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संघ का कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना

संघ सम्राट अशोक के बहाने भारत की आत्मा पर चोट पहुँचाना चाह रहा है ।
संघ की कही पे निगाहें कही पे निशाना

संघ किस तरीके से काम करती है उसके सौ वर्षो के इतिहास पर गौर करेंगे तो राम जन्मभूमि,धारा 370 ,कॉमन सिविल कोर्ट ,धर्मांतरण,जनसंख्या नियंत्रण उनका राजनीतिक एजेंडा रहा है जिसका नेतृत्व बीजेपी करती है।

लेकिन संघ का एक दर्जन से अधिक ऐसी अनुषांगिक संस्था है जो संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सोच के तहत भारतीय इतिहास ,संस्कृति और भारतीय सोच को बदलने को लेकर काम कर रही है ।जो इनका स्लीपर सेल है, जिसकी कोई पहचान नहीं है लेकिन अंदर ही अंदर उसके सहारे काम चलता रहता है।

संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद में सम्राट अशोक,चाणक्य, बुद्ध, महावीर ,कबीर ,रैदास ,मीरा ,गांधी,विवेकानंद, नेहरू और अम्बेडकर जैसे शासक,राजनीतिक विचारक,समाज सुधारक ,साहित्यकार और कवि फिट नहीं बैठते हैं, उन्हें भारतीय तिरंगा और राष्ट्रगान भी पसंद नहीं है उन्हें राष्ट्र गीत भी पसंद नहीं है लेकिन वह गीत मुसलमान के भावना को ठेस पहुंचता है इसलिए उसको अपने राजनीतिक मंच से उठाता रहते है।

आजादी के बाद गांधी इनके निशाने पर हैं क्यों कि संघ के सांस्कृति राष्ट्रवाद के फैलाव में गांधीवाद बड़ा बाधक है इसी तरह नेहरु का विचार और पीएम के रूप में किया गया काम संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतिकूल है इसलिए एक रणनीति के तहत गांधी और नेहरू को भारतीय सोच से बाहर निकालने के लिए संघ बड़े स्तर पर काम कर रही है ।
भारत के आजादी के आन्दोलन में जब तक गांधी और नेहरू के योगदान की चर्चा होती रहेगी संघ अपने एजेंडे को आगे नहीं बढ़ पाएगी ।

इस तरह के काम के लिए संघ का अपना एक अलग तरीका है गांधी और नेहरू पर हमला किस तरीके से किया जा रहा है इसे आप महसूस कर रहे होगे।

लेकिन सम्राट अशोक पर हमला भी संघ के एक रणनीति का हिस्सा ही है और संघ जिस तरीके से काम करती है उसका यह पहला चरण है ।

जिस व्यक्ति ने सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से किया है वो व्यक्ति यूपी कैडर के रिटाइर आईएस अधिकारी है फिलहाल बहुत बिमार है और बड़ी मुश्किल से बात कर पा रहे हैं।

जिस नाटक में सम्राट अशोक को औरंगजेब से तुलना किया गया है उस नाटक को पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया हाल ही में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पदम श्री दिया गया।

जैसे ही सिन्हा जी का पहचान बना उनके नाटक को लेकर एक खबर प्रकाशित करवाया गया ताकि इसको लेकर क्या प्रतिक्रिया आती है उसको देखा जाए । संघ का काम करने का यह तरीका है पहले किसी गुमनाम व्यक्ति से मुद्दा जनता के बीच परोसता है फिर उसको लेकर क्या प्रतिक्रिया आयी उस पर नजर रखता है ।

और सम्राट अशोक के मामले में जैसे ही तीव्र प्रतिक्रिया आयी संघ और बीजेपी दोनों दया प्रकाश सिन्हा से पल्ला झार लिया और बिहार बीजेपी एक कदम आगे बढ़ाते हुए सिन्हा जी पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया। लक्ष्य कुछ ओर है इसलिए यह खेल यही नहीं रुकेंगा देखते रहिए एक सप्ताह के अंदर उड़ीसा के किसी विद्वान के हवाले से इसी तरह की प्रतिक्रिया सम्राट अशोक को लेकर आयेगी इंतजार करिए, संघ के काम करने का यही तरीका है ।


लेकिन आपका यह सवाल स्वाभाविक होगा कि इस समय सम्राट अशोक का औरंगजेब से तुलना करने की वजह क्या है, जी है सवाल आपका लाजमी है और मौजू भी है।


ऐसा है केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जो नया संसद भवन बनया जा रहा है उसमें लोकसभा अध्यक्ष के पीछे लगा अशोक स्तम्भ और सत्यमेव जयते को हटा दिया गया है क्यों कि यह प्रतीक संघ के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अनुकूल नहीं है और संघ के निर्देश पर यह काम किया गया है ,संसद भवन का काम अंतिम चरण में है और 2022 में इस भवन का उद्घाटन होना है ऐसे में उस समय किस स्तर तक हंगामा हो सकता है उसी को देखते हुए दया प्रसाद सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक पर लिखा गया नाटक से जुड़ी खबर चलवा कर टेस्ट ले रहा है ।

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