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पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट के मामले की सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि डी जी पी, बिहार ने ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर प्राथमिकी के कार्रवाई पर रोक लगा दिया हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार को अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर एफ आई आर वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। कल इस मामलें पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

एड्वोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि ये गलत ढंग से समझने के कारण ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया।इसे वापस लेने की प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ की जाएगी

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किसी न्यायिक पदाधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के पहले चीफ जस्टिस की अनुमति जरुरी हैं।इस मामलें में इस प्रक्रिया का पालन गलतफहमी में नहीं किया जा सका।
कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था।

उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया था। साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की थी।

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ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई किया था। इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट किया है।साथ ही अपना सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल लिया।

इस मामलें में पुलिसकर्मियो के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया।पुलिस ने भी जज के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर दिया,लेकिन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई सुनवाई ,24 अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई अधूरी रही

जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई कर रहे है।

आज याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत किया गया।इससे पूर्व राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से भी कोर्ट में बहस किया गया।

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया था कि ये मामला सुनवाई योग्य नहीं हैं।साथ ही उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था।राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने कोर्ट को बताया था कि इस स्थिति का लाभ उठा कर कुछ उस क्षेत्र में नए निर्माण करने लगे हैं।

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याचिकाकर्ता का पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट को बताया था कि इस क्षेत्र से इस तरह से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सही नहीं है।उन्होंने कहा कि को-आपरेटिव माफिया के साथ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए,क्योंकि इस समस्या में इनकी भी बड़ी भागीदारी हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि लैण्ड सेटलमेंट स्कीम के तहत चार सौ एकड़ भूमि को अबतक घेरा नहीं गया है।

इस मामलें पर फिर सुनवाई 11अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने चर्चित सृजन घोटाला मामलें की सुनवाई करते हुए सी बी आई के निर्देशक को एस आई टी का गठन कर मामलें की जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सृजन घोटाला से जुड़े एक मामलें की सुनवाई की।कोर्ट ने तीन सप्ताह में सी बी आई को जांच की प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

ये मामला बैंकों से बसूली का है ।बिहार सरकार ने सृजन घोटाला मामलें में बैंकों से गबन की गई धनराशि के वसूली के लिए नोटिस जारी किया था।
बैंकों की ओर से उपस्थित वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कहा कि राज्य सरकार को बैंकों से धनराशि वसूलने का कोई अधिकार नहीं हैं।हाईकोर्ट ने इस मामलें में सी बी आई को पहले ही नोटिस जारी किया था।


कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में ही सी बी आई को प्रगति रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था,लेकिन उसकी ओर से कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट नहीं प्रस्तुत किया गया।

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कोर्ट ने इस मामलें में विस्तृत जानकारियां प्राप्त की।इस घोटाला में क्या गड़बड़ी हुई,इसमें किनकी भूमिका क्या थी,बैंक का पैसा सृजन नामक संस्था को कैसे मिली।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के ए डी जे अविनाश कुमार के साथ पुलिस बदसलुकी मामलें में पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि कल डी जी पी, बिहार और सम्बंधित एस पी कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए।उन्हें सलाखों के पीछे भेजेंगे।

ये मामला झंझारपुर के ए डी जे अविनाश कुमार के साथ पुलिस वालोंं के मारपीट और पिस्टल ताने जाने का हैं।ये घटना 18 नवम्बर,2021 को हुई थी।

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पुलिस वालोंं गवाही पर पुलिस ने ए डी जे अविनाश कुमार के विरुद्ध ही प्राथमिकी दर्ज कर दी हैं।कोर्ट ने पुलिस के करतूत पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए डी जी पी और एस पी को कल तलब किया है।इस मामलें पर कल सुनवाई की जाएगी।

पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के निदेशक प्रमुख,स्वास्थ्य सेवा और सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर द्वारा हलफनामा नहीं दायर करने पर सख्त रुख अपनाया।

कोर्ट ने इन अधिकारियों द्वारा हलफनामा दायर नहीं करने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्हें हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी।

पिछली सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एस एस पी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया था।मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।

कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई करते हुए कहा था कि इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह मे अपना रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पी एम सी एच या एम्स ,पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें।इनमें आँख रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो।

इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं।साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया था,लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।

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इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी।

याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी ऑंखें गंवानी पड़ी।

याचिका में पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था।इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह के फिर सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पेड़ों की कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए पेड़ों के संरक्षण हेतु सात सदस्यीय कमिटी की विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में दायर करने का निर्देश दिया

चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया ।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एक कमिटी बना कर पेड़ों के संरक्षण , नए पेड़ों के लगाए जाने ऐवं ग्रीन बेल्ट के निर्माण हेतु सात सदस्यीय कमिटी बनाई थी । इस कमिटी ने कई बैठकों के बाद अपना रिपोर्ट कोर्ट में दायर किया।

इस मामले की अगली सुनवाई 9 सितम्बर को होगी ।

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आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना, 02 अगस्त 2022। पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :

1. नगर निगमों की वित्तीय स्वायत्तता के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करेगी।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।

2. पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई की जाएगी।जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करेंगे। राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने जवाब दायर कर दिया था।आज याचिकाकर्ता के वकील अपना बहस जारी रखेंगे।

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पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नेत्रहीन बच्चों को आवास और शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूलों की स्थापना से संबंधित लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को चार सप्ताह में हलफनामा देने का निर्देश दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज कुमार रंजन की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

दिसंबर,2021 को राज्य सरकार द्वारा दायर किए गए शपथ पत्र में सरकार ने यह स्पष्ट रूप से माना था कि इन संस्थानो में बड़ी संख्या में की रिक्तियां हैं,जिन्हें भरना अभी बाकी है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव हलफ़नामे द्वारा इन संस्थानो की स्थापना एवं कामकाज की वस्तुस्थिति स्पष्ट करायें । इस मामले पर अगली सुनवाई 29 अगस्त,2022 को होगी ।

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पटना हाई कोर्ट में नेपाली नगर/ राजीवनगर से संबंधित मामले पर सुनवाई अब 2 अगस्त,2022 को की जाएगी

इस मामलें पर आज जस्टिस संदीप कुमार के कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन एडवोकेट जनरल के चीफ जस्टिस के कोर्ट में व्यस्त रहने के कारण सुनवाई नही हो सकी।

इस मामले पर सुनवाई शुरू होते ही एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को कहा कि यह मामला नेपाली नगर /राजीव नगर के 400 एकड़ जमीन का चल रहा है।600 एकड़ जमीन का मामला यह नही है ,इसके बाद भी इसके अगर कोई व्यक्ति राजीव नगर में अपने बने हुए मकान में कुछ काम करवाता है, तो पुलिस आकर उसे रोक दे रही है ।

इस पर कोर्ट ने कहा कि जो भी बात कहनी है उसे रिट याचिका दायर कर कहा जाय, ताकि कोर्ट उचित निर्देश दे सके। कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के वकील को कहा कि वह बोर्ड के एमडी से इस संबंध में बात करे और उस इलाके में एक कंट्रोल रूम स्थापित करने को कहें।

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अगर कंट्रोल रूम बन जाता है, तो उसे सेटेलाइट से जोड़ कर वहीं से इस इलाके की जमीन पर किये जा रहे किसी भी निर्माण को देखा जा सकता है।

पटना हाईकोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को केस डायरी और चार्ज शीट की प्रति उपलब्ध नहीं होने को काफी गम्भीरता से लिया

जस्टिस जीतेन्द्र कुमार ने एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान यह पाया कि सरकारी अधिवक्ता के पास केस डायरी उपलब्ध नहीं हैं।

कोर्ट ने कहा कि इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत हैं।उन्होंने जिलों के एस पी/ एस एस पी को निर्देश दिया कि सरकारी अधिवक्ता को केस डायरी और चार्जशीट की कॉपी उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।अन्यथा न्यायिक कार्य सही ढंग से संपन्न नहीं होगा और ऐसी परिस्थितियों में न्याय सही ढंग से नहीं हो पाने की भी संभावना हो सकती है।

