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पेड़ के अंदर से निकली मूर्तियां, स्थानीय लोग बताते हैं सैकड़ों साल पुरानी

जीवन के अनुभवों के आधार पर आस्था निर्मित होती है। आम इंसान उसी में विश्वास कर लेता है, जिसके विषय में पूर्वज उसे सुनाते हैं। विश्वास मनुष्य की मूल प्रकृति है, जबकि आस्था उसके संस्कारों का परिणाम होता है।

आस्था और विश्वास का एक ऐसा ही पेड़ है, जहानाबाद के रतनी प्रखंड में जहां दूर दूर से पूजा करने लोग आते हैं। जहानाबाद से 20 किलोमिटर जिला का सबसे दक्षिणी इलाका रतनी फरीदपुर। इसी प्रखंड में है कंटाही बिगहा। इस गांव का एक बरगद का पेड़ लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। पेड़ के अंदर पत्थर की आकृतियां हैं। जिसकी पूजा करने लोग दूर दूर से आते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बरगद का पेड़ सैकड़ों साल पुराना है। जिसके अंदर शिव परिवार की मूर्तियां हैं।

महादेव शिव शंकर के दो रूपों में पूजा की जाती है। एक मूर्ति रूप में दूसरी शिवलिंग के रूप में। उनके मंदिर शहर, गांव और कस्बे हर जगह मिलेंगे। वैसे तो दोनो स्वरूपों की पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है लेकिन शिवलिंग की पूजा सर्वश्रेष्ठ होती है।
कंटाही बिगहा में भी आस्थावान अपनी मन्नत पूरी होने पर पहुंचते हैं। और शिवलिंग के साथ ही पूरे शिव परिवार की पूजा करते हैं।

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