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PatnaHighCourt News: कोर्ट ने पटना स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस को याचिकाकर्ता के लिए फ्रेस पासपोर्ट जारी करने के आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया

पटना हाईकोर्ट ने पासपोर्ट जारी करने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय लेने के मामले पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया है। जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह की पीठ ने निदा अमीना अहमद द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

कोर्ट ने पटना स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस को याचिकाकर्ता के लिए फ्रेस पासपोर्ट जारी करने के आवेदन पर विचार करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता की जन्म तिथि को आईसीएसई द्वारा जारी बर्थ सर्टिफिकेट के आधार पर चार सप्ताह में सुधार करने को कहा है।

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याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने म्यूनिसिपल ऑथोरिटी को भी याचिककर्ता के सही जन्म तिथि को रिकॉर्ड करने को कहा है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने ऐसे लंबित आवेदन समेत भविष्य में आने वाले ऐसे आवेदन पर कार्रवाई करने हेतु उम्मीद जताया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के सात जजों के GPF अकाउंट बंद होने के मामलें पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा

पटना हाइकोर्ट के सात जजों के जीपीएफ अकाउंट बंद होने के मामलें पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है। इस मामलें पर चीफ जस्टिस डी बाई चन्द्रचूड़ की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई के लिए आज की तिथि निर्धारित की थी।

पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष ये मामला जब आया, तो उन्होंने पूछा कि मामला क्या है।जजों के जीपीएफ अकाउंट बंद कर दिया गया है।

कोर्ट ने जानना चाहा कि ये याचिका किसके द्वारा दायर की गई,तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने चीफ जस्टिस चन्द्रचूड को बताया गया था कि पटना हाइकोर्ट के सात जजों ने याचिका दायर की है।

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पटना हाइकोर्ट के सात जजों ने जीपीएफ अकाउंट बंद होने के मामलें में याचिका दायर की है।इनके नाम जस्टिस शैलेन्द्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जीतेन्द्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पाण्डेय, जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा,जस्टिस चन्द्रप्रकाश सिंह और जस्टिस चन्द्रशेखर झा है।

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई 27 फरवरी,2023 को की जाएगी

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई 27फरवरी,2023 को की जाएगी। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार,एनएचएआई और अन्य सम्बंधित पक्षों को हलफनामा दायर करने के लिए 24फरवरी,2023 तक का समय दिया था।

इससे पूर्व अधिवक्ताओं की टीम ने खंडपीठ के समक्ष पटना गया डोभी एनएच का निरीक्षण कर कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया था।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वकीलों की टीम को इस राजमार्ग के निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण किया था। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में उत्पन्न कर रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।

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पिछली सुनवाइयों में राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।साथ ही कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।

पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया था कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है।

इस मामलें पर 27फरवरी,2023 को सुनवाई की जाएगी।

पटना हाई कोर्ट ने एनएच 80 (मुंगेर से मिर्जापुर चौकी) के निर्माण में हो रहे विलम्ब के मामले पर सुनवाई की

पटना हाई कोर्ट ने एनएच 80 (मुंगेर से मिर्जापुर चौकी) के निर्माण में हो रहे विलम्ब के मामले पर सुनवाई की । एसीजे जस्टिस सी एस सिंह एवं जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने प्रणव कुमार झा की लोकहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि संभव हो तो संबंधित पदाधिकारी इस एनएच के री-अलाइनमेंट के लिए में कोई समाधान निकालें ,ताकि पक्के मकानों को टूटने से बचाया जा सके।

कोर्ट को बताया गया कि इस एनएच के निर्माण में 2.5 किलोमीटर में स्थित करीब 80 पक्का मकानों को ध्वस्त करना पड़ेगा। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जहां अतिक्रमण है ,वहां एनएचएआई एलिवेटेड रोड बनाने के संबंध में जवाब दे ।

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याचिका की सुनवाई के दौरान भू- स्वामियों की तरफ से बताया गया कि भू- अधिग्रहण में उन्हें जमीन का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।इस पर हाईकोर्ट ने संबंधित जिलाधिकारी को सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मुआवजा राशि का वितरण कैम्प लगा कर दिया जा सके ।

कोर्ट ने इस एनएच के निर्माण हेतु जमीन का अधिग्रहण नहीं किये जाने पर जिला भूअर्जन पदाधिकारी को जमीन अधिग्रहण का काम जल्द पूरा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने एनएचएआई के अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या का समाधान हल करने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया था कि मुंगेर जिला में नियमित भूअर्जन पदाधिकारी के नहीं रहने से राष्ट्रीय राज मार्ग के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही हैं।

