसलरों के भेंट चढ़ गई, बाद में वाइस चांसलर के ऊपर का पायदान भी दूषित हो गया, जब गंगोत्री ही दूषित हो जाये तो गंगा साफ कैसे रहे । खराब शिक्षा व्यवस्था से भविष्य के आन्तरिप्रेन्योर और स्टार्टअप फाउंडर्स की अपेक्षा करना कैसे संभव है ।

अनेको और वजहें है लेकिन मूल बात यहीं है कि बिहार की जनता जब तक औद्योगिकीकरण नही चाहेगी तब तक ये होगा नही, जो प्रदेश अपने #स्थानीय_उद्यमियों को सम्मान न दें, वहाँ बाहर से निवेश ज्यादा आएगा नही सिर्फ लोकल आबादी की खपत को स्थानीय स्तर पर पूरा करने के लिए कोई बिस्किट फैक्टरी लग जायेगी, कोई वाशिंग पॉवडर प्लांट, कोई छोटा सीमेंट कारखाना, उद्देश्य सिर्फ बाहर से लोकल खपत को मंगाने का माल भाड़ा बचाना होगा । बिहार ट्रेडिंग राज्य है, यहाँ ट्रेडर इंडस्ट्रीलिस्ट से ज्यादा कमाता है, यहाँ पढ़ाने वालो से ज्यादा डिग्री बेंचने वाले और दूसरे राज्यो में छात्रों का नामांकन कराने वाले एजेंटों/कंसल्टेंट का टर्नओवर है, और सबसे बड़ा मसला लोगो के दृष्टिकोण का है, उद्यमियों के प्रति व्यहवार का है ।

पलायन को अभी वरदान मानिए- कोशिश यही होनी चाहिये कि पलायन करने वाले श्रमिको को प्रशिक्षित किया जाए ताकि उनकी आमदनी बढ़े, जीवन स्तर बेहतर हो ।

मुख्यमंत्री हमेशा कहते थे कि बिहारी इतना मेधावी है कि अगर चांद पर भी वैकेंसी होगी तो बिहारी वहाँ अप्लाई करेंगे । मेरा सवाल था क्यो? जब महाराष्ट्र और आसाम में ग्रुप 4 की वैकेंसी के लिए आये बिहारी नौजवानों का विरोध हुआ तब मुझे यही लगा कि आखिर हमारे नौजवान चपरासी बनने बिहार से बाहर क्यो जाए? अगर बिहारी नौजवान, अफसर बनते है, उद्यमी बनते है, मैनेजर, प्रोग्रामर, डॉक्टर, साइंटिस्ट बनते है और किसी अन्य राज्य में कार्य करते है, उनका तो विरोध नही होता, कम वेतनमान के सरकारी जॉब पर स्थानीय गरीब यदि अपना हक़ चाहते है तो बुरा क्या, वो आखिर चपरासी बनने बिहार नही आते?

बिहार में #उच्चशिक्षा के लिए भी_पलायन होता है और पूरे देश में सबसे ज्यादा होता है । ये भी नही रुकेगा कोई रोकने की पॉलिसी नही वही समस्या है चाहे राजतंत्र के स्तर पर हो या जनता के स्तर पर, विस्तृत पोस्ट कभी और वैसे औद्योगिकरन कि एक बड़ी रीक़वाइरमेंट ट्रेंड मैनपॉवर के उपलब्धता भी होती है । जिसकी व्यवस्था बिहार में कभी हुई नही और जहाँ स्तरीय शिक्षण संस्थान होंगे उद्योग वही शुरू होते है, जैसे आईटी सेक्टर दक्षिण के राज्यो में बढ़ा क्योंकि तकनीकी संस्थानों की एक सपोर्ट चेन पहले से थी, उद्योगीकरण ने उस चेन को मजबूत कर दिया ।

