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शराबबंदी को लेकर बीजेपी और जदयू आमने सामने

शराबबंदी को लेकर बीजेपी और जदयू अब दो दो हाथ करने के मूड में पिख रहा है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े करने पर जदयू ने भी तीखा प्रहार किया है और जदयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने संजय जायसवाल को अज्ञाणी तक कह दिया माननीय Sanjay Jaiswal जी,

इस देश में जघन्य अपराधों के लिए कड़े कानून हैं लेकिन उसके बावजूद वैसे अपराध होते हैं।
बिहार में सुशासन है और सुशासन में जो भी गलत करेगा, अफसर हो या कोई और, दंडित होगा। सुशासन की सरकार की नीति है ना किसी को फसाना और ना किसी को बचाना।

थोड़ा ज्ञान वर्धन कर लीजिए अध्यक्ष जी,

गोपालगंज में जहरीली शराब कांड एक उदाहरण है जहां जहरीली शराब बेचने वाले लोगों को फांसी तक की सजा हुई है।

पुलिस विभाग के 250 से ज्यादा और एक्साइज डिपार्टमेंट के 10 से ज्यादा लोगों को शराबबंदी कानून में गड़बड़ी करने की वजह से बर्खास्त तक किया गया है और बड़ी संख्या में अधिकारियों पर विभागीय कारवाई चल रही है।

शराबबंदी के पहले चरण में देशी शराब को बंद किया गया। विधान परिषद में आपके सम्मानित नेता सुशील कुमार मोदी जी ने विदेशी शराब को बंद करने की मांग की लिहाजा दूसरे चरण में विदेशी शराब को बंद करके पूर्ण शराबबंदी को लागू किया गया।
यदि स्मरण ना हो तो विधान परिषद की प्रोसिडिंग मंगाकर पढ़ लीजिए।

अपने पूर्व के बयानों को भी जरा ध्यान से पढ़िए जहां आप गठबंधन की जड़ में मट्ठा देने की बात कर रहे थे और आज एक बार फिर से अपने ही गठबंधन की सरकार के विरोध में बोल रहे हैं।
हर आदमी को कुछ बोलने से पहले आत्म अवलोकन करना चाहिए।

सामाजिक कर्तव्य राजनीति से जुड़ा मसला होता है। शराबबंदी के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया में आप भी साझीदार रहे हैं। शराबबंदी के लिए जब सदन के अंदर शपथ लिया गया, सभी दल साथ थे। हाल के दिनों में एनडीए विधायक दल की बैठक में सभी सदस्यों ने दोनों हाथ उठाकर शराब बंदी के पक्ष में अपना समर्थन दिया।
आप अपने दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं लेकिन अद्भुत विरोधाभास है कि आप अपने अनुभव से विधायकों को लाभान्वित नहीं करवाते हैं।
आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गांधी मैदान के प्रकाश उत्सव में साफ तौर पर कहा था कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के द्वारा लिया गया शराबबंदी का फैसला साहसिक व सराहनीय है। सभी दलों और संगठनों को इसमें सहयोग करना चाहिए।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी की भावना का सम्मान करते हुए आपने भी शराबबंदी कानून को बनाने की प्रक्रिया में अपना सहयोग दिया लेकिन जहां तक मेरी स्मरण शक्ति है आपको शराबबंदी की आलोचना करने का अधिकार नहीं दिया गया है फिर भी न जाने कौन से ऐसे अज्ञात कारण है जिसके चलते आपके द्वारा आलोचना के ही सुर निकलते हैं।

आलोचना करिए, आपका अधिकार है लेकिन ज्ञान वर्धन भी कीजिए।

अपने संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में आप दावा करते हैं कि आपका संगठन बूथ आधारित है। हम आपसे अनुरोध करेंगे कि प्रधानमंत्री जी की भावना और आपके विधानमंडल दल के सदस्यों की भावना का सम्मान करते हुए आप संगठन की प्रारंभिक इकाई को शराबबंदी को सफल बनाने का सामाजिक उत्तरदायित्व दें।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने हर गांव तक बिजली पहुंचाई है और बिजली के हर खंभे पर शराबबंदी कानून को तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने हेतु टॉल फ्री नंबर जारी किया गया है। अपने प्रारंभिक इकाई के सदस्यों को भी इस टॉल फ्री नंबर का उपयोग करने का निर्देश दें।

आपको हमसे राजनीतिक पीड़ा हो सकती है लेकिन आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध है कि जिस तरह आप लोग राजनीतिक कार्यशाला का आयोजन करते हैं उसी तरह शराबबंदी को सफल बनाने हेतु भी कार्यशाला का आयोजन करिए। प्रधानमंत्री जी और अपने दल के विधायकों की भावना का सम्मान करते हुए आप यदि अपनी प्रारंभिक इकाई को भी शराब बंदी के इस अभियान में शामिल होने का निर्देश दीजिएगा तो और अच्छा होगा।

प्रधानमंत्री जी ने सभी संगठन और दलों से शराबबंदी को सफल बनाने के लिए कहा था जिसमें आप लोग भी शामिल थे।
आपको उनकी भावना की कद्र करनी चाहिए, लेकिन आपको आलोचना करने का अधिकार किसने दिया?

शराबंदी कानून को लेकर एक बार फिर बीजेपी हुआ हमलावर कहां जिसके घर शराब पीने से मौत हुई है उसे भेज दो जेल

शराबबंदी कानून को लेकर बीजेपी का रुख कड़ा होता जा रहा है आज फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट पर नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े करते हुए सीधे नीतीश पर हमला बोला है ।नालंदा जिले में जहरीली शराब से 11 मौतें हो चुकी हैं।

परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था। आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 11 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां संतवाना देता तो आपके लिए अपराध है।

अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबोगरीब बीमारी से मरने का कारण बताना। यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है।

दूसरे अपराधी वहां के पुलिस वाले हैं जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्रि होने दी । 10 वर्ष का कारावास इन पुलिस कर्मियों को होना चाहिए, ना कि इन्हें 2 महीने के लिए सस्पेंड करके नया थाना देना जहां वह यह सब काम चालू रख सकें।

तीसरा सबसे बड़ा अपराधी शराब माफिया है जो शराब की बिक्री विभिन्न स्थानों पर करवाता है। इस को पकड़ना भी बहुत आसान है ।इन्हीं पुलिस कर्मियों से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की जाए तो उस माफिया का नाम भी सामने आ जाएगा। शराब बेचने वाले और पीने वाले दोनों को सजा अवश्य होनी चाहिए पर यह उस हाइड्रा की बाहें हैं जिन्हें आप रोज काटेंगे तो रोज उग जाएंगे ।जड़ से खत्म करना है तो प्रशासन ,पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा।

बिहार में कोरोना का कहर जारी 5 लोगों की हुई मौत 40 हजार का आकड़ा हुआ पार

#Covid19 कोरोना को लेकर बिहार में सुनामी जारी है शनिवार को पटना में कोरोना के 2254 नए मामले मिले हैं। इसके अलावा 124 फॉलोअप की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें 417 बाहर के रहने वाले हैं जिन्होंने पटना में जांच कराई थी। पटना जिले में रहने वालों के 2254 नए मामले दर्ज हुए हैं।