साथ ही कोर्ट ने कहा कि जमानत याचिका के दायर होने के साथ सरकारी अधिवक्ता एजी ऑफिस से इस सम्बन्ध में जानकारी ले कर सम्बंधित एस पी/एस एस पी को केस डायरी और चार्जशीट उपलब्ध कराने की सूचना देंगे।

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कोर्ट ने कहा कि अक्सर देखा जाता हैं कि जिस सरकारी अधिवक्ता को केस सौंपा जाता हैं,या तो कोर्ट में नहीं होते या दूसरे कोर्ट में केस कर रहे होते हैं।ऐसे में ये आवश्यक है कि सभी ऐसे कोर्ट के लिए अलग अलग स्टैंडिंग कोंसिल हो,जो कि केस का संक्षिप्त अध्ययन कर कोर्ट के समक्ष मामलें पर कोर्ट को सहयोग दे सके।

कोर्ट ने इस मामलें में कार्रवाई हेतु राज्य के मुख्य सचिव और डी जी पी को आदेश की प्रति प्रेषित करने का निर्देश दिया। इस मामलें पर अगली सुनवाई 3अगस्त,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विकास और विस्तार के मामले पर सुनवाई दस दिनों के लिए टल गयी है

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा गौरव सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की जा रही हैं।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को राज्य के एयरपोर्ट के सुधार पर बैठक कर अगली सुनवाई में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

आज कोर्ट मे उपस्थित पूर्व केंद्रीय मंत्री और पायलट राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि राज्य के हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण, विकास और विस्तार में आपस में तालमेल की जरूरत हैं।इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार को आपसी सहयोग से यह किया जा सकता हैं।

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पिछली सुनवाई में उन्होंने बताया था कि राज्य में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा था कि कई राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।

कोर्ट को उन्होंने बताया कि बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाया जाना चाहिए।बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।उन्होंने बताया कि छपरा के पास इसके लिए पर्याप्त और सस्ती भूमि उपलब्ध हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नोडल अधिकारी को तलब किया था।साथ ही पटना एयरपोर्ट के पूर्व और वर्तमान निर्देशक को भी तलब किया था।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा कीसमस्या हैं।
इस मामले पर अगली सुनवाई दस दिनों बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विभिन्न विभागों में असिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) की बहाली में संविदा पर बहाल हुए इंजीनियर को नियमित में छूट नहीं देने के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने शशि प्रकाश झा व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व बिहार राज्य पब्लिक कमीशन से जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि आयोग परीक्षा संचालित कर सकती है ,लेकिन इसका परिणाम इन याचिकाओं के परिणाम पर निर्भर करेगा।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का इस मामले में कहना था कि अस्सिस्टेंट इंजीनियर (सिविल) के पद पर नियमित बहाली के लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा जो विज्ञापन निकाला गया है, उसमें संविदा पर कार्यरत अभ्यर्थियों के लिए राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिये गए सकारात्मक आदेश के बावजूद वैटेज नहीं दिया गया है।

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जबकि संविदा पर कार्यरत अभ्यर्थियों को हर साल के लिए अधिकतम 25 अंक तक छूट देने और कार्य किये गए साल के मुताबिक छूट देने की बात कही गई थी।

इस मामले पर आगे की सुनवाई अब दो सप्ताह बाद कि जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फ़ैसले में बलात्कार के आरोपित की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि बलात्कार पीड़िता के व्यक्तित्व को आजीवन आघात करता है

जस्टिस ए एम बदर की खंडपीठ ने भोजपुर के रहने वाले एक व्यक्ति की अपील याचिका को ख़ारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की ।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत में शायद ही कोई लड़की या महिला यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाती है अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, 14 नवंबर, 2007 को उसके और अपीलकर्ता के बीच लगातार झगड़ों के कारण उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी।

उसकी मौत के तुरंत बाद, आरोपी ने अपनी बड़ी बेटी का यौन उत्पीड़न करना शुरू कर दिया, जो उस समय नाबालिग थी। यौन शोषण लड़की के लिए एक दिनचर्या बन गया और चूंकि अपीलकर्ता उसका पिता था, उसने उसके बारे में किसी से शिकायत नहीं की।

