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Patna High Court News : राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत,नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित करने के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत,नौबतपुर के तीन पार्षदों को अयोग्य घोषित करने के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।साथ ही पटना हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है।

पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से नगर पंचायत, नौबतपुर के अध्यक्ष सरयुग मोची (वार्ड-14) के अलावा वार्ड-2 के पार्षद विजय पासवान तथा वार्ड-6 के वार्ड पार्षद पूनम देवी को वर्ष 2008 के बाद तीन से अधिक संतान होने के अरोप में अयोग्य घोषित कर दिया था।

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आयोग के इस फैसले के विरुद्ध तीनों वार्ड पार्षदों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तीनों पार्षदों को योग्य ठहराया तथा नियमों की अनदेखी करने के कारण निर्वाचन आयोग पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

Patna High Court News : रेप और हत्या करने के आरोप में सासाराम की एक अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को रद्द कर दिया है

कोर्ट ने मामले को निचली अदालत को भेजते हुए नए सिरे से चार्ज फ्रेमिंग के स्टेज से ट्रायल शुरु करने का आदेश दिया है।

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह तथा जस्टिस हरीश कुमार की खंडपीठ ने डेथ रेफरेंस और फांसी की सजा के खिलाफ अभियुक्त बलराम सिंह की ओर से दायर क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

अभियुक्त बलराम सिंह की ओर से वरीय अधिवक्ता कृष्णा प्रसाद सिंह ने कोर्ट को बताया कि निचली अदालत ने आनन फानन में तीन महीने में ही ट्रायल सम्पन्न कर फांसी की सजा सुना दी और सम्पुष्टि के लिए हाई कोर्ट को भेजा है।

उन्होंने कहा कि ट्रायल में कई प्रकार की त्रुटि है। इसलिए फांसी की सजा को सम्पुष्ट करना न्यायसंगत नहीं होगा।उन्होंने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर नए सिरे से ट्रायल कराने का अनुरोध किया जिसे हाई कोर्ट ने मान लिया।
अभियुक्त 39 वर्षीय बलराम सिंह पर एक 10 वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करने का आरोप है।

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मृत बच्ची की दादी की शिकायत पर डालमिया नगर पुलिस ने रेप, हत्या करने के साथ ही पॉक्सो एक्ट के तहत 15 नवम्बर 2020 को मामला दर्ज किया था और उसी दिन अभियुक्त ने आत्मसमर्पण भी कर दिया।जांच कर पुलिस ने 30 नवम्बर 2020 को चार्जशीट
किया।

8 दिसंबर 20 को चार्ज फ्रेम हुआ।11 जनवरी 2021को गवाही शुरु हुई और 26 मार्च को समाप्त हो गया।13 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई और 30 जुलाई को फैसला सुनाया गया।उसी फैसले की सम्पुष्ट करने के लिए निचली अदालत ने हाई कोर्ट को भेजा था जिसे बतौर डेथ रेफरेंस दर्ज किया गया था।

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट ने मधेपुरा के डीएम को सम्बंधित रिकॉर्ड के साथ 18 मई को हाजिर होने का निर्देश दिया है

जस्टिस पी बी बजनथरी की एकल पीठ ने कंचन कुमारी उर्फ कंचन देवी की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

कोर्ट ने डीएम से जानना चाहा है कि किस अधिकारी ने निर्णय दिया कि आवेदिका का सर्टिफिकेट जाली है।क्या सर्टिफिकेट को जाली ठहराने के पूर्व आवेदिका को सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया था?

