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फिर विवादों में घिरी लिपि सिंह इस बार हत्या करने का लगा है आरोप

बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी लिपि सिंह एक बार फिर विवादों में घिर गयी हैं इस बार इन पर और भी गंभीर आरोप लगा है आरोप है कि कभी उत्तर बिहार का डाँन रहा पप्पू देव को इन्होंने पीट पीट कर हत्या कर दिया है जानकार बता रहे हैं कि सहरसा के एक ट्रेनी डीएसपी और नगर थाने में तैनात पुलिस पदाधिकारी एसपी के आदेश पर पप्पू देव की इतनी पिटाई कर दी है कि इनकी हिरासत में ही मौत हो गयी।हलांकि पुलिस का कहना है कि पप्पू देव की मौत हार्ट अटैक से हुआ है लेकिन पप्पू देव के शरीर पर जो जख्म के निशान हैं वो निशान बता रहा है कि पुलिस ने उसकी जमकर पिटाई की है । 1—नौकरी के शुरुआत से ही विवादों में रही है लिपि सिंह
इससे पहले भी जब ये एएसपी बाढ़ थी तो उस दौरान इन पर बाहुबली अनंत सिंह के आवास से एक0के047 बरामदगी मामले में उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा हुआ था और यह आरोप लगा था कि राजनीति के तहत अनंत सिंह को फसाया गया है ।2020 के लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग इनको बाढ़ से हटा दिया था इस आरोप में कि ये एक दल विशेष के मदद के लिए काम कर रही है ।

इसी तरह जब इसकी पहली पोस्टिंग मुंगेर एसपी के रुप में हुई तो दुर्गा पूजा के दौरान हुए गोलीकांड मामले में इन पर बहुत ही गंभीर आरोप लगा था और सरकार रातो रात इनका मुंगेर से तबादला करना पड़ा । सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट पटना इस गोलीकांड से जुड़े मुकदमे की मॉनिटरिंग कर रही है और हाईकोर्ट अभी भी सीआईडी के जांच से संतुष्ठ नहीं है और यही वजह है कि इस मामले से जुड़े सीआईडी के पूर्व एडीजी विनय कुमार के तबादले के बावजूद हाईकोर्ट मुंगेर गोलीकांड के जांच तक इस मामले से जुड़े रहने का आदेश दिया है ।2—सरकार की सरपरस्ती के कारण नौकरी बची हुई है लिपि सिंह 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी है बाढ़ एएसपी के बाद मुंगेर और सहरसा जिले के एसपी के रूप में अभी तक इसी पोस्टिंग हुई है बीच में चुनाव आयोग के आदेश की वजह से कुछ दिनों के लिए फील्ड से बाहर रही। हालांकि बाढ़ एएसपी से सीधे बिहार के सबसे पुराने और बड़े जिले मुंगेर के एसपी के रूप में पहली पोस्टिंग होने के बाद से ही यह सवाल खड़े होने लगे थे की आखिर सरकार इस पर इतना मेहरबान क्यों है इसी तरह मुंगेर में दुर्गा पूजा के दौरान जो घटना घटी उस दौरान उनकी जो भूमिका रही आज कोई दूसरा अधिकारी होता तो नप गयी रहती ऐसी सरे आम चर्चा पुलिस मुख्यालय में है ।

इनके पिता भारत सरकार में मंत्री है और जदयू के नीतीश के बाद नम्बर दो के नेता है ।3—पप्पू देव मामले में सियासत हुई तेज
पप्पू देव की मौत मामले में उसके चाचा और बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष ने लिपि सिंह पर संगीन आरोप लगाया है उनका कहना है कि लिपि सिंह के नेतृत्व में और सोची समझी साजिश के तहत पप्पू देव की हत्या की गई। चाचा शालिग्राम ने केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का नाम लेते हुए कहा कि लिपि सिंह उनकी बेटी हैं और सहरसा की पुलिस अधीक्षक हैं सीएम नीतीश कुमार को इसपर एक्शन लेते हुए जनता को बताना चाहिए कि सभी को न्याय मिलेगा।वही पप्पू यादव भी इस मामले को हत्या करार देते हुए एसपी पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग सरकार से की है ।

हिन्दू देवता और ब्राहाण को गाली देना जीतन राम मांझी के राजनीति का हिस्सा है

बिहार की राजनीति में इस समय जो भी दल सक्रिय है उनके प्रमुख की बात करे तो उनमें जीतन राम मांझी राजनीति के बेहद मंजे हुए खिलाड़ी हैं उनके हर बयान में कुछ ना कुछ संदेश रहता ही रहता है, वही वो बेहद चतुर भी हैं चालाक भी हैं लेकिन जाति वोट पर पकड़ नहीं होने के कारण दलित नेता की तरह सौदेबाजी नहीं कर पा रहे हैं यह जो छटपटाहट है वो उसी की निशानी है ।

हाल के दिनों में ये लगातार बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं नीतीश कुमार मगध के विकास के लिए पैसे मुहैया कराये नहीं तो साथ छोड़ देगे ,बिहार का हर बड़ा व्यक्ति रात में शराब पीता है शराबबंदी कानून की वजह से गरीब लोग जेल जा रहे हैं गुजरात की तरह यहां भी शराबबंदी लागू होनी चाहिए और कल इन्होंने मुसहर समाज में हिंदुत्व को लेकर पैदा हुए आकर्षण पर बोलते बोलते अपने समाज के साथ साथ ब्राह्मण को भी अपशब्द कह दिया ।ब्राह्मण वाले बयान पर बवाल मचा हुआ है भाजपा और जदयू दोनों मांझी के बयान को लेकर असहज है हालांकि कल उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दे दिया है और कहा है कि मेरे बयान को अन्यथा ना ले मैंने ब्राह्मण समाज को गाली नहीं दिया है लेकिन दूसरे बयान के दौरान भी एक बार फिर वो बाते कह गये जो वो अपने समाज को कहना चाहते हैं।

उनका बयान बड़बोलापन नहीं है याद करिए जब वो मुख्यमंत्री थे उस समय उनका एक बयान पूरे देश में हंगामा खड़ा कर दिया था मांझी ने आरोप लगाया था कि मधुबनी के जिस मंदिर में उपचुनाव के दौरान उन्होंने पूजा-अर्चना की, उस मंदिर को बाद में न सिर्फ मंदिर बल्कि मूर्ति को भी धोया गया ।

मांझी के इस बयान के बाद मुकदमा भी दर्ज हुआ था और बाद जब बवाल मचा तो उन्होंने कहा कि उनको एक नेता ने कहा था लेकिन सवाल यह है कि मांझी इस तरह का बयान देते क्यों है मांझी जिस जाति से आते हैं वो आज भी बिहार का सबसे पिछड़ा ,अशिक्षित और भूमिहीन जाति है इस जाति से गरीब बिहार में दूसरी कोई जाति नहीं है परम्परागत रूप से ये जो काम करते आ रहे थे अब वो काम जेसीबी और ट्रैक्टर से होने लगा है जिस वजह से पीढ़ी दर पीढ़ी से जो मिट्टी काटने का काम करते आ रहे थे वो उससे छिन गया ।

बाद के दिनों में देशी शराब बनाने के काम में पूरा का पूरा मांझी जाति लग गया वो भी शराबबंदी के बाद प्रभावित है ऐसे में मांझी जाति के सामने जीवन मरण का सवाल है इसलिए जीतन राम मांझी शराबबंदी को लेकर लगातार सवाल खड़े कर करे है ताकि वो अपनी जाति के लोगों के बीच पैठ बना सके ।