पटना में शनिवार को NMCH में एक 40 साल की महिला की मौत हो गई वही एम्स में एक 12 वर्ष का बच्चा सहित चार लोगों की मौत हुई है इस तरह आज कुल पांच लोगों की मौत हुई। वहीं, IGIMS में 4 डॉक्टर, 4 नर्सिंग स्टाफ व एक अन्य की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इधर, बिहार में अगले महीने से शुरू हो रही मैट्रिक-इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले सभी किशोरों का टीकाकरण 26 जनवरी से पहले पूरा कराने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग ने रखा है।

शनिवार को पटना में कोरोना के 2254 नए मामले मिले हैं। इसके अलावा 124 फॉलोअप की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें 417 बाहर के रहने वाले हैं जिन्होंने पटना में जांच कराई थी। पटना जिले में रहने वालों के 2254 नए मामले दर्ज हुए हैं।
24 घंटे में संक्रमण के टॉप 3 जिले
पटना – 2116
मुंगेर – 298
मुजफ्फरपुर – 427

88 वर्ष पहले आज ही के दिन आया था देश का सबसे बड़ा भूकंप

आज ही दिन 88 वर्ष पहले बिहार में अभी तक का सबसे बड़ा भूकंप हुआ था रिक्टर स्केल पर 8.4तीव्रता आंकी गयी थी ,आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप की वजह से दरभंगा में 1839 लोगों की मौत हुई,

तो मुजफ्फरपुर में 1583 लोगों की. मुंगेर में मरने वालों का आंकड़ा 1260 तक पहुंचा. बिहार में कुल मिला कर इस भूकंप की वजह से 7253 लोगों की मौत हुई थी साथ ही करीब 3400 वर्ग किलोमीटर का इलाका ऐसा रहा, जिस पर भूकंप का सबसे गंभीर असर पड़ा.

दरभंगा और मुंगेर शहर का नामोनिशान मिट गया था पटना में गंगा नदी के किनारे के सभी मकान या तो गिर गये या फिर क्षतिग्रस्त हुए. गांधी मैदान के नजदीक भी यही हाल रहा. चीफ जस्टिस से लेकर कमिश्नर और एसपी तक के आधिकारिक आवासों का बुरा हाल हुआ.

पीएमसीएच को भी नुकसान पहुंचा, रोगियों को अस्पताल के वार्डो से निकाल कर खुले मैदान में रखने की नौबत आयी. बिहार सचिवालय की बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचा, खास तौर पर टावर को. टावर का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ और कुछ दिनों बाद गिर भी गया.

पटना से भी बूरा हाल दरभंगा का था जहां तत्कालीन दरभंगा जिले के राजनगर (अब जिला मधुबनी) शहर के लिए भूकंप अभिशाप रहा है. यह शहर भूकंप के केंद्र में शामिल होने के कारण इस प्राकृतिक आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ. वैसे तो राजनगर में भूकंप कई बार आया, लेकिन 15 जनवरी 1934 का भूकंप इस शहर के लिए विनाशकारी रहा था.

दोपहर के समय आये भूकंप ने राजनगर के रमेश्वर विलास पैलेस को चंद मिनटों में मलवे में तब्दील कर दिया वही कृषि विज्ञान के क्षेत्र में तब के सबसे महत्वपूर्ण संस्थान पूसा एग्रीक्लचरल इंस्टीट्यूट का कैंपस पूरी तरह तबाह हो गया.

इसी तरह राजनगर में मौजूद महाराजा दरभंगा का महल भी क्षतिग्रस्त हुआ. जहां तक सामान्य घरों का सवाल था, पूरे उत्तर बिहार में कम ही घर ऐसे बचे, जिसे किसी भी किस्म का नुकसान न हुआ हो.कांग्रेस से जुड़े देश के प्रमुख नेताओं के दौरे भी हुए. जवाहर लाल नेहरू ने करीब दस दिनों तक बिहार के भूकंपग्रस्त इलाकों का दौरा किया.

खुद महात्मा गांधी भी 11 मार्च को पटना पहुंचे. उसके बाद राजेंद्र बाबू के साथ वो लगातार भूकंपग्रस्त इलाकों में घूमते रहे, राहत कार्यो का जायजा लेते रहे. गांधी 20 मई तक बिहार में रहे. खास बात ये रही कि गांधी ने इस भूकंप को छुआछूत के खिलाफ भगवान के कहर के तौर पर गिनाया.

सम्राट अशोक को लेकर सियासी घमासान जारी जदयू ने एक बार फिर बीजेपी पर साधा निशाना

सम्राट अशोक को लेकर जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं है आज जदयू ने एक बार फिर दया प्रकाश सिन्हा पर हमला करते हुए सरकार से साहित्य अकादमी वापस लेने की मांग की है।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सम्राट अशोक के संदर्भ में उपजे तथाकथित विवाद का राजनैतिक संदर्भ से महत्‍वपूर्ण वैचारिक संदर्भ है ।

विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक राष्‍ट्रीय अस्मिता, राष्‍ट्रीय‍ प्रतीक चिन्‍ह व भारतीयों के आत्‍मसम्‍मान से जुड़ा हुआ मसला है ।

पुस्‍तक के लेखक ने इतिहास को मिथक और मिथक को इतिहास बनाने की जो साजिश की है, उसके बचाव में आना विचारधारा की लड़ाई का अंग हो सकता है लेकिन राजनैतिक गठबंधन का नहीं ।

सम्राट अशोक पर आधारित नाट्य के भूमिका को पृष्‍ठ संख्‍या- 25 में ‘‘कामाशोक, चंडाशोक और धम्‍माशोक एक के बाद एक नहीं आये । वे तीनों, उसके शरीर में एक साथ, लगातार, जीवनपर्यन्‍त जीवित रहे । वह कामाशोक केवल नवायु में ही नहीं था । देवी के बाद उसके अन्‍त:पुर में पांच सौ स्त्रियाँ, फिर उसकी घोषित पत्नियाँ-असंधमित्ता, पद्मावती और कारुवाकी ! फिर वृद्धावस्‍था में तिष्‍यरक्षिता ! वह आजीवन काम से मुक्ति नहीं पा सका’’ (संदर्भ ‘सम्राट अशोक’ )

साथ ही साथ नाट्य के दृश्‍य-10 ‘अशोक-तिष्‍यरक्षित’ संदर्भ में जिसरूप में पेश किया गया है, वह किसी रूप से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है । (संदर्भ ‘सम्राट अशोक’)

ऐसे लिखने वाले को सम्राट अशोक के नाम पर ‘साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार 2021’ दिया जाना ही सम्राट अशोक के प्रति अपमान एवं तिरस्कार का भाव दिखाता है ।

राजनैतिक बयान से महत्‍वूपर्ण यह है कि जिस लेखक ने सम्राट अशोक की गरिमा पर अपने नाट्क के माध्‍यम से अपमान किया है उस व्‍यक्ति से विभिन्‍न अवार्ड वापसी मुहिम में साथ दें ।

हालांकि कल बीजेपी के पूर्व उप मुख्यमंत्री ट्टीट करके सम्राट अशोक को लेकर जारी सियासत को बंद करने का आग्रह किया था और एनडीए के घटक दलों से बयानबाजी बंद करने को कहा था उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। 86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं।उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई।

दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू मेंं जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।

दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया। यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है। साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं।

सम्राट अशोक का भाजपा सदा सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था। 2015 में भाजपा ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते।

अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मान्तरण की एक भी घटना नहीं हुई।
वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है।
सुशील मोदी के सफाई के बावजूद आज जदयू ने बयान जारी कर नया सियासी बवाल खड़ा कर दिया है ।

