बिहार में एक गांव ऐसा भी है जहां लड़किया जनेऊ पहनती है । यह सूनने में थोड़ा अटपटा लगा रहा होगा लेकिन यह सच्चाई है । बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल के नावानगर प्रखंड में एक गांव है मणियां जहां प्रति वर्ष बसंत पंचमी के दिन लड़कियों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया जाता है।
यह अनोखी परंपरा मणियां गांव स्थित दयानंद आर्य हाईस्कूल में प्रति वर्ष आयोजित होती है। इस स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं स्वेच्छा से जनेऊ धारण करती हैं। यहां जनेऊ धारण करने वाली छात्राएं रुढ़िवादी परंपरा को खत्म करने के साथ चरित्र निर्माण की शपथ लेती हैं। अभिभावकों का कहना कि इससे नारी शक्ति को बढ़ावा मिल रहा है।
परिवार व समाज का मिल रहा सहयोग
यज्ञोपवीत पहनने की मुहिम में लड़कियों को परिवार व समाज से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। पिछले साल आचार्य श्रीहरिनारायण आर्य और सिद्धेश्वर शर्मा के नेतृत्व में शिल्पी कुमारी, बसंती कुमारी, अनु कुमारी, नीतु कुमारी, खुशबू कुमारी एवं नीतु कुमारी सहित अन्य कई छात्राओं का उपनयन संस्कार किया गया था। इस बार भी बसंत पंचमी के दिन लड़कियों को जनेऊ पहनाने की तैयारी चल रही है। इस आयोजन को लेकर गांव में उत्सवी माहौल बना हुआ है।
विद्यालय के संस्थापक ने चलाई थी यह परंपरा
मणियां उच्च विद्यालय के संस्थापक और इसी क्षेत्र के छपरा गांव निवासी स्व. विश्वनाथ सिंह ने 1972 ई. में इस परंपरा की शुरुआत की थी। उन्होंने सर्वप्रथम अपनी पुत्रियों को जनेऊ धारण कराया था। उसके बाद फिर यह परंपरा चल पड़ी। तब से हर वर्ष यहां लड़कियों का यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है। स्व. सिंह आर्यसमाजी थे। मणियां के ग्रामीणों का कहना है कि गुरुजी का इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था कि नारी शक्ति को श्रेष्ठ कराने से समाज का कल्याण हो सकता है।
मूर्तिपूजा का नहीं है प्रचलन
आचार्य सिद्धेश्वर शर्मा का कहना है, बसंत पंचमी के दिन विद्यालय की छात्र-छात्राएं हवनकुंड के समक्ष बैठकर आचार्य से श्रेष्ठ आचरण, आदर्श जीवन व सद्चरित्र का संस्कार ग्रहण करती हैं।