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संकट में सरकार नीतीश हुए मौन

संकट में है सरकार नीतीश हुए मौन
जदयू और भाजपा के बीच पहली बार ऐसा लग रहा है कि सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है जिस तरीके से जदयू के एक साधारण से प्रवक्ता के बयान पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का जिस तल्खी से बयान आया है वो दिखा रहा है कि बीजेपी अब जदयू के दबाव में काम करने को तैयार नहीं है । ऐसी स्थिति में आने वाले समय में नीतीश कुमार को बीजेपी से सरकार के संचालन के स्तर पर भी चुनौती मिलने वाली है ये साफ दिखने लगा है और अब तय नीतीश कुमार को करना है ।

वैसे जानकार कह रहे हैं कि यूपी में सीट बंटवारे के साथ साथ बिहार विधान परिषद के चुनाव में सीट को लेकर जदयू जो चाह रही है उसको ना तो योगी महत्व दे रहे हैं और ना ही बिहार बीजेपी झुकने को तैयार है। रिश्ते कितने कटु हो गये हैं यह संजय जायसवाल के फेसबुक पोस्ट से समझा जा सकता है हालांकि बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि सम्राट अशोक वाले मामले में बीजेपी घिरती जा रही थी उससे ध्यान भटकाने के लिए संजय जायसवाल आगे बढ़ कर नीतीश के शराब नीति पर सवाल खड़ा कर हमला बोला है ताकि बिहार में सम्राट अशोक के सहारे जिस डिस्कोर्स चलाने कि कोशिश हो रही थी उसका असर यूपी के चुनाव पर भी पड़ सकता था इसलिए संजय जायसवाल ने इस तरह का बयान दिया है।

लेकिन सवाल यह है कि जिस तरीके से संजय जायसवाल ने शराब नीति पर सवाल खड़ा किया है उस स्थिति में नीतीश के पास अब विकल्प क्या है, क्यों कि शराबबंदी की समीक्षा को लेकर जो बैठक हुई थी उस बैठक में बीजेपी के तमाम मंत्री शराबबंदी कानून की समीक्षा के पक्ष में थे और उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने तो शराबबंदी कानून पर ही सवाल खड़े कर दिये थे लेकिन समीक्षा बैठक में बीजेपी के मंत्री के विरोध के बावजूद नीतीश अपने फैसले पर डटे रहे ।

लेकिन शराबबंदी कानून को लेकर बीजेपी की क्या सोच है यह अब सार्वजनिक हो गयी है वैसे सब की नजर सीएम के कोरोना रिपोर्ट पर टिकी है कहां ये जा रहा है कि कोरोना के बहाने ही सही सीएम हाउस में बड़ी सियासी खिचड़ी पक रही है क्यों कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सीएम के कोरोना पॉजिटिव होने कि खबर आने के बाद जदयू नीतीश के शीघ्र स्वस्थ होने को लेकर पूरे प्रदेश में पूजा पाठ और हवन करवा रही है और इसकी शुरुआत भी पार्टी के प्रवक्ताओं के द्वारा किया गया है सब को पता है कि यह प्रवृत्ति नीतीश को पसंद नहीं है तो फिर यह पूजा पाठ और हवन कराने के पीछे सियासी खेल क्या है क्यों कि ऐसा भी नहीं है कि सीएम सख्त बीमार हैं इसलिए पिछले 72 घंटों के दौरान बीजेपी और जदयू के बीच जो जुबानी जंग चल रहा है उसका कोई निहितार्थ नहीं है ऐसा नहीं है।

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