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बिहार में शराब, शराब माफिया और पुलिस की मिलीभगत से बिक रहा है -हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में शराबबंदी के बाद भी हर दिन बड़ी मात्रा में विभिन्न श्रोतों से लगातार शराब की बरामदगी पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस संदीप कुमार ने गंगाराम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी किया कि ये स्थिति क्यों नहीं पुलिस और शराब कारोबारियों के बीच मिलीभगत माना जाए।

कोर्ट ने सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुते कहा कि कोर्ट यह क्यों नही माने को शराब के अवैध व्यापार का नेटवर्क चलाने वाले माफिया का पुलिस के साथ साठगांठ है ?

कोर्ट ने उत्पाद आयुक्त सह आई जी,उत्पाद अधिकारियों और पुलिस के अधिकारियों से जवाब तलब किया हैं।कोर्ट ने ये भी बताने को कहा कि अब तक राज्य में शराबबंदी में कितने आपूर्तिकर्ता या माफिया को पकड़ा गया और क्या कार्रवाई की गई है ।

हाई कोर्ट ने कहा कि करीब एक साल पुराने मामले में आरोपी अग्रिम जमानत मांग रहा है। पुलिस इसे नही पकड़ पाई है ,तो उन माफियाओं न जाने कितने साल से नही पकड़ पा रही होगी ,जिनके व्यापारिक नेटवर्क के जरिये शराब का अवैध व्यापार होता है।

इस अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए एपीपी झारखंडी उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि पुलिस सेशल टास्क फोर्स गठित कर शराबबंदी को तोड़ने वालों पर लगाम लगा रही है ।

मामले की अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी ।

हाईकोर्ट से लॉ कॉलेज के छात्रों को मिलीं राहत

पटना हाईकोर्ट ने बीसीआई के अनुमति /अनापत्ति प्रमाण पत्र के आलोक में सिर्फ 2021-22 की सत्र के लिए 17 लॉ कॉलेजों में दाखिले के लिए मंजूरी दी है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की।इन कालेजों में पटना स्थित चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी , पटना लॉ कॉलेज , कॉलेज ऑफ कॉमर्स , सहित
आरपीएस लॉ कॉलेज , के के लॉ कॉलेज बिहारशरीफ नालन्दा , जुबली लॉ कॉलेज और रघुनाथ पांडे लॉ कॉलेज मुजफ्फरफुर सहित अन्य लॉ कॉलेज हैं, जिनका नाम 17 कॉलेजों / विश्वविद्यालय के इस सूची में शामिल है ।

हाई कोर्ट ने , 23 मार्च 2021 के उस आदेश , जिसके अंतर्गत बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी गयी थी। इस आदेश में कोर्ट ने आंशिक संशोधन करते हुए इन 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी । हाई कोर्ट ने साफ किया कि नया दाखिला सिर्फ 2021-22 के लिए ही होगा। अगले साल के सत्र के लिए बार काउंसिल से फिर मंजूरी लेनी होगी ।

पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन लॉ कालेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई थी, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जाए।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह भी देखना था कि विधि शिक्षा,2008 के नियमों का इन शिक्षण संस्थानों में पालन किया जा रहा है या नहीं।साथ ही इन लॉ कालेजों में पुनः पढ़ाई जारी करने की अनुमति देते हुए नियमों में बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी तरह की ढील नहीं देगी।

कोर्ट के आज के इस आदेश से लॉ कॉलेज में नामांकन के लिए इंतजार कर रहे छात्रों को काफी राहत मिलेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने सुनवाई के दौरान पक्षों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया।

पटना मुजफ्फरपुर फोरलेन अतिक्रमण मुक्त करे प्रशासन

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न नेशनल हाईवे के निर्माण व रखरखाव के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष इन मामलों पर सुनवाई के दौरान हाजीपुर – मुजफ्फरपुर एन एच – 77 के मामले में डी एम, वैशाली ने हलफनामा दायर किया।

कोर्ट को इसमें बताया गया है कि रामाशीष चौक से अतिक्रमण पूरी तरह से हटा दिया गया है। साथ ही बस स्टैंड को शिफ्ट करने के लिए नगर परिषद को लिखा गया था, किन्तु दो बार टेंडर निकालने के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ। इसलिए राज्य सरकार के नगर विकास विभाग को जमीन अधिग्रहण करने हेतु लिखा गया है।