वही हिन्दू देवी देवता और ब्राह्मण पर हमला भी उसी राजनीति का हिस्सा है क्यों कि अभी भी जीतन राम मांझी रामविलास पासवान या फिर जगजीवन राम जैसे दलित नेता की तरह अपनी जाति के नेता नहीं बन पाये हैं और यही वजह है कि जीतन राम मांझी इस तरह का बयान दे रहे हैं ताकि उनका समाज उनके करीब आये क्यों कि मगध और मिथिलांचल में बीस से अधिक विधानसभा क्षेत्र है ऐसा है जहां मांझी का वोट काफी मायने रखता है ।

लेकिन आज भी उसका वोट बिकाऊ वोट के रूप में जाना जाता है मांझी इसी को तोड़ना चाह रहे हैं और इस तरह के बयान के सहारे अपनी जाति में पैठ बनाना चाह रहे हैं उनकी यह कवायत मुख्यमंत्री बनने के समय से ही चल रहा है अभी भी इनकी कोशिश यही है कि पैसा जिससे भी ले लेकिन अन्य दलित वोटर की तरह मांझी वोटर मेरे साथ खड़े रहे ।

ये सारी कवायत उसी को ध्यान में रख कर मांझी आये दिन नैरेटिव बनाते रहते हैं क्यों कि आज भी मांझी को बिहार की राजनीति में जो हिस्सा मिल रहा है वो दलित की राजनीति में जो दलित के पहचान की जो राजनीति चल रही है उसके तहत मिल रहा है लेकिन मांझी रामविलास पासवान की तरह ही सत्ता में भागीदारी चाह रहे हैं और ये जो छटपटाहट उसी को लेकर हैं ।

बिहार में बड़े पैमाने पर आईपीएस अधिकारियों के तबादले की कवायत हुई शुरु कई जिले के एसपी सहित डीआईजी ,आईजी,एडीजी और डीजी स्तर के अधिकारी बदले जायेगे

नये वर्ष में प्रोन्नति की वजह से पूरे बिहार के पुलिस महकमें में पटना एसएसपी ,आईजी पटना सहित एसपी और डीआईजी रैंक के अधिकारियों के तबादलों की कवायत शुरु हो गयी है।

बिहार एडीजी एके अंबेदकर को डीजी रैंक में प्रोन्नत किया गया है। 1992 बैच के एके अंबेदकर अभी एडीजी वायरलेस के पद पर पदस्थापित हैं।

वहीं वर्ष 1991 बैच के आईपीएस अफसर प्रवीण बशिष्ठ और प्रीता वर्मा को डीजी रैंक में प्रोमार्फा प्रोन्नति दी गई है। दोनों अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। कुल 31 आईपीएस एडीजी, आईजी, डीआईजी और प्रवर कोटि वेतनमान में प्रोन्नत किए गए हैं। प्रोन्नति 1 जनवरी 2022 या प्रोन्नत कोटि में पदस्थापन के समय से प्रभावी होगी।

अजिताभ कुमार व संजय सिंह बने एडीजी
दो अफसरों को एडीजी रैंक में प्रोन्नति मिली है। वर्ष 1997 बैच के आईपीएस दरभंगा अजिताभ कुमार और पटना आईजी संजय सिंह एडीजी में प्रोन्नत हुए हैं।

5 आईपीएस की आईजी में प्रोन्नति
वर्ष 2004 बैच के 5 आईपीएस अफसरों को आईजी में प्रोन्नति दी गई है। इनमें विनय कुमार, प्राणतोष कुमार दास, पंकज सिन्हा, ललन मोहन प्रसाद और जितेन्द्र मिश्रा शामिल हैं।

13 बने डीआईजी
वर्ष 2004 बैच के आईपीस सुनील कुमार के अलावा वर्ष 2008 बैच के पटना एसएसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा, सत्यवीर सिंह, विकास बर्मन, निताशा गुड़िया, किम, मनोज कुमार, संजय कुमार, विकास कुमार, दिलीप कुमार मिश्रा, अश्विनी कुमार, अमजद अली और अरविंद ठाकुर डीआईजी में प्रोन्नत किए गए हैं।

प्रवर कोटि वेतनमान में प्रोन्नति
वर्ष 2008 बैच के विवेकानंद के अलावा 2009 बैच के आईपीएस अफसर नवीन चंद्र झा, बाबू राम, जयंतकांत, मानवजीत सिंह ढिल्लों, हरप्रीत कौर, मो. अब्दुल्लाह और बिनोद कुमार को 1 जनवरी 2022 के प्रभाव से प्रवर कोटि वेतनमान में प्रोन्नति प्रदान की गई है। इस प्रोन्नति के फलस्वरूप वर्तमान पदस्थापन प्रभावित नहीं होगा।

बिहार के स्वास्थ्यमंत्री का दावा ओमिक्रम से निपटने को तैयार है बिहार

बिहार सरकार कोविड के तीसरे लहर और ओमिक्रम (#Omicron) के अंदेशा को लेकर पहले से ही पूरी तरह तैयार है…..स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की माने तो सूबे में स्वास्थ्य व्सवस्था को बेहतर करने के साथ ही सूबे के विभिन्न अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाने और डाक्टरो और नर्सो को और हाईटेक ट्रेनिंग कराकर उनको तैयार रहने के लिए एलर्ट कर दिया गया है ।

ओमिक्रोन से लड़ने को तैयार है बिहार

साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया भी जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है।हमसभी किसी तरह से निपटने को तैयार है।

भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ आज दूसरे दिन भी जारी है अभियान ग्रामीण कार्य विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर चढ़ा निगरानी के हत्थे

भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जारी अभियान के दौरान आज पटना में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने ग्रामीण कार्य विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार सिंह के घर छापामारी किया है जहां इसके इंन्द्रपुरी इलाके में स्थित घर पर छापेमारी चल रही है जहां अभी तक एक करोड़ रुपया से अधिक कैश बरामद किया गया है।

करीब 1 करोड़ से रुपए पोस्ट ऑफिस में इन्वेस्ट करने के सबूत मिले हैं। एक करोड़ से अधिक के ज्वेलरी और अलग-अलग जगहों पर खरीदे गए करोड़ो रुपए के जमीन की डीड, कई बैंक अकाउंट्स के पासबुक अब तक बरामद किए जा चुके हैं।अभी भी तलाशी चल ही रही है ।

बरामद कैश की गिनती के लिए मंगाई गई है मशीन

बरामद कैश की गिनती के लिए मशीन मंगाई गई है। ज्वेलरी और जमीन की वैल्यू के लिए भी वैल्यूवर को बुलाया गया है। पोस्ट ऑफिस में किए गए इंवेस्टमेंट की डिटेल्स भी खंगाली जा रही है।

निगरानी टीम की यह कार्रवाई अभी अगले कई घंटों तक जारी रहेगी। दरअसल, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार सिंह ग्रामीण कार्य विभाग के तहत लंबे वक्त से मसौढ़ी में पोस्टेड हैं।

भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार के मुलाजिमों के घर मिल रही है करोड़ो की अवैध सम्पत्ति

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश के खिलाफ आक्रोश की एक बड़ी वजह सूबे में व्याप्त अफसरशाही और भ्रष्टाचार था और इसका असर चुनाव परिणाम पर भी देखने को मिला 2005 से लगातार बिहार की सबसे बड़ी पार्टी रही जदयू तीसरे नम्बर पर चली गयी।हालांकि इस बार मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार अपने आपको को 2005 वाली छवि की और लौटने कि कोशिश करते दिख रहे हैं और इसी का असर है कि पिछले पांच छह वर्षो से सुस्त पड़ी भ्रष्टाचार पर कार्यवाही करने वाली ऐंजसी सक्रिय हो गयी है।1–भ्रष्ट्राचार रोकने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है                       
नोटबंदी के फैसले को लेकर पीएम मोदी ने देश की जनता को जो भरोसा दिलाया था उस भरोसे पर सिस्टम खड़ा  उतर नहीं पाया,  बिहार में पिछले एक माह के दौरान जिन अधिकारियों के यहां छापेमारी हुई है ऐसा कोई अधिकारी नहीं मिला जिसके घर से बरामद नोट को गिनने के लिए मशीन नहीं लाना पड़ा हो ।               