नालंदा में जहरीली शराब पीने से छह लोगों के मौत की खबर प्रशासन सकते में

सिर मुड़ाते ही ओले पड़े, जी हां, नीतीश कुमार के शराबनीति पर बीजेपी के हमालवर रुख का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि नीतीश कुमार के गृह जिले से ही जहरीली शराब पीने से 4 लोगों की मौत हो गई है वही दो की हालत गंभीर है यह घटना जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी और पहाड़ तल्ली मोहल्ला की है। मरने वालों में 55 वर्षीय भागो मिस्त्री, 55 वर्षीय मन्ना मिस्त्री, 50 वर्षीय धर्मेंद्र उर्फ नागेश्वर और 50 वर्षीय कालीचरण शामिल हैं। वहीं, मानपुर थाना क्षेत्र के प्रभु विगहा गांव के रामरूप चौहान और शिवजी चौहान की भी मौत हुई है। दोनों की उम्र 45 साल से ऊपर है।

मौत की सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद के बाद सदर DSP डॉ शिब्ली नोमानी ने मौके पर पहुंच कर परिजन से जानकारी ली। नालंदा डीएम ने जहरीली शराब से मौत की पुष्टि कर दिया है ।

मृतक की पत्नी ललिता देवी ने बताया, ‘रात में पति को बेचैनी महसूस हुई। इसके बाद पानी पीने का दिया। अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में उनकी मौत हो गई। उसने गांव में बिक रही शराब पी थी।’ मन्ना मिस्त्री की बेटी प्रीति देवी ने बताया, ‘पिता जी बाहर से शराब पीकर आए थे। उनके सिर में दर्द हुआ। दवा दी, थोड़ी देर बाद उनकी मौत हो गई। वह अक्सर शराब पीकर आते थे। कई बार तो घर में भी पीते थे।’

संकट में सरकार नीतीश हुए मौन

संकट में है सरकार नीतीश हुए मौन
जदयू और भाजपा के बीच पहली बार ऐसा लग रहा है कि सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है जिस तरीके से जदयू के एक साधारण से प्रवक्ता के बयान पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का जिस तल्खी से बयान आया है वो दिखा रहा है कि बीजेपी अब जदयू के दबाव में काम करने को तैयार नहीं है । ऐसी स्थिति में आने वाले समय में नीतीश कुमार को बीजेपी से सरकार के संचालन के स्तर पर भी चुनौती मिलने वाली है ये साफ दिखने लगा है और अब तय नीतीश कुमार को करना है ।

वैसे जानकार कह रहे हैं कि यूपी में सीट बंटवारे के साथ साथ बिहार विधान परिषद के चुनाव में सीट को लेकर जदयू जो चाह रही है उसको ना तो योगी महत्व दे रहे हैं और ना ही बिहार बीजेपी झुकने को तैयार है। रिश्ते कितने कटु हो गये हैं यह संजय जायसवाल के फेसबुक पोस्ट से समझा जा सकता है हालांकि बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि सम्राट अशोक वाले मामले में बीजेपी घिरती जा रही थी उससे ध्यान भटकाने के लिए संजय जायसवाल आगे बढ़ कर नीतीश के शराब नीति पर सवाल खड़ा कर हमला बोला है ताकि बिहार में सम्राट अशोक के सहारे जिस डिस्कोर्स चलाने कि कोशिश हो रही थी उसका असर यूपी के चुनाव पर भी पड़ सकता था इसलिए संजय जायसवाल ने इस तरह का बयान दिया है।

लेकिन सवाल यह है कि जिस तरीके से संजय जायसवाल ने शराब नीति पर सवाल खड़ा किया है उस स्थिति में नीतीश के पास अब विकल्प क्या है, क्यों कि शराबबंदी की समीक्षा को लेकर जो बैठक हुई थी उस बैठक में बीजेपी के तमाम मंत्री शराबबंदी कानून की समीक्षा के पक्ष में थे और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने तो शराबबंदी कानून पर ही सवाल खड़े कर दिये थे लेकिन समीक्षा बैठक में बीजेपी के मंत्री के विरोध के बावजूद नीतीश अपने फैसले पर डटे रहे ।

लेकिन शराबबंदी कानून को लेकर बीजेपी की क्या सोच है यह अब सार्वजनिक हो गयी है वैसे सब की नजर सीएम के कोरोना रिपोर्ट पर टिकी है कहां ये जा रहा है कि कोरोना के बहाने ही सही सीएम हाउस में बड़ी सियासी खिचड़ी पक रही है क्यों कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सीएम के कोरोना पॉजिटिव होने कि खबर आने के बाद जदयू नीतीश के शीघ्र स्वस्थ होने को लेकर पूरे प्रदेश में पूजा पाठ और हवन करवा रही है और इसकी शुरुआत भी पार्टी के प्रवक्ताओं के द्वारा किया गया है सब को पता है कि यह प्रवृत्ति नीतीश को पसंद नहीं है तो फिर यह पूजा पाठ और हवन कराने के पीछे सियासी खेल क्या है क्यों कि ऐसा भी नहीं है कि सीएम सख्त बीमार हैं इसलिए पिछले 72 घंटों के दौरान बीजेपी और जदयू के बीच जो जुबानी जंग चल रहा है उसका कोई निहितार्थ नहीं है ऐसा नहीं है।

बीजेपी और जदयू के बीच घमासान शराबबंदी कानून के सहारे बीजेपी का नीतीश पर बड़ा हमला

बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज के सहारे शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार पर सीधे हमला बोला है ।अपने पोस्ट में यहां तक कह दिया है कि शराबबंदी कानून पूरी तौर पर विफल है और इस वजह से आम लोग दशहत में है यह कानून अंग्रेजी हूकूमत की याद ताजी कर दी है।

संजय जायसवाल का यह पोस्ट संकेत है कि बिहार की राजनीति में बड़ा बवंडर आने वाला है क्यों कि जदयू का प्रवक्ता बिना सीनियर नेता के अनुमति के बगैर एक शब्द भी नहीं बोल सकते हैं

जरा आप भी पढ़िए संजय जायसवाल में अपने फेसबुक पेज पर लिखा क्या है —मेरी प्रवृत्ति नहीं है कि मैं अपने ऊपर किए गए व्यक्तिगत आरोपों का जवाब दुँ।

आज मुझे पता चला कि जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा जी मेरे लोकसभा क्षेत्र में जहरीली शराब के कारण हुए मृत्यु मे, मेरे जाने पर मुझसे जवाब मांग रहे हैं । जदयू के प्रवक्ता का मुझसे सवाल करना बताता है कि यह सवाल जदयू के द्वारा है क्योंकि प्रवक्ता दल की बातें रखता है अपनी व्यक्तिगत नहीं ।

मैं माननीय अभिषेक झा जी को बता दूं की मैं जहरीली शराब से हुई मौतों के परिवारजनों के घर गया था और अगर भविष्य में भी कभी मेरे लोकसभा क्षेत्र में इस तरह की दुर्घटना घटेगी तो मैं हर हालत में जाऊंगा और आर्थिक मदद भी करुँगा । अगर कोई व्यक्ति जहरीली शराब से मरता है तो उसने निश्चित तौर पर अपराध किया है पर इससे प्रशासनिक विफलता के दाग को बचाया नहीं जा सकता और जब मैं इस शासन के एक घटक का अध्यक्ष हूं तो यह मेरी भी विफलता है।