यह भी बताया गया कि है पहले भी अतिक्रमण हटा दिया गया था, लेकिन एन एच ए आई द्वारा निर्माण नहीं किये जाने की वजह से दोबारा अतिक्रमण हो गया था।

पुलिस अधीक्षक ने यह भी आदेश देकर पुलिस बल को तैनात कर दिया है कि रामाशीष चौक से बी एस एन एल गोलंबर तक किसी तरह की पार्किंग नहीं की जाएगी। इस मामले पर एक सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

साथ ही मुंगेर से मिर्जा चौकी एन एच मामले पर भी सुनवाई हुई। यह दो जिलों मुंगेर और भागलपुर से होकर गुजरता है।लेकिन गंगा के किनारे स्थित होने की वजह से हर साल बाढ़ के पानी में बह जाता है।

इसलिए, बिहार सरकार के आग्रह पर भारत सरकार के सड़क व परिवहन मंत्रालय ने कंक्रीट रोड के निर्माण के लिए टेंडर निकाला है, जो कि महीने के अंत तक फाइनल हो जाएगा।

तब तक राज्य सरकार के सड़क निर्माण विभाग को इसे चलने लायक बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।वहीं एन एच – 80 मुंगेर से मिर्जा चौकी तक वर्तमान सड़क के समानांतर ही ग्रीन फील्ड कॉरिडोर बनाया जाना है।

इसको लेकर एन एच ए आई द्वारा पैसा जमा करने, जमीन अधिग्रहण की स्थिति, क्षतिपूर्ति की राशि के बटवारे व कब्जा सौपने के संबंध में हलफनामा दायर करने को कहा गया है।
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बताया कि इसके अलावा महेश खुट- सहरसा- पूर्णिया सेक्शन पॉकेट – 1, एन एच – 107 जल्द से जल्द पूरा करने में आने वाले अड़चनों को हटाने का आदेश जिला प्रशासन को दिया गया है।

इस मामलें आगे भी सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट ने राजेन्द्र प्रसाद स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) को 21 जनवरी,2022 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) को 21 जनवरी,2022 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। विकास कुमार की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।

आज कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया।कोर्ट को इसमें जानकारी दी गई कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 10 जनवरी,2022 को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।इसमें सम्बंधित विभाग के अपर प्रधान सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे, जिनमें पटना और सीवान के डी एम भी शामिल थे।

इसमें कई तरह के जीरादेई में विकास कार्य के साथ पटना में स्थित बांसघाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और सदाकत आश्रम की स्थिति सुधारें जाने पर विचार तथा निर्णय लिया गया।

इस बैठक में जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर रेलवे क्रासिंग के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। साथ ही राजेंद्र बाबू के पैतृक घर और उसके आस पास के क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई करने का निर्णय हुआ।

हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। लेकिन आर्किओलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने आज कोर्ट के समक्ष जवाब नहीं प्रस्तुत किया।कोर्ट ने उन्हें जवाब देने के लिए 21 जनवरी,2022 तक की मोहलत दे।

हाईकोर्ट ने इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।

इस वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात अपनी रिपोर्ट में बताई।

साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया।वहां काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था, रोशनी आदि की खासी कमी थी।
साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की हालत को भी वकीलों की कमिटी ने गम्भीरता से लिया था।

जनहित याचिका में अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है। जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है।वहां न तो पहुँचने के लिए सड़क की हालत सही है।साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं,जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है।

उन्होंने बताया कि वहां सफाई,रोशनी और लगातार देख रेख नहीं होने के कारण ये स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।

इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 21 जनवरी,2022 को होगी।

कोरोना को लेकर आज हाईकोर्ट में फिर हुई सुनवाई सरकार के जबाव से कोर्ट सहमत नहीं

#Covid19 पटना हाईकोर्ट में राज्य में कोरोना महामारी के नए वेरिएंट के बढ़ते प्रभाव के रोक थाम व नियंत्रित किये जाने के मामले पर राज्य सरकार को 24 जनवरी,2022 तक जवाब देने का मोहलत दिया हैं। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने इस महामारी के रोक थाम और नियंत्रित करने के लिए की जा रही कारवाइयों का ब्यौरा दिया। कोर्ट ने आज राज्य सरकार को कोरोंना महामारी के नियंत्रण और रोकथाम के लिए की जा रही कार्रवाई का विस्तृत जानकारी अगली सुनवाई में पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा था कि करोना महामारी के तीसरे लहर के रोकथाम और स्वास्थ्य सेवा की क्या कदम उठाए जा रहे है। पिछली सुनवाई में एडवोकेट जेनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस महामारी पर नियंत्रण के कई तरह के राज्य सरकार ने कदम उठाए हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि करोना महामारी के रोक थाम के दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सख्त तरीके किया जा रहा है।सार्वजानिक स्थलों,सिनेमा,मॉल,पार्क आदि को फिलहाल बंद कर दिया गया।साथ ही 10 रात्रि से सुबह पाँच बजे तक curfew भी प्रशासन ने लागू कर दिया है।

सरकारी,निजी दफ्तरों में कर्मचारियों के पचास फी सदी उपस्थिति के साथ ही कार्य होगा।स्कूलों कॉलेजों में भी इसी तरह की व्यवस्था की गई हैं।
उन्होंने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा को इसके महामारी से निबटने कार्रवाई करने को तैयार किया जा रहा।सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में करोना मरीज के ईलाज के पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि अभी दो लाख व्यक्तियों का प्रति दिन टेस्ट किया जा रहा है।ऑक्सीजन की आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त है और अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति के पूरी कार्रवाई हो रही है।

जो व्यक्ति करोना से पीड़ित हैं,उनके लिए ईलाज की व्यवस्था की गई है।उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।अभी जो ओम्रिकोन नामक नए वेरिएंट के तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति में परिवर्तन हो रहा है।दिल्ली,मुंबई जैसे शहरों से ले कर देश के अन्य भागों में ओम्रिकोन फैलने का अंदेशा बना हुआ है। पटना हाईकोर्ट में भी इस महीने के प्रारम्भ से ही ऑनलाइन सुनवाई प्रारम्भ हो चुका है।

इस मामले पर 24 जनवरी, 2022 को फिर सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट में कोरोना महामारी से निपटने को लेकर राज्य सरकार की तैयारी पर सुनवाई टली ।

#Covid19 पटना हाईकोर्ट में राज्य में कोरोना महामारी के नए वेरिएंट के बढ़ते प्रभाव के रोक थाम व नियंत्रित किये जाने के मामले पर सुनवाई कल 13 जनवरी,2022 तक टली। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने इस महामारी के रोक थाम और नियंत्रित करने के लिए की जा रही कारवाइयों का ब्यौरा दिया।

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को ये बताने को कहा था कि करोना महामारी के तीसरे लहर के रोकथाम और स्वास्थ्य सेवा की क्या कदम उठाए जा रहे है।।एडवोकेट जेनरल ने कोर्ट को बताया कि इस महामारी पर नियंत्रण के कई तरह के राज्य सरकार ने कदम उठाए हैं।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि करोना महामारी के रोक थाम के दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सख्त तरीके किया जा रहा है।सार्वजानिक स्थलों,सिनेमा,मॉल,पार्क आदि को फिलहाल बंद कर दिया गया।
साथ ही 10 रात्रि से सुबह पाँच बजे तक curfew भी प्रशासन ने लागू कर दिया है।
सरकारी,निजी दफ्तरों में कर्मचारियों के पचास फी सदी उपस्थिति के साथ ही कार्य होगा।स्कूलों कॉलेजों में भी इसी तरह की व्यवस्था की गई हैं।
उन्होंने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा को इसके महामारी से निबटने कार्रवाई करने को तैयार किया जा रहा।सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में करोना मरीज के ईलाज के पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि अभी दो लाख व्यक्तियों का प्रति दिन टेस्ट किया जा रहा है।ऑक्सीजन की आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त है और अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति के पूरी कार्रवाई हो रही है।

जो व्यक्ति करोना से पीड़ित हैं,उनके लिए ईलाज की व्यवस्था की गई है।उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।अभी जो ओम्रिकोन नामक नए वेरिएंट के तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति में परिवर्तन हो रहा है। दिल्ली,मुंबई जैसे शहरों से ले कर देश के अन्य भागों में ओम्रिकोन बहुत तेजी से फैल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व अन्य कई हाई कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई शुरू कर दी गई है। इस स्थिति को देखते हुए पटना हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह ऑनलाइन सुनवाई प्रारम्भ हो चुका है।

इस मामले पर 13 जनवरी, 2022को सुनवाई होगी।

लॉ कॉलेजों की संबद्धता मामले में आज हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व निजी 27 लॉ कालेजों की संबद्धता के मामले की सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को inspection रिपोर्ट की कॉपी सम्बंधित पक्षों देने का निर्देश दिया।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।साथ ही कोर्ट ने कॉउन्सिल को जिन कॉलेजो को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी है, वहां व्यवस्था सम्बन्ध व सुविधाओं के सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने को कहा था।

पिछ्ली सुनवाई में कोर्ट ने सभी लॉ कालेजों को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष एक सप्ताह में निरीक्षण हेतु आवेदन देने का निर्देश दिया था। साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया इन कालेजों का वर्चुअल या फिजिकल निरीक्षण करने का निर्देश दिया था।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निरीक्षण कमेटी का रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफ इंडिया के संबंधित कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाना था। यह कमेटी इनके रिपोर्ट पर निर्णय लेगी।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया यह देखेगी कि विधि शिक्षा, 2008 के नियमों का पालन इन शिक्षण संस्थानों में किया जा रहा है या नहीं। इन लॉ कालेजों को पुनः चालू करने के लिए अस्थाई अनुमति देते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी भी प्रकार का नियमों में ढील नहीं देगी।

इससे पूर्व की सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व निजी लॉ कालेजों में नामांकन पर रोक लगा दिया था। साथ ही चांसलर कार्यालय, राज्य सरकार, संबंधित विश्वविद्यालय व अन्य से जवाब तलब किया गया था।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश किया था, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य में जो लॉ कालेज हैं, उनमें समुचित व्यवस्था नहीं है। योग्य शिक्षकों व प्रशासनिक अधिकारियों की भी काफी कमी हैं। इसका असर लॉ की पढ़ाई पर पड़ रहा है। साथ ही साथ बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है।

याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के किसी भी सरकारी व निजी लॉ कालेजों में रूल्स ऑफ लीगल एजुकेशन, 2008 के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता के ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य में सरकारी व निजी लॉ कालेज 27 हैं, लेकिन कहीं भी पढ़ाई की पूरी व्यवस्था नहीं होने के कारण लॉ की पढ़ाई का स्तर लगातार गिर ही जा रहा है। इस मामले पर 17 जनवरी,2022 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाई कोर्ट ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सरकारी धन के कथित गबन की जांच करवाने के मामले में याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

पटना हाई कोर्ट ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सरकारी धन के कथित गबन की जांच करवाने व जिम्मेदार कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विशाल सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई कर ये आदेश दिया।
अरवल जिला के रामपुर बैणा पंचायत की मुखिया पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सरकारी धन के गबन का आरोप लगाते हुए विशाल सिंह ने एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका के जरिये जांच और कार्रवाई का आदेश देने का अनुरोध कोर्ट से किया था।

इस मामले में अरवल के बी डी ओ द्वारा गठित की गई जांच को पूरा करने और प्राथमिकी दर्ज करने हेतु आदेश देने की भी माँग किया गया था।
इस जनहित याचिका में खास बात यह भी थी कि याचिकाकर्ता ने अपने चाचा सतीश कुमार सिंह और उनकी मुखिया(रामपुर बैणा पंचायत )पत्नी बिमला देवी पर भी बारह – बारह हजार रुपये लेने का आरोप लगाया था। कहा गया था कि पैतृक जमीन पर पूर्वजों द्वारा बनाये गए शौचालय के नाम पर ही पैसा का गबन किया गया।

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि यह कोई जनहित का मामला नहीं प्रतीत होता है, इसलिए याचिकाकर्ता पर अर्थदंड लगाया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर अपनी सहमति जताते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि याचिका कर्ता द्वारा इसी मामले को लेकर पूर्व में भी पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने निष्पादित कर दिया था।

आरटीआई कार्यकर्ता में हो रहे हमले को लेकर हाईकोर्ट नराज

पटना हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगे जाने पर सूचना मांगने वाले व्यक्ति से उसके सही आचरण वाले और आपराधिक मामले में संलिप्त नहीं का हलफनामा देने के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की।विकास केन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव और राज्य कैबिनेट सचिवालय के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब माँगा।

इस जनहित याचिका में विगत 16 जनवरी, 2006 को कैबिनेट सचिवालय विभाग के उप सचिव व राज्य सरकार के कॉर्डिनेशन डिपार्टमेंट द्वारा जारी उक्त आशय के संबंध में जारी किये गए संकल्प को रद्द करने हेतु आदेश देने की माँग की गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आर टी आई एक्ट के विरुद्ध इस प्रकार का गैर कानूनी व मनमाना शर्त लगाया गया है। याचिका के जरिये उस पत्र को भी रद्द करने हेतु आदेश देने का अनुरोध किया गया है, जिसके जरिये लोक सूचना ऑफिसर द्वारा पत्र जारी कर याचिकाकर्ता से विभाग द्वारा सूचना उपलब्ध कराने के लिए उसके सही आचरण और आपराधिक मामलों में शामिल नहीं होने के सम्बन्ध में शपथ पत्र की मांग की गई है।

इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने बगैर बिलंब किये ही सूचना उपलब्ध कराने के लिए लोक सूचना अधिकारी को आदेश देने को लेकर भी आग्रह किया है। आर टी आई एक्ट की धारा 7 के तहत याचिकाकर्ता को अविलंब सूचना उपलब्ध कराने के संबंध में निर्णय लेने का आग्रह भी कोर्ट से किया गया है।
इस मामलें पर चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

राजधानी पटना सहित बिहार में अनियंत्रित रूप से हो रही चोरी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाई कोर्ट ने पटना समेत राज्य के अन्य हिस्सों में कथित तौर पर अनियंत्रित रूप से हो रही चोरी, लूट- पाट और सेंधमारी की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह व संजीव कुमार मिश्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

हाईकोर्ट को इन जनहित याचिकाओं में बताया गया कि राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य इलाकों में अपराध, चोरी, लूटपाट व् सेंधमारी की घटनाएं बढ़ गई हैं। वहीं पर राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने के लिए अलग से विशेष टास्क फोर्स का गठन कर दिया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि बिहार एक्साइज ( संशोधित ) एक्ट , 2018 के प्रावधानों को लागू करने के लिए अलग से पुलिस फोर्स/ विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिए, ताकि प्रभावी ढंग से शराबबंदी कानून से जुड़े प्रावधानों को लागू किया जा सके और अपराध में शामिल एजेंसी व व्यक्तियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जा सके।

याचिका के जरिये शराबबंदी कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन अलग हटकर पुलिस टास्क फोर्स के गठन करने हेतु आदेश का आग्रह किया गया है ,ताकि स्थानीय कानून व्यवस्था की समस्याओं को भी बराबर प्राथमिकता देते हुए कार्रवाई की जा सके और संज्ञेय अपराधों के मामले में त्वरित एफ आई आर दर्ज किया जा सके।
नियमित रूप से पुलिस पेट्रोलिंग करने का भी आग्रह किया गया है, खासकर के वैसे क्षेत्रों में जहाँ वृद्ध लोग अकेले रह रहे हों।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के काम काज को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कोर्ट ने लिया संज्ञान

पटना हाईकोर्ट में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में सही तौर से काम- काज किये जाने को लेकर तदर्थ कमेटी बनाने हेतु एक जनहित याचिका पर सुनवाई 17 जनवरी,2022 तक टली। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई की है।

इस जनहित याचिका में चयनकर्ताओं/ सपोर्ट स्टाफ व बी सी सी आई द्वारा संचालित घरेलू टूर्नामेंट में विभिन्न उम्र के राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाडियों को सही तौर से चयन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।।
इस जनहित यह आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन कमेटी में अवैध रूप से कुर्सी पर काबिज लोगों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है।

यह भी आरोप लगाया गया है कि कुर्सी पर कथित रूप से अवैध तौर पर बैठे लोग प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ियों के दावों को हतोत्साहित कर रहे हैं। खिलाड़ियों के मनमाने औऱ अनुचित तौर से चयन कर क्रिकेट को बेचने पर उतारू है।
इस याचिका में यह भी माँग की गई है कि पटना हाईकोर्ट में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से सम्बंधित मामलों की सुनवाई एक साथ एक बेंच द्वारा की जाए।

राज्य में खिलाड़ियों की स्थिति और भी खराब होते जा रही है। साथ ही इस से खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंट में भी कामयाब नहीं हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल फोर क्रिकेट इन इंडिया एंड अदर्स बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार व अन्य के मामले में 9 अगस्त, 2018 को दिये गए फैसले दिया गया था।

इसके अनुसार जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा के आलोक में खिलाड़ियों का सही तौर से चयन करने हेतु क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के गठन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई 17 जनवरी,2022 को होगी।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा मामले में आज फिर हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) और बिहार सरकार को अगली सुनवाई में निश्चित रूप से हलफनामा करने का निर्देश दिया है।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

इससे पहले हाईकोर्ट ने अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।
पिछली सुनवाई में वकीलों की समिति ने कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट रखी।

वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात कहीं।साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया।वहाँ काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था की खासी कमी थी।
साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की दुर्दशा को भी वकीलों की कमिटी ने गम्भीरता से लिया।इस मामलें पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को 7 जनवरी,2022 तक जवाब देने का निर्देश दिया था।

जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है।याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है।न तो वहां पहुँचने के सड़क की हालत सही है।साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं,जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है।
उन्होंने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार के इसी उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण लगातार हालत खराब होती जा रही है।कोर्ट को बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे सम्बंधित स्मारकों की दुर्दशा भी साफ दिखती हैं।वहां सफाई,रोशनी और लगातार देख रेख नहीं होने के कारण ये स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इस स्थिति में शीघ्र सुधार के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की जरूरत हैं।

डा राजेंद्र प्रसाद न सिर्फ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता रहे,बल्कि भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष भी रहे।तत्पश्चात् भारत के पहले राष्ट्रपति बने।इस पद पर उन्होंने मई,1962 तक कार्य किया।

बाद में राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद पटना के सदाकत आश्रम में रहे,जहां 28 फरवरी,1963 को उनकी मृत्यु हुई।
ऐसे महान नेता के स्मृतियों व् स्मारकों की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किया जाना उचित नहीं हैं।इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 11 जनवरी,2022 को होगी।

हाईकोर्ट ने सिवान जिले में स्थित राज्य के पहले हाईस्कूल के हाल पर की सुनवाई।

पटना हाई कोर्ट ने सिवान जिले में स्थित अविभाजित बिहार के प्रथम हाई स्कूल के जीर्णोद्धार के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के सेकंडरी स्कूल के निदेशक से रिपोर्ट तलब किया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

खास बात यह है कि यह राज्य का पहला इंग्लिश स्कूल भी है, जिसे इंग्लिश स्कूल के रूप में जाना जाता है। किंतु नारायण सिंह द्वारा जमीन दान में दिए जाने के बाद यह जिला का पहला हाई स्कूल हो गया।

कोर्ट ने सेकंड्री स्कूल के निदेशक को स्वयं विद्यालय जाकर विद्यालय का आकलन करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा है। जनहित याचिका में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे जीर्ण शीर्ण स्थिति में सिवान जिले के गोरिया कोठी में मौजूद नारायण कर्मयोगी हाई स्कूल के जीर्णोद्धार हेतु आदेश देने की माँग की गई थी।

उक्त स्कूल की स्थापना वर्ष 1916 में की गई थी। स्कूल में अभी भी कुछ अनोखी वस्तुएं (एंटीकस) असुरक्षित रूप से पड़ी हुई है। इतना ही नहीं विद्यालय में चहारदीवारी भी नहीं है।

कई एकड़ जमीन में स्थित इस हाई स्कूल में लाईब्रेरी, लैब व खेल के सामान भी मौजूद हैं। चहारदीवारी के नहीं होने से सभी बहुमूल्य वस्तुएं असुरक्षित है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा सभी संबंधित प्रतिवादियों के समक्ष उक्त मामले में उचित कार्रवाई करने को लेकर स्पीड पोस्ट से अभ्यावेदन भी दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने यह जनहित याचिका दायर किया। अब इस मामले पर सुनवाई छह सप्ताह बाद कि जाएगी।

कोरोना की तैयारी को लेकर आज फिर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा था कि करोना महामारी के तीसरे लहर के रोकथाम और स्वास्थ्य सेवा की क्या कदम उठाए जा रहे है।एडवोकेट जेनरल ने कोर्ट को बताया कि इस महामारी पर नियंत्रण के कई तरह के राज्य सरकार ने कदम उठाए हैं।करोना महामारी के रोक थाम के दिए गए दिशानिर्देशों का पालन सख्त तरीके किया जा रहा है।
सार्वजानिक स्थलों,सिनेमा,मॉल,पार्क आदि को फिलहाल बंद कर दिया गया।साथ ही 10 रात्रि से सुबह पाँच बजे तक curfew भी प्रशासन ने लागू कर दिया है।
सरकारी,निजी दफ्तरों में कर्मचारियों के पचास फी सदी उपस्थिति के साथ ही कार्य होगा।स्कूलों कॉलेजों में भी इसी तरह की व्यवस्था की गई हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवा को इसके महामारी से निबटने कार्रवाई करने को तैयार किया जा रहा।सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में करोना मरीज के ईलाज के पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि अभी दो लाख व्यक्तियों का प्रति दिन टेस्ट किया जा रहा है।ऑक्सीजन की आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त है और अस्पतालों में ऑक्सीजन आपूर्ति के पूरी कार्रवाई हो रही है।
जो व्यक्ति करोना से पीड़ित हैं,उनके लिए ईलाज की व्यवस्था की गई है।उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।

अभी जो ओम्रिकोन नामक नए वेरिएंट के तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति में परिवर्तन हो रहा है।दिल्ली,मुंबई जैसे शहरों से ले कर देश के अन्य भागों में ओम्रिकोन बहुत तेजी से फैल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व अन्य कई हाई कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई शुरू कर दी गई है।इस स्थिति को देखते हुए कल से ही पटना हाईकोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई प्रारम्भ हो चुका है।

इस मामले पर 12 जनवरी, 2022को सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट में आज प्राइमरी स्कूल हेडमास्टर भर्ती नियमावली मामले में हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के राष्ट्रीयकृत प्राथमिक विद्यालयों में प्राइमरी स्कूल हेडमास्टर के पद पर भर्ती हेतु नियम के तहत निर्धारित शर्तो के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में विस्तृत हलफनामा दायर करने को कहा है।
पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन के सदस्यों को शर्तों के साथ चयन, नियुक्ति व भर्ती में भाग लेने की अनुमति दी थी।
लेकिन कोर्ट ने इस मामले में कुछ शर्तों को भी रखा है था। इनके रिजल्ट की घोषणा की जाएगी ,लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं होगी। ये कोई राइट या इक्विटी का दावा नहीं करेंगे। इनकी बहाली के लिए परीक्षा में भाग लेना इस याचिका के फलाफल पर निर्भर करेगा।
कोर्ट ने इन दी मैटर ऑफ टीईटी – एस टी ई टी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (टी एस यू एन एस एस) गोप गुट की याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट के समक्ष बिहार नेशनलाइज़ेड प्राइमरी स्कूल हेडमास्टर (अपॉइंटमेंट, ट्रांसफर, डिसिप्लिनरी एक्शन् एंड सर्विस कंडीशन)रूल्स, 2021 के संबंध में प्रकाशित किये गए अधिसूचना को रखा गया था। इसमें हेडमास्टर के पद हेतु योग्यता की शर्तों को निर्धारित किया गया था।

अधिवक्ता कुमार शानू ने बताया कि इस मामले पर अगली सुनवाई 10 फरवरी,2022 को होगी।

कोरोना के कोहराम का असर कल से हाईकोर्ट में होगा आंनलाइन सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में राज्य में कोरोना महामारी से उत्पन्न हुए हालात को गम्भीरता से लेते हुए कल 4 जनवरी,2022 से मुकदमों की ऑनलाइन सुनवाई होगी। इस सम्बन्ध शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा मौखिक जानकारी दी गई कि चूंकि पटना हाई कोर्ट के कुछ जज व कर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो गए, इसलिए कल 4 जनवरी, 2022 से पटना हाई कोर्ट में कामकाज ऑनलाइन तौर पर ही किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों का जीवन भी बहुमूल्य है, इसलिए इन बातों को भी ध्यान में रखना होगा। कोर्ट ने पूर्व में भी सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना अभी गया नहीं है।

इसके पूर्व में भी कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में मुहैया कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था।

अगली सुनवाई आगामी 5 जनवरी, 2022 को होगी।

कोरोना से निपटने को लेकर राज्य सरकार की क्या तैयारी इस आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

#Covid19 : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी के मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

राज्य सरकार ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि अगली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा बुकलेट ( Compendium) के रूप में पेश करेगी।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को नए सिरे से पूरे तथ्यों की जांच कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

इससे पहले राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा में विरोधाभासी तथ्यों के मद्देनजर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी।आज इस मामलें की ऑन लाइन सुनवाई हुई,जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों से पूरी जानकारियां ले कर उन्हें बुकलेट( Compendium) के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधभासी हलफनामा पर पिछली सुनवाई में ऑन लाइन उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव अमृत प्रत्यय ने खेद जाहिर किया था।उन्होंने कहा था कि अगली सुनवाई में विस्तृत और पूरे तथ्यों के साथ हलफनामा दायर किया जाएगा।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक अधिकारी संजय कुमार के अध्यक्षता में चार सदस्यों की एक टीम गठित किया गया है।यह टीम राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी और उपलब्ध सुविधाओं की जांच कर रहा है।

