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डीजीपी भी बनाये जा सकते हैं अभियुक्त

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बन कर आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को दोष मुक्त करने का जो मामला सामने आया है यह मामला पूरी तौर पर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था कैसे ध्वस्त हो गयी है इसके अध्ययन के लिए सबसे फिट केस है।

सरकार और सरकार का तंत्र कैसे काम कर रहा है ये तो आप पूर्व की स्टोरी में पढ़ ही चुके हैं आज हम आपको इतनी बड़ी घटना को लेकर विपक्ष क्या कर रहा है जरा ये दिखाते हैं। सुशील मोदी के इस ट्वीट के सहारे ही आज मैं तीन दिनों से चल रहे स्टोरी बिहार पुलिस का अपराधीकरण को आगे बढ़ाते हैं।

इतनी बड़ी बात हो गयी पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के फर्जी फोन काल के सहारे एक अपराधी आईपीएस अधिकारी को डीजीपी बचा ले गये लेकिन इतने गंभीर विषय पर नेता प्रतिपक्ष जो विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में अक्सर अफसरशाही पर बड़ी बड़ी बातें करते थे वही सुशील मोदी ,बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सम्राट चौधरी जैसे नेता जो नीतीश सरकार पर हमला करने से चुकते नहीं है वो सारे के सारे खोमाश है जैसे लगता है कि राज्य में कुछ हुआ ही नहीं है ।

1.विपक्ष के खामोशी का राज क्या है
सुशील मोदी ट्वीट 17.10.2022नीतीश कुमार में हिम्मत हो तो पूर्व मंत्री सुधाकर को राजद से बाहर कराएं सुशील कुमार मोदी . जब भाजपा सरकार में थी, तब अपनी सीमा में रहते थे सीएम सुधाकर के बयान पर जदयू नेतृत्व की जुबान बंद क्यों ?

सुशील मोदी – ट्वीट18.10.2022माफी मांगने पर बची तेजस्वी की जमानत, हिम्मत हो तो फिर धमकाएँ सुशील कुमार मोदी
नीतीश कुमार ने जिससे घोटाले पर जवाब मांग कर गठबंधन तोड़ा था, उसके अभियुक्त बनने पर फिर हाथ क्यों मिलाया ?

ललन सिंह ने सीबीआई को दिये थे आइआरसीटीसी घोटाले के कागजात
इस मामले में गिरफ्तार अभिषेक अग्रवाल के पेज थ्री पार्टी में राज्य के कई पुलिस अधिकारी शामिल होते रहे हैं लेकिन मामले के खुलासे के बावजूद भी विपक्ष खामोश है आखिर इस खामोशी की वजह क्या है बिहार पूछता है क्यों कि आईपीएस अधिकारी संजीव कुमार (एस के) सिंघल को जब बिहार का डीजीपी नियुक्त किया गया था उस समय ये चर्चा जोड़ पर था कि जो व्यक्ति शहाबुद्दीन के खिलाफ गवाही देने का साहस नहीं जुटा पाया उसको नीतीश कुमार डीजीपी कैसे बना दिए खैर सिंघल जिसके भी कोटे से डीजीपी बने हो लेकिन विपक्ष की खामोशी पर सवाल तो बनता है इतने गंभीर मसले पर चुप्पी क्यों जबकि भ्रष्टाचार और बेलगाम अफसरशाही का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है ।यही राजनीति है और इसी राजनीति को समझने कि जरूरत है।

2. डीजीपी कब गिरफ्तार होंगे
एक और बात जो बेहद गंभीर है गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के साथ शुरू से ही डीजीपी का साथ रहा है जब गया आईजी ने एसएसपी के शराब मामले अभियुक्त के खिलाफ हमदर्दी जताने पर सवाल खड़ा किया तो डीजीपी पूरी तौर पर एसएसपी के साथ खड़े हो गये थे इसलिए डीजीपी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के फोन कॉल की बात कही बहाना तो नहीं है ।

वैसे अभिषेक अग्रवाल (फर्जी मुख्य न्यायाधीश पटना हाईकोर्ट)और डीजीपी के बीच जो वाट्सएप संदेश है उसमें डीजीपी आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार से जुड़े मुकदमे में क्या क्या कार्यवाही हो रही है उस फाइल को फोटो खींचकर भेजते रहे हैं । मतलब दोष मुक्त करने का आधार फर्जी फोन कॉल था ऐसे में डीजीपी आईपीसी की धारा 212 का अभियुक्त है।

अब देखना यह है कि सरकार उनके रिटायर होने का इन्तजार करती है या फिर पहले ही कार्रवाई करने का आदेश देते हैं।

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