इस मामले की अगली सुनवाई 7अप्रैल,2023 को होगी।

AIIMS,Patna के अधिवक्ता ने पटना हाइकोर्ट को बताया कि नेत्र रोग से पीड़ित लड़की के ईलाज के लिए धनराशि को एम्स,दिल्ली को स्थानांतरित कर दिया गया है

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ को एम्स,पटना के अधिवक्ता ने बताया कि नेत्र रोग से पीड़ित लड़की के ईलाज के लिए धनराशि को एम्स,दिल्ली को स्थानांतरित कर दिया गया है।

कल इस मामलें पर सुनवाई करते हुए एम्स,पटना के अधिवक्ता को नेत्रहीन लड़की के ईलाज के लिए एम्स,दिल्ली में राज्य सरकार द्वारा दी गई धनराशि स्थानांतरित करने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।पूर्व में एम्स,पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि तीन लड़कियों में से दो लड़कियों को हड्डी सम्बन्धी रोग है।

उनका ईलाज पटना के एम्स हॉस्पिटल में शुरू हो गया है। इन दोनों लड़कियों के ईलाज हेतु राज्य सरकार धनराशि दे चुकी है।उन्होंने बताया था कि एक नेत्र सम्बन्धी बीमारी से ग्रस्त है।इसके ईलाज के लिए इसे दिल्ली,एम्स भेजा जाना है।

इसके प्रारंभिक ईलाज के मद में राज्य सरकार ने बीस हज़ार रुपये एम्स,पटना के खाते में स्थानांतरित कर दिया।ये धनराशि एम्स,दिल्ली के खाते में एम्स,पटना को स्थानांतरित करना है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इसी सम्बन्ध में कोर्ट ने एम्स,पटना को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।उल्लेखनीय है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।

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इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।

इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा था।

एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया था कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य पूरा हो कर ईलाज की कार्रवाई जारी है।

इस मामलें में कोर्ट के समक्ष एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मयूरी,एम्स,पटना की ओर से अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय व राज्य सरकार की ओर से विकास कुमार ने पक्षों को रखा।इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामलें को निष्पादित कर दिया।

PatnaHighCourt News: पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई 13 मार्च,2023 तक टली

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई 13 मार्च,2023 तक टली। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जांच की प्रगति पर असंतोष जाहिर किया था।

पहले की सुनवाई में PatnaHighCourt में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित रही थी।

PatnaHighCourt ने कहा था कि इस मामलें की समग्रता में जांच नहीं की जा रही हैं।पुलिस अधिकारियों को विस्तार और गहराई से जांच पड़ताल करने की आवश्यकता है।

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अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने बताया था कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब हैं।

PatnaHighCourt ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च,2023 को की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट के 7 जजों के GPF अकाउंट बंद होने के मामलें को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सुनवाई 24 फरवरी, 2023 को होगा

पटना हाइकोर्ट के सात जजों के जीपीएफ अकाउंट बंद होने के मामलें को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 24 फरवरी,2023 को सुनवाई होना तय हुआ है। इस मामलें को चीफ जस्टिस डी बाई चन्द्रचूड़ के मामला जब आया, तो उन्होंने पूछा कि मामला क्या है। जजों के जीपीएफ अकाउंट बंद कर दिया गया है।

कोर्ट ने जानना चाहा कि ये याचिका किसके द्वारा दायर की गई, तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने चीफ जस्टिस चन्द्रचूड को बताया कि पटना हाइकोर्ट के सात जजों ने याचिका दायर की है।

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कोर्ट ने आश्चर्य जाहिर करते हुए इस मामलें की सुनवाई की सुनवाई 24फरवरी,2023 को निर्धारित की है।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के नेत्रहीन बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों के बदहाल स्थिति पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे “सरकार की असंवेदनशीलता दिखती है”

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नेत्रहीन बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों के बदहाल स्थिति पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इससे सरकार की असंवेदनशीलता दिखती है । एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में विस्तृत और सही स्थिति बताते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने मुख्य सचिव को नेत्रहीन बच्चों के लिए स्कूलों की स्थिति, योग्य शिक्षकों की बहाली,छात्रों के पढ़ाई के सम्बन्ध पूरी और यथार्थ जानकारी देने का निर्देश दिया।कोर्ट ने इस बात को काफी गम्भीरता से लिया कि इन स्कूलों में नेत्रहीन छात्र आठवीं कक्षा के बाद बड़ी संख्या में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं।

कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा कि ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई।कोर्ट ने कहा कि ये बहुत ही चिंतनीय विषय है कि जहां आठवीं क्लास में लगभग सत्ताईस हज़ार छात्र पढ़ते है,वहीं नवीं से वारहवीं कक्षा में दो हज़ार छात्र ही पढ़ाई कर रहे हैं।

कल कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।उन्होंने कोर्ट को कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल की रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

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उन्होंने बताया कि इस स्कूल को शिक्षकों का स्वीकृत पद ग्यारह है,लेकिन वहां फिलहाल 15 शिक्षक कार्य कर रहे है।इनमेंं एक शिक्षक हाल में ही सेवानिवृत हुए है।इनमें सिर्फ दो शिक्षक ही नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित है।

भागलपुर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में मात्र तीन ही शिक्षक है।इससे नेत्रहीन बच्चों की शिक्षा के बारे में राज्य सरकार की गम्भीरता समझी जा सकती है।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने हेतु बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव 2014 भेजा गया था,लेकिन उनका चयन कर आयोग ने नहीं भेजा।कोर्ट ने जानना चाहा कि सरकार ने अबतक क्या किया।

इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।

इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई करते हुए एम्स,पटना के अधिवक्ता को नेत्रहीन लड़की के ईलाज के लिए एम्स, दिल्ली में राज्य सरकार द्वारा दी गई धनराशि स्थानांतरित करने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए एम्स,पटना के अधिवक्ता को नेत्रहीन लड़की के ईलाज के लिए एम्स, दिल्ली में राज्य सरकार द्वारा दी गई धनराशि स्थानांतरित करने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

पूर्व में एम्स,पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि तीन लड़कियों में से दो लड़कियों को हड्डी सम्बन्धी रोग है।उनका ईलाज पटना के एम्स हॉस्पिटल में शुरू हो गया है। इन दोनों लड़कियों के ईलाज हेतु राज्य सरकार धनराशि दे चुकी है।

उन्होंने बताया था कि एक नेत्र सम्बन्धी बीमारी से ग्रस्त है।इसके ईलाज के लिए इसे दिल्ली,एम्स भेजा जाना है।इसके प्रारंभिक ईलाज के मद में राज्य सरकार ने बीस हज़ार रुपये एम्स,पटना के खाते में स्थानांतरित कर दिया।

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ये धनराशि एम्स,दिल्ली के खाते में एम्स,पटना को स्थानांतरित करना है।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इसी सम्बन्ध में कोर्ट ने एम्स,पटना को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

उल्लेखनीय है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।

इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।

कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा था।एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया था कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य पूरा हो कर ईलाज की कार्रवाई जारी है।

इस मामलें पर 22 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई करते हुए AIIMS पटना के अधिवक्ता को कल तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए एम्स,पटना के अधिवक्ता को कल तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

एम्स,पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि तीन लड़कियों में से दो लड़कियों को हड्डी सम्बन्धी रोग है।उनका ईलाज पटना के एम्स हॉस्पिटल में शुरू हो गया है। इन दोनों लड़कियों के ईलाज पर तीन लाख साठ हज़ार रुपया खर्च हो रहा है।ये धनराशि बिहार सरकार ने दे दिया।

उन्होंने बताया था कि एक नेत्र सम्बन्धी बीमारी से ग्रस्त है।इसके ईलाज के लिए इसे दिल्ली,एम्स भेजा जाना है।इसके प्रारंभिक ईलाज के मद में राज्य सरकार ने बीस हज़ार रुपये एम्स,पटना के खाते में स्थानांतरित कर दिया।

ये धनराशि एम्स,दिल्ली के खाते में एम्स,पटना को स्थानांतरित करना है।इसी सम्बन्ध में कोर्ट ने एम्स,पटना को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

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उल्लेखनीय है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।

इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।

कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा था।एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया था कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य हो गया।इस मामलें की सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने एम्स अस्पताल, पटना व राज्य सरकार समाज कल्याण विभाग को पार्टी बनाने का आदेश दिया गया था।

इस मामलें पर 21 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाइकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई की। कोर्ट ने पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

पूर्व में कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई।कोर्ट ने जानना चाहा था कि इन शिक्षकों की बहाली की क्या प्रक्रिया थी।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने हेतु बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था।