मैं उन गरीबों से इंसानियत के नाते मिलने गया था। मैं अच्छे से जानता हूं कि मरने वालों ने अपराध किया है इसलिए सरकार द्वारा उन्हें किसी प्रकार की मदद संभव नहीं थी । उन सभी परिवारों को अंतिम क्रियाकर्म में थोड़ी सी मदद करने का काम मैंने किया है क्योंकि गुनाहगार मरने वाले थे ना कि उनके परिवारजन।

वैसे भी मैं अभिषेक झा जी को याद दिला दुँ कि मैंने संपूर्ण मीडिया के सामने कहा था कि शराबबंदी कानून की पुनः समीक्षा होनी चाहिए। मैं 100% शराबबंदी का समर्थक हूं और मानता हूं कि शराब बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है जो पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है ।

फिर भी मैं यह मानता हूं कि जिस श्रेणी का अपराध हो सजा उसी श्रेणी की होनी चाहिए।
दिल्ली से कोई परिवार दार्जिलिंग छुट्टियां मनाने जा रहा है और उसके गाड़ी में बिहार में एक बोतल शराब पकड़ी गई और उस परिवार की गाड़ी नीलाम हो जाती है। ऐसी कम से कम 5 घटनाएं मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं ।10 वर्ष के जेल का प्रावधान केवल उन पुलिस अधिकारियों के लिए होना चाहिए जिन्होंने माननीय नीतीश कुमार जी के इतने अच्छे सामाजिक सोच को नुकसान पहुंचाया है।

अगर मेरी बात समझ में नहीं आ रही हो तो मीडिया की दुनिया से बाहर जाकर अपने पंचायत के किसी भी आम व्यक्ति से संपर्क कर लें। आपको शराबबंदी और पुलिस की भूमिका अच्छे से समझ में आ जाएगी।

सम्राट अशोक राष्ट्रीय गौरव, लेखक की सफाई के बाद बंद होनी चाहिए बयानबाजी -सुशील कुमार मोदी

सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है।

86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं। उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई।

दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू मेंं जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए।

दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया। यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है।

साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं। सम्राट अशोक का भाजपा सदा सम्मान करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था।

2015 में भाजपा ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनायी और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

.हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते।

अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मान्तरण की एक भी घटना नहीं हुई।
वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है।

कमाल खान को रवीश की श्रद्धांजलि

जो भी टीवी देखता है, जो भी टीवी का दर्शक है वह जानता है कि कमाल खान कौन हैं. अपनी पत्रकारिता में वे किस तरह की शख्सियत रहे हैं .उन सभी करोड़ों दर्शकों के लिए, उनके सहयोगियों के लिए, परिवार के लिए तो बहुत दुखद खबर है ही . यकीन करना भी मुश्किल हो रहा है कि कमाल हमारे बीच में नहीं हैं. कमाल के बारे में बहुत सारी बातें की जा सकती हैं लेकिन इस वक्‍त ऐसा सदमा लगा है इस खबर से कि न तो कुछ याद आ रहा है, न कुछ समझ में आ रहा है कि उनके बारे में क्‍या कहा जाए. हर किसी के पास एक अलग-अलग कमाल खान हैं उनकी रिपोर्टिंग की अपनी यादें हैं. उन्‍होंने इस पेशे में जो अब बेहद खराब हो गया है और शर्मनाक पेशा हो गया है. आज टेलीविजन इससे बुरा तो कभी दुनिया में नहीं हुआ होगा जितना खराब इस देश में हो गया है. इसमें कुछ लोग हैं जो दिए की तरह टिमटिमा रहे थे, दिखाई दे रहे थे कि हां, यहां से भाषा, शराफत, शऊर को हासिल किया जा सकता है, यहां से ये चीजें बची हई नजर आती हैं।

इस कीचड़ हो चुकी चैनलों की दुनिया में वे कमल की तरह कमाल तरीके से खिले नजर आ रहे थे. जो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन किसी को मुगालता नहीं होना चाहिए कि केवल माइक पकड़ लेने से, चैनल से जुड़ जाने से कोई कमाल खान बन जाता है. जब हम अपनी रिपोर्टिंग शुरू कर रहे थे तो कमाल के बारे में सुनते थे कि वे सफर में जाया करते थे तब अपनी गाड़ी में बहुत सी किताबें लेकर जाते थे. चार लाइन की स्क्रिप्‍ट लिखने के लिए वे कई बार घंटों लगा दिया करते थे. उन किताबों को पढ़ते थे, अपना रिफरेंस चुनते थे और बड़ी मेहनत के साथ] अपनी स्क्रिप्‍ट लिखते हैं. अब इस तरह की मेहनत की कद्र नहीं है. इस पेशे में ऐसे बहुत से लोग रहे जिन्‍होंने इस पेशे को खड़ा किया, जिन्‍होंने इसे देखने लायक बनाया, उसमें कमाल खान एक मजबूत बुनियाद के तौर पर हैं. इसके लिए उन्‍होंने कड़ी मेहनत की।

अगर आप उनकी स्क्रिप्‍ट देखेंगे तो पता चलेगा कि कमाल खान होने का मतलब क्‍या होता है. यह हवा में कोई नहीं बन जाता है. एक-एक शब्‍द उन तस्‍वीरों के साथ, जिस समाज में वे बात कर रहे हैं जिस दायरे में से वे आ रहे हैं, इन सबके बीच कमाल खान एक खिड़की सी खोल देते थे कि भाषा, शराफत और शऊर की एक ऐसी भी दुनिया हो सकती है, जहां पर बहुत सी तल्‍ख बातें बहुत हल्‍के तरीके से कही जा सकती हैं. इस मकसद से कुछ गलत है तो उसे ठीक किया जाए और सभी की बेहतरी के लिए इसे ठीक किया जाए. कमाल ने अपनी जिंदगी के जो पल गुजारे हैं, उनके बारे में उनकी पत्‍न्‍नी और बच्‍चे ही बेहतर बता सकते है. कई बार लोग नहीं समझते हैं कि टीवी में अच्‍छा पत्रकार होना कितना मुश्किल काम है. कमाल खान होने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है. यह भी देखिए कि वे कि लखनऊ से आते, जिसकी तहजीब को लेकर कई किस्‍से हैं, किताबें है, इन सब के बीच कमाल खान भी तहज़ीब की एक अलग किताब की तरह थे.

काफी उम्र भी हो गई थी मगर शरीर को फिट भी रखते थे. उन्‍होंने बेहतरीन काम किया. कल तक ग्रुप में लिख रहे थे. उनका लिखने का अंदाज ऐसा था कि कई बार हंसी छूटती थी. कई बार समझ नहीं आता था कि कमाल साहब मजाक कर रहे हैं या गंभीरता से बात कर रहे हैं. कल मैं छुट्टी पर था तबीयत ठीक नहीं थी. कमाल की तबीयत के बारे में यह अंदाजा नहीं था. मैं सोचता कि उन्‍होंने अपने को फिट रखा है उनसे कुछ सीखना चाहिए लेकिन यह मौका नहीं मिला.

