स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में भी नवजात शिशु को सुरक्षित रखने में बिहार ने उपलब्धि हासिल की है। अब राज्य की शिशु मृत्यु दर देश की शिशु मृत्यु दर से एक अंक कम हो गयी है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे ने इस साल के अक्टूबर माह में नया बुलेटिन जारी किया है। इसके अनुसार 2019 में बिहार की शिशु मृत्यु दर घटकर 29 प्रति एक हजार जीवित जन्म हो गयी है।
जबकि देश की शिशु मृत्यु दर अभी भी 30 है। पिछले वर्ष के मई माह में सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे ने जो आंकडें जारी किये थे, उसके मुताबिक 2017 में बिहार की शिशु मृत्य दर 35 थी, जो वर्ष 2018 में घटाकर 32 हुयी थी। बिहार में 10 सालों में शिशु मृत्यु दर में 23 अंकों की कमी आई है। वर्ष 2009 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 52 थी, जो वर्ष 2019 में घटकर 29 हो गयी है।
श्री पांडेय ने बताया कि स्वास्थ्य सूचकांकों को बेहतर करने में शिशु मृत्यु दर में कमी लाना जरुरी होता है। कोरोना संक्रमण की कई चुनौतियों के बाद भी बिहार सरकार ने शिशु स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सफलता दर्ज की है। बिहार की इस उपलब्धि पर नेता प्रतिपक्ष भी विशेष ध्यान दें एवं इस सफ़लता पर हर्ष जाताने से परहेज न करें।
बिहार सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में नित्य नए सुधार कर रही है। नेता प्रतिपक्ष को ऐसी उपलब्धि की प्रशंसा जरुर करनी चाहिए, ताकि बिहार के स्वास्थ्यकर्मी भी प्रेरित हो सकें।
श्री पांडेय ने कहा कि कोरोना काल की चुनौतियों के बीच नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए उनके संपूर्ण टीकाकरण एवं नियमित स्तनपान तथा पोषण जैसे कारक महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव संबंधी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं की मौजूदगी नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दिशा में किये गये विभिन्न प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य में यह स्थिति बन सकी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे गृह आधारित नवजात देखभाल एवं कमजोर नवजात देखभाल कार्यक्रम, संस्थागत प्रसव, स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट सहित आवश्यक नवजात देखभाल कार्यक्रम भी काफी प्रभावी साबित हुए हैं।