लेकिन आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2018 के बाद कोई प्रस्ताव सरकार की ओर से नहीं आया है।कोर्ट ने इस बात को बहुत को बहुत गम्भीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है।वह भी संगीत शिक्षक हैं।जबकि वहां स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस मामलें दिन प्रतिदिन सुनवाई होगी।इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।

गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जाएंगे ।

इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर अपनी कार्य परियोजना बताने के लिए कहा था। इस मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर केंद्र, राज्य सरकार, NHAI और अन्य सम्बंधित पक्षों को हलफनामा दायर करने के लिए 24 फरवरी, 2023 तक का मोहलत दिया

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र,राज्य सरकार,एनएचएआई और अन्य सम्बंधित पक्षों को हलफनामा दायर करने के लिए 24फरवरी,2023 तक का मोहलत दिया।

इससे पहले अधिवक्ताओं की टीम ने खंडपीठ के समक्ष पटना गया डोभी एनएच का निरीक्षण कर कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत किया था।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वकीलों की टीम को इस राजमार्ग के निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण पिछले सप्ताह के अंत में किया। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में उत्पन्न कर रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।

इससे पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।साथ ही कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।

कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया।वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।

पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया था कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है।

इस मामलें पर 24फरवरी,2023 को फिर सुनवाई की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम के कर्मचारियों को पांचवां और छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतनमान देने का निर्देश दिया है

पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम के कर्मचारियों को पांचवां और छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतनमान देने का निर्देश दिया है। जस्टिस पी वी बजंत्री की खंडपीठ ने बलिराम सिंह की अपील पर सुनवाई कर ये आदेश दिया।

कोर्ट ने पांचवां और छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में 1जनवरी,1996 से पांचवां वेतन आयोग और छठा वेतन आयोग का लाभ 1जनवरी,2006 से अब तक का बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम के कर्माचारियों को लाभ देने का निर्देश दिया।अपीलकर्ता ने 21अगस्त,2017 को पटना हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध अपील दायर की थी।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि 22 दिसंबर,1961 को बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम ने संकल्प लिया था कि इनके कर्माचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराया जाएगा।

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कोर्ट ने ये भी पाया कि बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम ने इस सम्बन्ध में कोई नियम नहीं बनाया है।इसीलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि इस निगम के कर्मचारियों को दोनों वेतन आयोग के अनुशंसा का लाभ चार माह के भीतर देना होगा।

अगर इन्हें अगर चार माह के भीतर इन्हें धनराशि नहीं दी गई,तो निगम को इन्हें 8 फी सदी ब्याज के साथ ये धनराशि देनी होगी।इसके साथ ही कोर्ट ने मामलें को निष्पादित कर दिया।

अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार व रितिका रानी और बिहार राज्य वित्त निगम की ओर से डा. आनंद ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को रखा।

बिहार में जुनियर इंजीनियर के 6379 पदों पर बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा

पटना । बिहार सरकार के विभिन्न विभागों के अंतर्गत जुनियर इंजीनियर के 6379 पदों पर बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा। पटना हाईकोर्ट में अजय कुमार भारती की याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई।

इस मामलें की सुनवाई जस्टिस पी वी बजंत्री की खंडपीठ ने की। कोर्ट ने आदेश दिया कि जुनियर अभियंताओं की बहाली नियमों में परिवर्तन और नए सिरे से बहाली का विज्ञापन चार माह में निकालने का निर्देश दिया।

साथ ही इस प्रक्रिया में जिन उम्मीद्वारों की उम्र सीमा खत्म हो जायेगी,उन्हें उम्र सीमा में ढील दी जाएगी।जूनियर इंजीनियर की बहाली के लिए जो 2015और 2017 अर्हताएं रखी गई थी,उन्हें इस याचिका में चुनौती दिया था।

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25 जनवरी,2023 को राज्य सरकार ने एक बैठक की।इसमें ये निर्णय हुआ कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में जुनियर इंजीनियर की बहाली सम्बन्धी विज्ञापन को वापस लिया जाएगा।साथ ही इनकी बहाली के लिए बिहार तकनीकी सेवा आयोग को भेजे गए प्रस्ताव वापस लिए जाएँगे।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को ये जानकारी दी गई कि इन पदों पर नए नियम बनाने के बाद से फिर से बहाली हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया जाएगा। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार व रितिका रानी ने पक्ष प्रस्तुत किया, जबकि राज्य सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने प्रस्तुत किया।

