एसपीजी चीफ को पद छोड़ देना चाहिए सवाल देश की सुरक्षा से जुड़ा है ।
ये बात वर्ष 2003 की है जब पहली बार एसपीजी सुरक्षा वाले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम को कवर करने का मौका मिला था । जहां तक मुझे याद है 6 जून को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कोसी नदी पर महासेतू के निर्माण की नींव रखने के लिए निर्मली आने वाले थे उनके आने को लेकर क्या क्या तैयारी चल रही है इसकी रिपोर्टिंग के लिए तीन बार दरभंगा से निर्मली जाना पड़ा था।
इसके लिए ट्रेन से सुबह निकलना पड़ता था और देर रात तक लौटना होता था ।इस दौरान कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा को लेकर एसपीजी कितना सजग था ये मैं देख चुका हूं । निर्मली नेपाल के सीमा के काफी करीब था और उस समय नेपाल में माओवादी हिंसा चरम पर था जैसे ही निर्मली पहुंचे कार्यक्रम स्थल के आसपास मौजूद पुलिसकर्मी कवर करने से रोक दिया बहुत वाद विवाद हुआ तो वो मुझे एसपीजी के अधिकारी के पास ले गये एसपीजी के अधिकारी बहुत ही कड़े लहजे में कहां अभी तुरंत आप निकल जाइए कार्यक्रम को लेकर कवर नहीं कर सकते बेहद संवेदनशील इलाका है।
मैं अड़ा हुआ था कवर ता करेंगे ही करेंगे इतनी दूर से आये हैं तैयारी को लेकर खबर करनी ही पड़ेगी क्यों कि चैनल हेड का आदेश है । बातचीत चल ही रही थी उसी दौरान एक अधिकारी मेरा पूरा पता पुछ लिया और चंद मिनटों में ही दरभंगा और समस्तीपुर एसपी से मेरे बारे में उस समय सेटेलाइट फोन से पूरी जानकारी ले लिया, जानकारी मिलने के बाद दोनों अधिकारियों के बीच आंखों आंखों में ही संवाद हुआ और फिर उन्होंने बैठने के लिए कुर्सी मंगवाया और फिर साथ भोजन नाश्ता और कार्यक्रम को कवर करने में पूरा सहयोग भी किया और इस दौरान एसपीजी के गठन से लेकर नेपाल के माओवादी आन्दोलन को लेकर लम्बी बातचीत हुई ।
दो दिन बाद फिर जाने का आदेश हुआ वही सुबह सुबह छुक छुक करती रेल की सवारी करके पहुंचे तो देखते हैं एनएसजी की पूरी नई टीम है फिर उसी प्रोसेस से गुजरना पड़ा मुश्किल हुआ कवर करने में और जब कार्यक्रम के दिन पहुंचे तो उस दिन एसपीजी का कोई तीसरी टीम पहुंच हुई थी ।
मतलब इस स्तर पर पीएम के कार्यक्रम की तैयारी एसपीजी करती है ।हालांकि बाद के दिनों में एसपीजी सुरक्षा मानक वाले राहुल गांधी और सोनिया गांधी के कार्यक्रम को भी कवर करने का चार बार मौका मिला लेकिन मोदी के कार्यक्रम की बात करे तो एक दर्जन से अधिक कार्यक्रम को कवर कर चुके हैं इसलिए पीएम की सभा को कवर करने में किस तरह के सुरक्षा मानको से गुजरना पड़ता है मुझे भी पता है। पीएम के कार्यक्रम की बात करे तो पटना में अगर पीएम का कार्यक्रम रहता है तो पटना जिले में पहले पोस्टेड रहे ऐसे अधिकारी और पुलिसकर्मियों की पटना में कार्यक्रम से चार दिन पहले प्रतिनियुक्ति हो जाती है जिनकी जनता में छवि बेहतर रही है ,वही आठ से दस जिलों से पुलिस फोर्स बुलाया जाता है कार्यक्रम स्थल से लेकर जिस रास्ते से पीएम को गुजरना है उस रास्ते के सारे मकान के ऊपर पुलिस तैनात रहता है।
ऐसे में पीएम का हेलीकॉप्टर मौसम की खराबी के कारण नहीं उड़ पाया और पीएम 90 किलोमीटर सड़क मार्ग से चल दिये और एसपीजी जाने की अनुमति दे दिया यह पीएम के सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरी तौर पर उल्लंघन है । और ऐसे में पीएम को सड़क मार्ग से जाने कि अनुमति देने वाले अधिकारियों पर जरूर कार्यवाही होनी चाहिए क्यों कि पीएम अपनी सुरक्षा मानकों को लेकर अगर राजनीति करते हैं , पीएम सस्ती लोकप्रियता के लिए सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ करते हैं और एसपीजी चुप रह जाता हैं तो यह देश की सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है। रही बात रुट के लीक होने कि तो वही एएनआई जिसके हवाले से सारी मीडिया खबर चला रही है कि पीएम ने चलते चलते कहा कि मुख्यमंत्री को मेरा शुक्रिया कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा पहुंच सका।
उस मीडिया हाउस का ट्विटर हैडल देखिए पीएम की पंजाब यात्री से जुड़ी वो तमाम खबरे ट्वीट है पीएम सड़क मार्ग से जा रहे हैं इनका काफिला यहां से निकला और उसी के आधार पर सारे चैनल में खबर चल रही थी।ऐसे में पीएम के सड़क मार्ग से जाने को लेकर गोपनीय क्या रहा ।
आज तक किसी पीएम को इतनी लम्बी दूरी तक सड़क मार्ग से जाने कि अनुमति कहीं नहीं मिली है एसपीजी तैयार ही नहीं हो सकता है क्यों कि पीएम का जो सुरक्षा मानक है उसके अनुसार 90 किलोमीटर को कवर करने के लिए केंद्रीय फोर्स के साथ साथ कई राज्यों के पुलिस को तैनात करना पड़ेगा ।तब कही पीएम के सुरक्षा मानक का पालन हो सकता है ।
पंजाब में भी जिला को कितना फोर्स होगा बिहार में पांच सौ के करीब है तो वहां हजार होगा और ऐसे में अचानक फोर्स को कहा जाये कि आप एनएच पर पीएम के काफिले को सुरक्षित पास कराने के लिए थाने से निकले किसी भी स्थिति में संभव है क्या ।
राजनीति चलती रहे आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहे लेकिन पीएम की सुरक्षा को लेकर यह बहुत बड़ी चूक हुई है और इसके लिए जो भी अधिकारी पीएम के आदेश का अमल किया है उसको सेवा में बने रहने का अधिकार नहीं है। क्योंकि कि सबको पता है पंजाब में किसान पीएम से नराज है पीएम जिस रास्ते से जा रहे हैं वह रास्ता सामरिक रूप से संवेदनशील है फिर एसपीजी ने अनुमति कैसे दे दिया।
कोई भी स्टेट पुलिस ये रिस्क नहीं ले सकता है सवाल ही नहीं पैदा लेता है कि कोई डीजीपी अनुमति दे दे अगर डीजीपी ने अनुमति दिया है उस पर कार्यवाही होनी चाहिए ।
राजनीति सही है होती रहनी चाहिए लेकिन पीएम की सुरक्षा और देश की रक्षा को लेकर राजनीति हो ये सही नहीं है इससे देश कमजोर होगा संस्थान कमजोर होगी और उसका असर देश की अखंडता पर सकता है ।