आंगनवाड़ी सेविका की नियुक्ति के लिए आवेदिका कंचन कुमारी उर्फ कंचन देवी ने आवेदन किया था।लेकिन उसके सर्टिफिकेट को जाली बताकर उसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया।

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आवेदिका के वकील प्रमोद मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि उसे सुनवाई का अवसर दिए बिना ही मनमाने तरीके से सर्टिफिकेट को जाली बताकर उसकी उम्मीदवारी को अमान्य कर दिया गया जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत की अवहेलना है।

इस मामले पर 18 मई को फिर सुनवाई होगी।कोर्ट ने सरकारी वकील प्रशांत प्रताप को आदेश की प्रति डीएम को भेजने का निर्देश दिया है।

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट ने बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार के पद से सेवानिवृत होने के बाद भी कार्य करते रहने के मामलें पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष समेत सभी सदस्यों को पद से हटाने का निर्देश दिया है।

साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 24 घंटों के भीतर पदेन सदस्य कार्यभार संभाल लेंगे।याचिकाकर्ता उमा शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को चौबीस घंटे के भीतर अस्थायी रजिस्ट्रार की नियुक्त करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष अनियमित ढंग से लाइसेन्स देते थे।उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे मनमानी ढंग से नियमों की अनदेखी कर लाइसेन्स फोन पर ही दे दिया करते थे।

कोर्ट ने मामलें को काफी गम्भीरता से लेते हुए राज्य निगरानी विभाग को पूरे मामलें की जांच करने का निर्देश दिया।कोर्ट ने निगरानी के डीआईजी को चार सप्ताह में जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के पूर्व रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया है।कोर्ट ने अगली सुनवाई में बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष को कोर्ट में तलब किया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को रजिस्ट्रार के पद पर नए अधिकारी को अविलम्ब नियुक्त करने का निर्देश दिया था।

इससे पूर्व में कोर्ट ने सेवानिवृत रजिस्ट्रार द्वारा लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दिया था। कथित तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद भी बिहार फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति स्थाई तौर पर पटना हाई कोर्ट द्वारा एक अवमानना मामले में 19 अगस्त, 2011 को दिए गए आदेश को गलत तरीके से बगैर किसी विज्ञापन, साक्षात्कार किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया था कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार सेवानिवृत हो चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें इस पद पर रखकर काम कराया जा रहा है, जोकि गैर कानूनी है।

इस मामले में अगली सुनवाई 23 जून,2022 को की जाएगी।

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट में मानसिक रोग चिकित्सा के सिलसिले में राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार के गठन के मामलें पर सुनवाई टल गयी

चीफ जस्टिस संजय करोल एवं जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ में आकांक्षा माविया की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

पिछली सुनवाई में चीफ सेक्रेटरी ने हलफनामा दायर कर जानकारी दी कि राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार का गठन कर दिया गया है।कोर्ट को बताया गया कि प्राधिकार के पदेन सदस्यों व अन्य सदस्यों की नामित व बहाल करने की प्रक्रिया जारी हैं।

अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने कोर्ट को बताया गया था कि प्राधिकार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में शैलेन्द्र कुमार को नियुक्त किया जा चुका है।

पूर्व की सुनवाई में उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि कोइलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में 272 बेड का अस्पताल बनाया जाना हैं।इसकी लागत 129 करोड़ रुपए होगी और 3 माह में निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।

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सुनवाई के दौरान कोर्ट को अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने बताया था कि राज्य के इकतीस जिलों मे ज़िला मानसिक स्वास्थ्य प्रोग्राम प्रारम्भ हो गया हैं।साथ ही शेष आठ जिलों में इसे स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार की सहमति मिल गई है।

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि मानसिक रोगियों के ईलाज के लिए 61 डॉक्टरों व 47 नर्सों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया हैं। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के मामलें में एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने चार दिनों का समय देते हुए इस प्राधिकार को पूरी तरह से शुरू करने के लिए एक समय सीमा देने का निर्देश दिया था ।

अपर महाधिवक्ता एस डी यादव ने बताया कि इस मामलें पर आगे की सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद होगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई करते हुए दानापुर के अंचलाधिकारी व दानापुर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को अगली सुनवाई में तलब किया

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज किशोर श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इन अधिकारियों को कार्रवाई रिपोर्ट भी दायर करने को कहा है।

अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि उक्त नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने अपने जवाबी हलफनामा में स्वीकार किया है।

