बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बाघ के संरक्षण के लिए जाना जाता है। लेकिन यहां एक बाघ आदमखोर हो गया है। इस बाघ ने बीते 9 महीने में 8 लोगों पर हमले किए। इनमें से 7 लोगों की मौत हो गई।
5 और 6 अक्टूबर यानी दो दिन में ही दो लोगों को मार डाला है। इन घटनाओं से लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है। उन्होंने शुक्रवार को वन विभाग के ऑफिस और गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी।यह बाघ 5 अक्टूबर की देर रात घर में सो रही 12 साल की बच्ची को जबड़े में दबाकर ले जा रहा था। लोगों के शोर मचाने पर उसने शव छोड़ दिया। शुक्रवार सुबह बाघ ने डूमरी गांव के संजय महतो (35) पर खेत में हमला कर दिया। संजय की मौके पर ही मौत हा गई।
गुस्साए लोगों ने वन विभाग के कार्यालय और चेक नाका पर तोड़फोड़ कर दी। वन विभाग की गाड़ियों को भी निशाना बनाया जा रहा है। इन घटनाओं का वीडियो बनाने वाले युवकों के साथ मारपीट की जा रही है। लोगों के गुस्से को देख सभी वन कर्मी और वन विभाग के अधिकारी मौके से भाग निकले हैं।
ये अधिकारी अलग-अलग गांव में छिपे हुए हैं। उस जगह से निकलने के लिए बाहर रास्ता भी नहीं है, क्योंकि लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां अपने उफान पर है। ऐसे में पहाड़ी नदियों को पार करना आसान नहीं है।
बाघ को ढूंढने के लिए वन विभाग के कर्मी हाथी पर सवार होकर निकले हैं। अब देखना है कब तक इस आदमखोर बाघ को पकड़ा जाता है।
सीबीआई ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ रेलवे में उनके कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर जमीन के बदले नौकरी घोटाले में आरोपपत्र दाखिल किया है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रसाद की बेटी मीसा भारती और रेलवे के एक पूर्व महाप्रबंधक सौम्या राघवन को भी हाल ही में सीबीआई की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोप पत्र में आरोपी के रूप में नामित किया गया है।
चार्जशीट में 7 नौकरी के लिए आवेदन देने वाले 7 आवेदकों को भी शामिल किया गया है। इन सब को जमीन लेकर नौकरी दी गयी थी।
कटिहार। चलती कार में लगी आग, आग लगने के बाद चलती कार से कूद कर बैंक मैनेजर ने बचाया जान । कोढ़ा थाना क्षेत्र के सिमरिया पुल के नजदीक की है घटना।
भारतीय स्टेट बैंक में डिप्टी मैनेजर अरविंद कुमार ड्यूटी करके लौट रहे थे अपना घर। मौके पर पहुंची कोढ़ा पुलिस, गाड़ी में शॉर्ट सर्किट से बजह से आग लगने की बताई जा रही है बजह।
बीपीएससी ने ऑडिटर के मेंस परीक्षा का डेट जारी कर दिया है। ऑडिटर की परीक्षा 2, 3 और 4 नवंबर 2022 को आयोजित की जाएगी।
यह परीक्षा दो शिफ्ट में होगी। पहला शिफ्ट में परीक्षा 9:30 बजे से ले कर 12:30 बजे तक होगा, और दूसरे शिफ्ट में परीक्षा का आयोजन 2 बजे से 5 बजे तक किया जाएगा।
पहले दिन बुधवार को सामान्य हिंदी, सामान्य अध्यन की परीक्षा होगी, दूसरे दिन सामान्य अध्यन और तीसरे दिन वैकल्पिक विषय की परीक्षा होगी।
बगहा । बाघ के हमले में मौत के बाद हंगामा। रेस्क्यू टीम की तीन गाड़ियों को ग्रामीणों ने किया क्षतिग्रस्त, शव के साथ प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का हंगामा जारी।
रामनगर एसडीपीओ सतनारायण रात के नेतृत्व में पुलिस बल की टीम मौजूद, बाघ को मारने की अनुमति मांग रहे ग्रामीण।
