Press "Enter" to skip to content

शराबबंदी कानून को लेकर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका कहां बेवजह कोर्ट का समय जाया ना करे

शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार के जिद्द को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है मंगलवार को राज्य के कड़े शराबबंदी कानून के तहत आरोपियों को अग्रिम और नियमित जमानत देने को चुनौती देने वाली विभिन्न अपील को यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया कि इन मामलों ने अदालतों के काम पर असर डाला है।पटना हाईकोर्ट के 14 से 15 जज केवल इन मामलों की ही सुनवाई कर रहे हैं. सीजेआई एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने बिहार सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि आरोपियों से जब्त की गई शराब की मात्रा को ध्यान में रखते हुए जमानत आदेश पारित करना सुनिश्चित करने के लिए दिशा निर्देश तैयार किए जाएं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘आप जानते हैं कि इस कानून (बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016) ने पटना हाईकोर्ट के कामकाज पर कितना प्रभाव डाला है और वहां एक मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग रहा है, सभी अदालतें शराब से संबंधित जमानत मामलों से भरी पड़ी हैं.’

राज्य सरकार के अपील को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इन मामलों में 2017 में उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई थी, इसलिए अब इसके लिए याचिकाओं से निपटना उचित नहीं होगा, चीफ जस्टिस ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि आपके हिसाब से हमें सिर्फ इसलिए जमानत नहीं देनी चाहिए, क्योंकि आपने कानून बना दिया है।

पीठ ने तब हत्या पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधान का हवाला दिया और कहा कि जमानत और कभी-कभी, इन मामलों में अदालतों द्वारा अग्रिम जमानत भी दी जाती है. पीठ ने कहा कि राज्य में इन मामलों की वजह से अदालतों का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है।पीठ ने राज्य सरकार से मुकदमे आगे बढ़ाने को कहा है, क्योंकि उसने जांच पूरी करने के बाद इन मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का बिहार में शराबबंदी कानून पर दूरगामी परिणाम सामने आयेंगा और आने वाले समय में इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्त राहत मिल सकती है ।

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »
More from बड़ी खबरMore posts in बड़ी खबर »
More from बिहार ब्रेकिंग न्यूज़More posts in बिहार ब्रेकिंग न्यूज़ »