अंचलाधिकारी ने अपने हलफनामा में यह भी कहा है कि बगैर किसी आवंटन के ही अतिक्रमणकारी अवैध रूप से रह रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से बताया गया है ।अगले चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा।

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सुनवाई के दौरान दानापुर के अंचलाधिकारी कोर्ट में मौजूद थे। सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।

सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई है।

कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया है, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके।

इस मामले में आगे की सुनवाई अब आठ सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की अदालतों में अधिवक्ताओं, उनके क्लाइयंट व महिला अधिवक्ताओं के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 10,मई 2022 तक टली

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव से अपने स्तर से मामले पर कार्रवाई करने की उम्मीद जताई। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संदर्भ में अपना जवाब कोर्ट में दो सप्ताह के अंदर दायर करने का निर्देश दिया था ।

श्री शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य की अदालतों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1,20,000 से ज़्यादा अधिवक्ता विभिन्न अधिवक्ता संघों में रजिस्टर्ड हैं ,लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाएँ जैसे टेबल, कुर्सी, पानी पीने की सुविधा जैसी आधारभूत संरचना नहीं है ।

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इस पर खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं को नकारा नहीं जा सकता है। अधिवक्ताओं के लिए आधारभूत संरचना बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की भागीदारी 60:40 के अनुपात में है । इस विषय पर केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जा सकता ।

पूर्व की सुनवाई में खंडपीठ ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव को हालात का ब्यौरा लेकर कोर्ट में हलफ़नामा दायर करने का निर्देश दिया था।इस मामले पर अगली सुनवाई10मई,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार के पद से सेवानिवृत होने के बाद भी कार्य करते रहने के मामलें पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने उमा शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चौबीस घंटे के भीतर नए रजिस्ट्रार का नाम तय करने का निर्देश दिया।

कोर्ट को राज्य सरकार ने बताया कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के पूर्व रजिस्ट्रार को पद से हटा दिया गया है।कोर्ट ने अगली सुनवाई में बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के अध्यक्ष को कोर्ट में तलब किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को रजिस्ट्रार के पद पर नए अधिकारी को अविलम्ब नियुक्त करने का निर्देश दिया था।

इससे पूर्व में कोर्ट ने सेवानिवृत रजिस्ट्रार द्वारा लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दिया था। कथित तौर पर सेवानिवृत्ति के बाद भी बिहार फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर बने रहने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति स्थाई तौर पर पटना हाई कोर्ट द्वारा एक अवमानना मामले में 19 अगस्त, 2011 को दिए गए आदेश को गलत तरीके से परिभाषित करते हुए बगैर किसी विज्ञापन, साक्षात्कार किया गया।

साथ ही बिहार फार्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 26 (ए) और बिहार सर्विस कोड के नियम 67 (ख) तथा सी सी ए रूल्स के नियम 16 का उल्लंघन कर के कर दी गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया था कि बिहार फार्मेसी कॉउन्सिल के रजिस्ट्रार सेवा निवृत्त हो चुके हैं, इसके बावजूद उन्हें इस पद पर रखकर काम कराया जा रहा है, जोकि गैर कानूनी है। इस मामले में अभी आगे भी सुनवाई होनी है।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में जनजातीय शोध संस्थान बनाने का निर्देश केंद्र व राज्य सरकार को दिया

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस. कुमार की खण्डपीठ ने बिहार आदिवासी अधिकार फोरम की ओर से दायर लोकहित याचिका को सुनते हुए यह निर्देशदिया।

राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि टीआरआई (ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट)की स्थापना के संबंध में बिहार के मुख्य सचिव द्वारा गहन जांच की गई। टीआरआई की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के लिए सहमति दे दी गई हैं।

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उन्होंने बताया कि जल्द ही बिहार में टीआरआई स्थापित करने का प्रस्ताव भारत सरकार के समक्ष रखा जाएगा, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।

