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Patna HighCourt News: मुज़फ़्फ़रपुर के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 5 वर्षीय बेटी खुशी के अपहरण के मामलें पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने मुज़फ़्फ़रपुर जिला के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 5 वर्षीय बेटी खुशी के अपहरण के मामलें पर सुनवाई की।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामलें की जांच पर गहरा असंतोष जाहिर करते हुए वर्तमान जांच अधिकारी को जांच करने से रोक दिया।

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए एस एस पी, मुजफ्फरपुर और सिटी डी एस पी को जांच का जिम्मा सौंपा हैं। कोर्ट ने सिटी डी एस पी, मुजफ्फरपुर को 27 जून,2022 कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश भी दिया है।

ये मामला 16 फरवरी 2021 को 5 साल की खुशी का अपहरण किये जाने से सम्बंधित हैं। मुजफ्फरपुर पुलिस को इस मामलें सुराग अब तक नहीं मिला है।

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ख़ुशी के पिता राजन साह ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत पमरिया टोला के रहने वाले है। वे सब्जी विक्रेता हैं।उन्होंने मुजफ्फरपुर पुलिस के रवैए से असंतुष्ट हो कर पटना हाईकोर्ट में अपनी बेटी ख़ुशी की बरामदगी के लिए याचिका दायर की।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ओम प्रकाश ने कोर्ट को बताया कि लड़की के अपहरण हुए सवा साल का समय बीत चुका है,लेकिन पुलिस अब तक उसका सुराग तक नहीं पा सकी हैं।

इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी जयंतकांत से रिपोर्ट भी तलब की थी। बिहार विधान सभा मे भी मामले को संज्ञान में दिया गया था।

काफी दबाव के बाद पुलिस ने एक युवक को जेल भेजकर चार्जशीट दायर की, लेकिन खुशी के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी। बच्ची का सुराग नहीं मिलने से परिजन चिंतित है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 27 जून,2022 को की जाएगी।

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के स्थानांतरित जज जस्टिस अहसाउद्दीन अमानुल्लाह पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली

आज 20 जून,2022 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के स्थानांतरित जज जस्टिस अहसाउद्दीन अमानुल्लाह पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली।उन्हें चीफ जस्टिस संजय करोल पद और गोपनीयता की शपथ शताब्दी भवन के लॉबी में साढ़े नौ बजे दिलाई।

इस अवसर पर जज,अधिवक्ता,अधिवक्ता संघो के पदाधिकारीगण व अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

उनके पटना हाईकोर्ट में योगदान देने के बाद चीफ जस्टिस समेत जजों की संख्या 37 हो जाएगी।जस्टिस अमानुल्लाह इससे पूर्व भी पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य करते रहे थे।

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उनका जन्म 11 मई, 1963 को हुआ था।उनके पिता का नाम नेहालुद्दीन अमानुल्लाह था।
उन्होंने स्नातक की डिग्री रसायन शास्त्र में आनर्स के साथ ली।पटना लॉ कालेज,पटना से उन्होंने लॉ की डिग्री ली।
27 सितम्बर,1991 में कानून की प्रैक्टिस के लिए बिहार राज्य बार कॉउन्सिल में इनरोल हुए।
उन्होंने पटना हाईकोर्ट में मुख्य रूप से प्रैक्टिस की।इसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट, झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस की।

उन्होंने संवैधानिक,सिविल,क्रिमिनल,टैक्स,लेबर व अन्य कई मामलों में वकालत की।उन्होंने स्टैंडिंग कोंसिल के रूप बिहार सरकार का पक्ष पटना हाईकोर्ट में रखा।
पटना हाईकोर्ट के जज के रूप में उन्होंने जून, 2011में शपथ ग्रहण किया।उसके बाद वे आंध्र प्रदेश में जज के रूप स्थानांतरित होने तक पटना हाईकोर्ट में जज के पद पर कार्य किया।

October, 2021, वे आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जज के रूप में पटना हाईकोर्ट से स्थानांतरित हुए थे।

राज्य में पड़ने वाले नेशनल हाईवे के किनारे पेड़ लगाने को लेकर एक SOP अपनाने हेतु निर्देश देने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई

राज्य में पड़ने वाले नेशनल हाईवे के किनारे पेड़ लगाने को लेकर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एस ओ पी ) अपनाने हेतु निर्देश देने के लिए एक जनहित याचिका पटना हाई कोर्ट में दायर की गई है। ये जनहित याचिका आज दायर की गई दो।

याचिकाकर्ता राजीव रंजन सिंह द्वारा दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है ग्रीन हाइवेज (प्लांटेशन, ट्रांसप्लांटेशन, बीयूटीफिकेशन व मेंटेनेन्स) पॉलिसी- 2015 को लागू करने से इस नीति को व्यवस्थित किया जा सकेगा।

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इससे वातावरण के अनुकूल नेशनल हाईवे का निर्माण किया जा सकेगा और नेशनल हाईवे से होकर गुजरने वाले लोगों को प्राकृतिक छाया और प्रदूषण रहित वातावरण मिलेगा।

इस मामले में याचिकाकर्ता ने सड़क, परिवहन व हाईवे मंत्रालय के सचिव व राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य आला अधिकारियों को अभ्यावेदन भी भेजा है, लेकिन अभी तक संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है।

पटना हाईकोर्ट से मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर (वीसी) राजेन्द्र प्रसाद उर्फ डॉ राजेन्द्र प्रसाद को कोई राहत नहीं मिल सकी

जस्टिस आशुतोष कुमार ने प्राथमिकी रद्द करने और और अग्रिम जमानत देने हेतु याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिकाओं को निष्पादित करते हुए दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया।

हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत हेतु याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि यदि याचिकाकर्ता विशेष कोर्ट के समक्ष सरेंडर करता है और जमानत का आग्रह करता है, तो अर्जी पर इस आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी से बगैर पूर्वाग्रह के अपने योग्यता पर विचार किया जाएगा।

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याचिकाकर्ता ने स्पेशल विजिलेंस यूनिट पी एस केस नंबर – 02/ 2021 में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए आपराधिक रिट याचिका और अग्रिम जमानत के लिए अलग से अर्जी दाखिल किया था।

इन पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक ही कॉमन आर्डर से आदेश पारित किया। राजेन्द्र प्रसाद के विरुद्ध आई पी सी की धारा 120 बी (अपराध करने के लिए रची गई आपराधिक साजिश) / 420(जालसाजी) व भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया गया था।

पूर्व सांसद विजय कृष्ण और उनके बेटे चाणक्य को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा से मुक्त किया

ट्रांसपोर्टर सत्येंद्र सिंह हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास सजायाफ्ता पूर्व सांसद विजय कृष्ण और उनके बेटे चाणक्य को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें आजीवन सजा से मुक्त किया।जस्टिस ए एम बदर और जस्टिस सुनील कुमार पवांर की खंडपीठ ने विजय कृष्ण और चाणक्य द्वारा अपील पर सुनवाई पूरी कर 9 मई, 2022 अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

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23 मई, 2009 को ट्रांसपोर्टर सत्येंद्र सिंह की हत्या कृष्णापुरी थाना क्षेत्र में हुई थी।इस मामलें में पूर्व सांसद विजय कृष्ण,उनके बेटे चाणक्य व अन्य दो को आरोपी बनाया गया।

ट्रांसपोर्टर सत्येंद्र सिंह हत्या के मामले में पटना सिविल कोर्ट ने वर्ष 2013 में इन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

पटना निचली अदालत के फैसला को हाई कोर्ट में आपराधिक अपील दायर कर चुनौती दी गई।कई दिनों तक चली बहस के बाद हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।आज हाईकोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय को पलटते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा से बरी किया।

कोर्ट में अपीलार्थियों की ओर से दलील रखी गई थी कि हत्या का कोई प्रयोजन नहीं था।साथ ही इस घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था।

पटना हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ किये गये रेप मामलें में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह तथा जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद ये आदेश को पारित किया।

पूर्व विधायक की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील संजीव सहगल ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया था कि रेप की घटना के कई दिन बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। उनका कहना था कि एक साजिश के तहत विधायक को इस केस में अभियुक्त बनाया गया।

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वही जमानत अर्जी का विरोध करते हुए स्पेशल पीपी श्यामेश्वर दयाल ने कोर्ट को बताया था कि निचली अदालत ने सभी पहलू पर विचार कर अभियुक्त को दोषी करार दिया। उनका कहना था कि मेडिकल में रेप की पुष्टि हुई है। कई गवाह ने घटना के पक्ष में गवाही दी है।