 इतना ही नहीं हर अधिकारी के लॉकर से जेवर,जमीन और रियल स्टेट में निवेश का कागजात बरामद  हो रहा है ऐसा भी नहीं है कि जिन अधिकारियों के यहां छापामारी हुई है वो राज्य के सबसे भ्रष्ट अधिकारी हैं हालात यह है कि थोड़ी ईमानदारी से कार्यवाही शुरु हो तो बिहार के अधिकारियों के पास से इतनी अवैध संपत्ति बरामद हो सकती है जिससे राज्य का काया कप्ल हो सकता है लेकिन सत्ता भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए तैयार नहीं है यह भी साफ दिख रहा है ।               

2–भ्रष्टाचार लगाम लगाया जा सकता है  ये कहना कि भ्रष्टाचार पर रोका नहीं लगाया जा सकता है ऐसा नहीं है सरकार की इच्छाशक्ति हो तो चंद घंटों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सकता है भ्रष्टाचार से अर्जित पैसे का कहां कहां निवेश हो रहा है बस उसको चेक कर देना है।फिर जिस तरीके से पुलिस विभाग ने भ्रष्ट अधिकारियों  पर स्पीडी विभागीय कार्यवाही करके अधिकारियों की सेवा समाप्त किया है उसी तरीके से सिविल सेवा से जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों का भी स्पीडी विभागीय कार्यवाही करके सेवा समाप्त करनी शुरु  हो जाये  देखिए 50 प्रतिशत भ्रष्टाचार पर नियंत्रण हो जायेगा ।हुआ क्या पुलिस वाले तो विभागीय कार्यवाही करके घूस लेने वाले अधिकारी को बर्खास्त कर दिया लेकिन सिविल विभाग से जुड़े कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक जो भी घूस लेते हुए अभी तक पकड़े गये हैं एक पर भी विभागीय कार्यवाही पूरी नहीं हुई है उलटे इस बीच निलंबन मुक्त होकर फिल्ड में पोस्टिंग करवा लिया है और सरकार के पैसे से ही केस लड़ रहा है और इस मामले में नीतीश कुमार कुछ नहीं कर पाये जब भी यह सवाल उठा विभाग को कार्यवाही करने का आदेश हुआ दो तीन माह सुनवाई तेज हुई फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया ये नेकसस जिस दिन टूट जाएगा प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक जो भ्रष्टाचार का गठजोड़ बना है वो टूट जाएगा। अभी क्या है पकड़े भी जायेंगे तो क्या होगा डीएम साहब बचा लेंगे जिस दिन यह संरक्षण समाप्त हो जाएगा उसी दिन से लेन देन में कमी आनी शुरू हो जाएंगी ।


3–बिहार के अधिकारी कहां कहां निवेश कर रहे हैं 
 बिहार के अधिकारियों का आजकल निवेश का एक नया ठिकाना छत्तीसगढ़ बना है जहां के अधिकांश बिल्डर के कम्पनी में बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारियों के पैसा का निवेश हो रहा है , दूसरा ठिकाना बिहार में मुजफ्फरपुर से सकरी और दरभंगा से जयनगर के बीच फोरलेन और एनएच के किनारे की जमीन पर बिहार कैडर के अधिकारियों का बड़ा निवेश हो रहा है।  तीसरा जो बड़ा निवेश हो रहा है वह है  बिहार की एक रिटेल कंपनी है जिसका आज कल अनुमंडल स्तर पर दुकानें खुल रही है वहां भी बड़ा निवेश हो रहा है और यह काम बड़ा आसान है बिहार में जमीन और अपार्टमेंट्स  की जो भी रजिस्ट्री हो रही है उसके खरीददार का डाटा बेस मौजूद है उस पर काम करना शुरू कर दीजिए बहुत कुछ सामने आ जायेगा ।
हालांकि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने के मामले में सरकार का जो अनुभव रहा है उससे सीख लेते नहीं दिख रहे हैं ऐसे में इस तरह की कार्यवाही से भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जायेगा ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है क्यों कि अभी भी बड़ी मछलियों पर हाथ डालने से नीतीश कुमार परहेज कर रहे हैं पूरे बिहार में चौकीदार से लेकर डीजीपी तक भ्रष्ट तरीके से वर्ष में जितना कमा रहा है वैसी कमाई बिहार के दो तीन जिलों के डीएम और सिविल सेवा से जुड़े कर्मी अधिकारी और इंजीनियर कमा रहा है लेकिन 2005 से अभी तक किसी बड़े आईएएस अधिकारी पर कार्यवाही नहीं किया है जबकि पुलिस विभाग में  डीजीपी से लेकर जिले में तैनात एसपी तक पर कार्यवाही हो चुकी है ऐसे में यह सब जो कार्यवाही हो रही है वह महज आईवास है और इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है।

महाबोघि मंदिर ब्लास्ट मामले में तीन आतंकियो को मिली ऊर्म कैद की सजा

महाबोधि मंदिर में हुए ब्लास्ट मामले में आज एनआईए कोर्ट ने आठ आतंकियों में से तीन को उम्र कैद की सजा और पांच अभियुक्तों को 10 साल की सजा सुनाई गई है अहमद अली , पैगंबर सेख और नूर आलम को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है ।जबकि आदिल शेख दिलावर हुसैन मुस्तफिजुर रहमान अब्दुल करीम आरिफ हुसैन को 10 साल की सजा सुनाई गई है।
गया के महाबोधि मंदिर में जनवरी 2018 को निगम पूजा के दौरान विस्फोट हुआ था इसमें एनआईए ने पूरे मामले की जांच करने के बाद चार्जशीट दाखिल किया था और सभी आठों अभियुक्त ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था ।

दिल में छेद के ऑपरेशन के लिए बिहार से 332 बच्चे भेजे जाएँगे अहमदाबाद

बाल हृदय योजना के तहत 497 बच्चों की हुई स्क्रीनिंगः मंगल पांडेय
दिल में छेद के ऑपरेशन के लिए 332 बच्चे भेजे जाएंगे अहमदाबाद
इस साल अप्रेल से हो रहा हृदय रोग के बच्चों के लिए मुफ्त इलाज

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की बाल हृदय योजना दिल में छेद की बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। खासकर मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है। इसके तहत हृदय रोगों की मुफ्त जांच और इलाज हो रही है। इस योजना के तहत इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पटना में 15 दिसंबर से आयोजित तीन दिवसीय निःशुल्क जांच शिविर लगाया गया, जिसमें कुल 500 निबंधित बच्चों में से 497 बच्चों की उपस्थिति रही।
श्री पांडेय ने कहा कि पहले दिन 189, दूसरे दिन 184 और तीसरे दिन 124 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई। पहले दिन की स्क्रीनिंग में 129, दूसरे दिन की स्क्रीनिंग में 118 जबकि तीसरे दिन की स्क्रीनिंग में 85 बच्चे ऐसे पाये गये, जिन्हें सर्जरी के लिए अहमदाबाद भेजने की आवश्यकता है। इसकी शुरुआत 21 फरवरी 2021 से हुई थी और उसी दिन पहला बैच ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद भेजा गया था। उस वक्त से लेकर अब तक राज्य के 262 हृदय रोगों से ग्रसित बच्चों का सफल आपरेशन हुआ है। 10 दिसंबर 2021 को भी 21 और बच्चे राज्य के विभिन्न जिलों से अहमदाबाद इलाज के लिए भेजे गए। अब तक 13 बैच भेजे जा चुके हैं, जिसमें 262 बच्चों का सफल आपरेशन हो चुका है।
श्री पांडेय ने कहा कि लोगों में इस योजना के तहत जागरुकता लाना आवश्यक है। वो जागरुक होंगे तो जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के आयु वाले बच्चों व किशोरों को हृदय रोग से बचाया जा सकता है। राज्य सरकार इसके लिए हरस्तर पर सहायता कर रही है, ताकि बच्चों को उनका जीवन लौटाया जा सके। राज्य में अभी संचालित होने वाले कैंप में इन रोगों की पहचान की जा रही है। जहां से उनकी स्क्रीनिंग कर इलाज के लिए अहमदाबाद के सत्य सांई हॉस्पिटल भेजने की प्रक्रिया की जाती है। इन बच्चों को उम्र के आधार पर परिवार या अभिभावक के साथ सरकारी खर्च पर हवाई जहाज से सत्य सांई अस्पताल भेजती है। साथ ही भोजन और रहने की भी समुचित व्यवस्था करती है।