केंद्र सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता के एन सिंह ने कोर्ट को बताया कि यदि राज्य प्रस्ताव भेजेगा, तो केंद्र सरकार उस पर तेजी से कार्रवाई करेगी।जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने बताया कि आदिवासी संस्कृति की विशिष्टता को संरक्षित करने हेतु 19 राज्यों में टीआरआई क्रियाशील है ।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 28 जून, 2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के चेप्टर 5 व 31 मार्च, 2021 को राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी

पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के चेप्टर 5 व 31 मार्च, 2021 को राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कल भी जारी रहेगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन ने डा आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर सुनवाई कर रही हैं।

यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है।कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है और यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है।

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याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है।

उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए।

कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है, जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है।

31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है।

अब इस मामले पर अगली सुनवाई 27अप्रैल 2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने हत्या का प्रयास के मामले में गलत इंजुरी रिपोर्ट कोर्ट को दिखाकर अग्रिम जमानत लेने का प्रयास कर रहे तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया

पटना हाईकोर्ट ने हत्या का प्रयास के मामले में गलत इंजुरी रिपोर्ट कोर्ट को दिखाकर अग्रिम जमानत लेने का प्रयास कर रहे तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही सभी अभियुक्तों पर पच्चास हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

कोर्ट ने तीनो अभियुक्तों को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के अंदर निचली अदालत में सरेण्डर कर दे। कोर्ट ने जहानाबाद के पुलिस अधीक्षक को भी कहा कि अगर ये सभी अभियुक्त दो सप्ताह में निचली अदालत में सरेण्डर नही करते हैं ,तो उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर हाई कोर्ट को इसकी जानकारी दी जाए।

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ये मामला जहानाबाद जिला के शकुरबाद थाना अंतर्गत रुस्तमचक गांव का है ।हत्या के प्रयास के मामले में शकुरबाद थाना कांड संख्या 95 /2020 इन सभी अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज कराया गया था। इसी मामले में इन अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

हाई कोर्ट की एक एकलपीठ ने धर्मेन्द्र कुमार एवम अन्य के अधिवक्ता और ए पी पी झारखंडी उपाध्याय को सुनने के बाद यह निर्देश दिया। कोर्ट के निर्देश पर जहानाबाद के सिविल सर्जन द्वारा सही इंजुरी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश दिया।

चिराग पासवान बाघोपुर गांव पहुंचकर पंजाब के लुधियाना में हुए अगलगी की घटना में मृतक के पड़ोसी एवं परिवार से मिले

रोसड़ा । पंजाब के लुधियाना में हुए अगलगी की घटना में बाघोपुर गांव के रहने बाले एक ही परिवार के 7 लोगों की दर्दनाक मौत की सूचना मिलते ही लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बाघोपुर गांव पहुंचकर मृतक के पड़ोसी एवं परिवार के सदस्यों से घटना के बारे में पूरी जानकारी लिया ।

जानकारी देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बताया कि परिवार के लोगों से बातचीत दौरान जैसे लोगो ने बताया है उससे तो लगता है कि एक ही परिबार के सात लोगो की मौत कोई हादसा नहीं है बल्कि साजिस के तहत घटना को अंजाम देने का शंका है ।

लोगों ने बताया कि घटना के पास से पेट्रोल की डिब्बे भी बरामद किए गए , पेट्रोल छिड़ककर घटना को अंजाम दिया गया, पास से एक लावारिस बाइक भी बरामद किया गया है। चिराग पासवान ने बताया कि परिबार के लोगो ने बताया कि मृतक सुरेश साहनी को पूर्व में भी धमकी दिया गया था, परिवार के लोगों को अगर लगता है की साजिश के तहत इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है तो निश्चित तौर से इस घटना की जांच होनी चाहिए।

इस घटना को लेकर क्यों नहीं अब तक बिहार सरकार पंजाब की सरकार से वार्ता किया है, चिराग ने कहा कि अब तक बिहार सरकार पंजाब सरकार से इस घटना को लेकर अब तक क्यों नहीं पूछा गया कि अगर घटना घटी है तो कैसे घटी है और इस पर अब तक क्या हुआ है स्थानीय प्रशासन क्यों नहीं आश्रित परिवार को सहयोग कर रही है।