पटना हाई कोर्ट ने राजधानी पटना में मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत पहाड़ी और रानीपुर मौजा में 76.96 जमीन रेल डिपो कॉर्पोरेशन के निर्माण के लिये अधिग्रहित किये जाने संबंधी पटना के भूमि अधिग्रहण अधिकारी के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की

कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।

जस्टिस संजीव कुमार शर्मा ने ललिता देवी एवं अन्य द्वारा दायर किये गए लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमित सिंह ने बताया कि संबंधित पक्षों को बिना सुने ही उनकी जमीन को अधिग्रहण करने की कार्रवाई की गई है। ये गैर कानूनी है।

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याचिकाकर्ता ने भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा भूमि अधिग्रहण किये जाने संबंधी अधिसूचना को गैरकानूनी बताते हुए उसे निरस्त करने की मांग कोर्ट से की है।

पटना हाईकोर्ट ने मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पुष्पेन्द्र कुमार वर्मा समेत हिंदी विभाग के प्रोफेसर सह लाइब्रेरी इंचार्ज विनोद कुमार सिंह और सहायक सह कुलपति के निजी सचिव सुबोध कुमार को नियमित जमानत दे दिया

जस्टिस ए एम बदर की ने इन तीनों द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने निगरानी कोर्ट को निर्देश दिया कि इन्हें कोर्ट द्वारा निर्धारित किये गए मुचलका लेने के बाद जेल से रिहा किया जाय।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इन लोगों पर लगे आरोप को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि ये लोग केवल इस अपराध की साजिश में शामिल है।

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लेकिन पैसे का जो भी लेनदेन हुआ है, वह कुलपति के निर्देश पर ही हुआ है .
गौरतलब है कि राज्य की निगरानी ब्यूरो ने कुलपतिऔर रजिस्ट्रार समेत अन्य के विरुद्ध आई पी सी की धारा 120 बी (अपराध करने के लिए रची गई आपराधिक साजिश) / 420(जालसाजी) व भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।इसमे इन लोगों का भी नाम शामिल है ।

पटना हाईकोर्ट ने फिटनेस सर्टिफिकेट जमा करने में देरी होने पर प्रत्येक दिन पचास रुपया दंड देने की अधिसूचना पर फिलहाल कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है

बिहार ट्रक ऑनर एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की।

अधिवक्ता बद्री नारायण सिंह ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने मोटर वाहन कानून में बदलाव कर फिटनेस सर्टिफिकेट देर से देने पर प्रत्येक दिन पचास रुपये का दंड लगाने का प्रावधान किया है। फिटनेस सर्टिफिकेट खत्म होने के बाद गाड़ी को हर तरह से दुरुस्त करने में समय लगता है।

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इतना ही नहीं, गाड़ी मालिकों के पास समुचित पैसा नहीं रहने पर भी गाड़ी को दुरुस्त करने में समय लगता है। ऐसे में प्रत्येक दिन पचास रुपये का दंड लेना न्यायोचित नहीं है।

कोर्ट ने फिलहाल इस प्रावधान को अमल में लाने से मना किया है। अब, उक्त मामले पर अगली सुनवाई आगामी 11 अगस्त को की जाएगी।

Patna High Court News : पटना हाई कोर्ट ने विभागीय कार्यवाही के संचालन में सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य के स्वास्थ्य पर 25 हजार रुपए बतौर हर्जाना लगाया

जस्टिस पी बी बजन्थरी ने डा. अरुण कुमार तिवारी की रिट याचिका को मंजूर करते हुए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया इस हरजाने की राशि एक महीने में बिहार विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करें ।

हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताया कि जुलाई, 2002 में जिस विभागीय कार्यवाही को शुरु किया , उसमे आरोपी कर्मी को विभागीय आरोप पत्र ( चार्ज मेमो ) एवं विभागीय साक्ष्य की सूची तक नहीं सौंपी गई थी ।

याचिकाकर्ता इस बात को लेकर कल भी हाई कोर्ट आया था और कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग को फिर से कार्यवाही संचालन करने का आदेश 2011 में दिया था ।