शराबबंदी को सफल बनाने के लिए तेज प्रताप ने नीतीश कुमार को दिया सलाह

तेज प्रताप ने जीतन राम मांझी के शराबबंदी पर दिए गए बयान का समर्थन किया है ,तेज प्रताप ने कहा कि समीक्षा बैठक से कोई फायदा नहीं है चारों तरफ शराब बिक रहा है। अधिकारी शराब पी रहे हैं थाना से होम डिलीवरी हो रही है,शराबबंदी को सफल बनाना है तो बॉर्डर को सील करना चाहिए उन्होंने कहां की उत्तर प्रदेश झारखंड और बंगाल के बॉर्डर को सील करना होगा ।

तेज प्रताप ने शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सीएम को दिया सलाह

प्रथम इंटर लेवल संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2014 को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर

रिट याचिका के निष्पादन तक प्रथम इंटर लेवल संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2014 के कॉउंसलिंग पर रोक लगाने के लिए एक रिट याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है। याचिका में बिहार स्टाफ सलेक्शन कमीशन द्वारा काउन्सलिंग के लिये चयनित पिछड़े व अत्यंत पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों से 31 अक्टूबर, 2014 / 13 मार्च, 2016 तक जारी किये गए नॉन क्रीमी लेयर जाति प्रमाण पत्र की मांग को लेकर कमीशन के सचिव के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना को रद्द करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध भी किया गया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसी जानकारी विज्ञापन में नहीं दी गई थी। अतः जारी किया गया आदेश पूरी तरह से मनमाना है।

इस याचिका के जरिये 11 दिसंबर, 2011 को जारी मेमो के अनुपालन पर रोक लगाने हेतु आदेश देने की मांग किया गया है।

1 सितंबर, 2014 को विभिन्न पदों पर नियुक्ति हेतु बिहार स्टाफ सलेक्शन कमीशन द्वारा विज्ञापन निकाला गया था। जारी विज्ञापन के अनुसार पिछड़े व अत्यंत पिछड़े वर्गों के उम्मीदवारों से सर्किल ऑफिसर द्वारा जारी इस आशय का जाति प्रमाण पत्र मांगा गया था कि वे क्रीमी लेयर में नहीं आते हैं।

विज्ञापन में कहा गया था कि आवेदन के ऑनलाइन फाइलिंग के वक्त पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिये नॉन क्रीमी लेयर औऱ एस सी (अनुसूचित जाति) और एस टी ( अनुसूचित जनजाति) के लिए जाति प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगा।काउन्सलिंग के समय इसकी जरूरत पड़ेगी।

कोरोना को लेकर राज्य सरकार की तैयारी पर हाईकोर्ट ने जतायी नराजगी कहा सरकार गंभीर नहीं है कोरोना को लेकर

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में करोना महामारी से उत्पन्न हालात के सम्बन्ध में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नए सिरे से पूरे व सही तथ्यों की जांच कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।
कल राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा में विरोधाभासी तथ्यों को कोर्ट ने काफी सख्त रुख अपनाया था।आज मामलें की ऑन लाइन सुनवाई हुई,जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव व सभी जिलों के सिविल सर्जन उपस्थित हुए।

राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधभासी हलफनामा पर ऑन लाइन उपस्थित सचिव अमृत प्रत्यय ने अफ़सोस जाहिर किया।उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई में विस्तृत,सही और पूरे तथ्यों के साथ हलफनामा दायर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक अधिकारी संजय कुमार के अध्यक्षता में चार सदस्यों की एक टीम गठित किया गया है, जो राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी और उपलब्ध सुविधाओं की जांच कर विस्तृत,सही और पूरा ब्यौरा देगा।
ज़िला के सभी जिलों के सिविल सर्जनों द्वारा ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा तथ्यों को जांच कर प्रस्तुत करेंगे।
राज्य सरकार ने कल जो ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।

कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा था।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर आज साढ़े ग्यारह बजे सुबह virtual mode पर सुनवाई प्रारम्भ किया।
कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी ज़िला के सिविल सर्जनों को ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा दिया।कोर्ट ने पटना के सिविल सर्जन को अस्पतालों में सारी व्यवस्था,दवा,डॉक्टर व अन्य सुविधाओं की तैयारी रखें।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था। कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।
अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा माँगा था।
इस मामले पर 24 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी।

खोजी पत्रकारिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा बड़ी बात मीडिया के कैनवास से गायब हो गया है खोजी पत्रकारिता

पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर पटना में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था उस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मुझे भी आमंत्रित किया गया था।हमारे सामने पूरे देश से आये 40 से अधिक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता बैठे हुए थे जो सामाजिक सरोकार से जुड़े सर्वश्रेष्ठ कार्यों के लिए जाने जाते हैं, इसमें गोवा और मुंबई पुलिस का वह सिपाही भी मौजूद था जो अनाथ बच्चों के बीच काम करने की वजह से उन्हें लोग गांधी कहते हैं।अपनी बात रखने से पहले मैंने इनसे ही सवाल किया कि मीडिया से आप क्या चाहते हैं और मुझे मुख्य वक्ता के रूप में क्यों बुलाया गया है सभी एकमत थे कि सामाजिक कार्यों से जुड़े मसलों पर मुख्यधारा की मीडिया से अब पहले जैसे खबर को लेकर सहयोग नहीं करती है वही भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर भी पहले जैसी गर्मजोशी नहीं देखने को मिलता है जिस वजह से लड़ाई मुकाम तक नहीं पहुंच पा रही है सरकार और सिस्टम बेलगाम होता जा रहा है सोशल मीडिया शुरुआती दौर में काफी प्रभावी था लेकिन उसका भी धार अब कमजोर पड़ता जा रहा है इसकी क्या वजह है यह हम लोग जानना चाहते हैं ।   

सवाल मौजू भी था और मुझसे ताल्लुक भी रखता है और सामने बैठा श्रोता सच सुनने को तैयार भी था ऐसे में दिल के अंदर जो चल रहा था वो सारी बातें जुबान पर आ गयी ।दोस्तों पहली बात मीडिया अब आपका दोस्त नहीं रहा और जब से केजरीवाल राजनीति में आये हैं मुख्यधारा की राजनीति करने वाली पार्टियां आपको संदेह की दृष्टि से देखने लगा है, कही ये भी सामाजिक काम करते करते राजनीति में तो नहीं आ जायेगा मतलब आपके सामने अब दोहरी चुनौती है मीडिया साथ नहीं है और राजनीति करने वाले अब आपको अपना प्रतिभागी समझने लगा है ऐसे में आपके सामने पहले से कही चुनौती बढ़ गयी है वही अच्छे कार्य करने वाले को वहां से संरक्षण मिलता था कोर्ट आज कल इनकी स्थिति क्या है देख ही रहे हैं।                  

बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन शोषण होता है यह खबर मैंने ब्रेक किया देश भर में हंगामा खड़ा हो गया पटना हाईकोर्ट ने क्या किया मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से जुड़ी खबरें चलाने और लिखने पर ही रोक लगा दिया ये स्थिति है ।             

 बात पत्रकारिता कि करे तो पहले जो पत्रकार सत्ता और सिस्टम से सवाल करता था तो लोग उन्हें पत्रकार कहते थे लेकिन आज ऐसे पत्रकार को क्या कहते हैं देशद्रोही ,पाकिस्तान परस्त इससे भी बात नहीं बनी तो कह देते हैं प्रधानमंत्री से ये लोग नफरत करते हैं जो पहले कभी नहीं होता है सरकार और सत्ता के कामकाज पर जब मीडिया सवाल उठाता था तो लोग सूनते है मीडिया से जुड़े लोगों को उत्साहित करते थे लेकिन आज बिहार में मुझे बहुत सारे लोग सोशल मीडिया पर व्यंग्य करते हुए लिखते हैं ये जनाव रवीश कुमार बनना चाहता है ये जनाब बिहार के रवीश कुमार हैं बात यही तक रहता है जब सत्ता से थोड़ी कड़वे अंदाज में सवाल करते हैं तो गाली की भाषा में उतर जाते हैं ।     

ये चरित्र पहले नहीं था और ऐसा भी नहीं है कि 2014 से पहले सोशल मीडिया नहीं था लेकिन कभी भी सत्ता से सवाल करने वाले पत्रकारों से इस तरह का सवाल नहीं होता था। नुकसान किसका हो रहा है सत्ता और सिस्टम तो यही चाहता था ना कि मीडिया को समाज में डिस क्रेडिट कर दीजिए और उसमें वो कामयाब हो गया इसलिए अब समाज या फिर आप जैसे सामाजिक सरोकार से जुड़े लोगों को मीडिया से सत्ता और सरकार से सवाल करने की उम्मीद छोड़ दीजिए क्यों कि मीडिया को डिस क्रेडिट करने में आप भी शामिल है और जनता भी शामिल है ।                   

ये तो हमारी बात हुई दो दिन पहले भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमण (NV Ramana) ने  कहा कि मीडिया को अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है. रक्षकों की भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं की सामूहिक विफलताओं को मीडिया द्वारा उजागर करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि लोगों को इस प्रक्रिया में कमियों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है और यह एक ऐसा काम है जो केवल मीडिया ही कर सकता है. एक पत्रकार के तौर पर अपनी पहली नौकरी करने वाले प्रधान न्यायाधीश ने वर्तमान मीडिया पर अपने विचार साझा किए और कहा कि खोजी पत्रकारिता की अवधारणा दुर्भाग्य से मीडिया के कैनवास (परिदृश्य) से गायब हो रही है.प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यह कम से कम भारतीय संदर्भ में सच है. जब हम बड़े हो रहे थे तो बड़े-बड़े घोटालों को उजागर करने वाले समाचार पत्रों का बेसब्री से इंतजार करते थे. समाचार पत्रों ने हमें कभी निराश नहीं किया. अतीत में, हमने घोटालों और कदाचार के बारे में समाचार पत्रों की रिपोर्ट देखी हैं जिनके गंभीर परिणाम सामने आए हैं. एक या दो को छोड़कर, मुझे हाल के वर्षों में इतनी महत्ता की कोई खबर याद नहीं है हमारे बगीचे में सब कुछ गुलाबी प्रतीत होता है।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की चिंता स्वाभाविक है लेकिन मेरी चिंता ये नहीं है कि हो क्या रहा है मेरी चिंता यह है कि जिस दिन सत्ता दूसरी पार्टी के हाथों में गयी उस दिन पत्रकारिता का क्या होगा कौन खड़ा होगा मशाल लेके यह सोच कर मैं घबरा रहा हूं ।

महिलाओं के बीच क्यों लोकप्रिय है शशि थरूर

सलमान खान सुंदर और आकर्षक आदमी है मगर अक्सर उसकी बातें बचकानी और मूर्खतापूर्ण होती हैं |

अक्षय कुमार एक हैंडसम आदमी है मगर उसकी भाषा में देहाती लहज़ा और बदतमीजी दिखाई देती है |

एखटाइगर श्रौफ सुंदर शरीर और चहरे का मालिक है, वह मृदुभाषी, सौम्य और तमीज से बातचीत भी करता है मगर उसकी बातें जिम, बॉडी बिलडिंग, डांस और मार्शल आर्टस तक सीमित हैं | कोई बहुत ज्ञान की बातें वह नहीं बता सकता |

आमिर खान सुन्दर, सरल, सौम्य है मगर वह भी बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है |

शाहरुख खान पढ़ा लिखा भी है, हाजिर जवाब भी है, हैंडसम भी कहा जा सकता है, अंग्रेजी या हिन्दी दोनों भाषा अच्छे से बोल सकता है |

आयुष्मान खुराना भी सुन्दर, आकर्षक और सौम्य है | कविताएँ लिख लेता है, किताबें पसंद करता है और स्क्रिप्ट की जो बेहतर समझ रखता है उसे देख के लगता है वह आदमी बुद्धिमान भी है|

सचिन तेंदुलकर भले ही वह मृदुभाषी, सौम्य और तमीजदार आदमी है मगर वह बहुत पढ़ा लिखा नहीं है और शायद सुंदरता के पैमाने पे फिट नहीं बैठता |

युवराज सिंह सुन्दर है मगर वह भी शिष्ट, सौम्य और बुद्धिमान नहीं है |

राहुल द्रविड सुंदर है, शिष्ट है, शालीन है और शायद पढ़ा लिखा भी है मगर वह अंतरमुखी है और लोगों से ज्यादा घूलना मिलना पसंद नहीं करता |

मेरी पोस्ट का मूलभूत मुद्दा यह है कि बहुत कम भारतीय मर्द ऐसे हैं जिनको ईश्वर ने सुन्दरता, शिष्टाचार, बुद्धि, शालीनता, ज्ञान और आकर्षक व्यक्तित्व दिया हो ! बहुत कम भारतीय मर्द ऐसे हैं जो अपने व्यक्तित्व से औरतों को आकर्षित कर सकते हैं | बहुत कम मर्द ऐसे हैं जिन के आस पास औरतें सुरक्षित महसूस करती हैं | बॉलीवुड में ऐसा आदमी शाहरुख है, क्रिकेट में राहुल द्रविड है जिसमें उपरोक्त ज्यादातर खूबियाँ हैं !

राजनीति में यदि आज की तारीख में कोई पढ़ा लिखा, सुन्दर, आकर्षक, सौम्य, शिष्ट, ज्ञानी, साहित्य की समझ रखने वाला, लिखने पढने वाला, हाजिर जवाब और भाषाओं में अच्छा नियंत्रण रखने वाला आदमी है तो वह सिर्फ शशि थरूर है !

हाफ चड्डी पहनने वाले, बलात्कारियों का समर्थन करने वाले, संस्कार के नाम पे पार्क में बैठे प्रेमियों को पीटने वाले यौन कुंठित लोग यह कभी नहीं समझ पाएँगे कि शशि थरूर में वह सब कुछ है जो एक औरत एक मर्द में चाहती है !

आपने पिछले कई साल गुजार दिए सिर्फ इसी जलन में कि महिलाएँ नेहरू के आसपास क्यों दिखाई देती हैं? और अब आप अगले कई साल सिर्फ इस जलन में गुजार दोगे कि महिलाएँ थरुर के आसपास क्यों दिखाई देती है?

