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पटना हाइकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश देते हुए फिलहाल रोक लगा दी

पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतरिम आदेश देते हुए फिलहाल रोक लगा दी। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने कल सुनवाई पूरी निर्णय सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने निर्देश दिया किया कि राज्य सरकार इस दौरान इक्कठी की गई आंकड़ों को शेयर व उपयोग नहीं फिलहाल नहीं करेगी।

कल कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है।कोर्ट ने ये भी पूछा है कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं।साथ ही ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या।

पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र के बाहर है।

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अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होनें ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है।ये केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है।उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पाँच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

दूसरी तरफ राज्य सरकार राज्य सरकार का कहना कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए ये सर्वेक्षण किया कराया जा रहा है।

इस याचिकाकर्ताओं की ओर से दीनू कुमार व ऋतु राज, अभिनव श्रीवास्तव ने और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया।

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