बेगूसराय से इस वक्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है जहाँ स्नान करने के दौरान पानी भरे गड्ढे डूबने से एक महिला एवं दो बच्चे की डूबकर दर्दनाक मौत हो गई।
इस मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। घटना बखरी थाना क्षेत्र के बदीया बहियार की है। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया।
बताया जाता है कि दो बच्चे एवं एक महिला स्नान कर रही थी। उसी दौरान गहरे पानी में चले जाने के कारण महिला दो बच्चों के साथ डूब गई। स्थानीय लोगों ने काफी खोजबीन के बाद महिला दोनों बच्चे का शव को बरामद किया।
फिलहाल बखरी थाने के पुलिस मौके पर पहुंच कर पूरे मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है।
सहरसा । जिले के सौरबाजार थाना क्षेत्र के कढ़ैया वार्ड नंबर – 3, में दुर्गा पूजा मेला के अवसर पर आर्केस्ट्रा का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में देर रात तक भोजपुरी अश्लील गानों पर बार बालाओं ने जमकर ठुमके लगाए।
इस दौरान दर्शकों ने जमकर बबाल काटा । जिसके बाद मारपीट की भी नौबत आ गई। जिसके बाद एक दूसरे पर जमकर लाठियां भांजी गई। इस दौरान काफी देर तक अफरा – तफरी का माहौल रहा।
सबसे बड़ी बात तो यह थी कार्यक्रम के दौरान पुलिस प्रशासन की मौजूदगी नही थी। हालांकि इस बाबत सौर बाजार थानाध्यक्ष की माने तो मारपीट की किसी तरह की सुचना नही होने की बात कही। वहीं मेला के दौरान जागरण का मेला कमिटी को देने की बात उन्होने कही।
आज जहानाबाद में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राज्यव्यापी आंदोलन के तहत अस्पताल मोड़ चौराहा पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का पुतला फूंका।
बीजेपी के लोगों का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार ने पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को अपने वोट बैंक के रूप में उपयोग करने के चक्कर में बिहार में नगर निकाय के चुनाव को खत्म करवा दिया।
जिस तरह से बिना किसी प्रक्रिया पूरा किए हुए सरकार चुनाव में गई। इससे आम लोगों को काफी परेशानी झेलना पड़ा। ऐसे में जब कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया, तो इसके लिए सीधे बिहार सरकार जिम्मेदार है।
बीजेपी जिला अध्यक्ष ने यह मांग की है कि उम्मीदवारों के जो खर्च हुए हैं उन्हें सीएम नीतीश कुमार के द्वारा दिया जाना चाहिए।
केरल निकलने से एक दिन पहले कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का फोन आया था जिस दौरान विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और नीतीश कुमार की भूमिका पर को लेकर विस्तृत चर्चा हुई और उन्होंने कहा कि किस तरीके से मंत्री के आदेश के बावजूद विभाग से सचिव फाइल को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। मैंने उन्हें कहा डॉ. एन सरवन कुमार को मैं पटना डीएम के समय से देख रहा हूं और बिहार में कुछ अच्छे आईएएस अधिकारी हैं उसमें से एक डॉ. एन सरवन कुमार है लेकिन मंत्री जी इस पर सहमत नहीं थे ,और उनका मानना था कि सचिव ही इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है। मैंने कहा हो सकता है आप मंत्री है करीब से देख रहे हैं ।