कोर्ट ने उपरोक्त आदेश के साथ याचिका को निष्पादित कर दिया।

पटना हाईकोर्ट ने सहायक प्राध्यापक के परीक्षा परिणाम पर रोक लगा दिया

पटना हाईकोर्ट ने सहायक प्राध्यापक के परीक्षा परिणाम पर रोक लगा दिया है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने वसुन्धरा राज व संगीता कुमारी की ओर से अधिवक्ता चंद्रशेखर सिंह के जरिये दायर रिट याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए मनोविज्ञान विषय के सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति के लिए घोषित होने वाले परिणाम पर रोक लगा दिया है। उल्लेखनीय है कि विभिन्न विषयों के सहायक प्राध्यापक के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए बिहार राज्य विश्विद्यालय सेवा आयोग द्वारा रिक्तियां प्रकाशित की गई थी।

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इसके बाद, मनोविज्ञान विषय का इंटरव्यू भी हो चुका है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आरक्षण के मामले में कथित रूप से गड़बड़ी की गई है।

कोर्ट को बताया गया कि मनमाने ढंग से पिछड़े वर्ग के याचिकाकर्ता को अनारक्षित कोटि में डाल दिया गया। इस मामले में आगे भी सुनवाई की जाएगी।

PatnaHighCourt News: बिहार के पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई हुई

पटना हाइकोर्ट में राज्य की पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ के समक्ष राज्य के एडीजी कमल किशोर सिंह ने पुलिस स्टेशन की स्थितियों के सम्बन्ध रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

PatnaHighCourt ने उन्हें नए बने पुलिस स्टेशन को आधुनिक बनाने के सन्दर्भ में पूरा रिपोर्ट कोर्ट में अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने उन्हें ये देखने को कहा कि थानो को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए क्या कार्रवाई आवश्यक है।

साथ ही PatnaHighCourt ने राज्य के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया कि थाने में बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए क्या क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।पुलिस थाना सही और ढंग से कार्य करें,इसके उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने ए डी जी कमल किशोर सिंह को कोर्ट और राज्य कार्डिनेटर के रूप में कार्य का जिम्मा सौंपा था।

पूर्व की सुनवाई में PatnaHighCourt ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था।राज्य में 1263 थाना है,जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है।

इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है।कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था।

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जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते,तब तक पुलिस अधिकारी एडीजी कमल किशोर सिंह कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे।

इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था।राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा।

इसी तरह का एक मामलें पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया।उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया।

PatnaHighCourt में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है।उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है।उन्होंने बताया कि बढ़ते अपराध को देखते हुए ये आवश्यक है कि थाना और पुलिसकर्मियों को आधुनिक बनाया जाए।

उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है। लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवन में चल रहे है,लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है।

उन्होंने PatnaHighCourt को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है,उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है।

पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है।इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने AIIMS पटना के अधिवक्ता को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक अपंग लड़कियों की जांच और ईलाज के सम्बन्ध में सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए एम्स,पटना के अधिवक्ता को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

एम्स,पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि तीन लड़कियों में से दो लड़कियों को हड्डी सम्बन्धी रोग है।उनका ईलाज पटना के एम्स हॉस्पिटल में शुरू हो गया है। इन दोनों लड़कियों के ईलाज पर तीन लाख साठ हज़ार रुपया खर्च हो रहा है।ये धनराशि बिहार सरकार ने दे दिया।

उन्होंने बताया कि एक नेत्र सम्बन्धी बीमारी से ग्रस्त है।इसके ईलाज के लिए इसे दिल्ली,एम्स भेजा जाना है।इसके प्रारंभिक ईलाज के मद में राज्य सरकार ने बीस हज़ार रुपये एम्स,पटना के खाते में स्थानांतरित कर दिया।ये धनराशि एम्स,दिल्ली के खाते में एम्स,पटना को स्थानांतरित करना है।इसी सम्बन्ध में कोर्ट ने एम्स,पटना को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।

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इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।

कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा था।एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया था कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य हो गया।इस मामलें की सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने एम्स अस्पताल, पटना व राज्य सरकार समाज कल्याण विभाग को पार्टी बनाने का आदेश दिया गया था।

इस मामलें पर 20 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाइकोर्ट ने पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के सन्दर्भ में केंद्र, राज्य सरकार, NHAI और निर्माण कार्य करने वाली कम्पनियों को कार्य के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट में पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के मामलें पर सुनवाई की गई। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ के समक्ष वकीलों की टीम ने निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