चिराग पासवान ने बताया कि परिवार के लोगों से जानकारी मिलने के बाद वह खुद पंजाब के मुख्यमंत्री एवं लुधियाना के एसपी से बात कर जानकारी लेंगे और आश्रित परिवार को सहायता दिलाने की मांग करेंगे , मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी, लोजपा नेत्री डॉ उर्मिला सिन्हा संतोष कुमार सिंह विद्यासागर सिंह अखिलेश कुमार सिंह वंधार पंचायत पैक्स अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार महतो, सरपंच मिथिलेश कुमार साहनी, वार्ड सदस्य रंजीत साहनी, रामा साहनी, मुखिया चंदन देवी, वीडिओ हरि ओम शरण सहित सैकड़ों ग्रामीण व कार्यकर्ता मौजूद थे।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के राजस्व विभाग के विशेष सचिव द्वारा जारी विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है

राज्य सरकार द्वारा 2 जनवरी, 2021 को जारी विज्ञापन को रद्द करने और 9 फरवरी, 2022 को राज्य सरकार के कर्मियों की तरह आरक्षण देते हुए नियुक्त किए जाने को चुनौती दी गई थी।

जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा की ने बलराज किशोर की याचिका पर सुनवाई करते उक्त आदेश को सोमवार को पारित किया। इस मामले में राज्य सरकार द्वारा विज्ञापन 2 जनवरी, 2021 को जारी किया गया था।

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जारी विज्ञापन के अनुसार बिहार लैंड ट्रिब्यूनल (बीएलटी ) के लिए विशेष सरकारी वकील व 25 अपर सरकारी वकील की नियुक्ति समेत अन्य विभागों तथा दो विशेष सरकारी वकीलों और 25 अपर सरकारी वकीलों की नियुक्ति आरक्षण के आधार पर की गई थी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि कोर्ट ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर राज्य सरकार से छह सप्ताह में पूछा है कि किस नियम के तहत आरक्षण का लाभ देते हुए उक्त नियुक्तियों को किया गया है।

उन्होंने बताया कि उक्त नियुक्ति हेतु कोई आरक्षण का नियय नहीं है और न ही कोई सर्च कमेटी और चयन कमेटी है।मामलें पर 6 सप्ताह बाद सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राजीव रंजन सिंह की बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों की खस्ताहाल स्थिति से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की।

पटना हाईकोर्ट ने राजीव रंजन सिंह की बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों की खस्ताहाल स्थिति से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामलें पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान पुल निर्माण करने वाली कंपनी के प्रबंध निदेशक ने वादा किया है कि समय सीमा के भीतर सारे परियोजनाएं पूरी कर ली जाएँगी।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गंडक नदी पर पुल समेत अन्य योजनाओं के पूरा में बिलम्ब होने पर नाराजगी जाहिर की थी।
कोर्ट ने वैशाली के डी एम और एन एच ए आई के क्षेत्रीय पदाधिकारी को निर्देश दिया कि कंपनी द्वारा किये जा रहे कार्यों की लगातार समीक्षा कर कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

पुल निर्माण करने वाली कंपनी के प्रबंध निदेशक ने कोर्ट को बताया कि सभी परियोजनाएं समय सीमा में पूरी की जाएँगी।साथ ही गंडक नदी पर पुल का निर्माण तीन माह में पूरा कर लिया जाएगा।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गंडक नदी पर पुल,हाजीपुर के रामाशीष चौक, अजानपीर ओवर ब्रिज,बी एस एन एल गोलम्बर आदि योजनाओं का मौके पर जायजा लेने के एक टीम गठित की है।

इस टीम में सारण और वैशाली के डी एम, एन एच ए आई के अधिकारी,सड़क व पुल निर्माण करने वाली कंपनी के प्रबन्ध निदेशक और अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद शामिल थे।