लेकिन आपको यह सोचना चाहिए कि ये जो सरकार बनी है उसका लक्ष्य क्या है, ठीक है आपके विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है और इसमें कही से कोई संदेह भी नहीं है लेकिन इस सरकार के मुखिया नीतीश कुमार है तेजस्वी नहीं इसलिए आपके नजर में सरकार की पॉलिसी कितनी भी गलत क्यों ना हो आपको उस पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है क्यों कि आप उस मंत्रिमंडल के हिस्सा है जिसके मुखिया नीतीश कुमार हैं।
राजद और लालू परिवार के प्रति आपके पिताजी और आपकी प्रतिबद्धता को लालू जी समझते हैं नीतीश नहीं समझते हैं और इस बार जो दिख रहा है लालू प्रसाद कुछ भी ऐसा स्वीकार नहीं करेंगे जिससे गठबंधन को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो और बेवजह बयानबाजी होता रहे ।
2015 की स्थिति अलग थी इसलिए लालू प्रसाद रघुवंश सिंह को रोक नहीं पाते थे और जहां तक मेरी जानकारी है नीतीश के खिलाफ रघुवंश सिंह जो भी बयान देते थे उसमें लालू प्रसाद की एक प्रतिशत भी सहमति नहीं रहती थी ।
लेकिन दोनों के बीच रिश्ता ऐसा था कि लालू प्रसाद डाट कर नहीं बोल पा रहे थे और इस वजह से जो हुआ सब सामने है। इस बार स्थिति साफ अलग है लालू प्रसाद के साथ तेजस्वी भी है जिन्हें आगे की राजनीति करनी है लक्ष्य 2024 है और उस लक्ष्य को लेकर नीतीश और लालू दोनों गंभीर है ऐसे में आपको बीच का रास्ता निकालना चाहिए और इसके लिए आप मीडिया से दूरी बनाये क्यों कि जब से नीतीश बीजेपी से अलग हुआ है हम लोग बीजेपी का लठैत बन गये हैं।
और सुबह से शाम तक लठैती ही करते रहते हैंं। और आप का बयान उसे लठैती करने मौका दे रहा है। भाई जी आइए केरल से तो बात करते हैं क्या करना चाहिए लेकिन केरल यात्रा के दौरान ही खबर आयी कि सुधाकर सिंह इस्तीफा दे दिए हैं मेरा मानना है कि उनके इस्तीफे से बिहार के किसान और कृषि विभाग को नुकसान हुआ है क्यों कि पहली बार ऐसा कोई व्यक्ति कृषि मंत्री बना था जो खुद खेती और खेती से जुड़े व्यापार को समझता था और खुद करता भी था ।इसलिए पदभार ग्रहण करने के साथ ही वो उन चीजों तक पहले ही दिन पहुंच गये जहां पहुंचने और समझने में मंत्री को वर्षो लग जाता है।
आप ईमानदार हैं या फिर राजनीति में ईमानदारी बनाये रखना चाहते हैं ये आपका व्यक्तिगत चरित्र हो सकता है जिस सरकार के आप अंग है या फिर जिस पार्टी से आप जुड़े हैं वो आपके इस विचार को आत्मसात कर ले ये जरुरी नहीं है ।
ऐसे में आपको तय करना है कि राजनीति में रहना है या नहीं रहना है क्यों कि राजनीति ही एक ऐसी विधा है जहां परिस्थिति के साथ सत्य और ईमानदारी की परिभाषा बदलती रहती है आज की राजनीति का सत्य यही है कि जो गलती सुधाकर सिंह ने की है वो गलती जगतानंद सिंह को नहीं करनी चाहिए।
लालू और तेजस्वी ने जिस भरोसे के साथ जगतानंद सिंह को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाया है उस भरोसा के लिए जगतानंद सिंह को अंतिम क्षण तक खड़े रहना चाहिए।बिहार की राजनीति में जितने भी चेहरे हैं उनमें से नीतीश कुमार के सबसे करीबी कभी जगतानंद सिंह रहे हैं।
रिश्ता इतना ही गहरा था कि जगतानंद सिंह नीतीश कुमार के बहन की शादी की बरतुहारी किए हुए हैं उनकी सहमति के बगैर किसी भी बहन की शादी नहीं हुई, जगदानंद सिंह लालू प्रसाद से कहीं अधिक करीब नीतीश कुमार के थे ।
लेकिन जब नीतीश कुमार लालू का साथ छोड़े तो जगतानंद सिंह नीतीश कुमार के साथ नहीं गये और उससे चिढ़ कर नीतीश ने उनके दोनों बेटे को अपनी और कर लिये ताकी जगतानंद सिंह झुक जाये लेकिन जगतानंद सिंह ने लालू प्रसाद का साथ नहीं छोड़ा और नीतीश के कहने पर ही बीजेपी सुधाकर सिंह को रामगढ़ से टिकट दिया इसके बावजूद जगदानंद सिंह राजद उम्मीदवार के साथ खड़े रहे और इस वजह से सुधाकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा था ।
