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सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई अगले बेंच के गठन होने तक टली

सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई अगले बेंच के गठन होने तक टली। सुप्रीम कोर्ट मे जज जस्टिस संजय करोल ने इस मामलें पर सुनवाई से अपने को अलग किया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय क़रोल ने पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में इस मामलें पर सुनवाई की थी।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी,जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने सम्बन्धी याचिका को रद्द कर दिया था।

साथ ही राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट द्वारा 4 मई, 2023को पारित अंतरिम आदेश को भी चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार के 3 जुलाई,2023 के पूर्व सुनवाई करने की याचिका को कोर्ट ने 9मई,2023 को सुनवाई करने के बाद खारिज कर दिया था।

इस आदेश विरुद्ध को राज्य सरकार ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर की है।पटना हाइकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही रखा। 9 मई, 2023 को सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही निश्चित किया था।

गौरतलब कि पहले 4मई,2023 को कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार इस दौरान इक्कठी की गई आंकड़ों को शेयर व उपयोग फिलहाल नहीं करेगी।

Supreme-court-on-Bihar-caste-based-survey
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पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका में ये कहा गया था कि क्योंकि पटना हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है,इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई,2023 को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है।

साथ ही कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है।इसे कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया था।

कोर्ट ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है।इस सम्बन्ध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है।

कोर्ट ने अपने 4 मई, 2023 के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है,उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया।कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य
लोगों के लिए कल्याणकारी और विकास की योजना तैयार है।इसका किसी अन्य कार्य के लिए कोई उद्देश्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की इस याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस बी आर गवाई और जस्टिस संजय करोल के बेंच का गठन किया गया था।लेकिन चूंकि जस्टिस संजय करोल ने इस मामलें की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

अतः इस मामलें की सुनवाई के लिए फिर बेंच गठित होने के बाद सुनवाई की जाएगी।

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