कल हमारे सहयोगी अनुराग द्वारी ने बताया कि उन्‍हें भोपाल में मुख्‍यमंत्री की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में नहीं बुलाया गया, उन्‍हें बुरा लगा. मैं अनुराग से कह रहा था कि आप धीरज रखिए. अगर सीएम आपको नहीं बुला रहे तो यह उनका हल्‍कापन है. आजकल की सरकारें ऐसी हो गई हैं जो जनता के बीच, जनता के सहयोग से इस मीडिया को खत्‍म करने में लगी हैं. मैंने अनुराग से यही कहा कि कमाल खान साहब को यह सब भुगतना पड़ता है, उनसे बात करके देखते हैं कि अगर वे बोलना चाहें तो आपकी बात को लेकर प्राइम टाइम पर दिखा सकता हूं। और यह सब लोगों को जानना चाहिए कि आप काम के दौरान कितनी बातों को झेलते हैं. क्‍या देश को इन बातों से शर्म आनी बंद हो गई है.

कमाल खान के बारे में मैं रात तक बोल सकता हूं. जितनी शिद्दत से और समझदारी से उन्‍होंने अयोध्‍या की रिपोर्टिंग की है पिछले 20-25 साल में तो सब जाकर देखने लायक है कि वे किस तरह के हिंदुस्‍तान के बारे में आवाज दे रहे थे. जब कमाल अपनी रिपोर्टिंग में लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह का उदाहरण देते थे कि ‘हजरत जाते हैं लंदन, कृपा करो रघुनंदन’…तो कमाल उस हिंदुस्‍तान को आवाज दे रहे थे, कि सभी तो इसी की मिट्टी से निकले हैं। लेकिन नफरत की ऐसी आंधी चली कि उनके जैसा पत्रकार अपने को हाशिये पर महसूस करने लगा था. वे अपने आपको रोकने लगते थे कि ऐसी खबर करूंगा तो लोग यकीन करेंगे या नहीं. फिर लोग कहेंगे कि कमाल खान के अलावा कुछ और है इसलिए उन्‍होंने यह स्‍टोरी की. समाज और सरकार ने कमाल के पास किस तरह का माहौल बनाया था, हमें यह भी देखना पड़ेगा. उस माहौल में कमाल खान किस तरह अपनी रिपोर्टिंग कर रहे हैं, किस तरह से लिख रहे हैं कि बात पहचान पर न आए, मजहब पर न आए और बात पत्रकारिता की हो. इस हालात में इतने बड़े देश में चार, पांच, दस पत्रकार बच गए और वे इतनी मुश्किल से गुज़र रहे हैं, क्या किसी को शर्म नहीं आती है?

ये मुख्‍यमंत्री स्‍तर के लोग अपने आप को क्‍या समझने लगे हैं कि पत्रकारों को प्रेस कान्‍फ्रेंस से बाहर रखें. दिन भर से ये गोदी मीडिया के बीच में बैठे रहते हैं. इन सबके बीच लखनऊ में कमाल स्‍तंभ के रूप में खड़े रहे. हम उनके दिन और रात की तकलीफों को नहीं जानते. लखनऊ जो बदल गया, उसमें कोई कमाल खान कैसे बचा हुआ है? उनकी चिंताएं किस तरह की रहीं, हम नहीं जानते. यह सामान्‍य नुकसान नहीं है. आप समझ नहीं सकते कि कितने लोगों के दिल में, जेहन में कमाल बसे हुए हैं, उनकी रिपोर्टिंग की यादें बसी हुई हैं. आप क्‍या रिपोर्टिंग देखेंगे, आपको बोलने का तरीका बदल जाएगा, इसलिए वे कमाल खान हैं. इस उम्र में भी उन्‍होंने अपने को दुरुस्‍त-तंदुरुस्‍त रखा , यह यकीन के बाहर कि बात है कि उन्‍हें ऐसा हुआ. उन्‍हें कोरोना भी हुआ वे ठीक भी हुए इसके बाद भी काम करते रहे. जो भी अच्‍छी पत्रकारिता को समझने वाले दर्शक देश में बचे हैं जो दो चार सहयोगी पत्रकार जो समझते हैं कि कमाल खान का होना क्‍या है वे जानते हैं कि उनका जाना कितना बड़ा नुकसान हैं. बाकी सबके लिए यह औपचारिकता है।

कोराना का कहर दूसरे लहर से भी बड़ा खतरे का संकेत सरकार ने बुलाई आपात बैठक

#Covid19 बिहार में कोरोना की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और ये स्थिति रही तो दूसरे लहर से भी खतरनाक हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।

बिहार में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के 6541 नए मरीज मिले है. इनमें राजधानी पटना में सबसे ज्यादा 2116 कोरोना संक्रमित पाए गए है.

पटना में संक्रमण की रफ्तार हर दिन रिकॉर्ड तोड़ रही है। यहां कोरोना की जांच कराने वाला हर चौथा इंसान संक्रमित है। 24 घंटे में हुई 9882 लोगों की जांच में 2275 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।

इससे संक्रमण की दर अब तक की सबसे अधिक 23.02 प्रतिशत हो गई है। बिहार में 24 घंटे में 6541 नए मामले आए हैं। इनमें पटना में 2116, मुंगेर में 298, मुजफ्फरपुर में 427 नए मामले आए हैं। जिससे संक्रमण की दर अब 3.51 प्रतिशत हो गई है।

पटना में कुल 2116 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है हालांकि, 24 घंटे में राज्य के 3671 संक्रमितों ने कोरोना को मात दी है। इसके बाद भी एक्टिव मामलों का आंकड़ा कोई बहुत कम नहीं हुआ है, राज्य में अभी भी 31,374 एक्टिव मामले हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी संक्रमित हो गए हैं।

वह होम आइसोलेट रहेंगे। पटना में कुल 2116 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
वही तीसरी लहर में 30 दिसंबर से अब तक राज्य के 590 से अधिक डॉक्टरों और 5,000 से अधिक हेल्थ वर्करों को संक्रमित कर चुका है।

पटना AIIMS, IGIMS से लेकर PMCH और NMCH में रोज डॉक्टर पॉजिटिव हो रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ रहा है। IMA का मानना है कि अगर हेल्थ वर्करों के संक्रमित होने की यही रफ्तार रही तो आगे मरीजों को इलाज मिलने में परेशानी हो सकती है।

उड़ान पर मौसम का असर एक दर्जन से अधिक फ्लाइट हुआ कैंसिल

आज पटना का मौसम साफ है इस कारण पटना एयरपोर्ट पर शुरूआत की फ्लाइट्स टाइम पर आईं और वापस भी गईं। लेकिन दिल्ली, मुम्बई और बेंगलुरु की कुछ फ्लाइट्स कैंसिल होने की वजह से इन शहरों को जाने वाली कुछ फ्लाइट्स कैंसिल हुई है ।

अरावइल और डिपार्चर को मिलाकर आज कुल 12 फ्लाइट्स कैंसिल की गई है। इसमें दिल्ली की 8, बेंगलुरु की 2 और मुम्बई की 2 फ्लाइट शामिल है। वहीं, बेंगलुरु से आने वाली 1 फ्लाइट लेट हुई है। जबकि, डिपार्चर में दिल्ली व बेंगलुरु की 1-1 फ्लाइट रिशिड्यूल हुई है।

