जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने पटना हाईकोर्ट द्वारा जातीय सर्वेक्षण के मामलें में 1 अगस्त, 2023 को दिये फैसले के खिलाफ गैर-सरकारी संगठन (NGO) ‘एक सोच एक प्रयास’ की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया कि इसी मुद्दे पर सुनवाई वाली अन्य याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं हैं। उन्होंने पीठ से मामले की सुनवाई 11 अगस्त या 14 अगस्त को करने का अनुरोध किया। वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी मामले की सुनवाई 14 अगस्त को करने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने सहमति जताई।
NGO ‘एक सोच एक प्रयास’ की याचिका के अलावा एक अन्य याचिका नालंदा निवासी अखिलेश कुमार ने दायर की है। इसमें दलील दी गई है कि इस कवायद के लिए राज्य सरकार की अधिसूचना संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार केवल केंद्र सरकार ही जनगणना कराने का अधिकार रखती है।
इससे पहले पटना हाईकोर्ट अपने फैसले में जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को रद्द कर दिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि पटना हाईकोर्ट के इस मामलें में दिये गये फैसला का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
इसके पूर्व राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केवियट दायर कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि इस सम्बन्ध में कोई आदेश पारित करने के पहले राज्य सरकार का भी पक्ष सुना जाये।राज्य सरकार ने पटना हाईकोर्ट के जातीय सर्वेक्षण के सम्बन्ध में आदेश आने के बाद बड़ी जोर शोर से पुनः जातीय सर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ कर दिया है ।
इससे पूर्व पटना हाईकोर्ट ने मई,2023 में राज्य सरकार द्वारा जातीय सर्वेक्षण कराये जाने पर अंतरिम रोक लगा दी थी।इसके बाद राज्य सरकार द्वारा कराये जा रहे जातीय सर्वेक्षण पर तत्काल विराम लग गया।
पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने 3 जुलाई,2023 से 7 जुलाई,2023 तक पांच दिनों की लम्बी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा।1अगस्त,2023 को पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जातीय सर्वेक्षण को सही ठहराते हुए इसके विरुद्ध दायर सभी याचिकायों को ख़ारिज कर दिया।
पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी है।इस मामलें पर सुप्रीम कोर्ट में शीघ्र सुनवाई किये जाने की संभावना है ।