हाई कोर्ट आदेश के आलोक में जो कार्यवाही शुरू हुई, उसमे भी याचिकाकर्ता को आरोप पत्र और साक्ष्यों की सूची से वंचित रखा गया था।साथ ही अनुशासनात्मक अधिकारी ने विभागीय जांच रिपोर्ट तक याचिकाकर्ता को नहीं दिया था,ताकि वो अपना बचाव प्रस्तुत कर सके।

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हाई कोर्ट के आदेश होने के बाद भी अपीलीय प्राधिकार ने कोई निर्णय नहीं लिया, तब याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया। अवमानना के डर से अपीलीय प्राधिकार ने आनन फानन में अपील को 2018 में खारिज कर दिया।

तब याचिकाकर्ता को चौथी बार हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा । हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के पिछले आदेश में सरकार से जिन जरूरी तथ्यों के बारे में पूछा, उसका कोई सटीक जवाब नही मिला। तब स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव तलब हुए ।
आज स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी प्रधान सचिव कोर्ट में हाजिर हुए । हाई कोर्ट ने लंबे आदेश में उपरोक्त तथ्यों को उजागर करते हुए सरकार की गैर जिम्मेदाराना हरकत पर ही 25 हजार का हर्जाना लगाया ।

साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए उसके वेतन भत्ते बकाए सहित सभी सेवा लाभ देने का भी निर्देश दिया है ।

पटना हाईकोर्ट में सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर की गई दो हजार से ज्यादा हस्तक्षेप याचिकाओं पर अब पटना हाई कोर्ट में 22 जून को सुनवाई होगी

यह याचिका जस्टिस संदीप कुमार की एकलपीठ में आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था।

सहारा प्रमुख सुब्रतो रॉय को हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में आज उपस्थित होना था।सुब्रतो रॉय द्वारा पटना हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट के आदेश पर 19 मई तक अंतरिम रोक लगा दिया है।
इसी आदेश के आलोक में सुनवाई 22 जून के लिये टाल दी गई।

पिछली सुनवाई में पटना हाई कोर्ट ने बिहार और उत्तर प्रदेश के डीजीपी समेत दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि हर हाल में सहारा प्रमुख सुब्रतो राय को 16 मई को साढ़े दस बजे हाई कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने इसके लिए दिल्लीके पुलिस कमिश्नर और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को कहा था कि इस कार्य मे वे लोग बिहार पुलिस को हर संभव मदद करें।लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दिया है।

पटना हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सहारा के संस्थापक सुब्रतो रॉय हाज़िर नहीं हुए, कोर्ट ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त करते हुए पुलिस को 16 मई को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

कोर्ट के आदेश के बावजूद सहारा के संस्थापक सुब्रतो रॉय के कोर्ट में हाज़िर नहीं होने पर पटना हाईकोर्ट ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त की। कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार और उत्तर प्रदेश के डीजीपी समेत दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को हर हाल में सहारा प्रमुख सुब्रतो राय को 16 मई को साढ़े दस सुबह में कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है ।

जस्टिस संदीप कुमार ने सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर चार हजार से ज्यादा हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया ।

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कोर्ट ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बावजूद सुब्रतों रॉय का कोर्ट में उपस्थित नही होना यह प्रमाणित करता है कि कोर्ट के आदेश का वे सम्मान नही करते है ।

कोर्ट ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नही है । 12 मई , 2022 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सुब्रतो रॉय को हर हाल में 13 मई को 10:30 बजे कोर्ट में उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया था कि बिहार की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा ,जो निवेशकों द्वारा सहारा के विभिन्न कंपनियों में जमा किये गए हैं ,उसका भुगतान इन कंपनियों द्वारा कैसे और कब तक किया जाएगा।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 16 मई, 2022 को की जाएगी।

Patna High Court News : पटना हाई कोर्ट ने पटना-गया-डोभी एनएच 83 फोर लेन के मामले में सुनवाई की

पटना हाई कोर्ट ने पटना -गया -डोभी एनएच 83 फोर लेन के मामले में सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए डी एम, गया व अन्य सबंधित अधिकारियों को एन एच पर से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया।

साथ ही जिनका भूमि अधिग्रहण किया गया है, उन्हें मुआबजा देने की कार्रवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया।आज कोर्ट में गया के डी एम,एन एच ए आई के क्षेत्रीय पदाधिकारी और निर्माण कंपनी के अधिकारी उपस्थित थे।

कोर्ट ने निर्माण कंपनी से कहा कि बहुत धीमे गति से हो रहा है।इसमें काम काफी कम हुआ हैं।कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया कि वे निर्माण के लिए की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा अगली सुनवाई में कोर्ट में प्रस्तुत करें।

कोर्ट का कहना था कि जमीन मालिकों को मुआवजा का भुगतान अब तक क्यों नहीं किया गया।इस काम में ढिलाइ नहीं बरतनी चाहिए।

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राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि इस राष्टीय राजमार्ग का निर्माण तीन चरणों में होना है।पटना से जहानाबाद, जगनाबाद से गया तथा गया से डोभी तक होने वाली निर्माण कार्य धीमी प्रगति से चल रही है। एनएच की ओर से कोर्ट को बताया गया कि निर्माण कार्य चल रहा है।

कोर्ट का कहना था कि भूमि मुआवजा को लेकर कई शिकायतें मिली है। सड़क निर्माण कार्य के लिए किसानों का जमीन अधिग्रहण किया गया, लेकिन उन्हें मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है।

16 मई, 2022 को इस मामलें पर फिर सुनवाई की जाएगी।

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट ने सहारा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के संस्थापक सुब्रतो रॉय को कल 13 मई,2022 को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने सहारा इंडिया के विभिन्न स्कीमों में उपभोक्ताओं द्वारा जमा किये गए पैसे का भुगतान को लेकर दायर की हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सहारा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के संस्थापक सुब्रतो रॉय को कल 13 मई,2022 को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। जस्टिस संदीप कुमार इस मामलें की सुनवाई कर रहे हैं।

सहारा ग्रुप ऑफ़ कंपनीज के संस्थापक सुब्रत राय ने पटना हाईकोर्ट के 27अप्रैल,2022 के उनके कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर challenge किया गया था।
कोर्ट ने आज स्पष्ट किया कि कल उन्हें साढ़े दस बजे सुबह कोर्ट में उपस्थित होना है।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सहारा कंपनी को यह बताने का निर्देश दिया था कि बिहार की गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा, जो सहारा कंपनी के विभिन्न स्कीमों में निवेशकों द्वारा जमा किया गया है, उसे उन्हें किस तरह से जल्द से जल्द लौटाया जाएगा। सुनवाई के दौरान सहारा का पक्ष वरीय अधिवक्ता उमेश प्रसाद सिंह ने रखा ।

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था यदि 27 अप्रैल तक सहारा कंपनी द्वारा स्पष्ट रूप से कोर्ट को इस बात की जानकारी नही दी जाती है, तो हाईकोर्ट इस मामले में उचित आदेश उस पारित करेगा, ताकि निवेशकों का पैसा उन्हें लौटाया जा सके।

इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 13 मई ,2022 को होगी।

Patna High Court News : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के स्मारकों की दयनीय हालत से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने पटना स्थित बिहार विद्यापीठ का प्रबंधन अपने हाथ में लेने के लिए विशेष प्रस्ताव राज्य सरकार को पारित करने को कहा।ये जनहित याचिका अधिवक्ता विकास कुमार ने दायर किया हैं।

साथ ही कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ सोसाईटी व इसके सदस्यों के क्रियाकलापों की जांच करने के लिए राज्य निगरानी को निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में अर्कीलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक ने पटना स्थित राजेंद्र स्मृति 1 और 2 का पटना के डी एम के साथ जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट किया था।

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कोर्ट ने अर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जानना चाहा था कि डा राजेंद्र प्रसाद से सम्बंधित स्मारकों को देख रेख कर सकता है या नहीं।इस पर अर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से बताया गया कि जो सौ वर्ष से पुराने स्मारक हैं,ये उनकी ही देख रेख कर सकते हैं।