अराइवल में कैंसिल हुई फ्लाइट
सुबह 10:40 की दिल्ली से आने वाली G8-143
दोपहर 1:10 पर दिल्ली से आने वाली G8-131
दोपहर 1:45 पर मुम्बई से आने वाली G8-351
दोपहर बाद 3:00 बजे दिल्ली से आने वाली SG-2043
दोपहर बाद 3:25 पर बेंगलुरु से आने वाली AI-573
दोपहर बाद 3:35 की दिल्ली से आने वाली G8-231
लेट आने वाली फ्लाइट
बेंगलुरु से आने वाली G8-274 दोपहर 2:10 की जगह 3:10 बजे तक आएगी।
पटना से कैंसिल हुई फ्लाइट
सुबह 11:20 पर दिल्ली जाने वाली G8-144
दोपहर 1:40 पर दिल्ली जाने वाली G8-229
दोपहर 2:20 पर मुम्बई जाने वाली G8-352
शाम 4:05 पर दिल्ली जाने वाली G8-132
शाम 4 :20 बजे बेंगलुरु जाने वाली AI-574
लेट जाने वाली फ्लाइट
दिल्ली जाने वाली दोपहर 12:50 की फ्लाइट G8-2512 आज दोपहर 2:35 पर जाएगी
बेंगलुरु जाने वाली दोपहर 2:45 की G8-273 आज 3:45 पर जाएगी

संघ का कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना

संघ सम्राट अशोक के बहाने भारत की आत्मा पर चोट पहुँचाना चाह रहा है ।
संघ की कही पे निगाहें कही पे निशाना

संघ किस तरीके से काम करती है उसके सौ वर्षो के इतिहास पर गौर करेंगे तो राम जन्मभूमि,धारा 370 ,कॉमन सिविल कोर्ट ,धर्मांतरण,जनसंख्या नियंत्रण उनका राजनीतिक एजेंडा रहा है जिसका नेतृत्व बीजेपी करती है।

लेकिन संघ का एक दर्जन से अधिक ऐसी अनुषांगिक संस्था है जो संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सोच के तहत भारतीय इतिहास ,संस्कृति और भारतीय सोच को बदलने को लेकर काम कर रही है ।जो इनका स्लीपर सेल है, जिसकी कोई पहचान नहीं है लेकिन अंदर ही अंदर उसके सहारे काम चलता रहता है।

संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में सम्राट अशोक,चाणक्य, बुद्ध, महावीर ,कबीर ,रैदास ,मीरा ,गांधी,विवेकानंद, नेहरू और अम्बेडकर जैसे शासक,राजनीतिक विचारक,समाज सुधारक ,साहित्यकार और कवि फिट नहीं बैठते हैं, उन्हें भारतीय तिरंगा और राष्ट्रगान भी पसंद नहीं है उन्हें राष्ट्र गीत भी पसंद नहीं है लेकिन वह गीत मुसलमान के भावना को ठेस पहुंचता है इसलिए उसको अपने राजनीतिक मंच से उठाता रहते है।

आजादी के बाद गांधी इनके निशाने पर हैं क्यों कि संघ के सांस्कृति राष्ट्रवाद के फैलाव में गांधीवाद बड़ा बाधक है इसी तरह नेहरु का विचार और पीएम के रूप में किया गया काम संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतिकूल है इसलिए एक रणनीति के तहत गांधी और नेहरू को भारतीय सोच से बाहर निकालने के लिए संघ बड़े स्तर पर काम कर रही है ।
भारत के आजादी के आन्दोलन में जब तक गांधी और नेहरू के योगदान की चर्चा होती रहेगी संघ अपने एजेंडे को आगे नहीं बढ़ पाएगी ।

इस तरह के काम के लिए संघ का अपना एक अलग तरीका है गांधी और नेहरू पर हमला किस तरीके से किया जा रहा है इसे आप महसूस कर रहे होगे।

लेकिन सम्राट अशोक पर हमला भी संघ के एक रणनीति का हिस्सा ही है और संघ जिस तरीके से काम करती है उसका यह पहला चरण है ।

जिस व्यक्ति ने सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से किया है वो व्यक्ति यूपी कैडर के रिटाइर आईएस अधिकारी है फिलहाल बहुत बिमार है और बड़ी मुश्किल से बात कर पा रहे हैं।

जिस नाटक में सम्राट अशोक को औरंगजेब से तुलना किया गया है उस नाटक को पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया हाल ही में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पदम श्री दिया गया।

जैसे ही सिन्हा जी का पहचान बना उनके नाटक को लेकर एक खबर प्रकाशित करवाया गया ताकि इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया आती है उसको देखा जाए । संघ का काम करने का यह तरीका है पहले किसी गुमनाम व्यक्ति से मुद्दा जनता के बीच परोसता है फिर उसको लेकर क्या प्रतिक्रिया आयी उस पर नजर रखता है ।

और सम्राट अशोक के मामले में जैसे ही तीव्र प्रतिक्रिया आयी संघ और बीजेपी दोनों दया प्रकाश सिन्हा से पल्ला झार लिया और बिहार बीजेपी एक कदम आगे बढ़ाते हुए सिन्हा जी पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया। लक्ष्य कुछ ओर है इसलिए यह खेल यही नहीं रुकेंगा देखते रहिए एक सप्ताह के अंदर उड़ीसा के किसी विद्वान के हवाले से इसी तरह की प्रतिक्रिया सम्राट अशोक को लेकर आयेगी इंतजार करिए, संघ के काम करने का यही तरीका है ।


लेकिन आपका यह सवाल स्वाभाविक होगा कि इस समय सम्राट अशोक का औरंगजेब से तुलना करने की वजह क्या है, जी है सवाल आपका लाजमी है और मौजू भी है।


ऐसा है केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जो नया संसद भवन बनया जा रहा है उसमें लोकसभा अध्यक्ष के पीछे लगा अशोक स्तम्भ और सत्यमेव जयते को हटा दिया गया है क्यों कि यह प्रतीक संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अनुकूल नहीं है और संघ के निर्देश पर यह काम किया गया है ,संसद भवन का काम अंतिम चरण में है और 2022 में इस भवन का उद्घाटन होना है ऐसे में उस समय किस स्तर तक हंगामा हो सकता है उसी को देखते हुए दया प्रसाद सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक पर लिखा गया नाटक से जुड़ी खबर चलवा कर टेस्ट ले रहा है ।

कोरोना को लेकर राज्य सरकार हुआ सख्त गंगा स्नान तक पर लगायी रोक

#Covid19 भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले तो तेजी से बढ़ ही रहे हैं, अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. पहले कोरोना से संक्रमित 10-15 मरीज हर दिन अस्पताल में आते थे, आज 35-40 मरीज अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. यानी अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या तीन गुणा तक बढ़ गयी है इसको देखते हुए पीएम मोदी ने आज देश के सभी मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ कर हालात का जायजा लिये ।वही नीतीश कुमार के कोरोना संक्रमित होने कि वजह से स्वास्थ्यमंत्री मंगल पांडेय बैठक में भाग ले रहे हैं ।

वहीकोरोना की तीसरी लहर में पहली बार ऐसा हुआ है जब मौत के आंकड़ों ने डरा दिया है। महज 3 दिनों में 16 लोगों की मौत ने वायरस को हल्के में लेने वालों के लिए बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। संक्रमण के आंकड़ों के साथ बढ़ता मौत का मामला यह संकेत दे रहा है कि कभी भी वायरस खतरनाक हो सकता है।