कोर्ट ने इन्हें इन योजनाओं के अलावे अन्य अधूरे बने सड़कों का जायजा ले कर रिपोर्ट अगले सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने इस बात पर सख्त नाराजगी जाहिर की कि कोई भी परियोजना निर्धारित समय में पूरा नहीं हो रहा है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड रहा है। गंडक नदी पर पुल पूरा होने की निर्धारित समय सीमा 2013 ही थी,लेकिन वह अबतक पूरा नहीं हुआ।

निर्माण कंपनी के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताय था कि हाई वॉल्टेज ट्रांसमीटर टावर स्थानांतरित करने का कार्य होने बाद सड़क निर्माण का कार्य तत्काल शुरू हो जाएगा।वैशाली की डी एम ने कोर्ट को बताया कि हाजीपुर आरओबी बनाने का काम चल रहा और निर्धारित समय में काम पूरा हो जाएगा।

अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बताया की अजान पीर में जहां ओवरब्रिज बनना था, अभी तक नहीं बना हैं।यही नहीं,अभी एक ही लेन चालू हुआ है,जबकि दूसरे लेन का काम 12 वर्षो से लंबित हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नेशनल हाई वे और स्टेट हाईवे पर पर्याप्त संख्या में पेट्रोल पंप नहीं होने के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए विकास आयुक्त को निर्देश दिया कि वे राज्य के सभी जिलाधिकारी की बैठक बुलाए।

कोर्ट को बताया गया कि पेट्रोल पम्प लगाने के लिए विभिन्न जिलों में डी एम के पास बड़ी तादाद में आवेदन लंबित हैं, जबकि राज्य के क्षेत्रफल और जनसंख्या के में पेट्रोल पम्प की संख्या बहुत कम है। कोर्ट ने विकास आयुक्त को इन मामलों पर सभी जिलों के डी एम से विचार कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा।

कोर्ट ने राज्य के नेशनल व स्टेट हाईवे पर जनसंख्या और वाहनों की संख्या के तुलना में पेट्रोल पम्प की संख्या पर सख्त रुख अपनाया था।

कोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए जानना चाहा कि राज्य नेशनल हाइवे पर कितने पेट्रोल पम्प खोलने की अनुमति दी गई है।

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कोर्ट ने इस बात को भी गम्भीरता से लिया था कि 2018 से पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए लगभग एक हज़ार आवेदन कार्रवाई नहीं होने के कारण ज़िला प्रशासन के समक्ष पड़ा हुआ हैं।इन मामलों मे ज़िला के डी एम की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण मामला अधर में पड़ा हुआ हैं।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में जानना चाहा था कि अबतक नेशनल और स्टेट हाईवे में कितने पेट्रोल पम्प चालू हैं।साथ ही राज्य के विस्तार,जनसंख्या और वाहनों की संख्या के मद्देनजर और कितने पेट्रोल पम्प खोले जाने की जरूरत है।इस बारे में हाल में सर्वे किया गया हैं या नहीं।उसके क्या परिणाम रहे।

कोर्ट ने इस बात पर भी टिप्पणी की थी कि राज्य के इन पेट्रोल पंप पर आम लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं की भी भारी कमी हैं।पेय जल,मेडिकल किट,शौचालय आदि बुनियादी सुविधाओं की काफी अभाव हैं।

इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर अगली सुनवाई में जानकारी उपलब्ध कराने का कोर्ट ने आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के राष्ट्रीय राज मार्ग तथा स्टेट हाईवे पर पेट्रोल पंप सहित अन्य नागरिक सुविधाओं की काफी कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकारों ने अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं किया है।

इस मामलें पर फिर 5 मई,2022 को सुनवाई की जाएगी।

पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 16 चक्के वाले ट्रकों के जरिये गिट्टी,बालू आदि के ढुलाई पर लगाए गए प्रतिबन्ध को रद्द कर दिया

बिहार सरकार ने 16 दिसम्बर, 2020 द्वारा जारी अधिसूचना जारी कर इन वाहनों द्वारा गिट्टी, बालू ढुलाई पर रोक लगा दिया था।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने बिहार ट्रक ऑनर एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर 7 अप्रैल, 2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