उत्तर साफ है :
आज जो खूबियाँ थरूर में बिलकुल वही खूबियाँ नेहरू में थी ! बल्कि नेहरू में कुछ ज्यादा ही थी और शायद इसलिए वह भी महिलाओं में बेहद लोकप्रिय थे ।

बीपीएससी के परीक्षार्थी के लिए खुशखबरी आयोग ने 68 सीट बढ़या

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 67वीं प्रारंभिक संयुक्त परीक्षा के लिए पूर्व घोषित सीटों की संख्या में 68 सीटों का इजाफा किया है। इसके साथ ही 67th PT के अंतर्गत रिक्तियों की कुल बढ़कर 794 हो गई हैं। आयोग के संयुक्त सचिव सह परीक्षा नियंत्रक ने 16 दिसंबर को जारी शुद्धि पत्र में यह जानकारी दी है।

BiharNewsPost
67वीं PT में 68 सीटें और बढ़ीं, 555 पदों की वैकेंसी बढ़कर 794 पर पहुंची


आयोग ने कहा है कि 67th PT के लिए 24 सितंबर 2021 को विज्ञापन प्रकाशित करते हुए सुयोग्य उम्मीदवारों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे। उक्त विज्ञापन के प्रकाशन के बाद 67th PT के माध्यम से नियुक्ति के लिए दो विभागों से कुल 68 रिक्तियां प्राप्त हुई हैं, जिन्हें उक्त प्रतियोगिता परीक्षा की रिक्तियों में जोड़ दिया गया है।
नई रिक्तियां कहां बढ़ीं?
जोड़ी गई रिक्तियां काराधीक्षक, कारा एवं सुधार सेवाएं निरीक्षणालय, गृह विभाग (कारा)-लेबल 9 पद के लिए और श्रम प्रवर्त्तन पदाधिकारी, श्रम संधान विभाग से जुड़ी हैं। दोनों के लिए न्यूनतम उम्र 20 वर्ष और 21 वर्ष है।

आयोग द्वारा जारी शुद्धि पत्र।
सीटें बढ़ने से PT में ज्यादा होंगे पास
बता दें कि पहले 555 सीट के लिए वैकेंसी थी, जिसे बढ़ाकर 726 किया गया था। अब इसमें 68 सीटें और बढ़ाकर 794 कर दिया गया है। BPSC PT परीक्षा में इतनी अधिक संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं कि आयोग ने पहले 16 दिसंबर की तिथि दी और उसे रद्द कर 23 जनवरी 2022 किया गया। फिर उसे भी 7 दिसंबर को रद्द कर दिया गया था। जानकारी दी गई थी कि करीब साढ़े 7 लाख अभ्यर्थियों ने BPSC 67वीं PT के लिए आवेदन किया है।

दरभंगा एम्स के निर्माण को लेकर सीएम ने की समीक्षा कहाँ शीघ्र शुरु होगा निर्माण कार्य

मुख्यमंत्री के जन संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री, कुशेश्वर स्थान में कई योजनाओं का किया कार्यारंभ

दरभंगा में एम्स निर्माण की परिकल्पना शुरू से मेरे

मन में थी

पटना, 16 दिसम्बर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान पहुंचकर कुशेश्वर स्थान में जलजमाव से निजात दिलाने हेतु किए जा रहे कार्यों का स्थल निरीक्षण किया। साथ ही जलनिकासी हेतु नरैला चौर नाला उड़ाहीकरण के कार्य का मुख्यमंत्री ने निरीक्षण किया। जल संसाधन विभाग के सचिव श्री संजीव हंस ने किए जा रहे कार्यों के संबंध में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी।

दरभंगा एम्स के निर्माण को लेकर सीएम ने की समीक्षा

मुख्यमंत्री ने कुशेश्वर स्थान पूर्वी प्रखंड के लिए प्रस्तावित भूमि का निरीक्षण क अधिकारियों को निर्माण कार्य जल्द पूर्ण करने का निर्देश दिया। निरीक्षण के पश्चात् मुख्यमंत्री नंदकिशोर उच्च विद्यालय, हिरणी पहुंचे और वहां लगाये गये विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया। स्टॉल निरीक्षण के उपरांत ‘मुख्यमंत्री जन संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री का स्वागत पौधा, प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्र एवं पेंटिंग भेंटकर किया गया। मुख्यमंत्री ने लोगों के बीच जाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया। जन संवाद कार्यक्रम में श्री मधुकांत साह, श्री मणिकांत झा, श्री शुभम कुमार झा, श्री विजय कुमार यादव, श्री संजय कुमार झा, श्रीमती बबिता देवी, श्रीमती काजल कुमारी, श्री रामानंद शर्मा, श्री दिलीप कुमार राय, श्री रिंकु कुमार यादव, श्री संतोष चौपाल, श्री मिन्टू कुमार, श्री अश्विनी कुमार, विद्यार्थी कुमार सहित अन्य लोगों ने मुख्यमंत्री से संवाद कर मुख्यमंत्री को इस क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों के लिए धन्यवाद दिया और क्षेत्र की कुछ समस्याओं से भी उन्हें अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने इस दौरान रिमोट के माध्यम से विभिन्न योजनाओं का कार्यारंभ किया ।

विधानसभा उपचुनाव में जीत पर बधाई देने पहुँचे नीतीश

कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सबों की उपस्थिति के लिए आपका अभिनंदन करता हूं और आप सभी को धन्यवाद देता हूं। आपलोगों ने श्री अमन भूषण हजारी जी को विधानसभा उपचुनाव में विजयी बनाया है, इसके लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं। इनके पिता जी स्व० शशि भूषण हजारी जी जो तीन बार विधायक थे, उनका असामयिक निधन हो गया। एक माह के अंदर ही अमन जी की माता जी का भी देहांत हो गया। हमलोगों ने एन०डी०ए० की बैठक में निर्णय लिया था कि कुशेश्वरस्थान से श्री अमन भूषण हजारी जी को ही प्रत्याशी बनाएंगे और हमलोगों ने इन्हें प्रत्याशी बनाया । यहां कि जनता ने इन्हें चुनाव में विजयी भी बनाया। चुनाव प्रचार में हम भी दो जगहों पर आए थे और उस समय हमने कहा था कि आपके बीच आएंगे और आपकी समस्याओं के बारे में आपसे बातचीत करेंगे। पंचायत चुनाव समाप्त होने के बाद आपके बीच आज उपस्थित हुएसुना है।

