पटना हाइकोर्ट ने राज्य में अभियोजन के निदेशक और उप निदेशक की नियुक्ति में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि इन पदों पर वे ही नियुक्त हो सकते है, जिन्होंने दस या उससे अधिक वर्षों तक कानूनी प्रैक्टिस की हो। सुशील कुमार चौधरी की याचिका पर जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने 2003 के बिहार अभियोजन मेनुएल के रूल 5 में 2016 में लाए गए राज्य सरकार के संशोधन को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने संघीय कानून अनुरूप रूल बनाने का निर्देश राज्य सरकार को दिया।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने कानून में संशोधन किया, उसके अनुसार अभियोजन कैडर के अधिकारी अभियोजन के निदेशक और उप निदेशक के पदों पर नियुक्त होंगे।
उन्होंने बताया कि संसद द्वारा पारित कानून सीआरपीसी के 25 ए के तहत अभियोजन निदेशक और उप निदेशक के पदों पर उन्हें ही नियुक्त किया जा सकता है, जिन्होंने 10वर्षों या उससे अधिक वर्षों तक कानूनी प्रैक्टिस की हो।
उन्होंने बताया कि बिहार सरकार ने जो 2016 में जो नियमों में संशोधन किया, उसके तहत अभियोजन
कैडर के अधिकारी इन पदों पर नियुक्त किये जा सकते है।ये संसद द्वारा पारित कानून के विपरीत है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और अधिवक्ता रितिका रानी व राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया।