पटना हाईकोर्ट ने राज्य के उन 107 मदरसों को वित्तीय अनुदान देने की अनुमति राज्य सरकार को दिया है, जो बिहार राज्य मदरसा कानून की शर्तों को पूरा कर रहे हैं। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अलाउद्दीन बिस्मिल की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
24 जनवरी,2023 को पटना हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इसी जनहित मामले में सुबह के 23 सौ से अधिक मदरसाओं की जांच का आदेश देते हुए इन संस्थानों को मिलने वाले सभी वित्तीय अनुदान ऊपर रोक लगा दिया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पीके शाही ने बताया कि मदरसाओं की जांच हर जिले में की जा रही है । यह जांच प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा पदाधिकारी की अगुवाई में तीन सदस्यीय समिति कर रही है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब तक 268 मदरसा संस्थानों की जांच पूरी हो गई है,जिसमें 107 मदरसा संस्थान कानूनी तौर पर सभी शर्तों को पूरा करते हुए अनुदान योग्य पाए गए हैं। शेष 161 संस्थानों को मामूली गड़बड़ी पाते हुए उन्हें 6 महीने का मौका दिया गया है कि वे अपने अपने त्रुटियों को सुधारें।
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इस सम्बन्ध में राज्य सरकार की तरफ से एक हलफनामा भी दायर किया गया।एडवोकेट जनरल ने कोर्ट से कहा ने कहा कि कानूनी शर्तों को पूरा करने वाले अभी 107 मदरसों को फिलहाल अभी से अनुदान देने की अनुमति दी जा सकती है।
मान्यता की शर्तों को लागू कर करने हेतु 6 महीने का समय पाने वाले शेष 161 मदरसा संस्थान को सशर्त अनुदान देने की अनुमति कोर्ट ने दिया।
कोर्ट ने अन्य मदरसों की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया। अगली जांच रिपोर्ट के लिए इस मामले की सुनवाई 21जून,2023 को होगी।