देश की राजनीति में इस तरह के उदाहरण बहुत ही कम है ऐसे में जगदानंद सिंह को नीतीश कुमार के उन कृत्य को भूल जाना चाहिए जिसमें नीतीश कुमार अहंकार में जगतानंद सिंह के परिवार तक को तोड़ने के स्तर तक पहुंच गये थे। कुछ इसी तरह का व्यक्तिगत द्वेष नीतीश कुमार और रघुवंश सिंह के बीच भी था लेकिन जब लालू प्रसाद साथ आने का फैसला कर लिया तो रघुवंश सिंह को लालू प्रसाद के उस फैसले का सम्मान करते हुए अपने अनुभव का इस्तेमाल बिहार सरकार के कामकाज में करना चाहिए था लेकिन उन्होंने उसको तोड़ा इसलिए राजद और लालू प्रसाद के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा देने के बावजूद आज उनकी राजनीति घेरे में है।
ऐसे में यह सर्वविदित होने के बावजूद भी कि नीतीश कुमार जगतानंद सिंह को झुकाने के लिए सभी तरह का दावा 2005 से ही खेल रहे हैं आज तक वो सफल नहीं हुए ।
लेकिन एक राजनीतिक चूक ने जगतानंद सिंह को आज बैंक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया है और कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का जाना नीतीश का जगदानंद सिंह को मिट्टी में मिला देगे का जो प्रण लिया था उसमें नीतीश कुमार को पहली बार सफल हो गये, क्यों कि जिस लक्ष्य और विचार को लेकर नीतीश कुमार लालू के साथ आये हैं वो नीतीश और जगतानंद सिंह की व्यक्तिगत लड़ाई से कहीं ऊपर है ऐसे में सुधाकर सिंह को भी और जगदानंद सिंह को भी राजनीति की जो धारा अभी चल रही है उसमें मूल्य सिद्धांत और व्यक्तिगत दोष को छोड़कर साथ साथ चलने कि जरूरत थी।
याद करिए महाभारत को भीष्म सहित हस्तिनापुर के सारे योद्धा यह जानते हुए कि दुर्योधन गलत है फिर भी सारे लोग दुर्योधन के साथ खड़े रहे यही राजनीति का उसूल है आप जिसके साथ खड़े हैं अंतिम दम तक उसके साथ खड़े रहे। यही नैतिकता रही है राजनीति और सत्ता की और जनता भी इसी नैतिकता को स्वीकार करती है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के चुनाव में ऋषि सुनक अंतिम समय में इसलिए भी पिछड़ गये कि जनता उनसे सवाल करने लगी कि जिस बाइडेन ने आपको यहां तक पहुंचाया उसका साथ आप छोड़ दिए तो फिर आप पर भरोसा के लायक नहीं है।
ऐसे में जगदानंद सिंह को राजद के प्रदेश अध्यक्ष बने रहते हुए नीतीश के साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलना ही आज की राजनीति का तकाजा है और इसी राजनीति के सहारे आप नीतीश की राजनीति को विफल कर सकते हैं ।
बाँका। ससुराल में विवाहिता के प्रताड़ित होने और बंधक बनाने की सूचना ।पहुंची पुलिस के साथ हाथापाई और दरोगा का छीना गया मोबाईल ।
कुछ पुलिसकर्मी के जख्मी होने की भी सूचना । नीलम देवी ने पति गौतम सिंह,सास सहित अन्य लोगो पर प्रताड़ित करने को लेकर दर्ज कराई प्राथमिकी।
दरोगा पवन कुमार ने गौतम सिंह अन्य परिजनों द्वारा पुलिस से हाँथापाई और मोबाइल छिनने को लेकर दर्ज कराया प्राथमिकी । अमरपुर थाना के बड़ी भेड़ा की मंगलवार की घटना।
जन सुराज पदयात्रा के दौरान पश्चिम चंपारण के जमुनिया गांव में प्रशांत किशोर ने कहा, “किसी से आजतक पैसा नहीं लिए हैं, अब ले रहे हैं।
