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Patna High Court News : पटना हाई कोर्ट ने विभागीय कार्यवाही के संचालन में सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य के स्वास्थ्य पर 25 हजार रुपए बतौर हर्जाना लगाया

जस्टिस पी बी बजन्थरी ने डा. अरुण कुमार तिवारी की रिट याचिका को मंजूर करते हुए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया इस हरजाने की राशि एक महीने में बिहार विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करें ।

हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताया कि जुलाई, 2002 में जिस विभागीय कार्यवाही को शुरु किया , उसमे आरोपी कर्मी को विभागीय आरोप पत्र ( चार्ज मेमो ) एवं विभागीय साक्ष्य की सूची तक नहीं सौंपी गई थी ।

याचिकाकर्ता इस बात को लेकर कल भी हाई कोर्ट आया था और कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए स्वास्थ्य विभाग को फिर से कार्यवाही संचालन करने का आदेश 2011 में दिया था ।

हाई कोर्ट आदेश के आलोक में जो कार्यवाही शुरू हुई, उसमे भी याचिकाकर्ता को आरोप पत्र और साक्ष्यों की सूची से वंचित रखा गया था।साथ ही अनुशासनात्मक अधिकारी ने विभागीय जांच रिपोर्ट तक याचिकाकर्ता को नहीं दिया था,ताकि वो अपना बचाव प्रस्तुत कर सके।

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हाई कोर्ट के आदेश होने के बाद भी अपीलीय प्राधिकार ने कोई निर्णय नहीं लिया, तब याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया। अवमानना के डर से अपीलीय प्राधिकार ने आनन फानन में अपील को 2018 में खारिज कर दिया।

तब याचिकाकर्ता को चौथी बार हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा । हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के पिछले आदेश में सरकार से जिन जरूरी तथ्यों के बारे में पूछा, उसका कोई सटीक जवाब नही मिला। तब स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव तलब हुए ।
आज स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी प्रधान सचिव कोर्ट में हाजिर हुए । हाई कोर्ट ने लंबे आदेश में उपरोक्त तथ्यों को उजागर करते हुए सरकार की गैर जिम्मेदाराना हरकत पर ही 25 हजार का हर्जाना लगाया ।

साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए उसके वेतन भत्ते बकाए सहित सभी सेवा लाभ देने का भी निर्देश दिया है ।

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