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जहरीली शराब से मौत दुखद, दोषियों को मिले फाँसी की सजा

सुशील कुमार मोदी

  1. बिहार के गोपालगंज सहित तीन जिलों में जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों के मरने की अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद प्रशासन को दोषियों की पहचान कर तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
    ऐसे मामले में स्पीडी ट्रायल के जरिये मौत के सौदागरों को फाँसी की सजा दिलायी जानी चाहिए।
  1. वर्ष 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्ना में जहरीली शराब से 19 लोगों की मृत्यु के बाद दोषी पाए गए 9 को फाँसी और 4 महिलाओं को उम्र कैद की सजा सुनायी गई थी।
    ऐसी घटना में मृतक के परिवार का कोई दोष नहीं होता, इसलिए सरकार ने उस समय हर आश्रित परिवार को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा दिया था।
    इस बार भी सरकार को पीड़ित आश्रितों को 4 – 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का विचार करना चाहिए।
  2. जहरीली शराब से मौत की घटनाएँ उन राज्यों में भी हुईं, जहां मद्यनिषेध लागू नहीं है, इसलिए ऐसी दुखद घटनाओं के बहाने शराबबंदी हटाने की दलील नहीं दी जानी चाहिए।
    बिहार की जनता और विशेष कर आधी आबादी ने शराबबंदी को सहर्ष स्वीकार कर लिया है।
  3. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र भाई मोदी ने मद्यनिषेध लागू रखा और बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पाड़ित महिलाओं की एक आवाज पर इसे सख्ती से लागू किया।
    शराबबंदी लागू होने से घरेलू हिंसा और स्कूल-कालेज जाने वाली लड़कियों पर भद्दी छींटाकशी की घटनाएँ काफी कम हुईं।
    राज्य सरकार को शराबबंदी के फैसले पर दृढ रहना चाहिए।
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