बिहार के रोहतास जिले के डेहरी शहर में 1871 में स्थापित बिहार का पहला ऐतिहासिक धूप घड़ी को मंगलवार रात चोर उखाड़ कर ले गए। बुधवार सुबह जब लोग मॉर्निंग वॉक के लिए निकले तो कुछ लोगों की नजर धूप घड़ी पर पड़ी, तो देखा कि धूप घड़ी की धातु की प्लेट वहां से गायब है।
लोगों ने इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंच इसकी जांच कर रही है। डेहरी ऑन सोन के एनीकट रोड में आज भी लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी धूप घड़ी का उपयोग उस रास्ते से आने-जाने वाले लोग समय देखने के लिए करते थे। जिस तरह कोणार्क मंदिर के पहिए सूर्य की रोशनी से सही समय बताते हैं। ठीक उसी प्रकार यह धूप घड़ी भी काम करती थी।
1871 में स्थापित की गई थी धूप घड़ी
1871 में स्थापित राज्य की यह ऐसी घड़ी है जिससे सूर्य के प्रकाश से समय का पता चलता है। तब अंग्रेजों ने सिंचाई विभाग में कार्यरत कामगारों को समय का ज्ञात कराने के लिए इस घड़ी का निर्माण कराया गया और एक चबूतरे पर स्थापित किया गया था। इसी वजह से इसका नाम धूप घड़ी रखा गया। इस घड़ी में रोमन और हिन्दी के अंक अंकित है, उस समय नहाने से लेकर पूरा कामकाज समय के आधार पर होता था।
श्रमिकों के लिए घड़ी स्थापित की गई थी
घड़ी के बीच में धातु की त्रिकोणीय प्लेट लगी है। कोण के माध्यम से उस पर नंबर अंकित है। शोध अन्वेषक के अनुसार यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय की गणना की जाती है। इसे नोमोन कहा जाता है। यंत्र इस सिद्धांत पर काम करता है कि दिन में जैसे-जैसे सूर्य पूर्व से पश्चिम की तरफ जाता है। उसी तरह किसी वस्तु की छाया पश्चिम से पूर्व की तरफ चलती है। सूर्य लाइनों वाली सतह पर छाया डालता है, जिससे दिन के समय घंटों का पता चलता है।