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पटना हाइकोर्ट ने नालंदा स्थित शिवपुरी जलाशय के निर्माण हेतु सरकारी ठेके मे सबसे कम लागत लगाने वाली कम्पनी को अवैध तरीके से अयोग्य करार देने के मामले पर लघु सिंचाई विभाग के वरीय अधिकारी व अभियंता पर 2 लाख रुपये का हर्जाना लगाया

पटना हाइकोर्ट ने नालंदा स्थित शिवपुरी जलाशय के निर्माण हेतु सरकारी ठेके मे सबसे कम लागत लगाने वाली कम्पनी को अवैध तरीके से अयोग्य करार देने के मामले पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने लघु सिंचाई विभाग के वरीय अधिकारी व अभियंता पर दो लाख रुपये का हर्जाना लगाया है।

जस्टिस पी बी बजंत्री की खंडपीठ ने राजीव कुमार की रिट याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने हरजाने की राशि पटना हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में दो सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता के वकील प्रभात रंजन द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि बिना किसी आरोप के उनके मुवक्किल की कंपनी को नालंदा स्थित शिवपुरी जलाशय के निर्माण कार्य हेतु लगाई गई नीलामी में सबसे कम लागत की लगाने के बावजूद अयोग्य करार दे दिया गया।

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लघु सिंचाई विभाग के तकनीकी मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष व अभियंता प्रमुख ने याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित कर दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रभात ने आरोप लगाया कि पूरे विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने निजी स्वार्थ के लिए अधिक लागत की बोली लगाने वाली कंपनी को काम करने का ठेका दे दिया।जबकि याचिकाकर्ता ने काम के लागत राशि से 15 फ़ीसदी कम की बोली लगाई थी।

वही कमेटी के अधिकारियों ने उतनी ही लागत से 13 फ़ीसदी कम की बोली लगाने वाले को काम का ठेका दिया ।
इससे सरकारी राजकोष को इस पूरे काम के लागत यानि 460 करोड़ रुपए के 2 फी सदी का नुकसान झेलना पड़ा ।

कोर्ट ने सरकारी अधिकारी व अभियंताओं से इस मामलें में जवाब माँगा, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

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