बाढ़ के स्थायी समाधान को लेकर शीघ्र शुरू होगा काम

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमें काम करने का मौका मिला है, हमलोग बिहार के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं। बिहार के 28 जिले अधिक वर्षापात और बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। हमलोगों ने आपदा प्रबंधन के लिए अच्छे ढंग से काम शुरु किया और अब आपदा के दौरान लोगों को तत्काल राहत उपलब्ध कराया जाता है। हमारा शुरु से ही मानना है कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। हमने वर्ष 2007 में आयी बाढ़ और वर्ष 2008 की कोसी त्रासदी में लोगों को राहत देने के लिए हर तरह के काम किए। दरभंगा भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है इसमें कुशेश्वरस्थान विशेष रूप से प्रभावित है। यहां की जलनिकासी को लेकर भी योजनाबद्ध ढंग से काम शुरु किया गया है। अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि अगले साल बाढ़ आने से पहले काम को पूरा कर लिया जाएगा। आज चार योजनाओं का कार्यारंभ भी किया गया है, जिसमें रोसड़ा-मबी ढाला- सरहधिया – मंगलगढ़ – काले- राजघाट-शक्ति घाट पथ के (कुल लंबाई 8.40 किमी में) चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण कार्य का कार्यारंभ, पिपराघाट पथ के 0 किमी से 3.95 किमी में चौड़ीकरण एवं मजबूतीकरण का कार्यारंभ, कुशेश्वरस्थान प्रखंड के विभिन्न चौरों में अवस्थित 8 अदद पुनिर्जीवित / पुनर्स्थापन, साफ-सफाई कार्य का कार्यारंभ तथा बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज-3 (बी के अंतर्गत) सिरनिया-फुहिया तटबंध के 70.42 से 74.42 कि०मी० तक नए तटबंध का निर्माण एवं 70.793 कि०मी० तक एंटी फ्लड स्लुईस के निर्माण कार्य का कार्यारंभ किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दरभंगा में एम्स का निर्माण कराया जा रहा है। वर्ष 2015 में बिहार में दूसरे एम्स के निर्माण की बात हुयी तो दरभंगा में एम्स निर्माण की परिकल्पना मेरे मन में थी। हमने शुरू से ही कहा है कि दरभंगा में दूसरा एम्स बनेगा। दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करा दी गयी है। दरभंगा की जमीन उपजाऊ है, अधिक जलजमाव की वजह से लोग खेती नहीं कर पाते हैं। जल निकासी की व्यवस्था हो जाएगी तो यहां लोग खेती करेंगे और लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी। दरभंगा मेडिकल कॉलेज का भी हमलोग विस्तार कर रहे हैं। कुशेश्वरस्थान में कई प्रकार के विकास के कार्य किए जा रहे हैं। जो मौलिक समस्याएं बतायी गई हैं उसका भी निदान हमलोग करने में लगे हैं। बाईपास निर्माण, थाने का निर्माण, प्रखंड सह अंचल कार्यालय के भवन का निर्माण आदि के कार्य किए जा रहे हैं। बाढ़ के दौरान मुख्य रूप से इस क्षेत्र में जलजमाव की स्थिति को ठीक करना है ताकि सड़कें भी ठीक रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में कई कार्य किए जा रहे हैं। सात निश्चय – 1 के ने अंतर्गत बिरौल में आई०टी०आई० भवन का निर्माण तथा ए०एन०एम० एवं छात्रावास का निर्माण कराया गया। सात निश्चय-2 के अंतर्गत हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए काम किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उत्थान के लिए बहुत काम किया जा रहा है। लड़कियों के लिए पोशाक योजना, साइकिल योजना चलायी गई और अब मैट्रिक में पढ़ने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या बराबर हो गई है। हमलोग चाहते हैं कि सभी लड़कियां पढ़े। जब हमलोग सरकार में आए थे, तब राज्य में प्रजनन दर 4.3 था, जो अब घटकर 3 हो गया है। हमलोग चाहते हैं कि यह प्रजनन दर घटकर 2 हो जाए। लड़कियों के शिक्षित होने से प्रजनन दर में और कमी आएगी। राज्य की आबादी अधिक है और क्षेत्रफल कम है। हम चाहते हैं कि सभी लड़के-लड़कियों को पढ़ाने की व्यवस्था की जाए। अलग-अलग लड़के-लड़कियों की पढ़ाई की कोई आवश्यकता नहीं है बल्कि सब एक साथ पढ़ाई करेंगे।उन्होंने कहा कि जीविका समूह के गठन से महिलाओं का उत्थान हुआ और उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। अब 1 करोड़ 26 लाख महिलाएं जीविका समूह से जुड़ गई हैं। बिहार में महिलाएं काफी सक्रिय हैं। बिहार में जो विकास हो रहा है, उसमें महिलाओं की सक्रियता का बड़ा योगदान है। हमलोगों ने समाज के हर तबके के उत्थान के लिए काम किया है। महिलाओं के साथ-साथ एस०सी० एस०टी०, अल्पसंख्यक, अति पिछड़े सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम किया है। महिलाओं की मांग पर शराबबंदी लागू की गई है। हम जल्द ही शराबबंदी के पक्ष में जागरुकता अभियान शुरू करेंगे। शराब के सेवन से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं। डब्ल्यू०एच०ओ० की आयी रिपोर्ट के अनुसार 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों की जो मृत्यु होती है, उसमें 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब सेवन के कारण होती है। दुनिया में जितनी मृत्यु होती है उसका 5.3 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने की वजह से होती है। शराब पीने के कारण कई और बीमारियां होती हैं।

शराबबंदी को लेकर मांझी ने नीतीश पर फिर बोला हमला कहां शराबबंदी कानून गरीबों के लिए है

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने आज एक बार फिर शराबबंदी को लेकर नीतीश पर हमला बोला है मांझी ने कहा कि बिहार में भले ही पूर्ण शराबबंदी का दावा सरकार कर रही है लेकिन अभी भी राज्य में ये ओपन सीक्रेट है, ये सत्य है कि जो बड़े लोग हैं, जो ठेकेदार हैं, धनवान हैं और रसूख वाले लोग जैसे- आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर रात में शराब पीते है इस कानून में मारा गरीब जा रहा है इसलिए नीतीश कुमार को एक बार फिर से सोचना चाहिए ।

शराबबंदी पर मांझी ने नीतीश को फिर घेरा कहाँ बड़े लोग खुब पीते हैं शराब

दो दिनों तक देश में बंद रहेगा बैंक का कामकाज बैंक कर्मी गये हड़ताल पर

प्रधानमंत्री जी, बैंकरों की हड़ताल की चिन्ता न करें, बैंकर भी वोट धर्म के नाम पर ही देंगे ।

आज लाखों बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं। सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए संसद के इस सत्र में एक बिल लेकर आई है जिसके बाद वह आराम से सभी सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम कर सकेगी। सरकार इस साल दो बैंकों के निजीकरण से एक लाख करोड़ जुटाना चाहती है। बैंक बेच कर विकास के सपने दिखाने वाली सरकार के शाही कार्यक्रमों को देखिए। प्रधानमंत्री के हर कार्यक्रम में करोड़ों फूंके जा रहे हैं ताकि हर दिन हेडलाइन बने। उन कार्यक्रमों में लोगों की कोई दिलचस्पी नहीं है इसलिए सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को पकड़ पकड़ कर बिठाया जाता है। बिहार में जैसे पकड़ुआ शादी होती थी उसी तरह मोदी जी के लिए पकड़ुआ कार्यक्रम हो रहे हैं। उस पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं।उस खर्चे का कोई हिसाब नहीं है।

बहरहाल बैंकरों का दावा है कि सरकारी बैंको ने आम जनता की सेवा की है। बैंकर शहर का जीवन छोड़ ग्रामीण शाखाओं में गए हैं और लोगों के खाते खुलवाए हैं। प्राइवेट होने से आम लोगों से बैंक दूर हो जाएंगे। देश भर में लाखों बैंकर हड़ताल कर समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि 2014 के बाद से बैंकों का 25 लाख करोड़ का लोन NPA हुआ है। इसका मात्र पांच लाख करोड़ ही वसूला जा सका है। ये लोग राजनीतिक दबाव में कारपोरेट को दिए जाते हैं और कारपोरेट को लाभ पहुंचाने के लिए इन लोन को किसी और खाते मेें डाल दिया जाता है फिर वहां से इसकी वापसी कभी नहीं होती है। होती भी है तो बहुत कम होती है। सरकारी बैंक नहीं रहेंगे तो दलित पिछड़ों और अब तो आर्थिक रुप से कमज़ोर सवर्णों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। बैंकों की नौकरियां भी कम होंगी।