बिहार सरकार ने इन भारी वाहनों द्वारा गिट्टी,बालू आदि की ढुलाई पर 16 दिसम्बर, 2020 को एक अधिसूचना जारी कर रोक लगा दिया था।

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बिहार सरकार द्वारा रोक के आदेश के विरुद्ध याचिकाकर्ताओं ने ये मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया।लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें की सुनवाई 3 जनवरी,2022 को की।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामलें को सुनवाई करते हुए इसे वापस पटना हाईकोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए भेज दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को 8 सप्ताह के भीतर सुनवाई कर मामलें का निपटारा करने को कहा।

इन याचिकाओं में बिहार सरकार द्वारा 16 चक्कों के ट्रक के जरिये गिट्टी व बालू आदि की ढुलाई पर 16 दिसंबर, 2020 को ही एक अधिसूचना जारी कर प्रतिबंध को challenge किया गया है।

इन मामलों पर पटना हाई कोर्ट में फिजिकल कोर्ट शुरू होने के बाद सुनवाई शुरू हुई थी।इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार समेत अन्य सम्बंधित सभी पक्षों को अपना अपना पक्ष लिखित तौर पर कोर्ट के समक्ष दायर करने का निर्देश दिया था।

पटना हाईकोर्ट के इस निर्णय से उन वाहन मालिकों को बड़ी राहत मिली,जिनके भारी वाहनों द्वारा गिट्टी,बालू आदि की ढुलाई पर राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था।

पटना हाईकोर्ट ने मधनिषेध एवं उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव से बिहार में शराबबंदी कानून के अंतर्गत की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया

पटना हाईकोर्ट ने मधनिषेध एवं उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव से बिहार में शराबबंदी कानून के अंतर्गत की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है। जस्टिस सत्यव्रत वर्मा ने काजल कुमारी की जमानत याचिका पर ऑन लाईन सुनवाई की।

कोर्ट ने अबतक जेल जा चुकी महिलाओं और 18 से 25 वर्ष के युवाओं का ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने बेगूसराय थाने में दर्ज एक मामले में जेल में बंद काजल कुमारी की जमानत याचिका पर ऑन लाईन सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।

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याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि महिलायें और युवा शराबंदी के मामलों में बड़े पैमाने पर जेल जा चुके हैं। इनमें से अधिकतम प्रथम अपराध के लिए जेल गए हैं।

इस कानून से समाज में अपेक्षित बदलाव आने की जगह यह आसान पैसे कमाने का एक भंवरजाल बन गया। इसमें महिलाएं व युवा आसानी से फंसते जा रहे हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 18 मई को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना-गया-डोभी (एनएच 83) निर्माण और विकास मामले पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने पटना -गया – डोभी (एनएच 83) एनएच निर्माण और विकास
मामले पर सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि अब तक जहानाबाद में किसानों को मुआवज़ा क्यों नहीं दिया गया । चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने प्रतिज्ञा नामक सामाजिक संगठन की जनहित याचिका पर के मामले पर सुनवाई की।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष कुमार द्वारा बताया गया कि इस हाईवे के निर्माण के क्रम में उनके अधिग्रहित भूमि का कई किसानों को अब तक मुआवज़ा नहीं दिया गया है। इसलिए नेशनल हाइवे के निर्माण में विलम्ब हो रहा हैं।

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कोर्ट ने अगली सुनवाई में जहानाबाद के डी एम, जहानाबाद के जिला भूमि अधिग्रहण अधिकारी ऐवं एनएचएआई के पदाधिकारियों को कोर्ट में स्वयं उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कहा कि किसानों को उनका मुआबजा कब और किस माध्यम से दिया जाएगा।

