पटना वीमेंस कॉलेज के बाहर चाय बेचने की शुरुआत करने वाली प्रियंका गुप्ता आजकल मीडिया के लिए हांट केक बनी हुई है एक सप्ताह में जितनी कप चाय नहीं बेच पायी है उससे कही अधिक अभी तक मीडिया को इंटरव्यू दे चुकी है हाल यह है कि वीमेंस कांलेज के रास्ते से गुजरने वाला हर कोई एक नजर उस चाय बेचने वाली को देखना चाहता है वैसे उसका कहना है कि जब देश में इतने सारे चायवाला हैं तो क्यों कोई चायवाली नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा, ‘मैंने 2019 में अपना स्नातक किया लेकिन बीते 2 सालों में कोई नौकरी नहीं मिल पाई. जिसके बाद कुछ अलग कर आत्मनिर्भर होने की बात सोची.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे ऊपर से अब बेरोजगार का टैग हट गया है. अब खुद से रोजगार पाने वाले का टैग लग गया है.’
गुप्ता ने वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया है. वो बिहार के पूर्णिया की रहने वाली हैं.
हालांकि गुप्ता ने जिस अंदाज में अपनी चाय की दुकान की शुरुआत बीते हफ्ते की है, वो सभी का ध्यान खींच रही हैं.
गुप्ता ने पोस्टर में लिखा है- ‘लोग क्या सोचेंगे अगर ये भी हम ही सोचेंगे तो फिर लोग क्या सोचेंगे ‘. वहीं पोस्टर में उन्होंने अपने इस कदम को आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में एक पहल बताया है.
ग्राहकों का ध्यान खींचने के लिए उनका टैगलाइन है- पीना ही पड़ेगा. वहीं वो कहती हैं कि सोच मत…चालू कर दे बस.