कोर्ट ने वकीलों की टीम के रिपोर्ट के सन्दर्भ में केंद्र,राज्य सरकार,एनएचएआई और निर्माण कार्य करने वाली कम्पनियों को कार्य के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वकीलों की टीम को इस राजमार्ग के निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। वकीलों की टीम राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य के निरीक्षण पिछले सप्ताह के अंत में किया। कोर्ट ने निर्माण कार्य में लगायी गई मशीन और मानव संसाधन के सम्बन्ध में भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने फेज 2 के निर्माण में उत्पन्न कर रही बाधाओं और अतिक्रमण को राज्य सरकार शीघ्र हटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने इसके लिए आवश्यक पुलिस बल और व्यवस्था मुहैया कराने का निर्देश सबंधित ज़िला प्रशासन को दिया है।

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इससे पूर्व राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी ने इसका निर्माण कार्य 30 जून,2023 तक पूरा करने का अश्वासन कोर्ट को दिया था।साथ ही कोर्ट ने इस फेज के निर्माण में बाधा उत्पन्न होने वाले सभी अवरोधों को तत्काल हटाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था।

कोर्ट ने फेज दो के 39 किलोमीटर से 83 किलोमीटर के बीच सभी प्रकार के अतिक्रमण को तेजी से हटाने का आदेश दिया।वही फेज तीन के 83 किलोमीटर से 127 किलोमीटर के बीच के अतिक्रमण को भी हटाने का आदेश दिया।

पिछली सुनवाई कोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के फेज दो व तीन के निर्माण में लगी निर्माण कंपनी ने कोर्ट को बताया था कि पटना गया डोभी एनएच के निर्माण में कई जगह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है।

इस मामलें पर 20 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई की जाएगी।

बिहार के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच किये जाने से सबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने CID को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 4 माह की मोहलत दी

पटना हाइकोर्ट ने राज्य के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच किये जाने से सबंधित याचिका पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सीतामढी जिले के मदरसों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सीआईडी को चार माह की मोहलत दी।

इससे पूर्व कोर्ट ने राज्य के अनुदानित 2459 मदरसों की जांच का आदेश राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को दिया था।कोर्ट ने अल्लाउद्दीन बिस्मिल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इनकी जांच चार महीने में पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को शीघ्र राज्य के सभी डी एम के साथ बैठक कर उनके संसाधनों के बारे में जांच करने का आदेश दिया।वही जांच पूरी होने तक 609 मदरसों को अनुदान राशि नहीं देने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने जाली कागजात पर मदरसों को दी गई मान्यता पर दर्ज प्राथमिकी पर राज्य के डीजीपी को अनुसंधान के बारे में पूरी जानकारी कोर्ट को देने का निर्देश दिया था।कोर्ट को इस सम्बन्ध में बताया गया कि राज्य की ओर से सीतामढी जिले के 88 मदरसों की जांच सीआईडी कर रही है।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राशिद इजहार ने कोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा के विशेष निदेशक मो तस्नीमुर रहमान ने सीतामढ़ी जिला के सरकारी अनुदान लेने वाले मदरसों की जांच रिपोर्ट दी थी।इसमें कहा गया था कि सीतामढ़ी जिला में फर्जी कागजात पर करीब 88 मदरसों ने सरकारी अनुदान ली है।

कोर्ट ने इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की बात कही थी।उनका कहना था कि शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में जबाबी हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया कि राज्य के अन्य जिलों के 609 मदरसों जो सरकारी अनुदान प्राप्त किये हैं,उन सभी के जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

कोर्ट मामले पर चार माह के बाद फिर सुनवाई करेगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल के शिक्षकों का ब्यौरा तलब किया।

कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई। कोर्ट ने जानना चाहा कि इन शिक्षकों की बहाली की क्या प्रक्रिया थी।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने हेतु बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था।लेकिन आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2018 के बाद कोई प्रस्ताव सरकार की ओर से नहीं आया है।

कोर्ट ने इस बात को बहुत को बहुत गम्भीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है।वह भी संगीत शिक्षक हैं।जबकि वहां स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस मामलें दिन प्रतिदिन सुनवाई होगी।इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।

गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जाएंगे ।

इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर अपनी कार्य परियोजना बताने के लिए कहा था। इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी,2023 को होगी।