पॉलिसी स्तर पर कितनी बाधा है, एक उदाहरण से समझे- कोटा में सबसे अधिक और बड़े कोचिंग वहाँ के औद्योगिक क्षेत्र में है यहां पाटलिपुत्र जैसे शहर के बीचों बीच स्थित औद्योगिक क्षेत्र में आप प्रदूषण वाला उद्योग लगा सकते है, पढ़ा नही सकते (हां सरकार वहाँ खुद आईआईटी खोले, इंजीनियरिंग कॉलेज, एटीडीसी ट्रेनिंग सेंटर, CA इंस्टीट्यूट खोल सकती है, लेकिन कोई निजी शैक्षणिक न्यास शिक्षण संस्थान नही खोल सकता, बाकी सत्ता से जोड़े है तो मॉल भी खोल ले । 8 साल पहले बिहटा में विवि स्थापना के लिए एमिटी और सिमेज ने सरकार से जमीन खरीदी, बाजार दर पर अलॉटमेंट हुआ, पेमेंट कर दिया गया, आजतक जमीन मिली नही, पैसा जमा है । अमेटी ने पूरे भारत मे अपना सबसे छोटा विवि बिहार में किराए के भवन में खोल दिया अब वो निश्चिंत है जब तक सरकार जमीन नही देगी उसका काम हो रहा है । वैसे ये पोस्ट मैंने किसी निजी अनुभवों को साझा करने के लिए नही लिखा परन्तु अनुभव से अधिक ऑथेंटिक सुनी बातें नही होती, इसलिए साझा कर रहा हूँ, वैसे इस दिशा में बीस वर्षों में हज़ारो निजी अनुभव है ।

याद है कोलकाता शहर में वो #हाथरिक्शा खींचने वाले, बड़ा बाजार में टोकरी पर बोझा ढोने वाले कुली लगभग सभी बिहार के थे और आज भी है । बिहार आज पूरे देश मे सुरक्षा गार्ड, रिक्शा-ठेला -ऑटो ड्राइवर, छोटे दुकान-फैक्टरी कर्मचारि और अन्य वर्कर्स/ एम्प्लोयी का सबसे बड़ा सप्लायर है । यही #बिहारकासबसेबड़ा_एक्सपोर्ट है और आमदनी का जरिया भी है । जरूरत ये है कि हम अपने प्रोडक्ट को कितना तैयार कर बाहर भेज रहे है, कितना एक्विप कर रहे है, कितना पॉलिश कर रहे है ताकि बाहर उसे अपनी प्रतिभा, मेधा और श्रम का उचित मूल्य मिले ।

आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है, रोबोटिक्स का है, इंटरनेट ऑफ थिंग्स का है, बिग डेटा का है । ऐसे में जिन रोजगारों के लिए बिहार से श्रमिक बाहर जाते है वो आने वालों वर्षो में समाप्ति की ओर होंगे । अपनी श्रम शक्ति और मेधा को हमे भविष्य की इन चुनौतीयों के लिए तैयार करना होगा ।

इसलिए पलायन होगा- होने दीजिए, कोशिश यही होनी चाहिये कि पलायन के स्वरूप को बदला जाए ।

औद्योगिकरण के लिये अगर जनता और सरकार के मिज़ाज और व्यहवार में, नीति और नियत में परिवर्तन आ जाये तो सोने पर सुहागा होगा लेकिन ऐसा होगा नही यहां अभी जातिवाद के साथ साथ धर्म की राजनीति होगी ।

लेखक—नीरज अग्रवाल

मुजफ्फरपुर में बड़े अंतरराजकीय वाहन चोर गिरोह का खुलासा

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर पुलिस ने एक बड़े वाहन चोर गिरोह का खुलासा किया है। यह गिरोह मुजफ्फरपुर के शहरी इलाका से बाइक चुराकर नेपाल में बेच दिया करता था।

दरअसल नगर पुलिस को लगातार बाइक चोरी की शिकायत मिल रही थी। डीएसपी टाउन आर एन पासवान ने नगर थानेदार अनिल कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई और अहियापुर के सोडा गोदाम चौक छीट भगवतीपुर में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान चार युवकों को दबोच लिया। इन सभी से सख्ती से पूछताछ की गई तो कई अहम खुलासे हुए।

