Press "Enter" to skip to content

नीतीश अभी भी बीजेपी वाली मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाये हैं

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का राजद से निष्कासन तय हो गया है और किसी भी समय इन्हें छह वर्षों के लिए पार्टी से बाहर करने कि घोषणा हो सकती है ।

–नीतीश अभी भी बीजेपी वाली मानसिकता से नहीं निकल पाये हैं बाहर
–प्रशासनिक अधिकारियों को पोस्टिंग में एक बार फिर आया सामने
—तेजस्वी का मिशन 2024 में कार्यकर्ता साथ छोड़ दे तो कोई बड़ी बात नही्
–सुधाकर का पार्टी से निकालना आत्मघाती हो सकता है राजद के लिए
–रघुवंश सिंह का नुकसान समझ नहीं पा रहा हैं तेजस्वी
–तेजस्वी राहुल नहीं है ये उन्हें समझना चाहिए

नीतीश कैम्प की इक्छा है कि सुधाकर सिंंह को पार्टी से निकालने कि घोषणा राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के माध्यम से ही करायी जाए इस वजह से जो देरी हो जाए वैसे तेजस्वी ने मन बना लिया है कि सुधाकर सिंह को लालू प्रसाद के बातचीत करने कि स्थिति में आने से पहले निपटा दिया जाए क्यों कि सिंगापुर से जो लालू प्रसाद के स्वास्थ्य को लेकर खबर आ रही है वह संतोषजनक नहीं है।

कल जब छपरा में तेजस्वी कह रहे थे कि सुधाकर सिंह बीजेपी के ऐजेंडे पर काम कर रहे हैं और महागठबंधन का लक्ष्य है मोदी को सत्ता से बेदखल करना और इसमें जो भी बाधक बनेगा उसको बर्दास्त नहीं किया जायेंगा। ठीक उसी समय राजद का एक और विधायक मीडिया से उसी अंदाज में बात कर रहा था जिस अंदाज में सुधाकर सिंह पिछले कई दिनोंं से कह रहा है।ऐसा भी नहीं है कि नीतीश की शैली से सिर्फ राजद के दो चार विधायक ही असहज नहीं है लाखो कार्यकर्ता भी असहज है और यही स्थिति बनी रही तो राजद को बड़ा नुकसान होगा यह अब दिखने लगा है क्योंं कि जिस तरीके की अफरशाही थाना और प्रखंड स्तर पर अभी भी लूट मचा रखा है उससे राजद के विधायक और कार्यकर्ता असहज है।

यही स्थिति बनी रही तो 2024 में राजद मोदी से लड़ने कि स्थिति मे रहेंगा भी या नहीं कहना मुश्किल है क्यों कि राजद के विधायक ही परेशान नहीं है कार्यकर्ता भी परेशान है और हाल के दिनों में अधिकारियों का जिस तरीके से पोस्टिंग किया गया है उसमें अधिकांश अधिकारी भाजपा माइंडसेट का है जिस वजह से राजद का कार्यकर्ता और भी असहज हो गया है क्यों कि ऐसे अधिकारी ईमानदारी से काम करते हैं ऐसा भी नहीं है बल्कि बीजेपी के लाइन के साथ खड़े रहते हैं समस्या यह भी है ।
2015 में भी महागठबंधन जब बना था नीतीश इसी शैली में काम करते रहे जिससे राजद और कमजोर हुआ और उसी का नतीजा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद का खाता तक नहीं खुला जो जनता दल और राजद के राजनीतिक सफर में कभी नहीं हुआ था.

ये कहने के लिए है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को ताकत मिलने से प्रशासनिक व्यवस्था धराशाही हो जाती है यह पूरी तौर पर सही नहीं है जबकि इसका असर यह पड़ता है कि स्थानीय प्रशासन पर दबाव रहता है कि गलत ना करे क्यों कि अधिकारी आते रहते हैं जाते रहते हैं लेकिन किसी भी पार्टी का कार्यकर्ता और नेता को हमेशा वही रहना होता है ऐसे में बहुत ज्यादा दाये बाये करने कि गुनजाइस कम रहती है ।

NitishKumar

लालू के शासन काल को इसी आधार पर बदनाम किया जाता है कि राजद के कार्यकर्ता और नेता के कारण राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गया ।

हां नीतीश के शासन काल में किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं का कुछ भी नहीं तो क्या सरकारी काम के गुनवत्ता में सुधार हो गया ,भ्रष्टाचार कम हो गया ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है अराजक स्थिति है अमीर को नीतीश के शासन काल में लाभ मिल रहा है लेकिन एक भी गरीब को न्याय नहीं मिलता है ।

बिना पैसा लिए थाना हो या फिर प्रखंड हो काम ही नहीं हो सकता है आज कोई भी नेता यह कहने कि स्थिति में नहीं है कि थाना या फिर प्रखंड में कहने वाला नहीं है कि यह गरीब है इससे घूस मत लीजिए।

अगर ऐसा नहीं होगा तो पार्टी 2005 से सरकार में है मुख्यमंत्री उसका है वो पार्टी लगातार कमजोर क्यों होती जा रही है उन्हें आज भी सत्ता में बने रहने के लिए बैसाखी की जरुरत क्यों पड़ रही है कारण ये भी है कि अफसर के सहारे जो सरकार चलाने कि कोशिश हुई उससे पार्टी के साथ साथ लोकतांत्रिक संस्थान भी कमजोर हुआ और धीरे धीरे पूरी प्रशासनिक व्यवस्था एक व्यक्ति पर केन्द्रीत हो कर रह गया जिसका खामियाजा राज्य भुगत रहा है ।

https://biharnewspost.com

BiharNewsPost MobileApp
https://biharnewspost.com

वैसे रघुवंश सिंह के जाने से गंगा के उस पार वाले इलाके में समाजवादी विचार से जुड़े लोग जो राजद के साथ खड़े थे वो राजद से दूर हुए और उसका नुकसान लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी राजद को भुगतना पड़ा और जगदानंद सिंंह कमजोर हुए तो शहाबाद और मगध के इलाके में जो गैर यादव और मुसलमान राजद से जुड़े हुए हैं राजद से दूर हो जाएगे ये खतरा है ।

नीतीश को सरकार चलाने कि जो जिद्द है वोट यादव और मुसलमान का लीजिएगा और सत्ता में भागादीरी बीजेपी मान्डसेट वाले लोगों को दीजिएगा 2024 तो छोड़िए 2023 का बजट वाला सत्र चलाना मुश्किल हो जाएगा यह दिखने लगा है ।

– संतोष सिंह के कलम से

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »
More from बड़ी खबरMore posts in बड़ी खबर »
More from बिहार ब्रेकिंग न्यूज़More posts in बिहार ब्रेकिंग न्यूज़ »
More from संपादकीयMore posts in संपादकीय »