कोर्ट ने उनसे कहा कि वे विशेष परिस्थिति में क्या वे इसके देख रेख का जिम्मा ले सकते हैं।महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि कोर्ट ने जानना चाहा कि डा राजेंद्र प्रसाद से सदाकत आश्रम, बांसघाट और जीरादेई स्थित स्मारकों को अपने नियंत्रण में ले कर देख भाल कर सकते हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि बिहार विद्यापीठ परिसर में सभी गैर कानूनी अतिक्रमण को हटा दिया गया।साथ ही बिहार विद्यापीठ के प्रबंधन का जिम्मा पटना के प्रमंडलीय आयुक्त को सौंप दिया गया।

कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में डी एम, पटना को बिहार विद्यापीठ की भूमि का विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।साथ ही यह भी बताने को कहा था कि बिहार विद्यापीठ की भूमि पर कितना अतिक्रमण है और इससे सम्बंधित कितने मामलें अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 16 मई, 2022 की जाएगी।

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट ने मृत सरकारी कर्मी के विधवा के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है

पटना हाईकोर्ट ने मृत सरकारी कर्मी के विधवा के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने विधवा को पेंशन पति के बकाये वेतन तथा पांच लाख रुपये बतौर मुआवजा के साथ 18 प्रतिशत सूद दो माह के भीतर देने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार को मुआवजा राशि की वसूली दोषी कर्मी से करने की पूरी छूट दी है। वही राज्य सरकार को कर्मियों के शिकायत निवारण के लिए एक वेब पोर्टल बनाने का आदेश दिया ताकि कर्मी अपना शिकायत दर्ज कर सके।

कोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता को बिहार लिटिगेशन पॉलिसी को अच्छी तरह लागू करने के बारे में सभी विभागों के प्रधान सचिव व सचिव के साथ बैठक कर अमल में लाने को कहा है।

कोर्ट ने मृत सरकारी कर्मी के विधवा लीलावती मिश्रा की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद अपने 38 पन्नों के फैसला में कई अहम निर्देश दिया है।आवेदिका के वकील अनुराग सौरभ ने कोर्ट को बताया कि कर्मी की नियुक्ति 5 दिसम्बर 1961 को छोटानागपुर अधीक्षण अभियंता कार्यालय में अस्थायी अनुमानक के रूप में हुई थी।

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उनका कहना था कि 1966 से लेकर 1995 के बीच कई जगह स्थानांतरण किया गया। 1 फरवरी 1994 को कर्मी को सहायक अभियंता के पद पर प्रोन्नति दे मुंगेर प्रमंडल के सड़क निर्माण विभाग में पदस्थापित किया गया।

लेकिन विभाग ने पदभार ग्रहण नहीं किया और इसी बीच कर्मी 31 दिसम्बर 1996 को सेवानिवृत्त हो गया।

उनका कहना था कि कर्मी को वेतन तक नहीं दिया गया।सेवानिवृत्त के बाद कर्मी ने विभाग सहित हर बड़े अधिकारी के पास पेंशन, भत्ता एवं अन्य के भुगतान की गुहार लगता रहा।लेकिन कहीं से कुछ नहीं मिला।

इसी बीच 7 अप्रैल 2011 को कर्मी की मौत हो गई।कर्मी की मौत के बाद कर्मी के विधवा ने दफ्तरों का चक्कर लगाने शुरू किया।विभाग विधवा से सर्विस बुक सहित अंतिम वेतन भुगतान स्लिप का मांग किया।

जो भी कागजात उसे प्राप्त हुआ विभाग को दे दिया गया।लेकिन विभाग ने उसे पेंशन चालू करने का आदेश नहीं दिया।थक हार कर आवेदिका ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर पेंशन बकाये वेतन सहित अन्य लाभ का भुगतान करने का गुहार लगाई।

कोर्ट ने राज्य सरकार को इस केस में जबाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया।कई दिनों तक लम्बी बहस के बाद कोर्ट ने अहम फैसला दिया।

Patna High Court News : राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व एवं वर्तमान सांसदों, विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों से सम्बंधित मामलों पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई की।

कोर्ट को महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि वर्तमान और पूर्व एमपी व एमएलए के विरुद्ध 78 आपराधिक मामलों में 12 मामलों पर आरोप पत्र और 4 मामलों पर अंतिम प्रपत्र दायर किया जा चुका है | उन्होंने कोर्ट को बताया कि 280 मामलों में कुल 481 गवाहों का परिक्षण किया जा चुका है |