वही आज मुख्यसचिव ने सूबे के सभी डीएम, एसएसपी और एसपी को आदेश दिया है कि वह स्वयं या अधीनस्थ पदाधिकारियों का दल गठित कर कोरोना को लेकर जारी प्रतिबंधों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे और इसको लेकर प्रतिदिन जांच किए गए व्यक्तियों की संख्या और उनसे वसूली गई रकम को लेकर रिपोर्ट भी भेजे।यह विशेष अभियान आज से तीन दिनों तक पूरे राज्य में चलेगा वही पटना DM चंद्रशेखर ने आदेश जारी किया है कि इस बार मकर संक्रांति के अवसर पर मेला, गंगा स्नान और पतंबाजी पर रोक रहेगा जो भी इस नियम को नहीं मानेंगे उन पर कड़ी

बिहार सरकार का बाल ह्दय योजना के तहत चयनित 219 बच्चों को हो चुका है सफल सर्जरी

बाल ह्ृदय योजना के तहत और 19 बच्चे सर्जरी के लिए गए अहमदाबादः मंगल पांडेय
कोरोनाकाल में भी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं प्राथमिकताओं में हर माह अहमदाबाद भेजे जा रहे बच्चे, अब तक 219 सफल सर्जरी ।

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरानाकाल में भी राज्य सरकार द्वारा महत्वपूर्ण योजनाआें को प्राथमिकता दी जा रही है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाल हृदय योजना के तहत इस सप्ताह 8 जनवरी को राज्य के विभिन्न जिलों से चिह्नित 19 दिल में छेद वाले बच्चों को मुफ्त सर्जरी के लिए अहमदाबाद भेजा गया। विभाग की यह योजना बच्चों को न सिर्फ नया जीवन दे रही है, बल्कि उनके परिवार में एक नई उम्मीद जगा रही है। खासकर गरीब एवं मध्यम वर्ग के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है।

श्री पांडेय ने कहा कि इन बच्चों को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत सर्जरी के लिए भेजा जा रहा है। भेजने के पूर्व बच्चे और उनके अभिभावक की आरटीपीसीआर जांच करायी जा रही है। रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही इन लोगों को भेजा जाता है। पटना के इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में स्क्रीनिंग में गंभीर रूप से हृदय रोग से ग्रसित बच्चों की पहचान की गई। जिन्हें सर्जरी की आवश्यकता है, उन्हें अहमदाबाद के सत्य सांई अस्पताल भेजा गया। विभाग द्वारा हर माह दो-तीन बार बच्चों को सामूहिक इलाज के लिए भेजने की प्रक्रिया जारी है। अब तक 286 बच्चे भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 219 का सफल आपरेशन हो गया है।

श्री पांडेय ने कहा कि राज्य में हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों को निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराने के लिए बाल हृदय योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना के क्रियान्वायन के लिए आईजीआईएमएस एवं इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना को चिन्हित किया गया है। इसमें सत्य सांई हृदय अस्पताल अहमदाबाद के डॉक्टर सहयोग दे रहे हैं। इस योजना के तहत जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के आयु वाले बच्चों व किशोरों को हृदय रोग से बचाया जा सकता है।

मकर संक्रान्ति को लेकर इस बार भी एक मत नहीं हैं विद्वान

मकर संक्रान्ति, 14 जनवरी, 2022 ई :

वर्ष भर में 12 राशियों की संक्रान्तियाँ होतीं हैं। इनमें मकर संक्रान्ति से छह महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क राशि की संक्रान्ति से दक्षिणायन सूर्य आरम्भ होते हैं। उत्तरायण सूर्य में यज्ञ, देवप्रतिष्ठा आदि के लिए शुभ मुहूर्त होते हैं। ऐसी मान्यता है कि जबतक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तब तक छह महीनों के लिए देवताओं का दिन रहता है तथा दक्षिणायन सूर्य के महीनों में देवताओं की रात रहती है। अतः मकर संक्रान्ति का यह दिन देवताओं के लिए प्रातःकाल माना जाता है। दिन भर में जो धार्मिक महत्त्व प्रातःकाल का होता है, वैसा ही महत्त्व मकर संक्रान्ति का भी वर्ष भर में होता है।

इस वर्ष दिनांक 14 जनवरी की रात्रि 8.34 मिनट पर संक्रमण हो रहा है। चूँकि संक्रमण काल रात्रि में भी हो सकता है; अतः धर्मशास्त्रियों ने संक्रमण काल के आधार पर पुण्यकाल तथा पुण्याह की व्यवस्था की है।

गणित-ज्योतिष के अनुसार संक्रान्ति के पहले या बाद 8 घंटा तक सूर्य का बिम्ब उस संक्रान्ति-बिन्दु पर रहता है। अतः संक्रमण-काल से 8 घंटा पहले अथवा बाद, जब भी उदित सूर्य मिलें, पुण्यकाल माना जायेगा। इस वर्ष रात्रि 8:34 बजे संक्रमण के पूर्व दिनांक 14 को हमें सूर्य-संक्रान्ति का बिम्ब प्राप्त होगा, अतः संक्रान्ति सम्बन्धी गणित के अनुसार भी 14 को ही मनाया जाना चाहिए।

मिथिला के सभी निबन्धकारों ने एकमत से निर्णय दिया है कि आधी रात से पहले यदि संक्रमण है, तो पुण्यकाल पूर्वदिन मध्याह्न के बाद होगा तथा वह पूरा दिन पुण्याह कहलायेगा। इन सभी प्रमाणों का संकलन कर म.म. मुकुन्द झा बख्शी ने ‘पर्वनिर्णय’ में यही व्यवस्था दी है। अतः मिथिला से प्रकाशित पंचाङ्ग में दिनांक 14 को मकर संक्रान्ति माना गया है।

निर्णयसिन्धु में कमलाकर भट्ट ने मकर-संक्रान्ति के सम्बन्ध में सभी मतों को उद्धृत कर दिया है, जिनमें माधव का मत है कि यदि रात्रि में संक्रमण हो तो दूसरे दिन पुण्यकाल माना जाए। किन्तु अनन्तभट्ट के अनुसार यदि आधी रात से पूर्व संक्रमण हो तो पूर्व दिन माना जाए। इस प्रकार कमलाकर में अपना कोई निर्णय नहीं दिया है। धर्मसिन्धुकार का मत है कि रात्रि के पूर्वभाग, परभाग अथवा निशीथ में संक्रमण हो तो दूसरे दिन पुण्यकाल होगा। इस मत से दिनांक 15 को मकर संक्रान्ति होगी।

इस विषय में कमलाकर भट्ट ने भी क्षेत्रीय परम्पराओं का महत्त्व दिया है, अतः धर्मशास्त्र के अनुसार जिनकी जो परम्परा है उस दिन मनाये

लेखक–आचार्य किशोर कुणात

शराबबंदी कानून को लेकर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका कहां बेवजह कोर्ट का समय जाया ना करे

शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार के जिद्द को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है मंगलवार को राज्य के कड़े शराबबंदी कानून के तहत आरोपियों को अग्रिम और नियमित जमानत देने को चुनौती देने वाली विभिन्न अपील को यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया कि इन मामलों ने अदालतों के काम पर असर डाला है।पटना हाईकोर्ट के 14 से 15 जज केवल इन मामलों की ही सुनवाई कर रहे हैं. सीजेआई एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने बिहार सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपियों से जब्त की गई शराब की मात्रा को ध्यान में रखते हुए जमानत आदेश पारित करना सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश तैयार किए जाएं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘आप जानते हैं कि इस कानून (बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016) ने पटना हाईकोर्ट के कामकाज पर कितना प्रभाव डाला है और वहां एक मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग रहा है, सभी अदालतें शराब से संबंधित जमानत मामलों से भरी पड़ी हैं.’