बिहार में बदलाव के लिए उनसे फीस ले रहे हैं, जिनके लिए अब तक काम किया है, ताकि ये टेंट लगाया जा सके। मेहनत से, अपनी बुद्धि से 10 साल काम किए हैं, दलाली नहीं किए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “2014 में चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली आकर कहा कि हमारी मदद कीजिए। 2015 में हमलोगों ने उनको जिताने में कंधा लगाया, अभी 10-15 दिन पहले बुलाकर बोले कि हमारे साथ काम कीजिए, हमने कहा कि ये अब नहीं हो सकता है।
एक बार जो लोगों को वादा कर दिया है कि 3500 किमी चलकर गांव-गांव में जाकर लोगों को जगाना है, वही करेंगे। एक बार जनबल खड़ा हो गया, कोई टिकने वाला नहीं है लिखकर रख लीजिए।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओ बी सी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती,जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती।
कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि इस स्थानीय निकाय के चुनाव में इन पदों के आरक्षण नहीं होने पर इन्हें सामान्य सीट के रूप मे अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएँगे।
चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं संजय कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के 29 सितम्बर,2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था ,जिसे आज सुनाया गया।
गौरतलब है कि स्थानीय निकायों के चुनाव 10 अक्टूबर,2022 से शुरू होने वाले है।कोर्ट सुनवाई पूरी का निर्णय सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा था कि इस मामलें पर निर्णय पूजा अवकाश में सुना दिया जाएगा।कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव के कार्यक्रम में परिवर्तन करने की जरूरत समझे,तो कर सकता है।
#PatnaHighCourt
दिसंबर,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती,जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।
तीन जांच के प्रावधानों के तहत ओबीसी के पिछडापन पर आंकडे जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत हैं।
साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करें।
दानापुर । बिक्रम के बजीरपुर में दो पक्षों में गोलीबारी,गाड़ी में धक्का लगाने के बाद दोनो पक्ष में गोलीबारी की हुई घटना । पिता पुत्र घायल, पिता का नाम छोटेलाल और पुत्र का नाम अशोक कुमार ।
घायलों को भेजा गया एम्स पटना, पुलिस ने छापेमारी कर नवनीत,निर्मल और हीरा लाल प्रसाद को किया गिरफ्तार। इनके पास से एक दोनाली बंदूक, 22 जिंदा और 10 खोखा कारतूस किया बरामद।
मुजफ्फरपुर पुलिस को एक बार फिर बड़ी सफलता हाथ लगी है. अंतर्राजीय गिरोह के अपराधी दुर्गा पूजा के अवसर जिले में बड़ी वारदात को अंजाम देने की तैयारी में थे, लेकिन इसकी भनक पुलिस को लग गई और एसएसपी जयंतकांत के निर्देश पर एक बड़े गिरोह के सरगना किशलय और उसके दो साथी को अहियापुर थाना क्षेत्र से गिरफ़्तार कर लिया है।
पुलिस ने अपराधियों के पास से देशी कार्बाइन, देशी कट्टा, पिस्टल, 12 मैगजीन के अलावा 41 मोबाइल भी बरामद किया है. एसएसपी जयंतकांत ने बताया कि आरोपी किशलय पर अलग अलग राज्यों में अपहरण, लूट, हत्या समेत कई गंभीर मामले दर्ज है. वहीं नेपाल में भी इसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज है. किशलय को पुलिस तीन साल से ढूंढ़ रही थी, आख़िरकार पुकीस ने उसे अहियापुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।