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जब वह व्यक्ति अपनी छोटी बेटी को भी गाली देने लगा, तो बड़ी बेटी ने इसकी जानकारी अपने मामा को दी।
हालांकि, लड़कियों ने 30 जुलाई, 2013 को साहस दिखाया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार (376) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

इस मामले पर निचली अदालत ने आरोपी को उम्रक़ैद की सजा सुनाई थी जिसके विरुद्ध उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की,जिस पर हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी।

पटना हाईकोर्ट ने बक्सर के एसपी को निर्देश दिया कि हर हाल में वे चार सप्ताह में औद्योगिक थाना के वर्तमान भवन को अन्यत्र दूसरे भवन में स्थानांतरित कर दें

जस्टिस संदीप कुमार ने मेसर्स गजेंद्र ह्यूम पाइप की रिट याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने ये निर्देश दिया कि कार्रवाई की रिपोर्ट शपथ पत्र दायर कर दी जाए।कोर्ट ने इस बात पर भी हैरान जताई कि मकान मालिक को बिना किराया दिए ही किसी के निजी मकान में पुलिस थाना वर्षों से चल रहा है।इसे खाली भी नही किया जा रहा है।

कोर्ट ने बक्सर के एसडीओ को निर्देश देते हुए कहा कि इस बीच वे इस बात की जानकारी प्राप्त कर कोर्ट को अगली सुनवाई में शपथ पत्र पर दें कि जिस मकान में थाना चल रहा है, उस मकान का किराया प्रति माह कितना होना चाहिये। कोर्ट ने बीएसएफसी पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिस मकान को नीलाम कर बेच दिया गया, उस पर खरीदने वाले का दखल कब्जा क्यों नही दिलवाया गया।कोर्ट ने उससे भी जबाब मांगा है।

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कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि बीएसएफसी से नीलाम लेकर वर्ष 2011 में इस मकान को खरीदा था।खरीदने के बाद इस मकान को खाली कराने के लिये बक्सर के एसपी समेत राज्य के डीजीपी औऱ गृह सचिव समेत कई पदाधिकारियों को लिखित अनुरोध किया गया, लेकिन इसे खाली नही किया गया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों के निष्पादन हेतु गृह विभाग के प्रधान सचिव को तीन सप्ताह में हलफ़नामा देने का निर्देश दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए सुनवाई हो रही है।

हाईकोर्ट ने वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध आपराधिक मामलों से संबंधित पूरी जानकारी सरकार से माँगी है ।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए राज्य के डीजीपी को अभियोजन के डायरेक्टर के साथ अविलंब बैठक कर के गवाही के लिए लंबित मुकदमों में जल्द गवाह पेश करने को कहा था।

इससे पहले भी राज्य सरकार द्वारा दायर विस्तृत हलफनामें में इनके विरुद्ध लंबित मुकदमों के संबंध में चार्ज फ्रेमिंग, गवाही व बहस की स्थिति के संबंध में जानकारी दी गई थी।

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राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एम पी और एम एल ए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है। लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है।

इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टली

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को विस्तृत जानकारी देने को कहा था।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा।

कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े स्कीम और फंड के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा।

पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मावीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर हैं।

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कुछ अस्पताल,मनोचिकित्सक और नर्स पर्याप्त नहीं है।उन्होंने कहा कि आम लोगों के मानसिक स्वास्थ्य और उसके समाधान के लिए राज्य में कोई व्यवस्था नहीं है।

जो केंद्र सरकार के स्कीम और फंड है,उसका भी राज्य में सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है। अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में 272 बेड का अस्पताल बनाया जाना हैं।इसकी लागत 129 करोड़ रुपए होगी और 3 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

पटना हाईकोर्ट ने ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को अबतक स्थापित नहीं किये जाने पर सुनवाई की

इस जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ को राज्य सरकार ने बताया कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट लगभग चार महीने में कार्य करने लगेगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को स्थापित करने की समय सीमा बताने को कहा था।ये जनहित याचिका बिहार आदिवासी अधिकार फोरम ने की है।

सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को स्थापित करने की प्रक्रिया लगभग चार माह में पूरी हो जाएगी।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस इंस्टिट्यूट को स्थापित करने के वित्तीय,प्रशासनिक और अधिकारियों व कर्माचारियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया शीघ्र प्रारम्भ हो रही हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के लिए पटना के बेली रोड में एक भवन की व्यवस्था कर ली गई है।जबतक ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के लिए स्थाई भवन की व्यवस्था नहीं हो जाती,तबतक ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट इस भवन में कार्य करेगा।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सम्बंधित सचिव को इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी देते हुए एक सप्ताह में जवाब दायर करने का निर्देश दिया था।

इससे पहले की सुनवाई में सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया था कि 30 जून,2022 को बिहार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई।इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया।

कोर्ट ने इस मामलें को सुनवाई करने के इसे निष्पादित कर दिया।

आज पटना हाईकोर्ट में क्या है खास; इन मामलों की होगी सुनवाई

पटना, 26 जुलाई 2022। पटना हाईकोर्ट में आज इन मामलों की होगी सुनवाई :

1.राज्य में निर्माण हो रहे एन एच से सम्बंधित जनहित याचिकाओं पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ विकास कुमार व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। आज कोर्ट में एन एच ए आई के चेयरमैन भी उपस्थित रहेंगे।


2.पटना हाईकोर्ट में पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई की जाएगी । जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें पर सुनवाई करेंगे। राज्य सरकार और बिहार राज्य आवास बोर्ड ने जवाब दायर कर दिया था। आज याचिकाकर्ता के वकील अपना बहस जारी रखेंगे।

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3.पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की जाएगी।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

कोर्ट ने इससे पूर्व याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था। साथ ही इसमें सुधारने के उपाय पर सुझाव देने को कहा था।

पटना हाईकोर्ट ने खुलेआम जानवरों को मारे जाने और मांस बेचने के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व पटना नगर निगम को तीन सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है

चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने संजीव कुमार मिश्रा की लोकहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना में खुलेआम जानवरों को मारे जाने और नियमों का उल्लंघन कर मांस और मछ्ली बेचने को गम्भीरता से लिया।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मानिनी जायसवाल ने बताया कि हाईकोर्ट के कई निर्देशों के बाद भी पटना में खुलेआम मांस की बिक्री हो रही है और जानवरों की हत्या की जा रही है । पटना नगर सीमा के भीतर कई स्थानों जानवरों को खुलेआम काटा जा रहा है, जिससे आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर ग़लत प्रभाव पड़ रहा है ।

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इससे पहले भी इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कई सख्त आदेश पारित किया था, लेकिन सुधार होने के बजाय स्थिति और भी खराब होती गई।

इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी ।

पटना हाईकोर्ट में एनएच निर्माण और मरम्मती से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई कल तक के लिए टली

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में एन एच ए आई के चेयरमैन को कल 26 जुलाई,2022 को तलब किया।

अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि बेगूसराय – सिमरिया राष्ट्रीय राजमार्ग पर औटा के पास पुल निर्माण में विलम्ब हो रहा है।इससे स्थानीय लोगों को काफी कठिनाई हो रही है।कोर्ट ने स्थिति को स्पष्ट करने के लिए एन एच ए आई के चेयरमैन को तलब किया हैं।

इस मामलें पर पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पटना गया डोभी एन एच,83 के निर्माण में कई तरह की कठिनाइयां और समस्याएं आ रही हैं।कोर्ट ने इस निर्माणधीन एन एच के स्थल निरीक्षण करने के लिए तीन अधिवक्ताओं की टीम का गठन किया गया था। अधिवक्ता प्रिय रंजन,आलोक कुमार राही और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष गुप्ता इसमें शामिल थे।

साथ ही कोर्ट ने पटना और जहानाबाद के डी एम, एस पी भी इस टीम के साथ रहने का निर्देश दिया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस कमिटी ने निरीक्षण कर रिपोर्ट दे दिया था।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार और एन एच ए आई को निर्देश दिया था कि एन एच में सभी अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई शीघ्र करें।कोर्ट ने सम्बंधित ज़िला प्रशासन को अतिक्रमण हटाने में सहयोग और पुलिस बल मुहैय्या कराने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ज़िला प्रशासन को, जिनका भूमि अधिग्रहण किया गया है, उन्हें मुआवजा देने की कार्रवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 26जुलाई,2022 को होगी।