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नीतीश कुमार को गुस्सा क्यों आता है

भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार की पहचान एक कुशल प्रशासक के साथ साथ सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव के रूप में रही है लेकिन हाल के दिनों में नीतीश कुमार के स्वभाव में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है । विधानसभा सत्र को लेकर आयोजित एनडीए विधायक दल की बैठक में शराबबंदी को लेकर बीजेपी की एक महिला विधायक द्वारा सुक्षाव दिये जाने पर नीतीश कुमार जिस भाषा का इस्तेमाल किये वो कभी भी नीतीश कुमार के छवि के अनुरूप नहीं था।   ये अलग बात है कि नीतीश कुमार जिस अंदाज में महिला विधायक को अपमानित किये और बीजेपी के विधायक प्रतिकार नहीं कर पाये लेकिन नीतीश कुमार के इस आचरण को लेकर कल पूरे दिन विधानसभा में काना फूसी चलता रहा और नीतीश कुमार के आचरण में आये इस बदलाव को लेकर लोग हैरान थे ।        

नीतीश को गुस्सा क्यों आता है

             

वही विधानसभा परिसर से शराब की बोतल मिलने की खबर के बाद नीतीश कुमार की जो प्रतिक्रिया आयी वो भी हैरान करने वाली थी ।शराबबंदी को लेकर उस तरह का आन्दोलन देश स्तर पर कभी  नहीं हुआ जैसा आंदोलन दिल्ली में निर्भया के साथ बलात्कार की घटना के बाद हुई थी। पूरा देश सड़क पर था कड़े कानून बने क्या उसके बाद बलात्कार होना बंद हो गया या फिर बलात्कार की घटनाओं में कमी आ गयी नहीं ना,ये तो मसला शराबबंदी से जुड़ा हुआ है और यह अपराध भी बलात्कार और हत्या जैसी संगीन अपराध की श्रेणी में नहीं आता है तो फिर इतनी सक्रियता क्यों याद करिए शराब पीने से हुई मौत मामले में नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया कितनी आपत्ति जनक थी ।                      

ये सही है कि बिहार की महिलाएं अभी भी जाति ,धर्म और मजहब की दीवारों को तोड़कर नीतीश कुमार को वोट करती है लेकिन यह भी सच्चाई है कि तीसरे चरण के चुनाव में लालू के जंगलराज का भय नहीं दिखाते तो 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए की हार तय थी ।    

वही 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण  में महिला वोटर भी नीतीश का साथ छोड़ दिया था वो भी साफ दिख रहा है नीतीश कुमार को उन वजहों पर मंथन करना चाहिए कि ऐसी कौन सी चूक हुई जो बिहार की सबसे बड़ी पार्टी होने के साथ साथ बिहार की जनता के दिल पर राज करने वाले नीतीश तीसरे नम्बर पर चले गये ।      

मसला शराब ही नहीं है, मसला भ्रष्टाचार है, मसला अफरशाही है ,मसला बेरोजगारी है ,मसला आपकी राजनीतिक शैली भी है आप पर से लोगों का भरोसा उठ गया है कब किसका साथ छोड़ देंगे कब किसके साथ चले जायेंगे कहना मुश्किल है ।                

राजनीति कितनी भी गद्दी क्यों ना हो आज भी विचारों का महत्व है जो आप खो चुके हैं ऐसे में आपकी ताकत सुशासन और विकास है जिसके सहारे आने वाले समय में बिहार की राजनीति में आप बने रह सकते हैं। इसके लिए आपको मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलना होगा ।   आपके जो चहेते अधिकारी है उससे आपको बाहर निकलना होगा क्यों कि 15 वर्षो के दौरान वो सारे अधिकारी भी फील्ड से दूर है  जिस वजह से जमीन पर क्या बदलाव हो रहा है उसकी अब समझ नहीं रही इसका असर भी आपके कामकाज पर साफ दिख रहा । चंचल कुमार दिल्ली जा ही रहे हैं कुछ और अधिकारी जो लम्बे समय से आपके साथ है उनकी जगह जिले में तैनात यंग आईएएस अधिकारियों को मुख्यमंत्री सचिवालय में जगह दीजिए बहुत सारी बातें आपके समझ में भी आयेंगी क्यों कि बिहार के यूथ के स्वभाव और सोच में क्या बदलाव आया है उससे शायद आप भी परिचित नहीं है ।                       

आपकी राजनीतिक टीम भी 74 आन्दोलन से बाहर का नहीं है जबकि बिहार का यूथ भी अब 21 सदी का सोच रखने लगा है ऐसे में आप अपने टीम में युवा और महिलाओं को जगह दीजिए बहुत सारी चीजे बदलेगी और चलते चलते यह बिहार है और आपसे बेहतर कौन समझ सकता है ।            

विधानसभा परिसर में शराब की खाली बोतल मिलने के बाद जिस तरीके से तेजस्वी ने आपको चिढ़ाया और आप उसके झांसे में आ गये आने वाले समय में आप बिहार के दौरे पर निकलने वाले हैं बहुत परेशानी हो सकती है ।                     

वैसे शराबबंदी कानून में संशोधन हुआ उस पर पुलिस अमल क्यों नहीं कर रही है ये भी कही ना कही शराबबंदी को लेकर अति सक्रियता दिखायी जा रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि शराबबंदी को लेकर जो चल रहा है वो कितने दिनों तक चलेगा क्यों कि जैसे ही पुलिस सुस्त पड़ेगा इस धंधे में शामिल लोग फिर सक्रिय हो जायेंगे ऐसे में कानून को अपने तरीके से काम करने दीजिए नहीं तो सरकार को शासन चलाना मुश्किल हो जाएगा क्यों कि इसको लेकर अब प्रभावशाली वर्ग भी जो कभी शराब का सेवन भी नहीं किया है वैसे लोग सरकार की आलोचना करना शुरू कर दिये हैं।

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