बैंकों की इस हड़ताल को कोई कवर कर रहा है इसे लेकर मुझे संदेह है। इन बैंकरों की दुनिया में गोदी मीडिया देखने वाले कम नहीं हैं। इसकी सज़ा सभी को भुगतनी है। सांप्रदायिक होने की सज़ा कुछ आज भुगतेंगे, कुछ दस साल बाद भुगतेंगे। इस माहौल की सज़ा उन्हें भी भुगतनी है जो सांप्रदायिक नहीं हैं। हम जैसे पत्रकार इसमें शामिल हैं। कितने पत्रकारों की नौकरी चली गई। धर्म के नाम राजनीति की इस गुंडई की सज़ा यह है कि आज देश में पत्रकारिता खत्म हो गई है। इसलिए बैंकरों को इसका रोना नहीं चाहिए कि मीडिया कवर नहीं कर रहा है।

प्रधानमंत्री को भी इनकी परवाह नहीं करनी चाहिए।बैंकर या तो पुलवामा जैसी घटना पर भावुक होकर वोट देंगे या अगर प्रधानमंत्री किसी मंदिर में चले जाएं तो पक्का ही देंगे। जब इतना भर करने से वोट मिल सकता है तो प्रधानमंत्री को हड़ताल वगैरह का संज्ञान नहीं लेना चाहिए। मस्त रहना चाहिए।आम जनता उनसे धार्मिक होने की ही उम्मीद करती है। उनके समर्थक भी दिन रात लोगों को धार्मिक असुरक्षा की याद दिला रहे हैं, और उनका फोटो दिखा रहे हैं कि धार्मिक सुरक्षा इन्हीं से होगी।अगर कोई बैंकर आर्थिक नीतियों की बात कर रहा है तो इसका मतलब है कि उसके व्हाट्स एप में नेहरु के मुसलमान होने या मुसलमानों से नफ़रत करने की मीम की सप्लाई नहीं हुई है। इसकी सप्लाई कर दी जाए , सब ठीक हो जाएगा।

धर्म की राजनीति को 55 कैमरों की सलामी मिलती जा रही है। राष्ट्र गौरव प्राप्ति का जश्न मना रहा है। और बैंकर इधर उधर ताक रहे हैं कि कोई कैमरा वाला कवर करने आ रहा है या नहीं।

लेखक —रवीश कुमार

नीतीश भी पहुंचे भगवान शिव के मंदिर

मंदिर मंदिर घूम रहे है आज कल सीएम नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज कुशेश्वर स्थान में देवाधिदेव महादेव की पूजा एवमआराधना कर राज्य की सुख ,शांति एवम समृद्धि की कामना की

बाबा के दरबार में नीतीश

बिहार में भ्रष्टाचार चरम पर अधिकारियों के घर और लांकर में मिल रहे हैं अकूत सम्पत्ति

काफी दिनों बाद आज खबर की दुनिया में लौटे हैं सुबह से ही सोच रहे हैं कहां से शुरू करें और कैसे शुरू करें चलिए शुरुआत तेजस्वी की शादी से ही करते मुझे अब तक समझ में नहीं आया कि मीडिया तेजस्वी की शादी के बाद साधु यादव के पास क्या जानकारी हासिल करने गया था जबकि दोनों परिवार के बीच लम्बे समय से कोई रिश्ता नहीं रहा है ।जहां तक मुझे याद है मीसा भारती के बाद लालू प्रसाद के किसी भी बेटी और बेटे की शादी में साधु यादव की कोई बड़ी भूमिका नहीं रही है ऐसी स्थिति में तेजस्वी की शादी में मामा साधु की प्रतिक्रिया अभी भी मेरे समझ से पड़े हैं।हां ये जरुर है कि साधु की प्रतिक्रिया के बाद तेजस्वी की शादी को लेकर जो चर्चा होनी चाहिए थी वो नहीं हो सका ।     

बिहार के एक डीएसपी का अश्लील बातचीत करते हुए ऑडियो हुआ वायरल

दूसरी खबर बिहार के भ्रष्ट अधिकारियों के ठिकाने पर छापेमारी से जुड़ी है बालू माफिया से रिश्ते की वजह से औरंगाबाद अनुमंडल पदाधिकारी के पद से हटाये गये अनूप कुमार के यहां कल आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने छापामारी किया है पटना रांची में घर के अलावे करोड़ों की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ है इसी तरह वैशाली के  लेबर इंफोर्समेंट अधिकारी के ठिकाने से इतने पैसे बरामद हुए कि नोट गिनने वाली मशीन लानी पड़ी वही  सासाराम के भू अर्जन पदाधिकारी का लॉकर खुला तो जेवरात देख कर पूरा महकमा हैरान रह गया बिहार में यही कोई पांच छह अधिकारी करोड़पति है ऐसा नहीं है जांच हो जाये तो सौ दो सौ ईमानदार मिल जाये तो बड़ी बात होगी क्योंकि सरकार के स्तर पर जिस तरीके से तबादला और पोस्टिंग हो रही है भ्रष्टाचार वही से पैदा होता है कोई अधिकारी 40 लाख देकर आयेगा तो फिर फिल्ड में आकर वो करेगा क्या । 

वैशाली के जिस लेबर इंफोर्समेंट अधिकारी के घर से करोड़ों रुपया नगद पकड़ाया है उनकी पोस्टिंग लगातार सात वर्ष से मोहनिया चेक पोस्ट पर रहा है जबकि वो उस विभाग का अधिकारी भी नहीं है अगर सही में भ्रष्टाचार पर नकेल कसना है तो किस डीएम ने उसको मोहनिया चेक पोस्ट पर पोस्ट किया उससे भी पूछताछ होनी चाहिए लेकिन ऐसा तो हो नहीं रहा है ।           

इसी तरह औरंगाबाद के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अनुप कुमार की पोस्टिंग कैसे हुई जबकि इन पर पटना जिला बल में रहने के दौरान कई तरह के गम्भीर आरोप लग चुके हैं जबकि डीएसपी स्तर के अधिकारी का पोस्टिंग मुख्यमंत्री करते हैं इसी तरह डेहरी के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जिसका एक ओडियो पूरे बिहार में बवाल मचाये हुए हैं जिसमें डीएसपी लड़कियों से अश्लील बातचीत कर रही है जबकि यह डीएसपी पहले से दागी की सूची में है और जांच चल रहा है ऐसे में उनकी पोस्टिंग कैसे हो गयी जबकि यहां पदस्थापित डीएसपी को बालू माफिया से सांठगांठ करने के आरोप में हटाया गया था ऐसी जगह से इस तरह के आरोप के घिरे अधिकारियों की पोस्टिंग कैसे हुई बड़ा सवाल है चर्चा तो इन दिनों सरेआम है कि बिहार में पुलिस की पोस्टिंग में बीबी और बिल्डर का खूब चल रहा है ।      

बात राजनीति की तो फिलहाल जब तक डीएम एसपी का ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं हो जाता है तब तक बीजेपी और जदयू में विशेष राज्य और अफसरशाही को लेकर जो बयानबाजी चलता रहेगा खेला सब जिले में अपने मनपसंद के डीएम एसपी की तैनाती का ही है ।

कोरोना को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई कहा सरकार तीसरी लहर को लेकर क्या है तैयारी

पटना हाईकोर्ट ने करोना महामारी पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा को काफी गम्भीरता से लिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को ज़िला के सरकारी अस्पतालों के हालात का विस्तृत ब्यौरा तलब किया है।
राज्य सरकार ने जो ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा।
चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच इस मामलें पर कल इस मामलें पर साढ़े ग्यारह बजे सुबह virtual mode पर सुनवाई करेगी।कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी ज़िला के सिविल सर्जनों को ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था।

कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।

लेकिन आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर,नर्स व् अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया,उसमें विरोधाभास व जानकारियां सही नहीं थी।

एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था। इस मामले पर 17 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी।