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पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के निःशक्त बच्चों के लिए बने विशेष विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामलें पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना के कदमकुआं स्थित नेत्रहीन स्कूल के शिक्षकों का ब्यौरा तलब किया।

कोर्ट को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस स्कूल में एडहॉक आधार पर बारह शिक्षकों की बहाली की गई। कोर्ट ने जानना चाहा कि इन शिक्षकों की बहाली की क्या प्रक्रिया थी।

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि इन दिव्यांग स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु अनुशंसा करने हेतु बिहार कर्मचारी चयन आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था।लेकिन आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 2018 के बाद कोई प्रस्ताव सरकार की ओर से नहीं आया है।

कोर्ट ने इस बात को बहुत को बहुत गम्भीरता से लिया कि पटना के कदमकुआं स्थित दिव्यांग( नेत्रहीन) स्कूल में मात्र एक शिक्षक है।वह भी संगीत शिक्षक हैं।जबकि वहां स्कूल में शिक्षकों के स्वीकृत पद ग्यारह है।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि इस मामलें दिन प्रतिदिन सुनवाई होगी।इससे पहले इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया था ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वृषकेतु शरण पांडेय ने कोर्ट को बताया कि 2014 में विज्ञापित पदों पर अब तक नहीं भरा जा सका है। यह अपने आप में राज्य का उदासीन रवैया दर्शाता है।

गौरतलब है कि इस मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने हलफनामा दायर कर बताया था कि निःशक्त बच्चों से जुड़ी सभी परियोजनाएं तीन महीनों के भीतर कार्यरत हो जाएंगे ।

इस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर अपनी कार्य परियोजना बताने के लिए कहा था। इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी,2023 को होगी।

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