सात समुन्दर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गयी मैं तेरे पीछे पीछे आ गयी , हाथ में जाम और बाहों में हसीना के साथ कोलकत्ता के सोना गांछी में थिरक रहा ये नौजवान किसी नेता का पुत्र नहीं है, किसी बड़े व्यापारी का बेटा भी नहीं है, ये हैं कानून के रखवाले बिहार के सहरसा जिले के सदर थाना का थाना अध्यक्ष जयशंकर प्रसाद का। जिनका यह वीडियो सोमवार की दोपहर में सहरसा से पटना के लिए चला लेकिन इसका रसुख यह है कि पटना में जहां पहुंचा वहां थानेदार का सिक्का पहुंच गया कई जगह खबर लगी भी लेकिन कुछ देर में उतरभी गयी
देर शाम यह वीडियो मेरे पास भी आया भेजने वाले का यही कहना था अब सब कुछ आपके ही हवाले है। कोई चलाने को तैयार नहीं है लगता है थानेदार को बचाने में कोई ना कोई बड़ी ताकत खड़ा है।
खैर जितनी भी बड़ी ताकत क्यों ना हो लेकिन जिस जिले की यह घटना है वहां की एसपी लेडी सिंघम है और डीआईजी सुपर कॉप शिवदीप लांडे हैं इन दोनों के रहते वीडियो के वायरल होने के 24 घंटे बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है तो मामला गंभीर जरुर है वो भी मामला सीधे सीधे शराब से जुड़ा है ।फिर पड़ताल शुरु हुआ और इस दौरान कोसी और सीमाचंल में क्या हो रहा है इसको लेकर बहुत कुछ समझने को मिला।
थानेदार जयशंकर प्रसाद को लेकर जो खबरें आ रही है वो बेहद चौकाने वाला है 2009 बैच का यह दरोगा है इसके पहले यह पूर्णिया जिला में था जहां भूमाफिया के साथ साठगांठ का गंभीर आरोप लगा था उसके इसी चरित्र की वजह से एसएसपी और डीआईजी ने कार्रवाई भी किया था लेकिन वहां से वह बच निकला।
इस दरोगा के सिर पर किसी ना किसी का हाथ तो जरुर है दागी होने के बावजूद इसको सहरसा में सदर थाना का थाना अध्यक्ष बना दिया गया जबकि यह थाना पुलिस मुख्यालय स्तर पर इंस्पेक्टर रैक के अधिकारी के लिए नोटिफाइड है।फिर भी ये सिर्फ प्रशासनिक मसला है ,बड़ा मसला यह है कि जिस शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी स्तर पर समझौते को तैयार नहीं है ऐसे में एक थानेदार का यह चरित्र बहुत कुछ कहता है आखिर थाने स्तर पर हो क्या रहा है इस वीडियो के सहारे समझा जा सकता है।
वैसे कोसी और सीमाचंल में तैनात बहुत सारे पदाधिकारियों का यही हाल है मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बावजूद इनका वीकेंड नेपाल या फिर कोलकत्ता में गुजरता है।