ज़िला के सभी जिलों के सिविल सर्जनों द्वारा ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा तथ्यों को जांच कर प्रस्तुत करेंगे।

राज्य सरकार ने जो इससे पहले ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही तथ्यों पर आधारित ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा था।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर आज साढ़े ग्यारह बजे सुबह ऑनलाइन पर सुनवाई किया। कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा दिया।
कोर्ट ने पटना के सिविल सर्जन को अस्पतालों में सारी व्यवस्था,दवा,डॉक्टर व अन्य सुविधाओं की तैयारी बनाए रखने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था। कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।

अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया था कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था।
इस मामले पर 7 जनवरी, 2022को सुनवाई होगी।

कोरोना को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई कहा सरकार तीसरी लहर को लेकर क्या है तैयारी

पटना हाईकोर्ट ने करोना महामारी पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा को काफी गम्भीरता से लिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को ज़िला के सरकारी अस्पतालों के हालात का विस्तृत ब्यौरा तलब किया है।
राज्य सरकार ने जो ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा।
चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच इस मामलें पर कल इस मामलें पर साढ़े ग्यारह बजे सुबह virtual mode पर सुनवाई करेगी।कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी ज़िला के सिविल सर्जनों को ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था।

कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।

लेकिन आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर,नर्स व् अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया,उसमें विरोधाभास व जानकारियां सही नहीं थी।

एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था। इस मामले पर 17 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी।

आज हाईकोर्ट में झंझारपुर जज के साथ मारपीट मामले की ह़ुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार – I पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले पर सुनवाई की।

राज्य की सी आई डी को अगली सुनवाई में जांच कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा पेश करने का निर्देश जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दिया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले की जांच का सी आई डी को सौंपा था। कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि मधुबनी के एस पी क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया।कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस अधिकारी मनमानी कार्रवाई करेंगे।

कोर्ट ने सी आई डी को जांच का जिम्मा सौपा था और कहा कि इस मामले की जांच एस पी स्तर के अधिकारी करेंगे।साथ ही इस मामले की निगरानी सी आई डी के ए डी जी खुद करेंगे।

कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने के दौरान मौखिक रूप से कहा कि आखिर पुलिस अधिकारियों ने लोडेड हथियार के साथ एक जज के चैम्बर में कैसे प्रवेश किया ?

इस मामलें पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने पिछली सुनवाई में स्पष्ट किया था कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है।

एड्वोकेट जनरल ने कहा कि यदि चाहे तो कोर्ट सी बी आई समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है। उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया है।

साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की।

ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर अभद्र व्यवहार किया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई की।
दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट भी किया था। पुलिस अधिकारियों ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर निकालकर आक्रमण करना चाहा।

इस मामले पर अगली सुनवाई ,10 जनवरी,2022 को होगी।

महिलाओं से जुड़े अपराध को लेकर हाईकोर्ट का दो टूक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का सरकार क़रे पालन

उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्देश व उसी कड़ी मै पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित न्यायिक आदेश के तहत राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए व्यवस्था पुख्ता करने कार्रवाई की जा रही है।

इसके लिए थानाध्यक्ष, अंचल पुलिस निरीक्षक, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जैसे सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को शिक्षण संस्थानों, बालिका व महिला होस्टल, बाजारों, सार्वजनिक वाहन आदि स्थानों पर महिला पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है।

महिलाओं पर होने वाले अपराध की दृष्टि से भेद्य स्थानों पर थाना/ पुलिस अधिकारियों का दूरभाष/ मोबाईल फोन नम्बर का होर्डिंग्स, पर्चा, ब्रोचर व बुकलेट आदि से प्रचार प्रसार करने के लिए निर्देश दिया गया है।

साथ ही इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया के जरिए जन जागरूकता का प्रसार करने को लेकर निदेश दिया गया है।

इन निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए यह आदेश बिहार पुलिस मुख्यालय के कार्मिक व कल्याण प्रभाग द्वारा राज्य के पुलिस उप महानिरीक्षक (कार्मिक ) द्वारा दिया गया है।

इस आदेश की प्रति याचिकाकर्ता वकील ओम प्रकाश को भी प्रेषित किया है।