राज्य सरकार के अपील को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इन मामलों में 2017 में उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई थी, इसलिए अब इसके लिए याचिकाओं से निपटना उचित नहीं होगा, चीफ जस्टिस ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि आपके हिसाब से हमें सिर्फ इसलिए जमानत नहीं देनी चाहिए, क्योंकि आपने कानून बना दिया है।

पीठ ने तब हत्या पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधान का हवाला दिया और कहा कि जमानत और कभी-कभी, इन मामलों में अदालतों द्वारा अग्रिम जमानत भी दी जाती है. पीठ ने कहा कि राज्य में इन मामलों की वजह से अदालतों का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है।पीठ ने राज्य सरकार से मुकदमे आगे बढ़ाने को कहा है, क्योंकि उसने जांच पूरी करने के बाद इन मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का बिहार में शराबबंदी कानून पर दूरगामी परिणाम सामने आयेंगा और आने वाले समय में इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्त राहत मिल सकती है ।

भाकपा माले यूपी ,उत्तराखंड और पंजाब में उतारेगा अपना उम्मीदवार

भाकपा-माले ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है । आज पटना (Patna) में भाकपा-माले (CPI-ML) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा कि और कहा कि यूपी में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ हमारी बातचीत चल रही है । हमें उम्मीद है कि यहां बीजेपी को शिकस्त देने के लिए एक व्यापक गठबंधन बनेगा ।

उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में होने वाला चुनाव काफी महत्वपूर्ण है यूपी, उत्तराखंड व पंजाब में हमारी पार्टी चुनाव लड़ेगी । यूपी में बदलाव दिख रहा है, बिहार में आकर जहां मामला फंसा था और हम जीतते-जीतते रह गए थे, उससे यूपी ने बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने कहा कि इस बार बीजेपी को कोई मौका नहीं मिलने वाला है । यहां रोजगार बड़ा मुद्दा है. यूपी में जिस प्रकार से दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों का दमन किया गया और पुलिस राज कायम किया गया, उसके खिलाफ वहां की जनता लोकतंत्र के पक्ष में अपना फैसला सुनाएगी ।

माले महासचिव ने यह भी कहा कि पंजाब के चुनाव में किसान आंदोलन की आवाज सुनी जाएगी । किसानों के मुद्दों के साथ-साथ दलितों, मजदूरों, भूमिहीन गरीबों के सवाल जबरदस्त तरीके से मुद्दे बने हैं । वहां सरकार की ओर से घोषणाएं हुई हैं, लेकिन जमीन पर काम कम हुआ है।

बिहार में कोरोना का कहरा जारी 48 घंटे में हुई 12 मौत

#Covid19 बिहार में कोरोना का कहर जारी है पिछले 24 घंटे में 6413 कोरोना के मरीज मिले हैं जिसमें पटना में सबसे ज्यादा 2014 मरीज मिले है और इसके साथ ही राज्य में एक्टिव केसों की संख्या बढ़कर 28659 हुई। वही पिछले 48 घंटे में 12 लोगों की मौत हो गयी है ।

कोरोना की तीसरी लहर में पहली बार एक साथ 7 मौत हुई है। पटना AIIMS में 67 साल की संक्रमित महिला की मौत हुई है। वह सारण की रहने वाली थी। 10 जनवरी को उन्हें AIIMS में भर्ती कराया गया था और 11 को मौत हो गई। नालंदा मेडिकल कॉलेज में मंगलवार को 3 मौतें हुई हैं। इनमें आलमगंज पटना के 70 साल के संक्रमित, जमुई के 70 साल के संक्रमित और पटना के गौर हट्‌टा के 68 साल के संक्रमित शामिल हैं।

1–हलके में ना ले कोरोना को घातक साबित हो सकता है

मौत का यह आकड़ा कोरोना की दूसरी लहर में भी शुरुआती दिनों में ऐसा ही था हालांकि इस बार की चुनौती दोहरी है। क्योंकि कोरोना के एक नहीं 2 वैरिएंट से लड़ाई है। इसमें एक डेल्टा है, जिसने दूसरी लहर में तबाही मचाई। वहीं, दूसरा ओमिक्रॉन, जो संक्रमण की रफ्तार को कम्युनिटी स्प्रेड कर दिया है। ऐसे में अब खतरा बढ़ रहा है। वैक्सीनेशन और कोरोना प्रोटोकाॅल में लापरवाही भारी पड़ सकती है। क्योंकि वायरस का कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग भी वायरस को अंडर स्टीमेट करना खतरनाक बता रहा है।

एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा ने तबाही मचा दी थी। इस बार भी वह जानलेवा है। मौत का कारण भी बन रहा है। वैक्सीनेशन नहीं कराने वालों पर इसका बड़ा असर दिख रहा है।

कोरोना पर स्टडी करने वाले पटना एम्स के ट्रामा इमरजेंसी के एचओडी डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि अगर वैक्सीनेटेड नहीं है और उसके बाद भी कोरोना को हल्के में ले रहे। बिना मास्क के सोशल डिस्टेंस भी नहीं मान रहे तो यह जान से बड़ा खिलवाड़ है। डेल्टा अभी खत्म नहीं हुआ था और वह आज भी एक्टिव है। ऐसे में 48 घंटों के दौरान 12 मौत खतरे की घंटी है।

2–प्रतिबंध के साथ लांक डाउन बिहार में जारी रहेगा

हालांकि आपदा प्रबंधन प्राधिकारी की बैठक में और सख्त प्रतिबंध लगाने और शनिवार और रविवार को पूर्ण कर्फ्यू पर विचार किया गया लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने फिलहाल जो पाबंदी लगी हुई है उसे ही जारी रखने के पक्ष थे फिलहाल बिहार में जारी रहेगी पाबंदी और जो गाइडलाइंस जारी हुआ है उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है एक सप्ताह बाद फिर बैठक होगी उस बैठक में हालात की समीक्षा के बाद आगे का निर्णय लिया जायेगा ।

कोहरा और बारिश की वजह से उड़ान सेवा पर पड़ा असर

पटना -कोहार और बादल छाये रहने के कारण आज भी उड़ान सेवा प्रभावित रहा एयरपोर्ट की और से जारी सूचना के अनुसार बुधवार को सुबह 9 बजे से लेकर शाम 7:25 बजे तक के जारी किए गए टाइम-टेबल के अनुसार आने-जाने में कुल 12 फ्लाइट कैंसिल हुई है। जिसमें 6 अराइवल की तो 6 फ्लाइट डिपार्चर की कैंसिल है। जबकि, आने-जाने में कुल 5 फ्लाइट आज रिशिड्यूल की गई है…

आने में कैंसिल हुई फ्लाइट

सुबह 9 बजे की दिल्ली से आने वाली SG-8721
सुबह 10:40 की दिल्ली से आने वाली G8-143
सुबह 11:55 पर बेंगलुरु से आने वाली G8-873
दोपहर 12:20 पर दिल्ली से आने वाली G8-2511
दोपहर 1:10 पर दिल्ली से आने वाली G8-131
दोपहर बाद 3:35 पर दिल्ली से आने वाली G8-231

इस वजह यात्रियों को खासा परेशानी हो रही है मौसम विभाग का जो पूर्वानुमान है उसके अनुसार फिलहाल तीन दिनों तक स्थिति में सुधार की सम्भावना नहीं है