इस मामले पर अगली सुनवाई 26, अप्रैल,2022 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने गाँधी मैदान थाना में जब्त की गई सम्पत्ति समेत अन्य अवरोधो को हटाने के मामलें पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जब्त किये गए वाहनों को हटाने के फिर से वहां रखे जाने को गम्भीरता से लिया।कोर्ट ने अधिवक्ता शिल्पी केशरी की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने आज सुबह में इस मामलें पर सुनवाई शुरू की।कोर्ट को बताया गया कि जब्त किये वाहनों को हटाए जाने के बाद उन्हें वहां फिर से लगा दिया गया है।

कोर्ट ने लंच के समय मामलें पर सुनवाई के दौरान पटना के ट्राफिक एस पी तलब किया।कोर्ट ने उन्हें निर्देश दिया कि प्रति सप्ताह गाँधी मैदान में जब्त वाहनों का निरीक्षण करें।

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कोर्ट को अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद गाँधी मैदान से जब्त वाहनों को हटा दिया गया था।लेकिन कुछ समय बाद फिर वहां वाहन लगाया जाने लगा।उन्होंने गाँधी मैदान के पास स्कूल बसों के खड़े होने से ट्राफिक जाम हो जाता हैं।इसका खामियाजा स्कूली छात्रों को भुगतना पड़ता हैं।

उन्होंने बताया कि पटना शहर के अधिकतर थाने में यहीं हालत हैं।कोर्ट ने ट्राफिक एस पी और ज़िला जज को बैठक कर इस मामलें विचार करने का निर्देश दिया।जब्त वाहनों के मामलों की सुनवाई और निबटारे के लिए कार्रवाई करने को कहा।

कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में गाँधी मैदान थाना में जब्त वाहनों को हटाने के अदालती आदेश का पालन नहीं करने पर सख्त नाराजगी जाहिर की थी।कोर्ट ने डी जी पी,बिहार को 24 घंटों में गाँधी मैदान थाना से सभी अवरोध हटाने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने सभी जब्त वाहनों के बारे में पूरी जानकारी मांगते हुए ये भी बताने को कहा था कि अबतक इन वाहन जब्ती मामलों में क्या कार्रवाई की गई है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई आने वाले सप्ताह में होगी।

पटना हाईकोर्ट ने राजीव रंजन सिंह की बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों की खस्ताहाल स्थिति से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गंडक नदी पर पुल समेत अन्य योजनाओं के पूरा में बिलम्ब होने पर नाराजगी जाहिर की।

कोर्ट ने गंडक नदी पर पुल,हाजीपुर के रामाशीष चौक, अजानपीर ओवर ब्रिज,बी एस एन एल गोलम्बर आदि योजनाओं का मौके पर जायजा लेने के एक टीम गठित की है।इस टीम में सारण और वैशाली के डी एम, एन एच ए आई के अधिकारी,सड़क व पुल निर्माण करने वाली कंपनी के प्रबन्ध निदेशक और अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद शामिल है।

कोर्ट ने इन्हें इन योजनाओं के अलावे अन्य अधूरे बने सड़कों का आज ही जायजा ले कर रिपोर्ट अगले सप्ताह में पेश करने का निर्देश दिया है।

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कोर्ट ने इस बात पर सख्त नाराजगी जाहिर की कि कोई भी परियोजना निर्धारित समय में पूरा नहीं हो रहा है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड रहा है। गंडक नदी पर पुल पूरा होने की निर्धारित समय सीमा 2013 ही थी,लेकिन वह अबतक पूरा नहीं हुआ।

निर्माण कंपनी के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि हाई वॉल्टेज ट्रांसमीटर टावर स्थानांतरित करने का कार्य होने बाद सड़क निर्माण का कार्य तत्काल शुरू हो जाएगा।वैशाली की डी एम ने कोर्ट को बताया कि हाजीपुर आरओबी बनाने का काम चल रहा और निर्धारित समय में काम पूरा हो जाएगा।

अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बताया की अजान पीर में जहां ओवरब्रिज बनना था, अभी तक नहीं बना हैं।यही नहीं,अभी एक ही लेन चालू हुआ है,जबकि दूसरे लेन का काम 12 वर्षो से लंबित हैं।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 अप्रैल,2022 को होगी।