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इस पर खंडपीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को न्यायिक पदाधिकारियों को मनोनीत कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है | पिछली सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया था कि वर्तमान व पूर्व एमपी और एमएलए के विरुद्ध कुल 598 आपराधिक मुकदमें लंबित है, जिसमें अधिकतर केस में अनुसंधान पूरा हो गया है।

लगभग 78 आपराधिक मुकदमों में अनुसंधान लंबित है। इस मामले पर अगली सुनवाई 29 जून,2022 को होगी ।

Patna High Court News : राष्ट्रीय राजमार्ग व स्टेट हाईवे पर साफ सुथरा स्वच्छ शौचालय उपलब्ध कराने का दायित्व ऑयल कंपनी सहित एनएचएआई एवं राज्य सरकार को दिया है

अब राज्य के राष्ट्रीय राजमार्ग व स्टेट हाईवे पर स्थित पेट्रोल पंप समेत ढाबा एवं होटल में इन मार्गो से गुजरने वाले यात्रियो को साफ सुथरा स्वच्छ शौचालय उपलब्ध होगा। पटना हाई कोर्ट ने सुविधा उपलब्ध कराने का दायित्व ऑयल कंपनी सहित एनएचएआई एवं राज्य सरकार को दिया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के तीन पेट्रोलियम कम्पनियों को अपने- अपने पेट्रोल पंपों पर शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। वही, इन सड़कों पर खुले में पेट्रोल तथा डीजल की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया है।

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कोर्ट का कहना था कि प्रदेश के राष्ट्रीय राज मार्ग तथा स्टेट हाईवे पर पेट्रोल पम्पों पर यात्री सुविधाओं की घोर अभाव है। इस कमी को दूर करने के लिए ऑयल कम्पनियों तथा सरकारे अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कि है। कमी को दूर करने की दिशा में कुछ नहीं किया गया है।

इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

Patna High Court News : पटना-गया-डोभी एनएच 83 फोर लेन के मामले में गया तथा जहानाबाद के डीएम को तलब किया है

पटना हाई कोर्ट ने पटना -गया -डोभी एनएच 83 फोर लेन के मामले में गया तथा जहानाबाद के डीएम को तलब किया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

साथ ही साथ जहानाबाद के जिला भूमि अधिग्रहण अधिकारी को भी कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना था कि जमीन मालिकों को मुआवजा का भुगतान अब तक क्यों नहीं किया गया।

राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि इस राष्टीय राजमार्ग का निर्माण तीन चरणों में होना है।पटना से जहानाबाद, जगनाबाद से गया तथा गया से डोभी तक होने वाली निर्माण कार्य धीमी प्रगति से चल रही है। एनएच की ओर से कोर्ट को बताया गया कि निर्माण कार्य चल रहा है।

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कोर्ट का कहना था कि भूमि मुआवजा को लेकर कई शिकायतें मिली है। सड़क निर्माण कार्य के लिए किसानों का जमीन अधिग्रहण किया गया, लेकिन उन्हें मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है।

कोर्ट ने डीएम व अन्य अधिकारियों को 12 मई, 2022 को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है।

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट में राज्य की अदालतों में अधिवक्ताओं, उनके क्लाइयंट व महिला अधिवक्ताओं के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की गई

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए विधि सचिव को छह सप्ताह में सभी ज़िलों में वकीलों के लिए बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रस्ताव तैयार का निर्देश दिया है।

अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया ।इसके साथ साथ खंडपीठ ने विधि सचिव को सभी हितधारकों के साथ बैठक कर पूरे राज्य के वकीलों के लिए बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु योजना तैयार करने का निर्देश दिया है ।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव से अपने स्तर से मामले पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था । साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था ।

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श्री शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य की अदालतों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1,20,000 से ज़्यादा अधिवक्ता विभिन्न अधिवक्ता संघों में रजिस्टर्ड हैं ।

लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाएँ जैसे टेबल, कुर्सी, पानी पीने की सुविधा जैसी आधारभूत संरचना नहीं है । इस पर खंडपीठ ने कहा कि अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं को नकारा नहीं जा सकता है। अधिवक्ताओं के लिए आधारभूत संरचना बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की भागीदारी 60:40 के अनुपात में है ।
इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जून को होगी।