इन लोगों की निशानदेही पर पुलिस ने सीतामढ़ी के बथनहा मे तैनात चौकीदार मोहम्मद मुन्ना के पुत्र फैयाज को दबोच लिया। इनके पास से पुलिस ने आधा दर्जन से ज्यादा चोरी की गई भी बाइक को बरामद कर लिया है । कई बाइक का तो इंजन निकाल कर इन लोगों के द्वारा बेच दिया गया है।

पकड़े गए युवकों की पहचान सीतामढ़ी के मोहम्मद फैयाज, अहियापुर के सोडा गोदाम छीट भगवतीपुर के मोहम्मद ताज मोहम्मद तंजीर, जावेद और सोनू के रूप में हुई है। इस गिरोह का सबसे बड़ा मास्टरमाइंड चौकीदार का पुत्र फैयाज उर्फ लुल्ला है, जो कि इन युवकों से चोरी का बाइक खरीद कर नेपाल में 5 से दस हजार में बेच दिया करता था।

डीएसपी प्रशिक्षु सियाराम यादव ने बताया यह युवक मुजफ्फरपुर के कई इलाकों से बाइक चोरी कर सीतामढ़ी के फैयाज को दे चुका है। और फैयाज नेपाल में जाकर बाइक का पार्ट पार्ट अलग कर बेच दिया करता था। इन लोगों की गिरफ्तारी से बाइक चोरी में कमी आएगी।

गोपालगंज में NH-27 पर कार में लगी आग

गोपालगंज । गर्मी में अगलगी की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। गोपालगंज में तो NH-27 पर आग का गोला बनती दिखी।

घटना के वक्त कार में 2 लोग सवार थे। अच्छी बात यह रही कि कार सवार दोनो लोगों की जान बच गई। अग्निशमन की टीम ने आग पर काबू पा लिया।

मांझागढ़ के दानापुर से सर्विसिंग कराकर लौट रहे थे कार सवार। तभी नगर थाना क्षेत्र के हाजियापुर मोड़ के पास ये हादसा हुआ।

चलती ट्रक से चालक को गुटका थूकना पड़ा महंगा; बीच सड़क पर शिक्षक ने ट्रक चालक से करवाया जूता साफ

वैशाली । चलती ट्रक से चालक को गुटका थूकना महंगा पड़ा,बीच सड़क पर शिक्षक ने ट्रक चालक से करवाया जूता साफ

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शिक्षक ने चालक को सड़क पर दिया ज्ञान,पुलिस के सामने काफी देर तक चला हाई वोल्टेज ड्रामा,महनार बाजार की घटना

जहानाबाद में नाला से हाथ पैर बंधे एक युवक का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई

जहानाबाद । मामला रेलवे कॉलोनी का है, नाला से हाथ पैर बंधे एक युवक का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। । शव को देखने से आशंका जताई जा रही है कि अपराधियों ने हत्या कर शव को नाले में फेंक दिया।

घटना की जानकारी मिलते ही रेल पुलिस मौके पर पहुंच गई और शव को कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है और छानबीन शुरू की।

स्थानीय लोगो ने बताया कि नाले में एक व्यक्ति का डेड बॉडी पड़ा मिला है देखने से प्रतीत हो रहा है कि किसी ने हत्या कर उसे फेंक दिया है। इधर पुलिस अधिकारी ने आशंका जताते हुए कहा कि हाथ पैर बंधा एक डेड बॉडी बरामद किया है।

शव देखने से यह प्रतीत होता है कि पहले युवक की हत्या की गई होगी फिर उसके बाद सबूत मिटाने के इरादे से शव को पीडब्ल्यू ऑफिस के पीछे रेलवे कॉलोनी के नाले में फेंक दिया है।फिलहाल युवक की पहचान नहीं हो पाई है।

फिलहाल पुलिस पूरे मामले की छानबीन करने में जुटी है।