रविवार का दिन खेती,मित्र और परिवार के बीच इस तरह उलझ कर रहा है कि लता दी के सम्मान में क्या हो रहा उससे पूरी तरह से अनभिज्ञ रह गये ,लेकिन 150 किलोमीटर के सफर के दौरान लता दी के गीत के सहारे उनसे जरुर जुड़े रहे फिर भी मन बैचेन था क्या हो रहा है लता दी के सम्मान में।
देर शाम पटना पहुंचे तो लता दी से जुड़ी खबरें पढ़ना शुरू किया बात टीवी की करे तो टीवी पर समाचार देखना कब बंद कर दिये मुझे भी ठीक से याद नहीं है।
इसलिए अखबार की एक एक रिपोर्ट पढ़ना शुरु किये वैसे लता दी का जाना मुझे तो बहुत भाया सत्य तो यही है कि जो आया है उसको जाना है हर किसी को ऐसे ही जाना चाहिए। कुछ ऐसा छोड़ कर जो आपको पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखे मन में यह सब चल ही रहा था की इसी दौरान एक खबर पर मेरी नजर पड़ गयी ।
शाहरुख खान लता दी से शव पर थूक फेका है और इस खबर को लेकर हंगामा खड़े करने कि कोशिश चल रही है शुरुआत में एक दो पोस्ट दिखा लेकिन रात होते होते इस तरह का पोस्ट ट्रेंड
होना शुरु हो गया । कुछ देर बाद वजह भी समझ में आने लगा था एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा था जिसमें लता दी के पार्थिव शरीर के सामने शाहरुख खान दुआ कर रहा है और उसका पीए हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रही है ।इस तस्वीर के सहारे यह संदेश दिया जा रहा था कि यही भारत है स्वभाविक है आज जिस मिजाज की राजनीति चल रही है उसमें इस तरह की तस्वीर उनके उद्देश्य को नुकसान पहुंचा सकता है ।
वैसे पिछले कुछ वर्षो से देश में हिन्दू मुसलमान को लेकर जो चल रहा है पहली बार मन अंदर से बहुत व्यथित हो गया लता दी के विदाई पर भी ये लोग हिन्दू मुसलमान के बीच घृणा पैदा करने का मौका निकाल ही लिया। कोई लिखता है ये तो हमारे सनातन धर्म पर हमला है, कोई लिखता है इस्लाम संगीत को सही नहीं मानता है इसलिए शाहरुख लता दी के शव पर थूक कर चला गया।
अभी भी कोशिश जारी है कैसे इस मुद्दे को लेकर देश में आग लग जाये, पता नहीं ये लोग देश को कहां ले जाना चाहते हैं घृणा ऐसी आग है जो एक बार मनुष्य को लग गयी तो फिर हिन्दू मुसलमान तक ही सीमित रहेंगा ऐसा होता नहीं है ।इस आग के लपेटे में धीरे धीरे उसका खुद का समाज और परिवार आयेगा ही इतिहास इसका गवाह है ।
हमारी आपकी मुसलमानों से कहां भेट होती है सामान्य तौर पर चप्पल के दुकान पर ,मीट मुर्गा की दुकान पर ,गाड़ी बनाने वाले गैरेज पर ,कपड़े सिलने वाले दुकान पर ,गाड़ी के ड्राइवर के रूप में मुलाकात होती है, इन सब जगहों के अलावे मेरी मुलाकात मुस्लिम अधिकारी, नेता और पत्रकार से भी होता है।
धर्म को लेकर उसकी अपनी सोच है और धर्म के मामले में आप उसे कट्टर भी कह सकते हैं लेकिन ये भी सही है कि धर्म ने उन्हें दान और ईमानदारी का जो पाठ पढ़ता है उस पर आज भी बहुसंख्यक मुसलमान अमल कर रहा है ।एक दो नहीं एक दर्जन से अधिक ऐसे अधिकारी को मैं जानता हूं जो घूस लेना हराम समझते हैं ईद के मौके पर जिस तरीके वो अपने समाज के गरीब लोगों को दान देता है कभी सपने में भी हिन्दू समाज सोच भी सकता है,कट्टरता की वजह से उसको जो नुकसान हो रहा है उसे पूरी दुनिया देख रहा है आप अपने अंदर झाकिए ना आप कहां थे कहां पहुंच गये हैं ।
याद करिए हर गांव में एक ठाकुरबाड़ी हुआ करता था जहां साधु संत आकर ठहरते थे सत्संग होता था
धर्म पर चर्चा होती थी एक से एक संत आते थे हर ठाकुरबारी में धर्म और शास्त्र से जुड़ी पुस्तकालय हुआ करता था।
कभी हरिद्वार से तो ,कभी बनारस से .तो कभी देवघर से धर्म के जानकार ठाकुरबाड़ी पर आते थे ठहरते थे और प्रवचन होता था आज अधिकांश ठाकुरबाड़ी का हाल यह है कि तीनों समय भगवान को भोग नहीं लग पा रहा है जिसके पूर्वज ठाकुरबाड़ी को जमीन दान में दिये थे उनके परिवार वाले जमीन वापस ले लिये हैं ।
मुसलमान क्या कर रहा है कहां जा रहा है जाने दीजिए जैसा करेगा वैसा भरेगा आ हम आप कहां जा रहे हैं उस पर जरा गौर करिए ना महिला है तो हिन्दू धर्म बची हुई है, घर और मंदिर में आरती और घूप भी जल जा रहा है ।
लेकिन21 सदी की लड़कियों से ये भी उम्मीद छोड़ दीजिए हाल तो यह हो गया है कि अब गांव में भी छठ करने वाली नहीं मिल रही है एक एक महिला आठ से दस घर वालों का पूजा कर रही है।
ऐसी बहुत सारी बाते हैं जिस पर सोचने कि जरुरत है ।हिन्दू धर्म में अब बचा क्या है कर्मकांड, कहां है नैतिक मूल्य ,कहां है सत्य। सनातन धर्म को इन मुसलमानों से खतरे में नहीं है हमारे आपकी वजह से खतरे में है ये तो मुसलमान आ गया जो मंदिर मंदिर की बात भी हो रही है नहीं तो ये मंदिर कब तोड़ कर हमलोग होटल बना देते कह नहीं सकते।